मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 713/2017
(जिला उपभोक्ता फोरम, बलिया द्वारा परिवाद संख्या- 316/2008 में पारित निर्णय और आदेश दिनांक 04-11-2010 के विरूद्ध)
मेसर्स दुर्गा कोल्ड स्टोरेज, चेतन किशोर सिकन्दरपुर द्वारा शेख अहमद अली पुत्र स्व0 शेख वासीत अली, मुहल्ला गांधी पट्टी गली थाना पोस्ट तहसील सिकन्दरपुर जिला बलिया।
अपीलार्थी/विपक्षी सं०1
बनाम
कुन्दन वर्मा पुत्र खेदन, एवं विजय शंकर वर्मा पुत्र कुन्दन वर्मा निवासीगण, पोस्ट रतसड़ थाना गड़वार परगना कोपाचिट शर्की, जिला बलिया उ०प्र०।
प्रत्यर्थी/परिवादी
2- मनराजय पुत्र जमुना चौरसिया, निवासीगण मिड्ढा पोस्ट मिड्ढा जिला बलिया उ०प्र०
3- विश्वनाथ पुत्र ठाकुर प्रसाद चौरसिया, निवासी रूद्रपुर गायघाट हाल मुकाम निराला नगर, गड़वार रोड जिला बलिया उ०प्र०
4- नन्द गोपाल पुन रघुनाथ चौरसिया, निवासी ग्राम चोगड़ा परसिया पोस्ट चोगड़ा जिला बलिया उ०प्र०
प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष
माननीय श्री महेश चन्द, सदस्य
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता, श्री सचिदानन्द प्रसाद
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक रंजन
दिनांक– 23.08.2018
मा0 न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
परिवाद संख्या 316/2008 कुन्दन वर्मा बनाम मेसर्स दुर्गा कोल्ड स्टोरज व तीन अन्य में जिला फोरम बलिया द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 04-11-2010 के विरूद्ध यह अपील धारा 15 उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है।
2
आक्षेपित आदेश के द्वारा जिला फोरम ने परिवाद स्वीकार करते हुए निम्न आदेश पारित किया है:-
"परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध संयुक्त/पृथक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को आदेश दिया जाता है कि वे आज से 60 दिन के अन्दर परिवादी कुन्दन वर्मा को 57,000/-रू० आलू की कीमत अग्रिम राशि और उस पर दिनांक 16-12-2008 से ता भुगतान 10 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज जोड़ते हुए ब्याज तथा रू० 2000/- दौड़-धूप वाद खर्चा का अदा कर दें, अन्यथा समय-सीमा के बाद निर्णय की तिथि से उपरोक्त समस्त राशि पर 12 प्रतिशत वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज देय होगा। "
जिला फोरम के निर्णय से क्षुब्ध होकर परिवाद के विपक्षी, मेसर्स दुर्गा कोल्ड स्टोरेज ने यह अपील प्रस्तुत की है।
अपील की सुनवाई के समय अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सचिदानन्दा प्रसाद और प्रत्यर्थी/परिवादी की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री आलोक रंजन उपस्थित आए हैं।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि आक्षेपित निर्णय अपीलार्थी के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से उसे सुनवाई का अवसर दिये बिना पारित किया गया है और उस पर नोटिस का तामीला हुए बिना पारित किया गया है। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष गलत कथन के साथ प्रस्तुत किया है और जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय त्रुटिपूर्ण एवं दोषपूर्ण है। अत: जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश अपास्त कर परिवाद निरस्त किया जाना आवश्यक है।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने अपने तर्क के समर्थन में स्टेट आफ हरियाणा व अन्य बनाम मेसर्स एस०एल० अरोड़ा एण्ड कम्पनी ए.आई.आर. 2010 सुप्रीम कोर्ट 1511 के वाद में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय सन्दर्भित किया है।
3
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता ने राज्य आयोग उ०प्र० द्वारा मोदी नगर कोल्ड स्टोरेज एण्ड आइस फैक्ट्री बनाम शिव कुमार शर्मा के वाद में दिये गये निर्णय जो 2003(2) AWC 4. 103 (UPC) में प्रकाशित है को भी सन्दर्भित किया है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि परिवाद संख्या 316/2008 कुन्दन वर्मा बनाम मैसर्स दुर्गा कोल्ड स्टोरेज में जिला फोरम बलिया द्वारा प्रश्नगत निर्णय दिनांक 04-11-2010 को पारित किया गया है और अपील सात वर्ष बाद 2017 में जिला फोरम के निर्णय की प्रति प्राप्त कर अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत की गयी है।
