जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम, लखनऊ।
परिवाद संख्या:- 79/2015 उपस्थित:-श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
श्री अशोक कुमार सिंह, सदस्य।
श्रीमती सोनिया सिंह, सदस्य।
परिवाद प्रस्तुत करने की तारीख:-20.03.2015
परिवाद के निर्णय की तारीख:-11.04.2022
1.Digvijai Pratap Singh, aged about 38 years, S/o Shri Bhanu Pratap Singh, R/o 214/19, Itaunja House, Chhachhi Kuwan, Lucknow.
2.Malini Rathore, aged about 32 years, W/o Shri Digvijai Pratap Singh, R/o 214/19, Itaunja House, Chhachhi Kuwan, Lucknow.
..............Complainant.
Versus
1. Kuoni SOTC through its General Manager, Kuoni SOTC, 54 Hazratganj, below Kapoor Hotel, Lucknow-226001.
2.Shri Rakesh Bawa, General Manager, (UP North Head), Kuoni SOTC, 54 Hazratganj, below Kapoor Hotel, Lucknow-226001.
3. Ms. Savita Verma, Sales Officer, Kuoni SOTC, 54 Hazratganj, below Kapoor Hotel, Lucknow-226001.
4.Mr.Aseem Bisht, Sales Incharge, Kuoni SOTC, B-33 Kuthiala Building 1st floor, Inner Circle, Canaught Place, New Delhi-110001.
...........Opp. Parties.
आदेश द्वारा- श्री नीलकंठ सहाय, अध्यक्ष।
निर्णय.
1. परिवादी ने प्रस्तुत परिवाद धारा 12 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत इस आशय से प्रस्तुत किया है कि परिवादी को यू0के0 (यूरोप) जाने में दी गयी अग्रिम धनराशि मय 18 प्रतिशत ब्याज की दर से दिनॉंक 26.06.2014 से दिलायी जाए, 50,000.00 रूपये मानसिक क्षति के कारण क्षतिपूर्ति दिलाये जाने एवं 25,000.00 रूपये वाद व्यय के रूप में दिलाये जाने की प्रार्थना के साथ प्रस्तुत किया है।
2. संक्षेप में परिवादीगण का कथानक है कि परिवादीगण ताल्लुकेदार परिवाद से संबंध रखता है तथा 15 दिन के लिये यू0के0 (यूरोप) यात्रा करने के लिये SOTC आफिस में दिनॉंक 28.08.2014 को संपर्क किया। दिनॉंक 27.06.2014 को विपक्षी संख्या 01 द्वारा 1,00,000.00 रूपये यू0के0 भ्रमण हेतु अग्रिम धनराशि की मॉंग की गयी जो कैश रसीद संख्या 1314 द्वारा मय पासपोर्ट, मैरिज सर्टिफिकेट, बैंक स्टेटमेंट एवं फोटोग्राफ के साथ दाखिल किया गया। समस्त प्रपत्र अच्छी स्थिति में थे। दिनॉंक 30.07.2014 को 3.00 बजे नई दिल्ली में यू0के0 बीसा बायोमैट्रिक के लिये इन्टरव्यू हुआ जिसमें परिवादीगण गये तथा 27 जून, 2014 से 30 जुलाई 2014 तक परिवादीगण के समस्त दस्तावेज विपक्षीगण के कब्जे में थे।
