Uttar Pradesh

StateCommission

A/309/2021

Secreatary Indian Railways - Complainant(s)

Versus

Krishnanand Mishra - Opp.Party(s)

Sandhya Dubey

14 Sep 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/309/2021
( Date of Filing : 28 Jun 2021 )
(Arisen out of Order Dated 18/02/2021 in Case No. C/2015/357 of District Pratapgarh)
 
1. Secreatary Indian Railways
Rail Bhawan New Delhi
...........Appellant(s)
Versus
1. Krishnanand Mishra
S/o Late Sri Dharam Narayan Mishra R/o Bazar Shankarganj Post Pirthiganj Dist. Pratapgarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 14 Sep 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-309/2021

(मौखिक)

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या 357/2015 में पारित आदेश दिनांक 18.02.2021 के विरूद्ध)

1. सचिव, भारतीय रेल, रेल भवन, नई दिल्‍ली।

2. स्‍टेशन अधीक्षक, प्रतापगढ़, उत्‍तर रेलवे, जिला-प्रतापगढ़, उत्‍तर प्रदेश।

........................अपीलार्थीगण/विपक्षीगण

बनाम

कृष्‍णानन्‍द मिश्र, पुत्र स्‍व0 धर्म नारायण मिश्र, निवासी- बाजार-शंकरगंज, पोस्‍ट-पिरथीगंज, निकट पिरथीगंज रेलवे स्‍टेशन, जिला-प्रतापगढ़       

                                      ...................प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-

1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष।

2. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य। 

अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित : सुश्री संध्‍या दुबे,  

                             विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव,

                           विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 14.09.2022

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थीगण सचिव, भारतीय रेल, रेल भवन, नई दिल्‍ली व एक अन्‍य द्वारा इस न्‍यायालय के सम्‍मुख जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रतापगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-357/2015 कृष्‍णानन्‍द मिश्र बनाम सचिव भारतीय रेल, रेल भवन नई दिल्‍ली व एक अन्‍य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 18.02.2021 के विरूद्ध योजित की गयी है।

प्रश्‍नगत निर्णय और आदेश के द्वारा जिला उपभोक्‍ता आयोग ने उपरोक्‍त परिवाद निस्‍तारित करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया:-

''यह परिवाद एकपक्षीय परिवादी के पक्ष में निस्‍तारित किया जाता है। यात्रा कर रहे परिवादी एवं उसकी पत्‍नी वरि0 नागरिक है जिन्‍हें असुविधा हुई है और यह असुविधा विपक्षी  सेवा  प्रदाता  द्वारा  की  गयी

 

 

-2-

उदासीनता के कारण हुई है इसलिए परिवादी विपक्षी से 20,000/-रुपये मानसिक क्षति के रूप में पाने का अधिकारी है साथ ही वाद-व्‍यय के रूप में 2,000/-रुपये भी पाने का अधिकारी है। विपक्षीगण आदेश की प्रति प्राप्‍त होने के दो माह के अंदर उक्‍त धनराशि का भुगतान करें।''

हमारे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता                सुश्री संध्‍या दुबे एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता             श्री सतीश चन्‍द्र श्रीवास्‍तव को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार हैं कि परिवादी अपनी पत्‍नी एवं नाती के साथ दिनांक 25.02.2014 को प्रतापगढ़ रेलवे स्‍टेशन से पुरी जंक्‍शन तक नीलांचल सुपर फास्‍ट एक्‍सप्रेस संख्‍या 12876 कोच संख्‍या 5 बर्थ संख्‍या 57, 58, 59 आरक्षित कराया था तथा परिवादी जब अपनी सीट पर पहुँचा तो उसकी सीट पर कुछ अनाधिकृत एवं दबंग लोग बैठे हुए थे, जिसे खाली करने के लिए अनुरोध करने पर उन लोगों ने परिवादी की पत्‍नी को अपशब्‍द कहा तथा परिवादी व उसकी पत्‍नी के साथ मारपीट भी किया।

परिवादी का कथन है कि उस समय कोच में कोई टीटीई अथवा सुरक्षाकर्मी उपस्थित नहीं था, जिसके कारण अनाधिकृत व्‍यक्ति द्वारा उक्‍त कृत्‍य कारित किया गया, जो सेवा में कमी का द्योतक है। परिवादी द्वारा ट्रेन के बादशाहपुर रेलवे स्‍टेशन पहुँचने पर कोच में टीटीई के आने पर उससे सारी घटना बतायी, जिस पर टीटीई द्वारा परिवादी को कंट्रोलर लखनऊ का मोबाइल नंबर 9794834924 बताया गया तथा परिवादी द्वारा उक्‍त मोबाइल नंबर पर बात की गयी तथा कहा कि उसकी सुरक्षा की कोई व्‍यवस्‍था की जाये, तब उक्‍त अधिकारी द्वारा कहा गया कि वाराणसी में व्‍यवस्‍था कर दी जायेगी तथा इसके बाद टीटीई महोदय ने एक फार्म दिया जिसकी दो कापियां भरकर ट्रेन के वाराणसी पहुँचने पर देने को कहा। परिवादी द्वारा दोनों फार्म भरकर टीटीई को दिया गया।

