Final Order / Judgement | (सुरक्षित) राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ। अपील सं0 :- 1436/2009 (जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद सं0-02/2007 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20/07/2009 के विरूद्ध) - Smt. Chataro Devi, aged about 35 years, W/O Late Balvan Kushwaha
- Deen Dayal, aged about 19 years, S/O Balvan Kushwaha
- Rahul, aged about 14 years, S/O Balvan Kushwaha, Under Guardianship of smt. Chataro
All three R/O House No.-272, Ekbal Nagar, Marghat Road, Prem Nagar (Nagara), District-Jhansi, U.P. - Appellants
Versus - Manager, Life Insurance Corporation of India, Regional Office, Jeevan Vikas, 16/98, Mahatma Gandhi Marg, Kanpur-208001
- Branch Manager, Life Insurance Corporation of India, Branch Office, B.K.D. Crossing, Jhansi
समक्ष - मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
- मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य
उपस्थिति: अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता:- श्री आर0के0 मिश्रा प्रत्यर्थी की ओर विद्वान अधिवक्ता:- श्री पवन कुमार श्रीवास्तव दिनांक:- 25.10.2024 माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय - यह अपील जिला उपभोक्ता आयोग, झांसी द्वारा परिवाद सं0-02/2007 श्रीमती चतरो देवी व अन्य बनाम प्रबन्धक भारतीय जीवन बीमा निगम वअन्य में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 20/07/2009 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी अपील पर दोनों पक्षकारों के विद्धान अधिवक्तागण के तर्क को सुना गया। निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
- जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमाधारक द्वारा ली गयी पॉलिसी से पूर्व तथ्यों को छिपाने के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त करने के आदेश को वैधानिक मानते हुए परिवाद को खारिज किया है।
- परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादिनी के पति बलवान कुशवाहा द्वारा अपने जीवनकाल में पारिवारिक बीमा पॉलिसी कीमत 70,000/-रू0 ली गयी थी। पॉलिसी की अवधि 20 वर्ष थी, परंतु बलवान कुशवाहा की मृत्यु दिनांक 11.03.2005 को ह्रदयघात के कारण हो गयी। पॉलिसी दिनांक 21.04.2003 को ली गयी थी, उस समय कोई बीमारी नहीं थी, परंतु बीमा क्लेम नकार दिया गया।
- विपक्षी बीमा कम्पनी का कथन है कि बीमाधारक द्वारा बीमा पॉलिसी लेते समय पूर्व से मौजूद बीमारी के तथ्य को छिपाया गया, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है। जिला उपभोक्ता आयोग ने भी अपने निर्णय में इस तथ्य को स्वीकार किया है कि बीमाधारक द्वारा बीमारी के तथ्य को छिपाया गया, इसलिए बीमा क्लेम देय नहीं है और तदनुसार परिवाद खारिज कर दिया गया।
- अपील के ज्ञापन तथा मौखिक तर्कों का सार यह है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने साक्ष्य के विपरीत निर्णय पारित किया है। यह निष्कर्ष असत्य है कि परिवादी बीमा पॉलिसी का प्रस्ताव भरने से पूर्व बीमार है और इस तथ्य को छिपाया गया। यह निष्कर्ष केवल संभावना एवं कल्पना पर आधारित है।
- बीमा कम्पनी ने बीमा क्लेम नकारने का आधार यह लिया है कि दिनांक 10.04.2003 से दिनांक 28.04.2003 तक इलाज कराने के लिए अपने विभाग से अवकाश लिया गया तथा मेडिकल प्रेक्टिशनर से इलाज कराया गया और इस तथ्य को छिपाया गया। एनेक्जर सं0 4 पर मरीज बीमा धारक के लिए प्रिस्क्रिप्शन लिखा गया है, जिस पर दिनांक 10.04.2003 की तिथि अंकित है। दस्तावेज सं0 22 एवं 23 पर भी इलाज के लिए दी गयी दवाओं का विवरण मौजूद है। इलाज से संबंधित यह सभी पर्चे बीमा पॉलिसी प्राप्त करने से पूर्व के है। बीमा पॉलिसी लेते समय बीमाधारक से सवाल पूछा गया कि क्या पिछले 05 वर्ष में कोई उपचार कराया गया है? इस प्रश्न का उत्तर ''नहीं'' में दिया गया है। अस्पताल मे भर्ती रहने के सवाल का भी नकारात्मक उत्तर दिया गया तथा अनुपस्थिति के संबंध में भी नकारात्मक उत्तर दिया गया, जबकि जिला उपभोक्ता आयोग के समक्ष प्रस्तुत एनेक्जर सं0 13/2 मे चिकित्सीय अवकाश लेने का विवरण मौजूद है, जिस पर जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विचार किया गया तथा इलाज कराने के बिन्दु पर भी विचार किया गया। अत: बीमा पॉलिसी लेने से पूर्व बीमार होने, अवकाश पर रहने और इन सूचनाओं को छिपाने के तथ्य स्थापित है, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है। तदनुसार अपील खारिज होने योग्य है।
आदेश अपील खारिज की जाती है। प्रश्नगत निर्णय/आदेश की पुष्टि की जाती है। उभय पक्ष अपीलीय वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए। आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें। (सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार) संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2 | |