Rajasthan

Ajmer

EA/7/2015

GAJENDRA SINGH - Complainant(s)

Versus

KUNJBIHARI SHARMA - Opp.Party(s)

04 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Execution Application No. EA/7/2015
In
 
1. GAJENDRA SINGH
AJMER
...........Appellant(s)
Versus
1. KUNJBIHARI SHARMA
AJMER
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 04 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

गजेन्द्र सिंह पुत्र श्री पूरण सिंह चैहान, निवासी- देलवाड़ा रोड़, ब्यावर, जिला-अजमेर। 

                                                -         प्रार्थी

                            बनाम

श्री कंुज बिहारी षर्मा, , मालिक, कैलिबरकम्प्यूटर एजूकेषन 100, जय नाकोड़ा काॅलोनी, देलवाड़ा रोड, ब्यावर हाल कैलिबर कम्प्यूटर एजूकेषन हैडा बिल्डिंग, जीवन लाईट के उपर, प्रथम प्लाॅट, पाली बाजार, जिला-अजमेर । 
                                                -       अप्रार्थी 
          अवमानना परिवाद संख्या 07/2015  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
1.    बबीता टांक, अधिवक्ता, प्रार्थी
                  2.श्री कुलदीप सिंह,अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः- 12.08.2016
 
