(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-2106/2012
प्रदीप कुमार पुत्र पाटेश्वरी प्रसाद, निवासी ग्राम कर्मडीह खुर्द, पोस्ट खरगूपुर, जिला गोण्डा, यू.पी.।
अपीलार्थी/परिवादी
बनाम्
एलआईसी आफ इण्डिया, द्वारा सीनियर डिवीजनल मैनेजर, डिवीजनल आफिस, बलदेव निवास कम्पाउण्ड, रीडगंज, फैजाबाद, यू.पी.।
प्रत्यर्थी/विपक्षी
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री टी.एच. नकवी।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी.एस. बिसारिया।
दिनांक: 17.10.2022
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-205/2011, प्रदीप कुमार बनाम भारतीय जीवन बीमा निगम में विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग, गोण्डा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.08.2012 के विरूद्ध यह अपील स्वंय परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई है। इस निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज कर दिया कि बीमाधारिका द्वारा कीटनाशक दवा का प्रयोग किया गया है, इसलिए बीमा पालिसी लेने के 03 वर्ष के अन्दर यह मृत्यु कारित हुई है, इसलिए बीमा हित लाभ देय नहीं है।
2. इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने तथ्य एवं साक्ष्य के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया है और केवल बीमा पालिसी की क्लॉज-4 बी को आधार मानते हुए बीमा क्लेम नकारने का कारण पर्याप्त मान लिया है।
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3. उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. परिवादी/अपीलार्थी की पत्नी की मृत्यु के पश्चात परिवादी द्वारा स्वंय अपने हस्तलेख से बीमा निगम को एक सूचना दी गई है, जो पत्रावली पर पृष्ठ संख्या-30 है, यह सूचना प्रबन्धक, भारतीय जीवन बीमा निगम को सम्बोधित है, इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि उनकी पत्नी की दिनांक 25.05.2011 को नशीली दवा खा लेने के कारण जिला अस्पताल, गोण्डा में मृत्यु हो गई। अत: स्वंय परिवादी द्वारा दी गई सूचना इस तथ्य की ओर इंगित करती है कि बीमाधारिका द्वारा आत्महत्या कारित की गई है। बीमा पालिसी की शर्तों के अनुसार आत्महत्या करने पर बीमा क्लेम देय नहीं है, इसलिए परिवादी केवल प्रीमियम राशि ब्याज सहित प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। यहां यह उल्लेख किया जाता है कि बीमा निगम द्वारा यद्यपि इन्वेस्टिगेशन पत्र दिनांकित 21.10.2011 को यह उल्लेख किया गया है कि समस्त प्रीमियम राशि ब्याज सहित वापस की जाएगी, परन्तु यह राशि उपलब्ध नहीं कराई गई, इसलिए बीमा निगम इस मद में सेवा में कमी के लिए उत्तरदायी है। अत: इस मद में बीमा निगम बतौर 10 हजार रूपये क्षतिपूर्ति परिवादी को अदा करें। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
5. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 29.08.2012 अपास्त किया जाता है तथा परिवाद इस रूप में स्वीकार किया जाता है कि बीमा निगम परिवादी को बीमा पालिसी के विरूद्ध जमा की गई समस्त राशि 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज सहित जमा करने की तिथि से वास्तविक भुगतान की तिथि तक इस निर्णय एवं आदेश की तिथि से 03 माह के अन्दर अदा की जाए।
बीमा निगम को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को अंकन 10 हजार रूपये बतौर क्षतिपूर्ति उपरोक्त अवधि में अदा करें।
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उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0,
कोर्ट-3