जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम-प्रथम, लखनऊ।
वाद संख्या 474/2014
श्री सुधीर कुमार,
पुत्र श्री आत्मा राम,
निवासी- 563/ख/29,
श्याम नगर, आलमबाग, लखनऊ।
......... परिवादी
बनाम
1. कुमार इलेक्ट्रिानिक्स, 72,
सुजानपुरा, कानुपर रोड,
आलमबाग, लखनऊ-05
द्वारा प्रोपराइटर।
2. बजाज फाइनेंस सर्विस लि0,
ए ब्लाक, मकान नं.28,
निकट बाटा शोरूम,
इंदिरा नगर, लखनऊ।
द्वारा ब्रांच मैनेजर।
..........विपक्षीगण
उपस्थितिः-
श्री विजय वर्मा, अध्यक्ष।
श्रीमती अंजु अवस्थी, सदस्या।
श्री राजर्षि शुक्ला, सदस्य।
निर्णय
परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण की मांग रू.11,500.00 दिनांक 31.08.2014 को निरस्त करने तथा विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति के रूप में रू.50,000.00 व वाद व्यय के रूप में रू.8,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया है।
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संक्षेप में परिवादी का कथन है कि उसने दिनांक 10.10.2006 को एक सैमसंग टी0वी0 रू.11,500.00 में विपक्षी सं0 1 से खरीदा था। उपरोक्त टी0वी0 खरीदते समय विपक्षी सं0 2 द्वारा उपरोक्त टी0वी0 फाइनेंस किया था जिसके अंतर्गत परिवादी द्वारा रू.5,000.00 नकद और 12 चेकें मूल्य रू.559.00 की परिवादी द्वारा विपक्षीगण को दी गयी जिसकी रसीद विपक्षी सं0 1 द्वारा जारी की गयी थी। विपक्षीगण समयानुसार चैक कैश कराते रहे। वर्ष 2014 अगस्त माह में परिवादी को विपक्षी सं0 2 की ओर से एक धमकी भरा फोन आया कि उसके द्वारा टी0वी0 फाइनेंस कराया गया था जिसका रू.25,000.00 तुरंत विपक्षी सं0 2 के खाते में जमा कर दे नही ंतो उसके खिलाफ दिल्ली की तीस हजारी अदालत से उसके खिलाफ वारंट जारी कराकर गिरफ्तार करा दिया जायेगा। उपरोक्त फोन को सुनकर परिवादी व उसका परिवार घबरा गया और दिनांक 31.08.2014 को उसने विपक्षी सं0 2 के उपरोक्त दफ्तर पर जाकर जानकारी किया तो विपक्षी सं0 2 द्वारा एक स्टेटमेंट आफ एकाउन्ट जारी करते हुये बताया गया कि उसके ऊपर रू.11,500.00 बकाया है तो परिवादी ने इसका विरोध किया और बताया कि वह सारी 12 किश्तों की चेकें और रू.5,000.00 नकद देकर टी0वी0 ले गया था और लगभग 8 वर्षों के पश्चात्् उसके ऊपर बकाया दिखाया जा रहा था जो कि अनुचित व्यापार प्रक्रिया का प्रतीक है। परिवादी द्वारा पूर्व में ही विपक्षीगण द्वारा बतायी 12 किश्तों की चेकें दे चुका था और 8 वर्षों पश्चात्् विपक्षीगण द्वारा मांगी जा रही धनराशि कालबाधित है। लगभग 8 वर्षों में विपक्षी सं0 2 द्वारा कभी भी अपने बकाये के संबंध में न ही कोई नोटिस भेजा और न ही कोई जानकारी विपक्षी सं0 2 द्वारा परिवादी को दी गयी अचानक लगभग 8 वर्षों के बाद विपक्षी सं0 2 द्वारा रू.11,500.00 की कालबाधित मांग की जा रही है जो खारिज किये जाने योग्य है। विपक्षीगण
