( मौखिक )
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।
पुनरीक्षण वाद संख्या :05/2023
Mody School & ors.
दिनांक : 22-02-2023
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित निर्णय
प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका परिवाद संख्या-63/2014 Ku. Nandani & ors. बनाम Mody School में जिला आयोग, मुजफ्फर नगर द्वारा पारित आदेश दिनांक 07-01-2023 के विरूद्ध इस न्यायालय के सम्मुख योजित की गयी है जिसके द्वारा जिला आयोग द्वारा प्रार्थना पत्र-2ग जो कि परिवाद संख्या-63/2014 विपक्षी द्वारा प्रस्तुत किया गया, को लगभग 07 वर्ष की अवधि के पश्चात निरस्त किया गया है।
उपरोक्त परिवाद संख्या-63/2014 जिला आयोग, मुजफ्फर नगर के सम्मुख योजित किया गया था जिसमें पूर्व में अनेकों तिथियों पर पीठ की अनुपलब्धता के कारण अथवा विद्धान अधिवक्तागण के कार्य से विरत रहने के कारण नवीन तिथि नियत की जाती रही और दिनांक 18-01-2016 को जिला आयोग द्वारा विपक्षी के अनुपस्थिति रहने पर एकपक्षीय रूप से निम्न आदेश पारित किया गया :-
‘’पत्रावली पेश हुई। परिवादीगण के अधिवक्ता उपस्थित। विपक्षीगण न तो उपस्थित है तथा न ही उन्होंने प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया है। अत: विपक्षीगण का प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत करने का अवसर समाप्त करते हुए विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय अग्रहित किया जाता है।
-2-
परिवाद दिनांक 25-02-2016 को परिवादीगण के साक्ष्य हेतु पेश हो।‘’ उक्त आदेश के पश्चात उपरोक्त परिवाद के विपक्षी द्वारा एक प्रार्थना पत्र वास्ते आदेश दिनांक 18-01-2016 को रिकाल किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया जिसे जिला आयोग द्वारा दिनांक 07-01-2023 को निर्णय एवं आदेश के अनुसार निरस्त कर दिया गया।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री स्कन्द बाजपेयी उपस्थित। विपक्षी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।
मेरे द्वारा पुनरीक्षकर्ता के विद्धान अधिवक्ता को विस्तारपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का भली-भॉंति परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।
वास्तव में जिला आयोग द्वारा उपरोक्त प्रार्थना पत्र वास्ते रिकाल का निस्तारण यथा सम्भव 06 माह की अवधि में किया जाना चाहिए था जो विभिन्न कारणों से नहीं किया जा सका, परन्तु जिला आयोग द्वारा आदेश दिनांक 07-01-2023 में उपरोक्त प्रार्थना पत्र को पुर्नविलोकन/रिव्यू प्रार्थना पत्र मानते हुए निस्तारित किया गया, जो मेरे विचार से विधि अनुसार उचित नहीं प्रतीत होता है।
अत: बिना किसी अन्य टिप्पणी के न्यायहित में प्रस्तुत पुनरीक्षण याचिका अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है तथा जिला आयोग को आदेशित किया जाता है कि वह वाद संख्या-63/2014 को यथा सम्भव बिना किसी पक्ष को स्थगन प्रदान किये हुए अथवा एक अवसर विशेष परिस्थितियों में स्थगन प्रदान किये जाने का यदि उचित कारण लगे तब स्थगन 1000/-रू0 हर्जाने के साथ आदेश फलक पर विवरण सहित एक
-3-
तिथि पर प्रदान करते हुए अंतिम रूप से 06 माह की अवधि में निस्तारित किया जाना सुनिश्चित करें।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
प्रदीप मिश्रा, आशु0 कोर्ट नं0-1