(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
पुनरीक्षण सं0- 133/2018
(जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, महोबा द्वारा परिवाद सं0- 47/2016 में पारित आदेश दि0 22.06.2018 एवं 28.07.2018 के विरूद्ध)
Kotak mahindra bank ltd. Regd. Office-27 B.K.C., C-27, G block, Bandra kurla complex, Bandra (E), Mumbai. Maharashtra-400051, Branch office-3, speed building, Shahnajaf road, Lucknow, U.P.
……..Revisionist
Versus
1. Krishnakant tiwari S/o Sri Matadeen tiwari, R/o Village/Mohalla Pahari garhi, Rath, Thana Rath, District Hamirpur Presently R/o Mohalla Malakpura, Mahoba, Tehsil &District Mahoba, U.P.
2. Manager, Bharti axa general insurance company ltd., 6th floor, Mega mall, Mall road, Kanpur.
……Opposite Parties
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष।
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से उपस्थित : श्री राम गोपाल,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0- 1 की ओर से उपस्थित : श्री सुशील कुमार शर्मा,
विद्वान अधिवक्ता।
विपक्षी सं0- 2 की ओर से उपस्थित : श्री अंचल मिश्रा,
विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक:- 11.09.2019
माननीय न्यायमूर्ति श्री अख्तर हुसैन खान, अध्यक्ष द्वारा उद्घोषित
निर्णय
पुनरीक्षणकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री राम गोपाल उपस्थित आये। विपक्षी सं0- 1 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा उपस्थित आये। विपक्षी सं0- 2 की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अंचल मिश्रा उपस्थित आये। विद्वान अधिवक्ता श्री सुशील कुमार शर्मा ने अपना वकालतनामा आज प्रस्तुत किया।
उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्तागण को सुना गया।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि परिवाद के विपक्षीगण सं0- 2 और 3 मैग्मा फाइनेंस कं0लि0 हैं। परिवाद के विपक्षी सं0- 3 ने अपने समस्त अधिकार पुनरीक्षणकर्ता कोटक महिन्द्रा बैंक लि0 को अंतरित कर दिया है। अत: परिवाद में विपक्षीगण सं0- 2 और 3 के स्थान पर पुनरीक्षणकर्ता कोटक महिन्द्रा बैंक लि0 को पुनर्स्थापित किये जाने हेतु आवेदन पत्र पुनरीक्षणकर्ता ने जिला फोरम के समक्ष दि0 23.12.2017 को प्रस्तुत किया है, परन्तु जिला फोरम ने पुनरीक्षणकर्ता के आवेदन पत्र पर कोई आदेश पारित किये बिना दि0 19.06.2018 को परिवादी द्वारा प्रस्तुत संशोधन प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए विपक्षीगण सं0- 2 और 3 का नाम निर्सित करने का आक्षेपित आदेश पारित किया है जो उचित नहीं है, क्योंकि विपक्षीगण सं0- 2 और 3 के विधिक उत्तराधिकारी वर्तमान में कोटक महिन्द्रा बैंक लि0 हैं और उसे सुने बिना यह आदेश पारित किया गया है।
पुनरीक्षणकर्ता के विद्वान अधिवक्ता का कथन है कि परिवाद में आवश्यक पक्षकार फाइनांसर भी है। अत: उसका नाम डिलीट नहीं किया जा सकता है।
विपक्षीगण सं0- 1 व 2 के विद्वान अधिवक्तागण ने पुनरीक्षण याचिका का विरोध करते हुए कथन किया है कि जिला फोरम द्वारा पारित आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
मैंने उभय पक्ष के तर्क पर विचार किया है।
जिला फोरम के आक्षेपित आदेश से स्पष्ट है कि यह आदेश परिवाद के विपक्षीगण की अनुपस्थिति में पारित किया गया है और पुनरीक्षणकर्ता के अनुसार वह विपक्षीगण सं0- 2 और 3 का एसाइनी है और उनके स्थान पर अपना नाम पुनर्स्थापित किये जाने हेतु आवेदन पत्र जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत किया था। परन्तु पुनरीक्षणकर्ता के प्रार्थना पत्र पर जिला फोरम ने कोई आदेश पारित किये बिना ही विपक्षीगण की अनुपस्थिति में परिवादी द्वारा प्रस्तुत संशोधन प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए विपक्षीगण सं0- 2 और 3 का नाम परिवाद से निर्सित करने का आदेश पारित किया है। ऐसी स्थिति में पुनरीक्षणकर्ता अपना पक्ष जिला फोरम के समक्ष प्रस्तुत करने से वंचित रहा है।
उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए यह उचित प्रतीत होता है कि जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अपास्त करते हुए जिला फोरम को यह निर्देशित किया जाए कि वह पुनरीक्षणकर्ता द्वारा जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण सं0- 2 व 3 के स्थान पर पुनर्स्थापित करने हेतु प्रस्तुत प्रार्थना पत्र पर उभय पक्ष को सुनकर पहले आदेश पारित करे और उसके बाद विधि के अनुसार परिवादी द्वारा प्रस्तुत संशोधन प्रार्थना पत्र पर उभय पक्ष को सुनकर आदेश पारित करे।
उपरोक्त निष्कर्ष के आधार पर पुनरीक्षण याचिका स्वीकार की जाती है और जिला फोरम द्वारा पारित आक्षेपित आदेश अपास्त करते हुए जिला फोरम को निर्देशित किया जाता है कि वह पहले पुनरीक्षणकर्ता द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र दि0 23.12.2017 जो विपक्षीगण सं0- 2 और 3 के स्थान पर पुनर्स्थापन हेतु प्रस्तुत किया गया है पर उभय पक्ष को सुनकर पहले आदेश पारित करे और उसके बाद विधि के अनुसार परिवादी द्वारा प्रस्तुत संशोधन प्रार्थना पत्र पर उभय पक्ष को सुनकर आदेश पारित करे।
उभय पक्ष जिला फोरम के समक्ष दि0 05.11.2019 को उपस्थित हों।
पुनरीक्षण याचिका में उभय पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
(न्यायमूर्ति अख्तर हुसैन खान)
अध्यक्ष
शेर सिंह आशु0,
कोर्ट नं0-1