(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
विविध वाद संख्या-233/2024
चीफ पोस्ट मास्टर जनरल, यू.पी. सर्कल, व अन्य बनाम श्रीमती कुन्ती देवी श्रीवास्तव
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
दिनांक : 12.09.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
आवेदक के विद्वान अधिवक्ता डा0 उदय वीर सिंह के सहायक श्री श्रीकृष्ण पाठक उपस्थित हैं। अपील संख्या-77/2008 प्रत्यर्थी की मृत्यु पर उत्तराधिकारियों को प्रतिस्थापित न करने के कारण उपशमित हो चुकी थी। तदनुसार इस अपील को दाखिल दफ्तर करने का आदेश दिनांक 15.07.2024 को पारित किया गया।
आवेदक की ओर से इस आदेश को अपास्त करने के लिए यह विविध आवेदन दिनांक 27.8.2024 को प्रस्तुत किया गया। मौखिक बहस में कहा गया कि अपील दिनांक 15.7.2024 को उपशमित हुई है। सीपीसी के आदेश 22 नियम 3 के अनुसार, जो उपभोक्ता मामलों में प्रयोज्य है। पक्षकारों की मृत्यु होने के 90 दिन के अन्दर उत्तराधिकारियों को प्रतिस्थापित न करने के कारण अपील उपशमित हो जाती है। पूर्व में प्रत्यर्थी को भेजी गई नोटिस पर डाक विभाग की यह रिपोर्ट प्राप्त हुई कि प्रत्यर्थी की मृत्यु हो चुकी है। यह सूचना दिनांक 22.9.2018 को प्राप्त हुई है। अत: यह माना जाएगा कि सूचना की तिथि से पूर्व प्रत्यर्थी की मृत्यु हो चुकी है। तब 90 दिन के पश्चात उपशमन हो चुका था। पत्रावली दाखिल दफ्तर करने का आदेश एक लिपिकीय आदेश है, उपशमन विधि के अंतर्गत
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स्वमेव पारित हो जाता है, इसके लिए किसी विशेष आदेश की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए उपशमन सूचना के 90 दिन की अवधि के पश्चात माना जाएगा न कि दिनांक 15.7.2024 से। इसके अतिरिक्त उपशमन को अपास्त करने के लिए आवेदन 60 दिन की अवधि के अन्दर प्रस्तुत किया जा सकता है, परन्तु आवेदक द्वारा 2018 में उपशमन होने पर वर्ष 2024 में यह आवेदन प्रस्तुत किया गया है, जो समयावधि से अत्यधिक बाधित होने के कारण खारिज होने योग्य है।
तदनुसार विविध आवेदन खारिज किया जाता है।
विविध वाद अंतिम रूप से निस्तारित किया जाता है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार(
सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2