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द्वारा अपनायी गयी अनुचित व्यापार प्रक्रिया एवं सेवा में कमी की गयी है। अतः परिवादी द्वारा यह परिवाद विपक्षीगण की मांग रू.11,500.00 दिनांक 31.08.2014 को निरस्त करने तथा विपक्षीगण से क्षतिपूर्ति के रूप में रू.50,000.00 व वाद व्यय के रूप में रू.8,000.00 दिलाने हेतु प्र्र्र्र्र्र्र्र्रस्तुत किया है।
विपक्षीगण को नोटिस भेजे जाने के बाद भी उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ, अतः उनके विरूद्ध आदेश दिनांक 31.01.2015 के अनुसार एकपक्षीय कार्यवाही की गयी।
परिवादी द्वारा अपना शपथ पत्र मय 10 संलग्नक दाखिल किया गया।
परिवादी के विद्वान अधिवक्ता की बहस सुनी गयी एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
इस प्रकरण में परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 से एक सैमसंग टी0वी0 रू.11,500.00 में क्रय किया गया था, जिसमें परिवादी द्वारा रू.5,000.00 नकद और शेष धनराशि हेतु विपक्षी सं0 2 से फाइनेंस कराया गया था और उक्त फाइनेंस के संबंध में परिवादी द्वारा रू.559.00 प्रति चेक के हिसाब से 12 चेक विपक्षीगण को दी गयी थी। विपक्षीगण उपरोक्त चेकें कैश कराते रहें, किंतु लगभग 8 वर्ष उपरांत विपक्षी सं0 2 की ओर से एक धमकी वाला फोन आया कि वह रू.25,000.00 विपक्षी सं0 2 के खाते में जमा कर दें अन्यथा उनके खिलाफ वारंट जारी कराकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जायेगा। इस संबंध में परिवादी ने जब विपक्षी सं0 2 से जानकारी की तो स्टेटमेंट आॅफ अकाउंट द्वारा उसे पता चला कि उस पर रू.11,500.00 का बकाया है। परिवादी द्वारा जब 12 चेकें रू.559.00 के हिसाब से विपक्षीगण को दी गयी थी और साथ ही रू.5,000.00 नकद दिये गये तो ऐसी स्थिति में उसके ऊपर रू.11,500.00 का बकाया दर्शाना अनुचित व्यापार प्रक्रिया का द्योतक है। अतः विपक्षीगण की उपरोक्त मांग को निरस्त करने एवं क्षतिपूर्ति हेतु
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परिवादी द्वारा यह परिवाद दायर किया गया है। परिवादी द्वारा विपक्षी सं0 1 से सैमसंग टी0वी0 क्रय किये जाने के संबंध में रसीद की फोटोप्रति दाखिल की गयी है जिसमें यह तथ्य अंकित है कि परिवादी द्वारा रू.5,000.00 नकद व रू.559 प्रति चेक के हिसाब से 12 चेकें जमा की गयी थी, तदनुसार सैमसंग टी0वी0 के मूल्य रू.11,500.00 का भुगतान होना दर्शाया गया है। उल्लेखनीय है कि उक्त क्रय दिनांक 10.10.2006 को हुआ था जिसके लगभग 8 वर्ष उपरांत परिवादी को एक धमकी भरा फोन आना और तदोपरांत विपक्षी सं0 2 से संपर्क करने पर उसे स्टेटमेंट आॅफ अकाउंट के जरिए रू.11,500.00 बकाया दिखाया गया है। परिवादी द्वारा जो कुमार इलेक्ट्रानिक्स से दिनांक 10.10.2006 को सैमसंग टी0वी0 खरीदने की रसीद की फोटोप्रति दाखिल की गयी है उससे स्पष्ट है कि परिवादी द्वारा रू.559.00 प्रति चेक के हिसाब से 12 चेकें विपक्षीगण को दी गयी थी और परिवादी द्वारा अपने बैंक अकाउंट की फोटोप्रतियां भी दाखिल की गयी है जिनसे स्पष्ट होता है कि विपक्षीगण द्वारा 11 चेकों का भुगतान भी प्राप्त कर लिया गया