राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-632/2003
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि0 द्वारा असिस्टेन्ट मैनेजर(टेक्नीकल)
रीजनल आफिस, हजरतगंज, लखनऊ। .........अपीलार्थी@विपक्षी
बनाम्
क्षितिज कंप्यूटर हाउस 128 ए, सिविल लाइन्स जिला सुलतानपुर।
.......प्रत्यर्थी/परिवादी
समक्ष:-
1. मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. मा0 श्री विकास सक्सेना, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री अशोक मेहरोत्रा, विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री वी0पी0 शर्मा, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 05.04.2021
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या 368/96 क्षितिज कम्प्यूटर हाउस बनाम नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लि0 व दो अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दि. 06.01.2003 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गई है। जिला मंच ने परिवाद स्वीकार करते हुए बीमा कंपनी को निर्देशित किया गया है कि परिवादी को अंकन रू. 44060/- 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज सहित अदा किया जाए।
2. परिवाद के तथ्य के संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी द्वारा अपने प्रतिष्ठान में स्थित 4 कंप्यूटर का बीमा कराया, जिसमें मशीनरी ब्रेकडाउन का खतरा भी शामिल था। दि. 09.11.93 को परिवादी की सभी मशीनें जिनमें बीमा सुरक्षा प्राप्त एक कंप्यूटर एकलेसर प्रिन्टर, एक सर्वो वोल्टेज स्टेबलाइजर, एक सी0बी0टी0 एक आइसोलेशन ट्रांसफार्मर तथा एक मानिटर नष्ट हो गया, जिसकी सूचना विपक्षी संख्या 1 को दी गई, परन्तु विपक्षी
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द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। स्वयं परिवादी ने क्षतिग्रस्त उपकरणों की मरम्मत के लिए स्टीमेट बनवाया, जो 44060/- इस राशि के लिए था।
3. बीमा कंपनी का कथन है कि बीमा क्लेम की सूचना प्राप्त होने पर सर्वेयर नियुक्त किया गया था, परन्तु स्वयं परिवादी ने इस सर्वेयर को सहयोग नहीं किया। मशीनों का मुआयना नहीं कराया। सर्वेयर द्वारा लिखे गए पत्रों का कोई जवाब नहीं दिया गया। स्वयं परिवादी द्वारा क्षतिपूर्ति का आकलन नहीं कराया गया। मरम्मत कराने के बाद फाइनेन्स नहीं कराया गया और न ही सूचित किया गया, इसलिए क्षतिपूर्ति का आकलन नहीं हो सका और क्लेम निरस्त कर दिया गया।
4. दोनों पक्षकारों के साक्ष्य पर विचार करने के पश्चात जिला उपभोक्ता मंच द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि स्टीमेट के अनुसार परिवादी को रू. 44060/- की क्षति हुई है। इस क्षतिपूर्ति की राशि ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया गया है, जिसका उल्लेख ऊपर किया गया है।
5. इस निर्णय व आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि जिला उपभोक्ता मंच ने मनमाना तथा त्रुटिपूर्ण निर्णय पारित किया है। बीमा कंपनी के स्तर पर सेवा में कोई कमी नहीं की गई है। मरम्मत के स्टीमेट के आधार पर बीमा राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता। मशीनों की मरम्मत कराने का दायित्व भी स्थापित नहीं है, इसलिए जिला उपभोक्ता मंच ने तथ्यों एवं विधि के विरूद्ध निर्णय पारित किया है, जो अपास्त होने योग्य है।
6. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय व आदेश का अवलोकन किया गया।
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7. पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट होता है कि परिवादी द्वारा केवल स्टीमेट प्राप्त किया गया। स्टीमेट के आधार पर मरम्मत हुई या नहीं, इस बिन्दु पर कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया। इस प्रकार मरम्मत कराने के पश्चात स्टीमेट में वर्णित धनराशि को अदा करने का कोई सबूत प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए यह तथ्य साबित नहीं है कि स्टीमेट के अनुसार परिवादी की मशीनों को जो क्षति पहुंची, उनकी मरम्मत कराई गई है, अत: इस प्रकृति/साक्ष्य के अभाव में स्टीमेट के आधार पर अंकन रू. 44060/- ब्याज सहित अदा करने का आदेश देना विधिसम्मत नहीं है।
8. अब इस बिन्दु पर विचार करना है कि क्या बीमा कंपनी के सर्वेयर द्वारा सम्यक, तत्परता एवं सावधानी के साथ परिवादी की शिकायत के अनुसार क्षति का आकलन करने का प्रयास किया गया। अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता का तर्क है कि सर्वेयर द्वारा परिवादी को अनेक पत्र लिखे गए, परन्तु उनका कोई जवाब नहीं दिया गया। सर्वेयर द्वारा प्रस्तुत किए गए शपथपत्र के अवलोकन से ज्ञात होता है कि सर्वेयर कभी भी मौके पर मशीनों को पहुंची क्षति के लिए नहीं गया। पत्र लिखने मात्र से सर्वेयर के इस दायित्व की पूर्ति नहीं हो जाती कि उसके द्वारा शिकायत के अनुसार निरीक्षण कर लिया गया है या इस आधार पर निरीक्षण करना नहीं टाला जा सकता कि परिवादी को पत्र लिखा गया है और पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया है, यथार्थ में मशीनों को पहुंची क्षति का आकलन मौके पर निरीक्षण करने के पश्चात हो सकता है, इसलिए पत्र लिखने के बजाय स्वयं मौके पर जाकर मशीनों को पहुंची क्षति का निरीक्षण एवं आकलन किया जाना चाहिए था, परन्तु सर्वेयर द्वारा मौके पर जाकर कोई निरीक्षण नहीं किया गया है, अत: सर्वेयर द्वारा अपने दायित्व का पालन नहीं किया गया
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है, परिणामत: बीमा कंपनी द्वारा इस बिन्दु पर सेवा में कमी की गई है कि बीमित उपकरण को पहुंची क्षति का सही आकलन नहीं हो सका, जिसके कारण परिवादी को स्वतंत्र रूप से एक स्टीमेट प्राप्त करने के लिए बाध्य होना पड़ा। यद्यपि स्टीमेट के अनुसार मरम्मत कराने और भुगतान करने का दायित्व स्थापित नहीं है, परन्तु यह दायित्व स्थापित है कि बीमा कंपनी के सर्वेयर द्वारा मौके पर जाकर बीमित उपकरणों को कारित क्षति के आकलन का कोई प्रयास नहीं किया गया, अत: सेवा में इस कमी के कारण परिवादी अंकन रू. 30000/- बतौर क्षतिपूर्ति प्राप्त करने के लिए अधिकृत है। इस राशि पर परिवादी परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज भी प्राप्त करेगा। अत: अपील इस सीमा तक आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
09. प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। जिला उपभोक्ता मंच द्वारा पारित निर्णय इस सीमा तक परिवर्तित किया जाता है कि परिवादी अंकन रू. 44060/- के स्थान पर रू. 30000/- बीमा कंपनी सेवा में कमी के कारण उसे प्रदान करे तथा इस राशि पर परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से अंतिम भुगतान की तिथि तक 9 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से साधारण ब्याज भी भुगतान करे।
उभय पक्ष अपना-अपना अपील-व्यय भार स्वंय वहन करेंगे।
(विकास सक्सेना) (सुशील कुमार) सदस्य सदस्य
राकेश, पी0ए0-2
कोर्ट-2