(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-886/2006
Ram Kishore, aged about 59 years, son of Sri Ram Chandra Singh
Versus
Life Insurance Corporation Ltd & others
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: कोई नहीं
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित: श्री संजय जायसवाल, विद्धान अधिवक्ता
दिनांक :20.03.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-129/2003, रामकिशोर बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला आयोग, चित्रकूट द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 09.03.2006 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता की मृत्यु होने पर अपीलार्थी को कार्यालय द्वारा सूचित किया गया, जिसकी प्रति पत्रावली पर मौजूद है। इस सूचना के बावजूद अपीलार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। केवल प्रत्यर्थीगण के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
2. जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए प्रसतुत किया गया परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण से पूर्व बीमाधारक बीमार था। उनका इलाज चल रहा था, परंतु इस तथ्य को छिपाते हुए बीमा पॉलिसी का नवीनीकरण कराया गया इसलिए बीमा क्लेम नकारने का बीमा कम्पनी का निर्णय विधिसम्मत है तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
3. एनेक्जर सं0 4 के अवलोकन से जाहिर होता है कि जो बीमा क्लेम बीमा कम्पनी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, उसमें बीमाधारक की बीमारी नवीनीकरण से पूर्व से मौजूद होने तथा गुर्दे का इलाज कराने का उल्लेख स्वयं परिवादी द्वारा किया गया है। अत: यह तथ्य स्थापित है कि नवीनीकरण से पूर्व बीमाधारक गुर्दे की बीमारी से ग्रसित थे, जिसका खुलासा नवीनीकरण के समय नहीं किया गया, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 3