1.       प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत  अवमानना परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि  उसके द्वारा प्रस्तुत परिवाद संख्या 209/2005 गजेन्द्र बनाम कैलिबर कम्प्यूटर एजूकेषन  में मंच ने दिनंाक 18.4.2006 को निम्न आदेष पारित किया -
        ’’ परिणामस्वरूप पा्रार्थी का परिवाद अप्रार्थी के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्राथी्र्र को यह आदेष दिया जाता है कि  अप्रार्थी प्रार्थी को उसका कम्प्यूटर  सही हालत में मरम्मत करके दे और पाटर््स व सामग्री जो मूल बिल दिया गया था और उसमें जो अंकित थे, उसके साथ प्रार्थी को सम्भ्लावें । साथ ही प्रार्थी को जो मानसिक संताप हुआ, आर्थिक हानि हुई, परिवाद लाना पडा, ,खर्चा करना पडा उसके पेटे रू. 2000/- अप्रार्थी प्रार्थी को अदा करें अथवा मंच में जमा करावें ।  यदि अप्रार्थी आदेषित राषि मंच में जमा कराना चाहे तो आदेषित राषि का चैक/ डिमाण्ड ड्राफट जो प्रार्थी के पक्ष में हो, प्रार्थी को सूचित करते हुए जमा कराए । उक्त समस्त कार्यवाही आदेष से दो माह के भीतर अप्रार्थी निष्पादित करें  ।  उक्त आदेष की  अप्रार्थी द्वारा माननीय राज्य आयोग में अपील प्रस्तुत करने  पर माननीय राज्य आयेाग ने  दिनंाक 15.11.2006 को निम्न आदेष पारित किए -
           ’’ अतः अपीलार्थी की अपील आंषिक रूप से  स्वीकार की जाती है तथा आलौच्य आदेष केवल इस सीमा तक संषोधित किया जाता है कि अपीलार्थी प्रत्यर्थी को उसका पीसीयू  सही हालत में मरम्मत करके 15 दिन के अन्दर सम्भला देवे । जहां तक परिवाद व्यय का प्रष्न है । आलौच्य आदेष पुष्ट किया जाता है । इस प्रकरण की पुष्टि में अपील का खर्चा पक्षकारान अपना अपना स्वयं वहन करेगें । 
     प्रार्थी का कथन है कि माननीय राज्य आयोग के निर्णय को पारित हुए करीब साढ़े तीन वर्ष व्यतीत हो चुके हंै लेकिन प्रार्थी द्वारा बार बार सम्पर्क किए जाने के बावजूद भी अप्रार्थी  माननीय राज्य आयेाग के आदेष की पालना नहीं कर रहा है  बल्कि झूठा नोटिस भिजवाकर आयेाग के आदेष के मुताबिक आदेषित राषि व कम्प्यूटर  अपने संस्थान से आकर ले जाने को कह रहा है । अप्रार्थी द्वारा मंच व राज्य आयेाग के आदेष की पालना नहीं करने के कारण उसे अवमानना का दोषी करार दिया जाकर जेल भिजवाने के आदेष प्रदान करावें ।  अवमानना परिवाद के समर्थन में प्रार्थी ने स्वयं का ष्षपथपत्र पेष किया है । 
2.    अप्रार्थी ने जवाब प्रस्तुत कर  कथन किया है कि  उसने अपने अधिवक्ता के द्वारा  नोटिस दिनंाक 7.7.2010 प्रेषित करते हुए  प्रार्थी को यह अवगत करा दिया गया था कि उत्तरदाता माननीय राज्य आयेाग/मंच के आदेष की पालना करने को तैयार है  तथा प्रार्थी  दिनंाक 19.7.2010 के बाद कभी भी उसके कार्यालय में आकर सीपीयू व रू. 1000/- प्राप्त कर सकता है ।  उक्त नोटिस प्रार्थी को दिनंाक 12.7.2010 को प्राप्त हो गया  । उत्तरदाता ने रू. 1000/- की एफडीआर मंच में जमा करवा दी है ।  इस प्रकार उसने मंच/राज्य आयोग के आदेषों की कोई अवहेलना नहीं की है । अवमानना परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है ।  
3.     प्रार्थी पक्ष का प्रमुख रूप से तर्क रहा है कि अप्रार्थी ने इस मंच के निर्णय दिनंाक 18.4.2006 की  पालना  अभी तक नहीं की हे । अतः अवेहलना के कारण उसे  दण्डित किया जावे । 
4.    अंतिम बहस के समय अप्रार्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है । अतः उपलब्ध अभिलेख के अनुसार अप्रार्थी उक्त आदेष की अनुपालना में  प्रार्थी से कई बार सम्पर्क किया । उसके द्वारा रू. 1000/- की एफडीआर 
इस मंच के समक्ष जमा करवाई जा चुकी है तथा ष्षेष राषि रू. 1000/-  तथा सीपीयू वह प्रार्थी को  हमेषा देने को तत्पर तैयार रहा है । उसे जानबूझकर  परेषान किया जा रहा है । अवमानना परिवाद खारिज किया जावे । 
5.    उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर विचार किया गया । प्रकरण की पृष्ठभूमि  के अनुसार इस मंच द्वारा दिनांक 18.4.2006 के आदेष से प्रार्थी का परिवाद स्वीकार किया गया था तथा अप्रार्थी को कम्प्यूटर  मरम्मत कर प्रार्थी को देने व परिवाद व्यय के रूप में रू. 