3. 05 अगस्त, 2014 को यू0के0 एम्बेसी एवं विपक्षी संख्या 04 द्वारा यह सूचना भेजी गयी कि परिवादी संख्या 02 मालिनी राठौर का बीजा स्वीकृत नहीं किया गया क्योंकि उनका पासपोर्ट क्षतिग्रस्त था, तथा उनके द्वारा यह भी बताया गया कि 20 दिन के अन्दर 28 अगस्त, 2014 के बाद नया पासपोर्ट दे दें। परिवादी का कथन है कि पासपोर्ट विपक्षीगण की लापरवाही के कारण खराब हुआ था, क्योंकि पासपोर्ट उनके कब्जे में एक माह से ज्यादा समय तक था। विपक्षीगण की लापरवाही एवं सेवा न देने के कारण यू0के0 की यात्रा परिवादीगण नहीं कर सके। परिवादी संख्या 02 का बीजा न मिलने के कारण परिवादी संख्या 01 ने एक आवेदन पत्र विपक्षीगण को दिया कि परिवादीगण द्वारा दी गयी अग्रिम धनराशि को वापस किया जाए, क्योंकि विपक्षीगण की लापरवाही एवं सेवा में कमी के कारण परिवादीगण यू0के0 का भ्रमण नहीं कर सके और भ्रमण परिवादीगण के किसी व्यक्तिगत कारण से रद्द नहीं की गयी थी। परिवादीगण का यह भी कथन है कि विपक्षीगण ने जमा की गयी धनराशि को वापस करने के बजाए अपने पत्र के द्वारा 1,00,000.00 रूपये के अलावा 23,708.00 रूपये कैन्सिलेशन धनराशि की मॉग की गयी है। यहॉं परिवादीगण का यह भी कथन है कि विपक्षीगण द्वारा कैन्सिलेशन धनराशि की मॉग की गयी है जबकि परिवादीगण के द्वारा भ्रमण रद्द नहीं किया गया था।
4. परिवादीगण का दावा है कि विपक्षीगण लापरवाही, सेवा में कमी और सेवा की गुणवत्ता में कमी, सेवा के कार्यान्वयन जो उनका दायित्व था में कमी तथा अनुचित व्यापार का दोषी है। विपक्षीगण Kuoni SOTC ने अपने उत्तर में कहा है कि परिवाद पत्र के पैरा 01 एवं 02 गलत हैं क्योंकि परिवादीगण ने अपने अनुबन्ध की शर्तों की पूर्ण संतुष्टि के उपरान्त भ्रमण की बुकिंग की गयी थी।
5. विपक्षी Kuoni sotc ने अपने उत्तर में यह कहा कि परिवाद पत्र का पैरा 01 एवं 02 गलत है, तथा परिवादी द्वारा भ्रमण की बुकिंग अनुबन्ध की शर्तों पर अपनी सहमति के अनुसार की गयी थी। परिवादीगण द्वारा दो सीटें आरक्षित करायी गयी थी, जिसके तहत वह विपक्षी की शर्तों को मानते हुए करायी थी एवं उसमें यह भी सम्मिलित था कि प्रति व्यक्ति द्वारा दी गयी धनराशि में से 50,000.00 रूपये प्रति व्यक्ति यात्रा न करने पर या निरस्त करने पर जब्त कर ली जायेगी। प्रस्थान के पूर्व उन्हें पूरी धनराशि का भुगतान करना था। केवल अप्रतिदेय धनराशि (Non refundable amount) दो व्यक्तियों के लिये 1,00,000.00 रूपये ही भ्रमण हेतु परिवादीगण द्वारा दी गयी तथा वांछित दस्तावेजों को भी प्रदत्त नहीं कराया गया।
5. परिवाद पत्र के पैरा 03 को झूठा, गढ़ा हुआ तथा मिथ्या प्रस्तुति बताया है, और यह कहा गया कि कोई भी मूल दस्तावेज परिवादीगण द्वारा विपक्षीगण के यहॉं जमा नहीं किये गये। मूल दस्तावेज परिवादीगण को अपने साथ ले जाना था। कंज्यूमर फोरम के प्रावधानों का दुरूपयोग करने के लिये यह परिवाद योजित किया गया है तथा विपक्षीगण द्वारा स्वयं यू0के0 बीजा प्राधिकारियों से भेंट के लिये समायादेश दिलाया गया था और उनसे यह कहा गया था कि अपने समस्त दस्तावेजों के साथ उपस्थित हो, तथा मूल दस्तावेजों को परिवादीगण द्वारा बीजा अथारिटी को दिया गया था।
