Rajasthan

Ajmer

CC/319/2011

RAJASTHAN MARBLE - Complainant(s)

Versus

KRISHNA TRANSPORT CO. - Opp.Party(s)

ADV A.S OBEROI

11 Aug 2016

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. CC/319/2011
 
1. RAJASTHAN MARBLE
KISHANGARH
...........Complainant(s)
Versus
1. KRISHNA TRANSPORT CO.
KISHANGARH
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
  Vinay Kumar Goswami PRESIDENT
  Naveen Kumar MEMBER
  Jyoti Dosi MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
Dated : 11 Aug 2016
Final Order / Judgement

जिला    मंच,      उपभोक्ता     संरक्षण,         अजमेर

1. मैसर्स  राजस्थान मार्बल्स जरिए प्रोपराईटर श्री टी.पी.जोषी, कालाढुंगी रोड, हल्द्वानी  जरिए पाॅवर आफ अटार्नी धारक व लेटर आफॅ सेबरोगेषन धारक मैसर्स यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड जरिए उप प्रबन्धक श्रीमति गीता राय । 

2. मैसर्स यूनाईटेड इण्डिया इन्ष्योरेंस कम्पनी लिमिटेड,क्षेत्रीय कार्यालय, टोंक रोड, जयपुर व मण्डलीय कार्यालय लोहागल रोड़, अजमेर   जरिए उप प्रबन्धक श्रीमति गीता राय । 


                                                -         प्रार्थीगण

                            बनाम

मैसर्स कृष्णा ट्रान्सपोर्ट कम्पनी , अजमेर रोड़, मकराना चैराहा के पास, इण्डस्ट्रीयल  एरिया, मदनगंज-किषनगढ़ जरिए प्रोपराईटर 

                                                -       अप्रार्थी 
                 परिवाद संख्या 319/2011  

                            समक्ष
1. विनय कुमार गोस्वामी       अध्यक्ष
                 2. श्रीमती ज्योति डोसी       सदस्या
3. नवीन कुमार               सदस्य

                           उपस्थिति
                  1.श्री ए.एस.ओबराय, अधिवक्ता, प्रार्थीगण
                  2.श्री  अनिल ऐरन, अधिवक्ता अप्रार्थी 

