राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
सुरक्षित
अपील सं0-489/2013
(जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-27/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-01-2013 के विरूद्ध)
चन्द्रावती देवी पत्नी श्री भगेल राम, निवासी ग्राम गंगाऊत, जिला गाजीपुर।
........अपीलार्थी/परिवादिनी।
बनाम
1. मैनेजर, लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन आफ इण्डिया, महुआबास, गाजीपुर।
2. पोस्ट मास्टर, जनरल पोस्ट आफिस (जीपीओ), गाजीपुर।
3. चीफ मैनेजर, एस0बी0आई0, मेन ब्रान्च, गाजीपुर।
........प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण।
समक्ष:-
1. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री आर0के0 मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-1 की ओर से उपस्थित : श्री वी0एस0 बिसारिया विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-2 की ओर से उपस्थित : श्री श्रीकृष्ण पाठक विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी सं0-3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक :- 17-05-2024.
मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, गाजीपुर द्वारा परिवाद सं0-27/2012 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 08-01-2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
इस निर्णय के अन्तर्गत विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवादिनी का परिवाद निरस्त कर दिया गया।
परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार हैं कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने दिनांक 20-06-1997 को पालिसी सं0-281796229 प्राप्त की थी, जिसकी परिपक्वता अवधि दिनांक 20-06-2009 थी। परिवादिनी नियमित रूप से किश्तें जमा करती रही। परिवादिनी के पति का स्थानान्तरण मिर्जापुर हो गया था। उसने उक्त पालिसी का
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स्थानान्तरण मिर्जापुर कराने के लिए विपक्षी सं0-1 के यहॉं प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। परिपक्वता अवधि के बाद परिवादिनी ने विपक्षी सं0-1 से सम्पर्क किया तो उसे बताया गया कि उक्त पालिसी के सापेक्ष देय धनराशि का चेक सं0-63920 दिनांक 14-09-2009 को परिवादिनी के पते पर भेज दिया गया है। परिवादिनी का कथन है कि उसे उक्त चेक प्राप्त नहीं हआ। विपक्षी सं0-1 लगायत 3 की सेवा में कमी के कारण उसे धनराशि का चेक प्राप्त नहीं हुआ। अत: क्षुब्ध होकर उसने उपभोक्ता परिवाद प्रस्तुत किया।
विपक्षी सं0-2 पोस्ट मास्टर शहर गाजीपुर ने अपने प्रतिवाद पत्र में कथन किया कि परिवादिनी के पते पर स्पीड पोस्ट सं0-ई.यू.216154610आई.एन. दिनांक 23-09-2009 को श्रीमती चन्द्रावती देवी, प्रान्तीय खण्ड, लोक निर्माण विभाग, गाजीपुर को दिनांक 29-09-2009 को प्राप्त कराई गई। परिवाद पोस्ट आफिस एक्ट की धारा-6 से बाधित है।
पीठ द्वारा अपीलार्थी, प्रत्यर्थी सं0-1 व प्रत्यर्थी सं0-2 के विद्वान अधिवक्तागण को विस्तार से सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त कथनों/अभिकथनों एवं प्रलेखीय साक्ष्यों तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश का भलीभांति परिशीलन व परीक्षण किया गया। प्रत्यर्थी सं0-3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क किया गया कि अपीलार्थी/परिवादिनी ने दिनांक 20-06-1997 को विपक्षी बीमा निगम से पालिसी सं0-281796229 प्राप्त की थी, जिसकी परिपक्वता अवधि दिनांक 20-06-2009 थी। परिवादिनी के पति का स्थानान्तरण मिर्जापुर हो जाने पर उसने उक्त पालिसी में पता बदलने के लिए विपक्षी सं0-1 बीमा निगम में आवेदन दिया। परिपक्वता अवधि के बाद परिवादिनी ने जब विपक्षी सं0-1 से सम्पर्क किया तो उसे बताया गया कि उक्त पालिसी के सापेक्ष देय धनराशि का चेक सं0-63920, दिनांक 14-09-2009 को परिवादिनी के पते पर भेज दिया गया है, परन्तु परिवादिनी की ओर से यह तर्क किया गया कि उक्त चेक उसे प्राप्त नहीं हआ।
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प्रत्यर्थी सं0-1 बीमा निगम की ओर से कथन किया गया कि अपीलार्थी द्वारा पता बदलने के लिए कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया गया।
विद्वान जिला आयोग के आदेश के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि विपक्षी सं0-2 डाकघर द्वारा वीट सं0-6 की वितरण सूची की छायाप्रति प्रस्तुत की गई, जिस पर चन्द्रावती देवी द्वारा दिनांक 29-09-2009 को स्पीड पोस्ट प्राप्त की गई।
अपीलार्थी/परिवादिनी अपने कथन के समर्थन में पता बदलने का प्रार्थना पत्र अथवा अन्य कोई सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी है। अत: विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश उचित है और उसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार वर्तमान अपील निरस्त होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील निरस्त की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना-अपना स्वयं वहन करेंगे।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (विकास सक्सेना)
सदस्य सदस्य
दिनांक :- 17-05-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-3.