(सुरक्षित)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील सं0 :- 778/2008
(जिला उपभोक्ता आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद सं0-290/2004 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30/01/0008 के विरूद्ध)
मृत्युंजय कुमार सुत श्री राजेन्द्रनाथ निवासी-ग्राम-उमरी कोटिला, पो0 उमरी कोटिला, परगना-बिहार, तहसील-कुण्डा, जिला-प्रतापगढ़।
- अपीलार्थी
बनाम
- श्रीमान शाखा प्रबंधक महोदय, भारतीय जीवन बीमा निगम शाखा कुण्डा, जिला प्रतापगढ़।
- श्रीमान जोनल मैनेजर, भारतीय जीवन बीमा निगम उत्तर मध्य क्षेत्रीय कार्यालय, 6198ए महात्मा गांधी मार्ग, कानपुर (उ0प्र0)
- प्रत्यर्थीगण
समक्ष
- मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति:
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री सतीश चन्द्र श्रीवास्तव
प्रत्यर्थीगण की ओर विद्वान अधिवक्ता:- श्री आलोक रंजन
दिनांक:- 28.10.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
- यह अपील जिला उपभोक्ता आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद सं0-290/2004 मृत्युंजय कुमार बनाम श्रीमान शाखा प्रबंधक महोदय भारतीय जीवन बीमा निगम में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 30/01/0008 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद इस आधार पर खारिज किया है कि बीमा पॉलिसी लेते समय बीमाधारक की वास्तविक आयु को छिपाया गया।
- परिवाद के तथ्यों के अनुसार परिवादी की मां स्व0 श्रीमती माण्डवी देवी द्वारा 20 वर्ष की अवधि के लिए बीमा पॉलिसी सं0 311035463 प्राप्त की गयी थी। परिवाद पत्र में मृत्यु की तिथि का कोई उल्लेख नहीं है, परंतु यह अंकित है कि बीमा धारक की मृत्यु की तिथि का कोई उल्लेख नहीं है, परंतु यह उल्लेख है कि मृत्यु की जानकारी विपक्षीगण के कार्यालय मे दी गयी, परंतु बीमा क्लेम का भुगतान नहीं किया गया।
- बीमा कम्पनी का कथन है कि बीमा पॉलिसी केवल 1 साल 1 माह 24 दिन चली थी। इसी बीच बीमाधारक की मृत्यु हो गयी, इसलिए जांच की गयी। जांच में पाया गया कि बीमाधारक ने बीमा प्रस्ताव में अपनी आयु 32 वर्ष दर्शायी है, जबकि मृत्यु प्रमाण पत्र से साबित है कि प्रस्ताव भरते समय बीमाधारक की आयु 42 वर्ष हो चुकी थी, इसलिए अपनी आयु को आशयपूर्वक छिपाया गया और धोखा देकर बीमा प्राप्त किया, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है। जिला उपभोक्ता आयोग ने भी बीमा कम्पनी के तर्क को स्वीकार करते हुए परिवाद खारिज किया है।
- इस निर्णय एवं आदेश के विरूद्ध अपील इन आधारों पर प्रस्तुत की गयी है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने साक्ष्य का अवलोकन किये बिना ही निर्णय पारित किया है। बीमाधारक ग्रामीण परिवेश की महिला थी। एजेण्ट द्वारा बीमा प्रस्ताव के फार्म में यह 32 वर्ष उर्म क्यों लिखी, इसकी कोई जानकारी नहीं है। बीमाधारक द्वारा 42 वर्ष की उम्र ही बतायी गयी थी।
- दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्ता के तर्क को सुना गया। पत्रावली एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश का अवलोकन किया गया।
- अपील के ज्ञापन में स्वयं स्वीकार किया गया है कि बीमाधारक की बीमा प्रस्ताव भरते समय आयु 42 वर्ष थी। अपीलार्थी का केवल यह कहना है कि एजेण्ट द्वारा आयु 32 वर्ष दर्ज कर ली गयी, कोई भी एजेण्ट बीमा धारक के लिए कार्य करता है, इसलिए एजेण्ट का कार्य बीमा धारक का कार्य माना जाता है। यदि एजेण्ट द्वारा आयु 32 वर्ष दर्ज की गयी है तब माना जायेगा कि स्वयं बीमाधारक ने अपनी आयु 32 वर्ष बतायी है, इसलिए आयु छिपाने का तथ्य साबित है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप अपेक्षित नहीं है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश पुष्ट किया जाता है।
उभय पक्ष अपना-अपना व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोकता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट 2