परिवादी का कथन है कि ट्रेन के वाराणसी पहुँचने पर जीआरपी इंस्‍पेक्‍टर आने पर अनाधिकृत यात्रा कर रहे उक्‍त दबंग  लोग  भाग  गये।

 

 

-3-

परिवादी द्वारा टीटीई को दिये गये फार्म को जीआरपी के इंस्‍पेक्‍टर को दिया तथा एक एफआईआर फार्म भरकर दिया तथा पत्‍नी की आंख में लगी गम्‍भीर चोट के इलाज हेतु प्रार्थना की। मुगलसराय जंक्‍शन पर परिवादी की पत्‍नी की आंख का प्राथमिक उपचार हुआ तथा परिवादी पुरी पहुँचकर दिनांक 28.02.2014 को अपनी पत्‍नी की आंख व शारीरिक चोटों का इलाज कराया।

परिवादी का कथन है कि रेल विभाग की अकर्मण्‍यता के कारण परिवादी को अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा तथा यह कि परिवादी द्वारा दिये गये एफआईआर पर पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। परिवादी द्वारा दिनांक 15.03.2014 को मण्‍डल रेल प्रबन्‍धक उत्‍तर रेलवे लखनऊ को लिखित शिकायत प्रेषित की गयी तथा यह कि दिनांक 04.06.2014 को जीआरपी के सिपाही द्वारा जीआरपी जंघई का पत्र प्राप्‍त हुआ तथा परिवादी द्वारा सम्‍पूर्ण घटना की जानकारी जीआरपी के सिपाही को दी गयी, परन्‍तु परिवादी को अग्रिम कार्यवाही की कोई सूचना नहीं मिली, जिससे क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख परिवाद योजित करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।

जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विपक्षीगण की उपस्थिति हेतु पत्र भेजा गया, परन्‍तु विपक्षीगण जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख उपस्थित नहीं हुए, जिस कारण विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही की गयी।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍यों पर विचार करने के उपरान्‍त विपक्षीगण की सेवा में कमी पायी गयी तथा अपने निर्णय में अंकित किया कि परिवादी एवं परिवादी की पत्‍नी वरिष्‍ठ नागरिक की श्रेणी में हैं। सामान्‍य नागरिक यात्रा की सुरक्षा एवं सुविधा का ध्‍यान रखना रेलवे की जिम्‍मेदारी है तथा आरक्षित टिकट से यात्रा कर रहे वरिष्‍ठ नागरिक के प्रति किये गये अभद्र व्‍यवहार, उनकी सुरक्षा हेतु अधिकारी उपलब्‍ध न कराना इसके विपरीत उसमें व्‍यवधान डालना तथा असामाजिक तत्‍वों को समय पर न रोक पाना इत्‍यादि कृत्‍य किसी भी यात्रा के सम्‍बन्‍ध में  सेवा  प्रदाता  की  प्राथमिक

 

 

-4-

जिम्‍मेदारी है, जिसके प्रति रेलवे द्वारा उदासीनता बरती गयी। तद्नुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा प्रश्‍नगत आदेश दिनांकित 18.02.2021 पारित किया गया।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों पर विचार करते हुए तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध प्रपत्रों एवं जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि विद्वान  जिला  उपभोक्‍ता  आयोग  द्वारा  समस्‍त  तथ्‍यों  का  सम्‍यक

अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्‍त विधि अनुसार निर्णय पारित किया गया, जिसमें हस्‍तक्षेप हेतु उचित आधार नहीं हैं, न ही अपीलार्थीगण की विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा हमारे सम्‍मुख किसी प्रकार के साक्ष्‍य अथवा अपने कथन के समर्थन में कोई ऐसी बात अथवा तथ्‍य बताये जा सके, जिससे जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय में किसी  प्रकार की कोई कमी अथवा त्रुटि दृष्टिगत होती हो, अतएव, प्रस्‍तुत अपील निरस्‍त की जाती है।

अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्‍तुत अपील में जमा धनराशि 11,000/-रू0 अर्जित ब्‍याज सहित जिला उपभोक्‍ता आयोग, प्रतापगढ़ को 01 माह में विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

आशुलिपि‍क से अपेक्षा की जाती है कि‍ वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

 

        (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)               (सुशील कुमार)    

                अध्‍यक्ष                        सदस्‍य

 

जितेन्‍द्र आशु0

कोर्ट नं0-1

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
JUDICIAL MEMBER
 

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