6. विपक्षीगण का कथन है कि परिवादीगण द्वारा अपने स्तर से ही यात्रा को निरस्त किया गया है और इसके लिये उनके द्वारा कोई भी निरस्तीकरण चार्ज नहीं दिया गया। उनका कथन है कि परिवाद पत्र का पैरा 07 गलत है। परिवादीगण को अभी भी निरस्तीकरण चार्ज से बची हुई धनराशि का भुगतान करना है तथा 23,708.00 रूपये अभी भी बकाया है तथा विपक्षीगण से कोई भी इसमें उपेक्षा नहीं है। विपक्षीगण द्वारा अपने अतिरिक्त कथन में यह कहा गया कि प्रश्नगत मामले में इस फोरम का कोई भी क्षेत्राधिकार नहीं है, बल्कि मुम्बई कंज्यूमर डिस्प्यूट रिडर्सल कमीशन का क्षेत्राधिकार है। बीजा न देना विपक्षी का कोई क्षेत्राधिकार नहीं है, बल्कि यह संबंधित एम्बेसी का अधिकार है।
7 परिवादीगण द्वारा अपने प्रति खण्डन में विपक्षीगणों के कथनों को इनकार करते हुए परिवाद पत्र के कथनों पर बल दिया है।
8. परिवादी द्वारा अपने कथानक के समर्थन में मौखिक साक्ष्य में शपथ पत्र एवं दस्तावेजी साक्ष्य में इनवाइस, रसीद, मेल, ड्राइविंग लाइसेंस की प्रतियॉं दाखिल की गयी हैं। विपक्षीगण द्वारा अपने कथानक के समर्थन में बुकिंग फार्म, टर्म्स एवं कन्डीशन आदि की प्रतियॉं दाखिल की गयी हैं।
9. मैने परिवादीगण एवं विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्ता के तर्कों को सुना तथा पत्रावली का परिशीलन किया।
10. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादीगण ने विपक्षीगण से यू0के0 यात्रा हेतु 1,00,000.00 रूपये अग्रिम अदायगी की थी, फलस्वरूप विपक्षीगण का परिवादीगण उपभोक्ता है। परिवादीगण का मुख्य आधार यह है कि विपक्षीगण द्वारा उनकी उपेक्षा की गयी तथा उनकी सेवा में त्रुटि की गयी है। इस आधार पर परिवाद दाखिल किया गया है। लापरवाही का अभिप्राय यह है कि हर एक व्यक्ति या संस्था से किसी भी कार्य करने के लिए यथोचित दायित्व (उत्तरदायित्व) अपेक्षित है। अगर वह यथोचित दायित्व नहीं निभाता है अर्थात उसका उल्लंघन करता है तथा दूसरे पक्ष को हानि पहुँचाता है तभी वह उपेक्षा के कारण क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के अधिकारी होते हैं। परिवादीगण का कथानक है कि उसने अपने आवश्यक कागजात जिसमें कि पासपोर्ट भी था SOTC कम्पनी को बीजा बनाने के लिये दिया था। विपक्षीगण द्वारा उक्त कथन को इनकार किया है।
11. परिवादीगण ने अपने साक्ष्य में कहा कि उन्होंने पासपोर्ट दिया, परन्तु विपक्षीगण ने कहा कि पासपोर्ट अपने साथ लेकर गये थे। विपक्षी का कार्य केवल यह था कि वह मात्र एक कोरियर एजेन्ट के रूप में था जो परिवादी के समस्त कागजात एम्बेंसी में प्रस्तुत करता। परिवादीगण की बात मान भी ली जाए कि उन्होंने पासपोर्ट दिया था तो इसे साबित करने का भार परिवादीगण के ऊपर है कि वह करीब एक माह तक विपक्षी के कब्जे में था, एवं विपक्षीगण द्वारा त्रुटि की गयी। यद्यपि कि विपक्षीगण द्वारा इनकार किया गया है एवं कहा गया है कि परिवादीगण पासपोर्ट एम्बेसी अपने साथ ले गये थे।
