मौखिक
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग 3000 लखनऊ
(जिला उपभोक्ता आयोग, गौतमबुद्धनगर द्वारा परिवाद संख्या 460 सन 2019 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.12.2022 के विरुद)
अपील संख्या 476 सन 2023
आईसीआईसीआई लोमबार्ड जन०ई०कं०लि० द्वारा प्रबन्धक सुमित टावर पाँचवा तल बी502 से 508 प्लाट सं० टीसीजी 3/3 विभूति खण्ड गोमतीनगर लखनऊ एवं दो अन्य ।
.................. अपीलार्थी/प्रत्यर्थी
-बनाम-
कु० शिवानी पुत्री स्व0 अजीत कुमार एवं मास्टर शौर्य पुत्र स्व0 अजीत कुमार निवासी ग्राम जारचा थाना जारचा जिला गौतमबुदनगर द्वारा संरक्षक दादा नावालगान देवेन्द्र सिंह पुत्र श्री बाबू सिंह निवासी 348 ग्राम जारचा बाबा मैडीकल थाना जारचा जिला गौतमबुद्धनगर ।
..............................प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष
मा० न्यायमूर्ति अशोक कुमार ।
अपीलार्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता –श्री प्रसून कुमार राय ।
प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्ता – श्री सुशील कुमार शर्मा ।
दिनांक- 02.11.2023
मा0 न्यायमूर्ति अशोक कुमार द्वारा उद्घोषित ।
निर्णय
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग, गौतमबुद्धनगर द्वारा परिवाद संख्या 460 सन 2019 में पारित प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.12.2022 के विरुद योजित की गयी है।
संक्षेप में, वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि प्रत्यर्थी/परिवादीगण 1 व 2 स्व0 अजीत कुमार के नावालिग पुत्री व पुत्र हैं। नाबालिगान के माता पिता का देहान्त हो चुका है। देवेन्द्र सिंह नाबालिगान का दादा है। परिवादीगण के पिता स्व० अजीत सिंह वाहन स्कोर्पियो नं0 यू.पी. 16 बी.ई. 3371 का पंजीकृत स्वामी था। विपक्षी का उक्त वाहन विपक्षीगण के यहा बीमित था जिसका पालिसी संख्या-3001/ 16805538/00/000 है जो दिनांक 28-3-19 से दिनांक 27-3-20 तक की मध्य रात्रि तक वैध था। स्व० अजीत सिह द्वारा बीमा राशि की धनराशि 26552/- रूपये विपक्षीगण को अदा की गयी थी । नाबालिगान के पिता स्व० अजीत सिंह की गाड़ी दिनांक 13-5-19 को दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी जिसमें नाबालिगान के पिता स्व० अजीत सिंह व नाबालिगान की माता का देहान्त हो गया था। दुर्घटना की सूचना थाना अहमदगढ बुलन्दशहर में दिनांक 13-5-2019 को दर्ज करायी गयी। दुर्घटना में वाहन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया । परिवादीगण द्वारा क्लेम फार्म विपक्षीगण के समक्ष भरकर दिया जो विपक्षीगण द्वारा दिनांक 14-9-2019 को खारिज कर दिया गया। परिवादीगण द्वारा विपक्षी कम्पनी को घटना की सम्पूर्ण जानकारी बिना किसी देरी के दी गयी तथा विपक्षीगण द्वारा मांगे गये समस्त कागजात क्लेम फार्म के साथ विपक्षीगण के सम्मुख प्रस्तुत किये गये जिसमें किसी तथ्य को छिपाया नहीं गया तथा ड्राईवर का वैध लाईसेंस की कापी भी उपलब्ध करायी गई। विपक्षीगण द्वारा 05 माह के पश्चात मनमाने ढंग से परिवादी का क्लेम निरस्त किया गया जिससे क्षुब्ध होकर वाद प्रस्तुत किया गया ।
विपक्षी की और से प्रतिवाद पर प्रस्तुत किया गया है जिसमें परिवाद में किये गये कथनों को अस्वीकार किया गया है। विपक्षी का कथन है कि वर्तमान परिवाद मे परिवादी को कोई वाद कारण प्राप्त नहीं है तथा परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है। परिवाद गलत तथ्यों पर आधारित है। प्रथम सूचना रिपोर्ट दिनांक 13-5-19 के अनुसार अजीत कुमार, श्रीमती हेमलता, रूप सिंह व निधि, विवाह समारोह से लौटकर आ रहे थे तो ट्रक नं०एचआर 55. वी. 5050 के ड्राइवर ने तेजी व लापरवाही से ट्रक चलाते हुए बीमित वाहन को टक्कर मार दी जिससे अजीत कुमार परिवादीगण के पिता व श्रीमती हेमलता, परिवादीगण की माता की मृत्यु हो गई तथा रूप सिंह व निधि को अस्पताल मे भर्ती कराया गया। प्रथम सूचना रिपोर्ट में अरविन्द के द्वारा कार चलाए जाने का उल्लेख नहीं है । इस सम्बन्ध में कोई साक्ष्य नही है कि श्री अरविन्द दुर्घटना के समय दुर्घटना स्थल पर उपस्थित था यदि अरविन्द के द्वारा कार चलाई जा रही होती तो वह इस दुर्घटना में बिना किसी चोट के बच नहीं सकता था। परिवादी का क्लेस सही रूप से निरस्त किया गया है। परिवादी ने वाहन को चलाए जाने के सम्बन्ध में सही सूचना व तथ्य विपक्षी बीमा कम्पनी के समक्ष नहीं रखे है तथा बीमा संविदा की शर्तों का उल्लंघन किया है, जिसके कारण क्लेम खारिज किया गया ।