है। मात्र एक चेक का भुगतान न होना दृष्टिगत होता है, किंतु यह विपक्षीगण को दर्शाना था कि किन कारणों से 12वीं चेक का भुगतान उनके द्वारा नहीं प्राप्त किया गया, किंतु विपक्षीगण की ओर से न तो कोई उपस्थित हुआ न ही कोई प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया और न ही प्रति शपथ पत्र दाखिल किया गया है, जबकि परिवादी द्वारा अपने शपथ पत्र से उपरोक्त सभी तथ्यों को सिद्ध करते हुए अपने बयान में यह कहा गया है कि परिवादी ने लगभग 8 वर्ष पूर्व टी0वी0 खरीदते समय विपक्षीगण द्वारा बताये गये टी0वी0 के मूल्य के बराबर रू.5,000.00 नकद और रू.559.00 की 12 चेकें विपक्षीगण को दी गयी थी जिनका भुगतान भी विपक्षीगण प्राप्त कर चुके हैं। इस प्रकार परिवादी द्वारा शपथ पर किये गये उपरोक्त कथन
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चुनौतीविहीन होने के कारण उन पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है। यह विपक्षीगण ही दर्शा सकते हैं कि उन्हें 12वीं चेक का भुगतान क्यों नहीं प्राप्त हुआ, जबकि परिवादी ने अपने शपथ पत्र मंे यह कहा है कि विपक्षीगण द्वारा सभी चेकों का भुगतान प्राप्त किया जा चुका है। इस प्रकार परिवादी द्वारा प्रदत्त अभिलेखों एवं साक्ष्य से यह सिद्ध हो जाता है कि विपक्षी सं0 2 को उसके द्वारा टी0वी0 के संबंध में किये गये फाइनेंस की धनराशि को 12 चेकों के माध्यम से भुगतान प्राप्त किया जा चुका है। अतः स्पष्टतया विपक्षीगण द्वारा जो मांग अपने स्टेटमेंट आॅफ अकाउंट के माध्यम से परिवादी से की जा रही है वह नितांत अनुचित है। जब सभी चेकों का भुगतान विपक्षी सं0 2 को प्राप्त हो चुका था तो ऐसी स्थिति में उसके द्वारा किसी भी प्रकार से फाइनेंस की गयी धनराशि के संबंध में ब्याज का दर्शाया जाना स्पष्टतया अनुचित व्यापार प्रक्रिया का द्योतक है। अतः विपक्षीगण द्वारा स्टेटमेंट आॅफ अकाउंट के माध्यम से मांगी गयी धनराशि निरस्त किये जाने योग्य है। स्पष्टतया विपक्षीगण द्वारा उपरोक्त अनुचित मांग करके तथा फोन पर धमकी देकर परिवादी को मानसिक रूप से प्रताड़ना भी पहुंचायी गयी है, अतः इस संबंध में परिवादी विपक्षीगण से मानसिक प्रताड़ना के लिए क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का भी अधिकारी है और साथ ही वाद व्यय भी प्राप्त करने का अधिकारी है।
आदेश
परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण द्वारा दिनांक 31.08.2014 के स्टेटमेंट द्वारा की गयी मांग को निरस्त किया जाता है।
साथ ही विपक्षीगण को यह भी आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को मानसिक कष्ट के लिए क्षतिपूर्ति के रूप में
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रू.3,000.00 (रूपये तीन हजार मात्र) एवं वाद व्यय के रूप में रू.2,000.00 (रूपये दो हजार मात्र) अदा करें।
इस आदेश की प्रति पक्षकारों को नियमानुसार उपलब्ध कराई जाय।
(राजर्षि शुक्ला) (अंजु अवस्थी) (विजय वर्मा)
सदस्य सदस्या अध्यक्ष
दिनांकः 18 जून, 2015