प्रत्यर्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि अपीलार्थी/विपक्षी जिला फोरम के समक्ष नोटिस तामीला होने के बाद भी उपस्थित नहीं हुआ है। अत: उसके विरूद्ध एकपक्षीय रूप से निर्णय और आदेश पारित किया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादी के विद्वान अधिवक्ता का यह भी तर्क है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश साक्ष्य और विधि के अनुकूल है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
हमने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
अपील के निर्णय हेतु संक्षिप्त सुसंगत तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादी ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष इस कथन के साथ प्रस्तुत किया है कि परिवादीगण पिता-पुत्र हैं। उन्होंने 279 बोरी आलू जिसमें प्रति बोरी करीब 50 किलो ग्राम आलू था, अपीलार्थी/विपक्षीगण के कोल्ड स्टोरेज में दिनांक 13-03-2008 को 1200/- रू० अग्रिम धनराशि किराए के रूप में जमा कर भण्डारित किया। परन्तु जब दिनांक 20-10-2008 को आलू की बोरी की निकासी हेतु वे गये तो आलू सड़ा हुआ पाया। आलू एक-एक फिट अंकुरित हो गये थे और खाने लायक नहीं थे। परिवाद पत्र के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादी का कथन है कि अपीलार्थी/विपक्षीगण ने उन्हें क्षतिपूर्ति
4
देने का वादा किया परन्तु क्षतिपूर्ति नहीं दिया। तब प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने अपीलार्थी/विपक्षीगण को अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजा फिर भी विपक्षीगण
ने प्रत्यर्थी/परिवादीगण को क्षतिपूर्ति अदा नहीं की। अत: विवश होकर प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण संख्या 1, 2 और 4 पर नोटिस का तामीला पर्याप्त माना गया है फिर भी उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ है। अत: उनके विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी।
जिला फोरम के निर्णय से स्पष्ट है कि परिवाद के विपक्षी संख्या-3 विश्वनाथ ने जिला फोरम के समक्ष उपस्थित होकर लिखित कथन प्रस्तुत किया है और प्रत्यर्थी/परिवादीगण द्वारा 279 बोरी आलू विपक्षीगण के कोल्ड स्टोरेज में 1200/- रू० अग्रिम राशि देकर भण्डारित किया जाना स्वीकार किया है। इसके साथ ही विपक्षी संख्या- 3 ने कहा है कि आलू की कीमत कम होने के कारण स्वयं प्रत्यर्थी/परिवादीगण आलू नहीं ले गये हैं।
लिखित कथन में विपक्षी संख्या-3 ने यह भी कहा है कि उसने कोई लापरवाही नहीं की है। परिवाद ग्राह्य नहीं है।
जिला फोरम ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों पर विचार कर उपरोक्त प्रकार से आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है।
परिवाद पत्र के कथन एवं परिवाद के विपक्षी संख्या-3 विश्वनाथ की ओर से प्रस्तुत लिखित कथन से यह स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने 279 बोरी आलू अपीलार्थी/विपक्षीगण के कोल्ड स्टोरेज में भण्डारित किया है और 1200/- रू० अग्रिम राशि का भुगतान किया है। परन्तु प्रत्यर्थी/परिवादीगण का आलू वापस नहीं किया गया है। प्रत्यर्थी/परिवादीगण जब आलू लेने गए तो आलू सड़ गया था और जम गया था। जबकि विपक्षी संख्या-3 जो अपील में प्रत्यर्थी संख्या-3 हैं के लिखित कथन के अनुसार प्रत्यर्थी/परिवादीगण स्वयं अपना आलू लेने नहीं गये क्योंकि आलू की कीमत
5
