Uttar Pradesh

StateCommission

A/2817/2016

M/S Jaypee Sports International Ltd - Complainant(s)

Versus

Kunwar Ayub Ali Khan - Opp.Party(s)

Pratil Pratap Singh

26 Mar 2019

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2817/2016
( Date of Filing : 18 Nov 2016 )
(Arisen out of Order Dated 05/10/2016 in Case No. C/546/2015 of District Gautam Buddha Nagar)
 
1. M/S Jaypee Sports International Ltd
Sector 128 Noida Distt. Gautam Budh Nagar
...........Appellant(s)
Versus
1. Kunwar Ayub Ali Khan
R/O 301 Royal Residency D-86-89 Kaushambi Distt. Ghaziabad
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 26 Mar 2019
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

(सुरक्षित)                                                                                  

अपील संख्‍या:-2817/2016

(जिला फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्धारा परिवाद सं0-546/2015 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.10.2016 के विरूद्ध)

M/s Jaypee Sports International Limited (presently merged and amalgamated with M/s Jaiprakash Associates Ltd.)

                                               ........... Appellant/ Opp. Party

Versus    

Mr. Kunwar Ayub Ali Khan, R/o 301, Royal Residency D-86-89, Kaushambi, Ghaziabad Uttar Predesh.

       …….. Respondent/ Complainant

 

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता    : श्री प्रतुल प्रताप सिंह

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता     : श्री प्रतुल श्रीवास्‍तव

दिनांक :-10-5-2019        

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय   

परिवाद संख्‍या-546/2015 कुंवर अय्यूब अली खान बनाम मैसर्स जे.पी. ग्रीन्‍स जयप्रकाश ऐसोसिएटस लिमिटेड में जिला फोरम, गौतमबुद्ध नगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 05.10.2016 के विरूद्ध यह अपील धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अन्‍तर्गत राज्‍य आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है।

आक्षेपित निर्णय और आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

-2-

“परिवादीगण का परिवाद, विपक्षी के विरूद्ध स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादीगण को आज से 30 दिन के अन्‍दर परिवादीगण को 15,74,271.00 रूपये का भुगतान करना सुनिश्चित करे। परिवादी उक्‍त धनराशि पर परिवाद योजित किये जाने की तिथि से भुगातन की तिथि तक 12 प्रतिशत की दर से साधारण वार्षिक ब्‍याज भी प्राप्‍त करने का अधिकारी होगा। इसके अलावा मानसिक संताप के मद में 20,000.00 रूपये तथा वाद व्‍यय के मद मे 5,000.00 रू0 भी प्राप्‍त करनेका अधिकारी है। निर्णय की प्रति उभय पक्ष को नियमानुसार निर्गत की जाये।”

जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्‍ध होकर परिवाद के विपक्षी मैसर्स जे.पी. ग्रीन्‍स जयप्रकाश ऐसोसिएटस लिमिटेड की ओर से यह अपील प्रस्‍तुत की है।

अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रतुल प्रताप सिंह और प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री प्रतुल श्रीवास्‍तव उपस्थित आये हैं।

मैंने उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्क को सुना है और आक्षेपित निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

 

-3-

अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्‍त सुसंगत तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी के विरूद्ध इस कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है कि विपक्षी ने यह दर्शाया कि उनकी Jaypee Sports International Ltd. परियोजना प्राधिकरण से स्‍वीकृत है।  अत: परिवादीगण ने उनकी  Jaypee Sports International Ltd. परियोजना में प्‍लॉट आवंटन हेतु  दिनांक 20.9.2012 को आवेदन किया तथा दिनांक 20.9.2012 को 4,00,000.00 रू0 और दिनांक 27.11.2012 को 11,74,271.00 रू0 विपक्षी को अदा किया, परन्‍तु  मौके पर कोई विकास कार्य विपक्षी द्वारा नहीं किया जा रहा था। जब भी परिवादीगण ने विकास कार्य के बारे में जानकारी लेनी चाही, तो विपक्षी नये-नये बहाने बनाने लगा और योजना का निर्माण कार्य तुरन्‍त शुरू करने का आश्‍वासन दिया। परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी ने अपनी उपरोक्‍त योजना में परिवादी को प्‍लॉट का मूल्‍य 27,100.00 रू0 प्रति वर्ग गज के हिसाब से बताया था, लेकिन बार-बार मॉगने के बाद उसे कोई पेमेंट शेडयूल उपलब्‍ध नहीं कराया और जब परिवादीगण ने विपक्षी के विषय में जानकारी की तो पता चला कि परिवादी की उक्‍त योजना में आवंटियों व विपक्षी के मध्‍य अनेकों मुकदमें चल रहे हैं, जो न्‍यायालय में लम्बित हैं। अत: विपक्षी की गतिविधियों से परिवादीगण को यह आभास हुआ

-4-

कि विपक्षी का उद्देश्‍य झूठे आश्‍वासन व प्रचार से धन एकत्रित करना व हड़पना था।

परिवाद पत्र के अनुसार विपक्षी की सेवा में कमी है और विपक्षी ने अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनाई है, जिससे परिवादीगण को आर्थिक हानि हुई है। अत: परिवादीगण ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष विपक्षी के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया है और जमा धनराशि 15,74,271.00 रू0 ब्‍याज सहित वापस दिलाये जाने का अनुरोध किया है, साथ ही आर्थिक क्षति व मानसिक उत्‍पीड़न हेतु क्षतिपूर्ति एवं वाद व्‍यय की भी मॉग की है।

जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थी/विपक्षी की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत किया गया है और कहा गया है कि विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गई है और न ही अनुचित व्‍यापार पद्धति अपनाई गई है। परिवादीगण स्‍वयं संविदा का अनुपालन करने में असफल रहे हैं। उनके द्वारा पेमेंट प्‍लान के अनुसार भुगतान नहीं किया गया है। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि परिवादीगण उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आते हैं। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि भूखण्‍ड की दर 31,340.00 रू0 प्रति वर्ग निश्चित हुई थी, परन्‍तु परिवादीगण ने भुगतान में व्‍यतिक्रम किया है, अत: परिवादीगण को विपक्षी ने दिनांक 23.01.2014, 03.02.2014 व दिनांक 19.02.2014 को नोटिस

-5-

भेजा है, फिर भी भुगतान नहीं किया गया है। तब परिवादीगण को आवंटन निरस्‍त करने हेतु नोटिस दिनांक 05.6.2014 को दी गयी है, इसके बावजूद भी परिवादीगण ने कोई भुगतान नहीं किया है। लिखित कथन के अनुसार विपक्षी द्वारा योजना विकसित कराकर दिनांक 11.5.2015 को कब्‍जे के ऑफर का पत्र भेजा गया है और परिवादीगण से अपेक्षा की गई है कि वह शेष धनराशि 30 दिन के अन्‍दर जमा करना सुनिश्चित करें। लिखित कथन के अनुसार परिवादीगण ने परिवाद महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों को छिपाकर गलत कथन के साथ प्रस्‍तुत किया है। लिखित कथन में यह भी कहा गया है कि भूखण्‍ड का विक्रय मूल्‍य 27,100.00 रू0 प्रति वर्ग गज विपक्षी ने नहीं बताया था। बेसिक सेल्‍स प्राइज अन्‍य प्रभार सहित 31,340.00 रू0 प्रति वर्ग निर्धारित किया गया है। 

जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन और उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरांत यह माना है कि विपक्षी ने मा0 राष्‍ट्रीय हरित अधिकरण के समक्ष विवाद लम्‍बन काल में विज्ञापन प्रकाशित कर भूखण्‍ड आवंटित किये जो अनुचित व्‍यवसायिक व्‍यवहार की पद्धिति व सेवा की कमी के अन्‍तर्गत आता है। अत: जिला फोरम ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए आदेश पारित किया है, जो ऊपर अंकित है।  

 

-6-

अपीलार्थी बीमा कम्‍पनी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आदेश साक्ष्‍य और विधि के विरूद्ध है।

प्रत्‍यर्थी के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय साक्ष्‍य और विधि के अनुकूल है और उसमे किसी हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।

मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।

अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता ने एलाटमेंट की स्‍टैडर्ड टर्मस एण्‍ड कन्‍डीशन दिखाया है, जिसके अनुसार आवंटित प्‍लाट पर कब्‍जा 18 महीने में दिया जाना सम्‍भावित था और पेमेंट प्‍लान के अनुसार 4,00,000.00 रू0 बुकिंग के समय और 11,74,271.00 रू0 दिनांक 19.11.2012 तक दिया जाना था। उसके बाद अवशेष धनराशि पेमेंट प्‍लान के अनुसार विकास कार्य प्रारम्‍भ किये जाने के बाद विकास के उल्लिखित स्‍तर पर अंकित किस्‍तों में किया जाना था। प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने 4,00,000.00 रू0 बुकिंग धनराशि और 11,74,271.00 रू0 की उपरोक्‍त धनराशि जमा किया है। उसके बाद की किस्‍तों का भुगतान नहीं किया है क्‍योंकि मौके पर विकास कार्य नहीं किया जा रहा था। जिला फोरम ने माना है कि राष्‍ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा रोक लगाये जाने के कारण प्रश्‍नगत योजना के विकास में विलम्‍ब हुआ है। इस कारण अपीलार्थी/विपक्षी ने कब्‍जा आफर का पत्र दिनांक 11.5.2015 को

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दिया है जबकि प्राविधान एलाटमेंट लेटर दिनांक 19.10.2012 को जारी किया गया है। अत: यह स्‍पष्‍ट है कि तयशुदा समय में विकास कार्य नहीं प्रारम्‍भ किया गया है और विकास कार्य तय समय के अन्‍दर पूरा कर कब्‍जा का आफर नहीं दिया गया है। अत: जिला फोरम द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी की जमा धनराशि 15,74,271.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को वापस दिलाया जाना और परिवाद की तिथि से मूल धनराशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से ब्‍याज दिलाया जाना अनुचित एवं अवैधानिक नहीं कहा जा सकता है।

जिला फोरम ने जो 5,000.00 रू0 वाद व्‍यय दिलाया है, वह उचित है। परन्‍तु मानसिक संताप के मद में जिला फोरम ने जो 20,000.00 रू0 प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दिलाया है, वह अपास्‍त किये जाने योग्‍य है क्‍योंकि प्रत्‍यर्थी की जमा धनराशि पर ब्‍याज दिया जा रहा है और विलम्‍ब राष्‍ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के कारण हुआ है।

उपरोक्‍त निष्‍कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और आक्षेपित आदेश में जिला फोरम ने जो मानसिक संताप के मद में प्रत्‍यर्थी/परिवादी को 20,000.00 रू0 दिलाया है, उसे अपास्‍त किया जाता है।

जिला फोरम के निर्णय का शेष अंश यथावत कायम रहेगा। 

-8-

अपील में उभय पक्ष अपना अपना वाद व्‍यय स्‍वयं बहन करेगें।

धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनिमय के अन्‍तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाये।

 

                        (न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)               

                                  अध्‍यक्ष                           

हरीश आशु.,

कोर्ट सं0-1

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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