राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-896/2008
(जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), बरेली द्वारा परिवाद सं0-246/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-04-2008 के विरूद्ध)
श्रीमती पूनम सक्सेना पत्नी स्व0 श्री सुनील कुमार सक्सेना निवासी द्वारा संजीव रंजनदलेला चक्की वाली गली मढ़ीनाथ बरेली।
...........अपीलार्थी/परिवादिनी।
बनाम
भारतीय जीवन बीमा निगम द्वारा वरिष्ठ मण्डलीय प्रबन्धक मण्डल कार्यालय 35 डी रामपुर बाग, बरेली पिन 243 001.
............ प्रत्यर्थी/विपक्षी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री ओ0पी0 दुवेल विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय जायसवाल विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक : 15-04-2024.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
अपीलार्थी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), बरेली द्वारा परिवाद सं0-246/2006 श्रीमती पूनम सक्सेना बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-04-2008 के विरूद्ध योजित अपील के सन्दर्भ में हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया।
विद्वान जिला आयोग के उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश के अवलोकन से जाहिर होता है कि बीमाधारक का, बीमा पालिसी का प्रस्ताव
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भरने से पूर्व गम्भीर बीमारी (टाईफाइड) का इलाज 41 दिन तक चला, जिसके सम्बन्ध में विद्वान जिला आयोग ने विस्तार से विचार किया है। इसलिए बीमाधारक द्वारा अपनी बीमारी के तथ्य को छिपाने का बीमा कम्पनी का निष्कर्ष विद्वान जिला आयोग ने सही पाया। विद्वान जिला आयोग के इस निष्कर्ष में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है, जिसके आधार पर परिवाद को निरस्त किया गया है।
अपीलार्थी की ओर से एक नजीर राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, लखनउ द्वारा अपील सं0-261/2010 में पारित निर्णय दिनांक 13-10-2023 की इस आशय से प्रस्तुत की गई है कि मेडिकल अवकाश लेने मात्र से यह नहीं माना जा सकता कि यथार्थ में बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व किसी बीमारी का इलाज कराया गया है। उपरोक्त नजीर का हमारे द्वारा ध्यानपूर्वक अवलोकन किया गया, परन्तु उक्त नजीर के तथ्य वर्तमान मामले के तथ्यों से इस प्रकार भिन्न हैं कि परिवादिनी द्वारा स्वयं बीमारी से सम्बन्धित एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसकी प्रति पत्रावली में मौजूद है। चूँकि स्वयं परिवादिनी ने बीमारी का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है, इसलिए प्रमाण पत्र को स्वयं परिवादिनी नकार नहीं सकती। अत: उक्त नजीर वर्तमान मामले में सुसंगत नहीं है।
तदनुसार वर्तमान अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील, निरस्त की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग (प्रथम), बरेली द्वारा परिवाद सं0-246/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 10-04-2008 की पुष्टि की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
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वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 15-04-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-2.