(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-366/2010
(जिला आयोग, शाहजहांपुर द्वारा परिवाद संख्या-46/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.2.2010 के विरूद्ध)
श्रीमती रामबेटी पत्नी स्व0 श्री रीतराम, निवासी मोहल्ला क्वार्टर नं0-304/6, जे-टाईप फैक्ट्री स्टेट, जिला शाहजहांपुर, वर्तमान निवास हथौड़ा बुजुर्ग, परगना व तहसील सदर, जिला शाहजहांपुर।
अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम
1. ब्रांच मैनेजर, लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया, ब्रांच आफिस IInd, 284/85, चन्द्र बिल्डिंग, सदर बाजार, शाहजहांपुर।
2. डिवीजनल मैनेजर, लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया, डिवीजनल आफिस 35 डी, रामपुर गार्डेन, जिला बरेली।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री वी.एस. बिसारिया।
दिनांक: 09.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-46/2008, राम बेटी बनाम शाखा प्रबंधक भारतीय जीवन बीमा निगम तथा एक अन्य में विद्वान जिला आयोग, शाहजहांपुर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 5.2.2010 के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील पर बल देने के लिए अपीलार्थी की ओर से कोई कोई उपस्थित नहीं है। अत: पीठ द्वारा स्वंय प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया। प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित हैं, उन्हें सुना गया।
2. विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमा प्रस्ताव भरते समय बीमाधारक द्वारा बीमारी के तथ्य को छिपाया गया तथा बीमाधारक द्वारा लिए गए मेडिकल अवकाश के तथ्य को भी छिपाया गया।
3. परिवाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादिनी द्वारा अपने पति श्री रीत राम के साथ जीवन साथी बीमा पालिसी संख्या 221463648 ली गई थी। परिवादिनी के पति की मृत्यु दिनांक 3.2.2005 को हो गई। प्रीमियम का भुगतान परिवादिनी के पति के वेतन से काटकर बीमा निगम को किया जाता था। वांछित औपचारिकताएं पूर्ण कर बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया और केवल 25,000/-रू0 का भुगतान दिनांक 30.6.2005 को चेक संख्या 860137 से किया गया। परिवाद पत्र के पैरा सं0-9 में अंकन 25,000/-रू0 के अलावा अंकन 43,698/-रू0 के भुगतान का भी उल्लेख है, परन्तु इस राशि के भुगतान का विवरण वर्णित नहीं है।
4. बीमा कंपनी का कथन है कि जोखिम प्रारम्भ होने के 5 माह 9 दिन के अंदर बीमाधारक की मृत्यु हुई है, इसलिए जांच हुई और जांच में पाया गया कि बीमाधारक का बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व इलाज चल रहा थ। बीमाधारक दिनांक 1.1.2001 से दिनांक 31.12.2001 तक कुल 20 दिन एवं दिनांक 1.1.2002 से दिनांक 31.12.2002 तक 98 दिन अवकाश पर रहे हैं। यह अवकाश मेडिकल आधार पर लिए जाते रहे हैं और प्रस्ताव भरते समय बीमारी के प्रश्न का सही उत्तर नहीं दिया गया।
5. विद्वान जिला आयोग द्वारा बीमा निगम के कथन को स्वीकार किया गया और परिवाद खारिज कर दिया गया।
6. इस निर्णय/आदेश के विरूद्ध प्रस्तुत की गई अपील के ज्ञापन में उल्लेख है कि विद्वान जिला आयोग ने साक्ष्य के विपरीत निर्णय/आदेश पारित किया है। विद्वान जिला आयोग ने इस स्थिति पर गंभीर विचार किया है कि बीमाधारक द्वारा लम्बी अविध तक का अवकाश मेडिकल अवकाश की प्रार्थना पर लिया गया था तथा शाहजहांपुर स्थित हॉस्पिटल में बीमा पालिसी प्राप्त करने से पूर्व ही बीमाधारक का इलाज चलता रहा है। नजीर, Savneet Singh Sobti vs Avivia Life Insuarance Co. India Pvt Ltd & Ors I (2007) CPJ 646 (NC) प्रस्तुत की गई। इस नजीर में दी गई व्यवस्था के अनुसार जब लम्बी अवधि तक अवकाश प्राप्त किया जाता है और इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया जाता या असत्य उत्तर दिया जाता है तब माना जा सकता है कि तथ्यों को छिपाकर बीमा पालिसी प्राप्त की गई है। अत: इस स्थिति में विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
7. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2