राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील सं0-2422/2013
(जिला उपभोक्ता आयोग, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद सं0-84/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06-06-2013 के विरूद्ध)
दी ओरियण्टल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, डिवीजनल आफिस-तृतीय, मटियारी चौराहा, चिनहट, लखनऊ द्वारा डिवीजनल मैनेजर।
...........अपीलार्थी/विपक्षी।
बनाम
श्रीमती कुलवन्त कौर पत्नी पाल सिंह, मकान नं0-120, शास्त्री नगर, निकट पी0डब्ल्यू0डी0 आफिस, लखीमपुर खीरी।
............ प्रत्यर्थी/परिवादिनी।
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित:श्री वासुदेव मिश्रा विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक : 12-04-2024.
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्तर्गत, जिला उपभोक्ता आयोग, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद सं0-84/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06-06-2013 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है।
हमारे द्वारा केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुना गया तथा पत्रावली का सम्यक् रूप से परिशीलन किया गया। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ।
परिवादिनी का कथन है कि उसके पुत्र गुरू चरन सिंह द्वारा नागरिक सुरक्षा पालिसी सं0-48/2003/350 प्राप्त की गई थी, जिसकी मृत्यु दिनांक
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22-08-2002 को दुर्घटना में हो गई। बीमा क्लेम प्रस्तुत किया गया, परन्तु इस आधार पर नकार दिया गया कि परिवादिनी के पुत्र की मृत्यु आत्म हत्या के कारण हुई, जबकि यथार्थ में मृत्यु दुर्घटना में हुई।
विद्वान जिला आयोग के समक्ष बीमा कम्पनी द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए एकतरफा सुनवाई करते हुए बीमा राशि अदा करने का आदेश पारित किया गया। इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि परिवादिनी के पुत्र को कथित बीमा पालिसी कभी भी बीमा कम्पनी द्वारा जारी नहीं की गई, बल्कि इस नम्बर की पालिसी एक अन्य व्यक्ति हरीश एम0 कुम्भर को नवासारी स्थिति गुजरात शाखा से जारी हुई। परिवादिनी के पुत्र गुरू चरन सिंह के नाम कोई बीमा पालिसी नागरिक सुरक्षा योजना के तहत जारी ही नहीं की गई। विद्वान जिला आयोग ने अपने निर्णय में पालिसी के सम्बन्ध में कोई निष्कर्ष नहीं दिया है। केवल यह कहते हुए परिवाद स्वीकार किया गया है कि परिवाद बहुत लम्बे समय से लम्बित है।
यह सही है कि बीमा कम्पनी द्वारा लिखित कथन प्रस्तुत नहीं किया गया, परन्तु यह प्रारम्भिक आपत्ति प्रस्तुत की गई थी कि जिस पालिसी की चर्चा की गई है वह पालिसी कभी भी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादिनी के पुत्र के नाम जारी नहीं की गई, इसलिए परिवादिनी उनकी उपभोक्ता नहीं है। यह प्रारम्भिक आपत्ति सुनवाई के दौरान् निरस्त कर दी गई, परन्तु निर्णय पारित करते समय बीमा पालिसी की चर्चा अवश्य की जानी चाहिए थी। इस पीठ के समक्ष भी कोई बीमा पालिसी उपलब्ध नहीं है, जिसके आधार पर यह माना जा सके कि परिवादी के पुत्र गुरू चरन सिंह के नाम से कोई बीमा पालिसी उपरोक्त वर्णित संख्या क्रम के अनुसार जारी की गई थी। चूँकि बीमा पालिसी परिवादिनी के पुत्र गुरू चरन सिंह के नाम जारी होने का कोई सबूत पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है और विद्वान जिला आयोग द्वारा भी बीमा
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पालिसी की कोई चर्चा नहीं की गई है, इसलिए विद्वान जिला आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश अपास्त होने तथा अपील स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
वर्तमान अपील, स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता आयोग, लखीमपुर खीरी द्वारा परिवाद सं0-84/2006 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 06-06-2013 अपास्त किया जाता है।
अपील व्यय उभय पक्ष पर।
अपीलार्थी द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15 के अन्तर्गत यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो वह सम्पूर्ण धनराशि अर्जित ब्याज सहित अपीलार्थी को विधि अनुसार शीघ्रातिशीघ्र वापस कर दी जाए।
उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्ध करायी जाय।
वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(सुधा उपाध्याय) (सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
दिनांक : 12-04-2024.
प्रमोद कुमार,
वैय0सहा0ग्रेड-1,
कोर्ट नं.-3.