राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-657/2022
(जिला उपभोक्ता आयोग, अलीगढ़ द्धारा परिवाद सं0-63/2009 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.6.2022 के विरूद्ध)
मेजर आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज, ग्राम पहाडीपुर पिलखना चौराहा, छर्रा रोड, अलीगढ द्वारा प्रोपराइटर मेजर लाखन सिंह।
........... अपीलार्थी/विपक्षी
बनाम
कुशल प्रताप सिंह पुत्र श्री प्रताप सिंह, निवासी नगला सती तहसील इगलास, जिला अलीगढ़।
…….. प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री इसार हुसैन
प्रत्यर्थी के अधिवक्ता : श्री ओ0पी0 दुवेल
दिनांक :- 27-7-2022
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, जिला उपभोक्ता आयोग, अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0-63/2009 कुशल प्रताप सिंह बनाम मेजर आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 04.6.2022 के विरूद्ध योजित की गई है। जिला उपभोक्ता आयोग ने परिवाद स्वीकार करते हुए अपीलार्थी/विपक्षी मेजर आइस एण्ड कोल्ड स्टोरेज को आदेशित किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा उनके स्टोरेज में जमा किये गये आलू के मूल्य के रूप में अंकन 2,81,175.00 रू0 09 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करें।
इस निर्णय/आदेश को इस आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता आयोग ने अवैध, अनुचित एवं मनमाना निर्णय पारित किया है और अपने निर्णय में समुचित कारण दर्शित नहीं किये हैं तथा इस बिन्दु पर विचार नहीं किया है कि प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा स्टोर में व्यापारिक उद्देश्य के लिए आलू रखा गया था, इसलिए जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद संधारणीय नहीं था तथा इस बिन्दु को भी विचार में नहीं लिया कि कभी भी प्रत्यर्थी/परिवादी ने आलू का किराया अदा नहीं किया है।
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प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा ली गई नकद धनराशि अंकन रू0 25,000.00 दिनांक 05.3.2008 पर कोई निर्णय में नहीं लिया। अपीलार्थी द्वारा दिनांक 15.7.2008 को आलू वापस लेने का नोटिस दिया गया था। प्रत्यर्थी ने 472 आलू के बोरे विभिन्न तिथियों पर विक्रय किये थे, परन्तु शेष आलू को लेने के लिए नहीं आया, इसलिए अपीलार्थी के स्तर से सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। अंकन 25,000.00 रू0 जो उधार दिये गये थे, वह धनराशि प्राप्त करने के लिए अधिकृत है, बोरो की कीमत 9,600.00 रू0 प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। अत: अंकन 4,890.00 रू0 का किराया प्राप्त करने को अधिकृत है। इसी प्रकार प्रति बैगों की कीमत लगभग 575.00 रू0 अत्याधिक लगायी गयी है। बैग में केवल 50 किलो आलू होते हैं, इस प्रकार एक कुन्टल आलू की कीमत 1150.00 रू0 निकलती है, जो अत्यधिक है।
दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश का परिशीलन किया।
परिवाद के तथ्यों के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षी के कोल्ड स्टोरेज में जो आलू रखा गया था जब प्रत्यर्थी/परिवादी को आलू के बीज की आवश्यकता हुई और वह आलू लेने गया तब उसे आलू नहीं दिया गया, इसलिए जाहिर होता है कि आलू की बोरियॉ बेच दी गई, जिसकी कीमत 1150.00 रू0 प्रति कुन्टल थी।
अपीलार्थी/विपक्षी का कथन है कि दिनांक 05.3.2008 को 25,000.00 रू0 एडवांस दिये गये थे तथा 4,890.00 रू0 ट्रैक्टर का भाड़ा दिया गया था स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादी को दिनांक 15.7.2008 को आलू उठाने का नोटिस दिया गया था और सचेत किया गया था कि आलू नहीं उठाया गया तो विक्रय कर दिया जायेगा। प्रत्यर्थी/परिवादी के विरूद्ध कुल 27,575.00 रू0 बकाया है, जिसमें ट्रैक्टर का भाड़ा 4,890.00 रू0 है, अग्रिम भुगतान 25,000.00 रू0, खाली बोरियों की कीमत 9,600.00 रू0 कुल 63,940.00 रू0 में से 27,575.00 रू0 बकाया है।
जिला उपभोक्ता आयोग का यह निष्कर्ष है कि अंकन 25,000.00 रू0 के नकद भुगतान तथा खाली बोरियों का मूल्य 9,600.00 ट्रैक्टर का भाड़ा 4,890.00 रू0 की
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अदायगी को साबित करने में अपीलार्थी/विपक्षी विफल रहा है, इसलिए प्रत्यर्थी/परिवादी द्वारा गोदाम में रखे गये आलू की कीमत को अदा करने का आदेश दिया है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का यह तर्क है कि यह आलू व्यापार के लिए रखा गया था, इसलिए उपभोक्ता परिवाद संधारणीय नहीं है। परिवाद पत्र में उल्लेख है कि आलू बीज के रूप में रखा गया था और जब आलू की बोआई शुरू हुई तब प्रत्यर्थी/परिवादी अपना आलू लेने गया था, इसलिए इस सम्व्यवहार को व्यापारिक सम्व्यवहार नहीं कहा जा सकता है। जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा साक्ष्य के आधार पर निर्णय पारित किया है, जिसमें कोई हस्तक्षेप करना उचित प्रतीत नहीं होता है। अपील खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, अलीगढ़ द्वारा परिवाद सं0-63/2009 में पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 04.6.2022 की पुष्टि की जाती है।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित सम्बन्धित जिला उपभोक्ता आयोग को निस्तारण हेतु प्रेषित की जाये।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की बेवसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश आशु.,
कोर्ट नं0-1