(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-386/2012
(जिला आयोग, बिजनौर द्वारा परिवाद संख्या-216/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 1.2.2012 के विरूद्ध)
श्रीमती रेखा शर्मा पत्नी स्व0 श्री विनोद कुमार शर्मा, निवासिनी ग्राम खटाई बाया नूरपुर, जिला बिजनौर
अपीलार्थी/परिवादिनी
बनाम
लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया, एलआईसी आफ इंडिया, ब्रांच आफिस, धामपुर, जिला बिजनौर।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री आर.के. मिश्रा।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री संजय जायसवाल।
दिनांक: 04.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उद्घोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-216/2009, श्रीमती रेखा शर्मा बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला आयोग, बिजनौर द्वारा पारित निर्णय/आदेश दिनांक 1.2.2012 के विरूद्ध यह अपील स्वंय परिवादी की ओर से प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय/आदेश द्वारा विद्वान जिला आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि परिवादिनी के पति द्वारा बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व 15-20 सालों से Diabetes Mellites (DM) एवं Hypertention नामक बीमारी ग्रसित थे और इस बीमारी को उनके द्वारा छिपाया गया।
2. परिवादिनी के पति श्री विनोद कुमार श्ार्मा के पक्ष में बीमा पालिसी दिनांक 28.8.2003 को जारी होना, दिनांक 17.9.2005 को बीमाधारक की मृत्यु होना, परिवादिनी का नामिनी होना, बीमा क्लेम प्रस्तुत करना तथा बीमा निगम द्वारा बीमा क्लेम नकारना ये सभी तथ्य को दोनों पक्षों को स्वीकार हैं। अत: इन बिन्दुओं पर अतिरिक्त विश्लेषण की आवश्यकता नहीं है।
3. इस अपील के विनिश्चय के लिए एक मात्र विनिश्चायक बिन्दु यह उत्पन्न होता है कि क्या परिवादिनी के पति विनोद कुमार शर्मा द्वारा बीमा पालिसी प्राप्त करते समय बीमारी के तथ्य को छिपाया गया और वह बीमा प्रस्ताव भरने से पूर्व से उपरोक्त बीमारी से ग्रसित थे ?
4. अपील के ज्ञापन तथा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों का सार यह है कि परिवादिनी के पति निमोनिया से ग्रसित थे, इसलिए इसी बीमारी के कारण दिनांक 17.9.2005 को उन्हें मृत घोषित किया गया था। बीमा प्रस्ताव भरते समय बीमारी के किसी तथ्य को नहीं छिपाया गया, इसलिए बीमा क्लेम देय है।
5. बीमा निगम के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि AIMS के डा0 श्री एच.एस. महापात्रा द्वारा जो प्रमाण पत्र जारी किया गया है, उसके कॉलम संख्या-4 में स्पष्ट लिखा है कि बीमाधारक की मृत्यु Diabetes Mellites (DM) एवं Hypertention/Acutechronic renal failure के कारण हुई है और Diabetes Mellites (DM) 15-20 साल पहले से था तथा हाईपरटेन्शन 10-15 साल पहले से था। डा0 द्वारा मृत्यु से पूर्व Peritoneal Dialysis भी किया गया था। बीमा निगम की ओर से विद्वान जिला आयोग के समक्ष जो साक्ष्य प्रस्तुत की गई, उसमें उपरोक्त वर्णित सभी तथ्य साबित हैं, केवल प्रश्न यह उठता है कि क्या डा0 द्वारा किया गया इंद्राज की बीमाधारक पिछले 15-20 सालों से उपरोक्त वर्णित बीमारी से ग्रसित थे, डा0 की साक्ष्य के बिना भी ग्राह्य है। बीमा निगम की ओर से प्रस्तुत नजीर, पुष्पा चौहान बनाम लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इंडिया II (2011) CPJ 44 (NC) में यह व्यवस्था दी गई है कि मरीज की पत्नी की सहायक द्वारा दी गई सूचना के आधार पर डा0 द्वारा मेडिकल प्रमाण पत्र में जिस तथ्य का उल्लेख किया है, वह उल्लेख साक्ष्य में ग्राह्य है। उपरोक्त नजीर में बीमाधारक 30 वर्ष पूर्व से बीमारी से ग्रसित था, परन्तु बीमा प्रस्ताव भरते समय इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया था। प्रस्तुत केस में भी डा0 को बीमारी के संबंध में जो सूचना दी गई, जिसका उल्लेख डा0 द्वारा मेडिकल प्रमाण पत्र में किया गया। परिवादिनी द्वारा बीमा क्लेम में उल्लेख किया गया है कि बीमाधारक द्वारा AIMS में अपना इलाज कराया गया है तथा विद्वान जिला आयोग ने इस बिन्दु पर भी विचार किया है कि दिनांक 22.1.2003 से दिनांक 7.3.2003 तक का अवकाश लिया गया है और राम कृष्ण मिशन सेवा आश्रम हरिद्वार में इलाज कराया गया है, इस हॉस्पिटल द्वारा Diabetes Mellites (DM) नामक बीमारी से ग्रसित होने का प्रमाण पत्र दिया गया है। यहां पर बीमाधारक दिनांक 22.1.2003 से दिनांक 7.3.2003 तक भर्ती रहे हैं। यहां पर भर्ती रहने के पश्चात ही बीमा पालिसी प्राप्त की गई है। अत: इस अस्पताल में भर्ती रहने की सूचना बीमा निगम को दी जानी चाहिए थी, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा दिया गया निष्कर्ष साक्ष्य पर आधारित है, जिसमें कोई हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है। तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
6. प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-2