2000/- देने के आदेष पारित किए गए हैं । इस आदेष से व्यथित होकर  अप्रार्थी ने माननीय राज्य आयेाग, जयपुर में अपील प्रस्तुत की  व  माननीय राज्य आयेाग ने अपने निर्णय दिनंाक 15.11.2006 के द्वारा उभय पक्षकारान के मध्य पीसीयू(सीपीयू) के अलावा अन्य किसी विवाद का विद्यामान  नहीं होना पाया था व  इसका आधार दोनो पक्षों की स्वीकारोक्ति थी  जैसा कि उक्त निर्णय से परिलक्षित होता है । अब पक्षकारों के मध्य मात्र उक्त सीपीयू की मरम्मत का विवाद रह जाता है । माननीय राज्य आयेाग ने अपने निर्णय में मंच के आदेष दिनांक 18.4.2006 को संषोधित करते हुए  अपील  आषिंक रूप से स्वीकार की एवं उक्त आदेष को इस सीमा तक संषोधित किया कि अपीलार्थी/प्रत्यर्थी को उसका सीपीयू सही हालत में मरम्मत करके 15 दिन के अन्दर अन्दर सम्भला देगा ।  जहां तक परिवाद व्यय का प्रष्न है, आलोच्य आदेष पुष्ट किया गया है ।  इसका अर्थ यह हुआ कि अपीलार्थी अर्थात अप्रार्थी को प्रार्थी का उक्त सीपीयू 15 दिन   के अन्दर अन्दर सही हालत में मरम्मत कर सौंपना  था ।  उक्त आदेष की पालना नहीं किए जाने पर प्रार्थी द्वारा दिनंाक 27.7.2010 को अवमानना परिवाद दायर किया ।  उभय पक्षकारों को सुनकर   मंच ने अपने आदेष दिनांक  12.1.2011  के तहत परिवाद को माननीय राज्य आयोग के आदेष अनुसार  पीसीयू, सीपीयू के विवाद  को निस्तारण योग्य नहीं पाते हुए  परिवाद दाखिल दफतर किए जाने का  आदेष दिया । इस आदेष के विरूद्व पुनः माननीय राज्य आयेाग में अपील की गई  व माननीय राज्य आयेाग  ने पुनः दिनंाक 09.2.2015 के द्वारा अपील स्वीकार कर इस मंच को प्रकरण पुनः सुनवाई  हेतु इस निर्देष के साथ प्रतिप्रेषित  किया कि यह मंच दोनों पक्षों को सुनकर  बिल दिनांक  17.1.2005 में वर्णित पार्ट  भ्च् स्ंेमतश्रमज 1310 ंदक ब्वउचनजमत ज्ंइसम - थ्नतदपजनतम के अलावा ’’ अन्य’’ के संबंध में अपना आदेष पारित करें ।
6.     यहां यह उल्लेखनीय है कि पक्षकारेां के मध्य मात्र सीपीयू की मरम्मत का बिन्दु विवादित रहा था जैसा कि माननीरय राज्य आयोग के पूर्व निर्णय से स्पष्ट है ।  उक्त निर्णय की अनुपालना में पक्षकारों को सुना गया । एक ओर प्रार्थी पक्ष का कथन है कि उसे कम्प्यूटर का सीपीयू सही करके नहीं दिया गया वहीं दूसरी ओर अप्रार्थी का कथन रहा है कि प्रार्थी उक्त सीपीयू को लेने ही नहीं आया । वह आज भी इसे देने को तैयार व तत्पर है । प्रार्थी ने उक्त सीपीयी के अभाव में  दिन प्रतिदिन  होने वाली क्षति का आंकलन  करते हुए रू. 12 लाख का हर्जा होना बताया है । प्रकरण वर्ष 2005ेेेेेेेेेेे-06 से संबंधित है ।  तत्समय् पेन्टियम 1,2,3 टैक्नोलाॅजी के कम्प्यूटर परिचलन में थे । इसके  तत्पष्चात् समय समय पर नई टैक्नोलोजी के कम्प्यूटर आनेे के साथ ही विण्डो 10, 13 टेक्नोलोजी के कम्प्यूटर उपलब्ध है । कहने का तात्पर्य यह है कि  पेन्टियम 1,2,3,4 अब अप्रचलित  हो चुके है और अब इसके बाबत् किसी प्रकार का आदेष देना निरर्थक है । सम्भव है कि इस प्रकार के कम्प्यूटर के कलपुर्जो का मिलना भी सम्भव नहीं है । अतः तमाम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस मंच की राय में प्रार्थी को अप्रार्थी से उक्त कम्प्यूटर की कीमत मय ब्याज के दिलाए जाने से न्याय के उद्देष्य की पूर्ति हो जावेगी ।  जहां तक क्षतिपूर्ति का प्रष्न है, प्रकरण  का इस मंच द्वारा निर्णय हो जाने के बाद भी  समय समय पर  पक्षकारान द्वारा अपील, अवमानना याचिकाएं प्रस्तुत की जाती रही हे । अतः इस मद में किसी प्रकार की कोई क्षतिपूर्ति दिलवाया जाना उचित नहीं है ।  प्रार्थी का अवमानना परिवाद आंषिक रूप से स्वीकार किया जाकर आदेष है कि 
                          :ः- आदेष:ः-
7.    (1)    प्रार्थी अप्रार्थी से कम्प्यूटर  के माॅनीटर ़ सीपीयू की ष्षुद्व राषि रू. 29,778/- अगले गुणांक में रू. 30,000/- मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित इस मंच के निर्णय दिनांक 18.4.2006 से तदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
    (2)    चूंकि परिवाद व्यय  के संदर्भ में माननीय राज्य आयेाग ने  इस मंच का पूर्व आदेष यथावत कायम रखा है । अतः अप्रार्थी द्वारा इस मद में रू. 1000/- की एफडीआर जमा करवाई जा चुकी है । अतः यह राषि प्रार्थी  प्रचलित एफडीआर के नियमों के तहत  मय ब्याज प्राप्त करनेे का अधिकारी होगा । इसके अलावा षेष  रही बकाया रू. 1000/- की राषि भी मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित मंच के निर्णय दिनंाक 18.4.2006 से तदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
              (3)    क्रम संख्या 1  लगायत 2  में वर्णित राषि अप्रार्थी     प्रार्थी को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 12.08.2016  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

   
 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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