जिला मंच ने उभय पक्ष के साक्ष्य एवं अभिवचनों के आधार पर यह अवधारित हुए कि परिवादी व उनके पिता स्व० अजीत कुमार वाहन स्कॉपिओ संख्या यू.पी. 16. बी.ई. 3371 के पंजीकृत स्वामी थे जिसका बीमा विपक्षीगण के यहां से कराया गया था। बीमा दिनांक 28-3-19 से 27-3-20 की मध्य रात्रि तक वैध था। यह तथ्य भी सुस्थापित है कि बीमित गाड़ी दिनांक 13-5-19 को दुर्घटना ग्रस्त हो गई थी । दुर्घटना की तिथि को वाहन बीमित अवधि के अन्दर था। परिवादीगण स्व० अजीत कुमार के अवयस्क पुत्र व पुत्री है। परिवादीगण के माता पिता दोनों का देहान्त उपरोक्त दुर्घटना में हो चुका है। विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में दुर्घटना ग्रस्त कार के ड्राईवर के सम्बन्ध में कोई विशिष्ट कथन नहीं किया है। साक्ष्य में प्रस्तुत शपथ पत्र में यह कथन किया गया है कि दुर्घटना के समय मृतक अजीत कुमार गाड़ी चला रहा था और मृतक के पास वैध ड्राईविंग लाईसेंस नहीं था और इस प्रकार बीमा शर्त संख्या- 3. सी. की परिधि से बाहर था। इसी आधार पर तथ्य छिपाया मानते हुए क्लेम निरस्त किया गया है। परिवादी की ओर से पुलिस द्वारा दुर्घटना की विवेचना की दैनिकी का विवरण प्रस्तुत किया जिसमें विवेचना के दौरान साक्षियों ने विवेचना अधिकारी को बताया है कि दुर्घटना के समय अरविन्द गाड़ी चला रहा था। अरविन्द के ड्राईविंग लाईसेंस के सम्बन्ध में विपक्षी ने कोई कथन नही किया है। विपक्षी का यह कथन कि यदि अरविन्द दुर्घटना के समय गाड़ी चला रहा था तो वह बिना चोट के बच नहीं सकता था, मात्र अनुमान पर आधारित हैं और इसी आधार पर क्लेम निरस्त किया विद्वान जिला आयोग द्वारा विपक्षीगण की सेवाओं में कमी पाते आदेश पारित किया हुए निम्न आदेश पारित किया।
" परिवादी का परिवाद स्वीकार किया जाता है। विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह परिवादी की बीमा क्लेम धनराशि अंकन 900000/- रुपये 06 प्रतिशत साधारण वार्षिक व्याज सहित परिवाद के दिनांक से भुगतान की तिथि तक 30 दिन के अन्दर जिला आयोग में जमा करे। विपक्षीगण परिवादी को मानसिक सन्ताप की मद में 10,000 /- रुपये भी 30 दिन के अन्दर अदा करे । विपक्षीगण द्वारा बीमा क्लेम धनराशि जिला आयोग में जमा कराने पर दोनों अवयस्क परिवादीगण के व्यवस्क होने तक बराबर-बराबर धनराशि सावधि जमा के रूप में सुरक्षित रखी जाए । जमा की धनराशि परिवादीगण वयस्क होने पर प्राप्त कर सकेगें ।"
मेरे द्वारा समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुनने के उपरांत यह पाया गया कि विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय पूर्णतः विधिक एवं तथ्यों पर निर्धारित है जिसमें किसी हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है और न ही ऐसा कोई तथ्य अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा उल्लिखित किया गया कि विद्वान जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय में किसी प्रकार की अवैधानिकता है और यह अपील निरस्त किए जाने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
अपील व्यय उभय पक्ष अपना अपना स्वयं वहन करेगें।
इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार पक्षकारों को उपलब्ध करायी जाए। धारा 15, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत अपील में जमा धनराशि अर्जित ब्याज सहित इस निर्णय के अनुसार विधितः निस्तारित की जाएगी।
आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर है।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार )
अध्यक्ष
सुबोल श्रीवास्तव
कोर्ट संख्या -01