12. यह तथ्य विवाद का विषय नहीं है कि परिवादी संख्या 02 श्रीमती मालिनी राठौर को बीजा नहीं मिला और बीजा न मिलने का आधार यह था कि पासपोर्ट क्षतिग्रस्त पाया गया। यानी कि उस पासपोर्ट को क्षतिग्रस्त विपक्षीगण द्वारा ही किया गया। यह परिवादीगण को साबित करना था। इसके लिये मेरे विचार से उन्हें यह चाहिए था कि उस पासपोर्ट को न्यायालय के समक्ष रखते और उसकी एक्सपर्ट की राय मंगाते कि यह पासपोर्ट अगर क्षतिग्रस्त हुआ है तो कितने दिन पूर्व हुआ है। जैसा कि परिवादीगण का कथन है कि क्षतिग्रस्त विपक्षीगण की कस्टडी में एक माह के अन्दर हुआ है। आमतौर पर किसी भी प्रकरण में दस्तावेजों की फोटोकापी जो प्रति हस्ताक्षरित हो उसे आवेदन के साथ भेजा जाता है और साक्षात्कार एवं प्रस्तुतिकरण के समय मूल दस्तावेज ले जाकर आवेदक द्वारा स्वयं उपलब्ध कराया जाता है। विपक्षीगण का मूल दस्तावेज प्राप्त करने से इनकार भी किया गया है और परिवादी द्वारा न्यायालय में अथवा अपने कथनों के औचित्च को विधि सम्मत ढंग से साबित करने में विफल रहे हैं। अत: विपक्षीगण के स्तर पर पासपोर्ट के साथ छेड़छाड़ तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता है।
13. SOTC विश्व की एक इतनी बड़ी संस्था है जो कि पूरे विश्व के व्यक्तियों को यात्रा कराती है और इससे अपेक्षा भी नहीं की जा सकती है कि वह किसी भी व्यक्ति के दिये गये प्रपत्रों के साथ छेड़छाड़ करे और क्या वजह थी कि परिवादी की पत्नी के ही पासपोर्ट के साथ छेड़छाड़ करें क्योंकि पासपोर्ट क्षतिग्रस्त करने से विपक्षीगण को कोई लाभ नहीं था। अत: परिवादीगण यह साबित करने में असफल रहे कि उसके द्वारा यथोचित दायित्व नहीं निभाया गया है और मेरे विचार से कोई भी यथोचित दायित्व में कमी नहीं हुई है। निश्चित रूप से पासपोर्ट में क्षति हुई होगी तभी यू0के0 ऐम्बेसी ने उसे क्षतिग्रस्त मानकर बीजा रद्द किया है और कार्यवाही से प्रक्रिया के आधार पर पासपोर्ट के क्षतिग्रस्त होने का दायित्व विपक्षीगण पर थोपा नहीं जा सकता। इसलिये विपक्षीगण के स्तर पर परिवादीगण को किसी उपेक्षा, सेवा में कमी/लापरवाही, सेवा के गुणवत्ता में कमी, सेवा के कार्यान्वयन तथा अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी नहीं माना जा सकता। ऐसी परिस्थिति में परिवादीगण का परिवाद खारिज किये जाने योग्य है।
आदेश
14. परिवादीगण का परिवाद खारिज किया जाता है।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह ) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।
आज यह आदेश/निर्णय हस्ताक्षरित कर खुले आयोग में उदघोषित किया गया।
(सोनिया सिंह) (अशोक कुमार सिंह) (नीलकंठ सहाय)
सदस्य सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, प्रथम,
लखनऊ।