कम थी। यदि प्रत्यर्थी संख्या-3 के लिखित कथन को थोड़ी देर के लिए सही मान लिया जाए तो भी कोल्ड स्टोरेज अपने दायित्व से बच नहीं सकता है क्योंकि यदि प्रत्यर्थी/परिवादीगण आलू नहीं ले गये तो अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा उनके आलू का निस्तारण उत्तर प्रदेश कोल्ड स्टोरेज विनियम अधिनियम 1976 की धारा- 17 के अनुसार जिला उद्यान अधिकारी को सूचित कर नियम के अनुसार करना चाहिए था। परन्तु ऐसा नहीं किया गया है। अत: सम्पूर्ण तथ्यों एवं साक्ष्यों पर विचार करने के उपरान्त हम इस मत के हैं कि यह मानने हेतु उचित आधार है कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने अपीलार्थी/विपक्षीगण के कोल्ड स्टोरेज में 279 बोरी आलू रखा था जो उन्हें वापस नहीं मिला है। अत: जिला फोरम ने अपीलार्थी/विपक्षीगण को प्रत्यर्थी/परिवादीगण के आलू का मूल्य अदा करने हेतु जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह उचित और युक्तिसंगत है उसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। जिला फोरम द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादीगण को उनके आलू की क्षतिपूर्ति हेतु आलू का मूल्य जो 200/- रू० प्रति बोरी निर्धारित किया है उसे अधिक व त्रुटिपूर्ण मानने हेतु कोई उचित आधार नहीं दिखता है। अत: जिला फोरम द्वारा निर्धारित आलू के मूल्य में हस्तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं है।
जिला फोरम ने जो परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तक आलू के मूल्य पर ब्याज दिया है वह उचित है।
जिला फोरम ने जो प्रत्यर्थी/परिवादी को क्षतिपूर्ति और वाद व्यय के रूप में 2000/- रू० दिलाया है वह भी उचित है। जिला फोरम ने आलू के मूल्य पर जो 10 प्रतिशत वार्षिक की दर से परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से ब्याज दिया है वह उचित है। जिला फोरम ने जो निर्णय की तिथि से 60 दिन के अन्दर आदेशित धनराशि अदा न किये जाने पर 12 प्रतिशत वार्षिक की दर से चक्रवृद्धि ब्याज देने का आदेश दिया है वह उचित नहीं है यह अपास्त किये जाने योग्य है। इसके साथ ही जिला फोरम ने कोल्ड स्टोरेज के किराए के सम्बन्ध में कोई आदेश नहीं पारित किया है। परिवाद पत्र के अनुसार 1200/- रू० अग्रिम धनराशि कोल्ड स्टोरेज में
6
किराए के मद में प्रत्यर्थी/परिवादीगण ने जमा किया है। अत: जिला फोरम का निर्णय इस प्रकार संशोधित किये जाने योग्य है कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण द्वारा जमा अग्रिम धनराशि 1200/- रू० किराए के मद समायोजित किये जाने पर यदि कोल्ड स्टोरेज के भाड़े की धनराशि अवशेष पायी जाती है तो उसे जिला फोरम द्वारा आदेशित धनराशि में समयोजित कर शेष धनराशि का भुगतान ही प्रत्यर्थी/परिवादीगण को किया जाएगा।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय और आदेश इस प्रकार संशोधित किया जाता है कि अपीलार्थी/विपक्षी और प्रत्यर्थी/परिवादीगण जो परिवाद के विपक्षीगण हैं प्रत्यर्थी/परिवादीगण को आलू का मूल्य 55800/- परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 10 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ अदा करें। इसके साथ ही अपीलार्थी/विपक्षी व प्रत्यर्थी/विपक्षीगण प्रत्यर्थी/परिवादीगण को जिला फोरम द्वारा प्रदान की गयी 2000/- रू० वाद व्यय एवं दौड-धूप के खर्चे की धनराशि भी अदा करेगें।
प्रत्यर्थी/परिवादीगण द्वारा कोल्ड स्टोरेज को भाड़े के रूप में अदा की गयी धनराशि 1200/- रू० अग्रिम धनराशि को समायोजित करने के उपरान्त यदि कोल्ड स्टोरेज के भाड़े की कोई धनराशि अवशेष पायी जाती है तो उसे आलू के उपरोक्त मूल्य की उपरोक्त धनराशि व उस पर देय ब्याज की धनराशि में समायोजित कर शेष धनराशि का भुगतान प्रत्यर्थी/परिवादीगण को किया जाएगा।
जिला फोरम ने जो 60 दिन के अन्दर भुगतान न करने पर निर्णय की तिथि से सम्पूर्ण धनराशि पर 12 प्रतिशत की दर से चक्रवद्धि ब्याज देने का आदेश पारित किया है उसे अपास्त किया जाता है।
अपील में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
7
धारा 15 उपभोक्त संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि 25000/- रू० अर्जित ब्याज सहित जिला फोरम को इस निर्णय के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान) (महेश चन्द)
अध्यक्ष सदस्य
कृष्णा, आशु0
कोर्ट नं० 1