                              
मंच द्वारा           :ः- निर्णय:ः-      दिनांकः-23.08.2016
 
1.       प्रार्थीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद के तथ्य संक्षेप में इस प्रकार  हंै कि प्रार्थी संख्या 1 मार्बल का व्यवसाय करता है । प्रार्थी संख्या 1 ने  मैसर्स ब्रह्मा मार्बल्स एण्ड ग्रेनाईट्स प्रा.लि., हरमाडा रोड, किषनगढ से जरिए बिल संख्या 37 दिनंाक 15.8.2007 के द्वारा क्रय  किया और क्रय किए गए माल का बीमा प्रार्थीसंख्या 2 से  मेरिन ओपन पाॅलिसी संख्या 141282/21/06/02/000002 के तहत करवाया ।   तत्पष्चात्  प्रार्थी संख्या 1 ने  अप्रार्थी के माध्यम से  उक्त क्रय किए गए  मार्बल स्लेब्स  को उनके यहां अर्थात  मैसर्स राजस्थान मार्बल्स, कालाढुंगी रोड, हल्द्वानी को पहुंचाने के लिए जरिए बिल्टी संख्या 296 दिनांक 15.8.2007  के बुक किया गया ।   किन्तु अप्रार्थी ने  बुक किए गए माल को गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुंचाया  बल्कि माल दिनंाक 16.8.2007 को रास्ते में  उसके सेवकों की लापरवाही के कारण टूट/क्षतिग्रस्त हो गया ।  चूंकि उक्त माल का बीमा प्रार्थी संख्या 2  से करवाया गया था इसलिए उसने  माल की क्षतिपूर्ति हेतु क्लेम प्रार्थी संख्या 2 के समक्ष पेष किया । तत्पष्चात् प्रार्थी संख्या 2 ने  सर्वेयर नियुक्त कर जांच करवाते हुए  क्लेम राषि रू. 72550/- का भुगतान जरिए चैक  संख्या 55656 के  प्रार्थी संख्या 1  को दिनंाक 29.4.2008 को कर दिया ।  चूंकि माल का बीमा मरीन इन्ष्योेरेंस एक्ट के तहत  मरीन बीमा एक क्षतिपूर्ति संविदा अनुबन्ध के तहत  माल से संबंधित समस्त कागजात  क्षतिपूर्ति की राषि तक सबरोगेषन के आधार पर प्रार्थी संख्या 2 में निहित हो गए थे ।  अतः प्रार्थी संख्या 1 ने माल के नुकसान की क्षतिपूर्ति हेतु  जरिए पत्र  दिनंाक 26.2.2008 के  अप्रार्थी को निवेदन किया । किन्तु  अप्रार्थी ने क्षतिपूर्ति की रााषि अदा नहीं कर सेवा में कमी कारित की है । प्रार्थीगण ने परिवाद प्रस्तुत कर उसमें वर्णित अनुतोष दिलाए जाने की प्रार्थना की है ।   
2.       अप्रार्थी  ने जवाब प्रस्तुत कर  स्वीकार किया है कि  अप्रार्थी द्वारा माल का परिवहन  किषनगढ से हल्द्वानी तक के लिए  ट्रक संख्या आर.जे.14-2 जी. 3114 के जरिए पहुंचाने हेतु प्राप्त किया गया था ।  जिसके तहत  बिल्टी संख्या 296 दिनंाक  15.8.2007  जारी की गई थी ।  तथाकथित दुर्घटना मात्र संयोग है जिसमें अप्रार्थी अथवा ट्रक चालक की कोई लापरवाही व गलती नहीं है ।  प्रार्थी संख्या 1 द्वारा बीमा पाॅलिसी इसलिए प्राप्त की गई थी कि लदान किए गए बीमित माल की आकस्मित या दैवीय दुर्घटना घटित होने पर क्षति होने पर उसका भुगतान बीमा कम्पनी करें  और इसके लिए बीमा कम्पनी द्वारा अपने ग्राहकों से बीमा प्रीमियम लिया जाता है ।  बीमा कम्पनी किस हैसियत से  अप्रार्थी के विरूद्व यह परिवाद प्रस्तुत कर रही है सक्षम साक्ष्य से उसे सिद्व करना चाहिए ।  प्रार्थी व अप्रार्थी के  मध्य किसी प्रकार की कोई संविदा नहीं हुई है  । अतः इस कारण से प्रार्थी को कभी भी कोई वादकारण अप्रार्थी के विरूद्व उत्पन्न नहीं हुआ है । परिवाद खारिज किए जाने की प्रार्थना की है ।  जवाब के समर्थन में  महेष चन्द्र गोयल, प्रोपराईटर ने अपना ष्षपथपत्र पेष किया ।   
3.       प्रार्थी पक्ष का  तर्क रहा है कि प्रार्थी संख्या 1 ने प्रार्थी संख्या 2 के पक्ष में सबरोगषन  तथा पाॅवर आफ अटार्नी निष्पादित कर दिए जाने के बाद अप्रार्थी के माध्यम से  माल बुक करवाया था । यह माल प्रार्थी संख्या 2 के मार्फत बीमित था । अप्रार्थी द्वारा माल को गन्तव्य स्थान पर सुरक्षित  नहीं पहुंचाया व नुकसान होने के फलस्वरूप प्रार्थी संख्या 1 ने   प्रार्थी संख्या 2 से ली गई पालिसी के तहत माल की राषि व दावे की राषि हेतु   प्रार्थी संख्या 2 के यहां दावा प्रस्तुत किया व  प्रार्थी संख्या 2 ने आवष्यक औपचारिकताओं के बाद बीमा पाॅलिसी की ष्षर्तो  के  अनुसार अप्रार्थी संख्या 1 को  भुगतान कर दिया । चूंकि मरीन इन्ष्योरेंस एक्ट के तहत मरीन बीमा  एक क्षतिपूर्ति अनुबन्ध है । इस कारण प्रार्थी संख्या 1 के माल से संबंधित समस्त कागजात  को देखते हुए क्षतिपूर्ति की राषि  तथा सेबरोगेषन के आधार पर प्रार्थी संख्या 2   में निहित हो गए है व प्रार्थी संख्या 2 प्रार्थी संख्या 1 को अदा की गई राषि अप्रार्थी से वसूल करने का अधिकारी है । विनिष्चय प्;2010द्धब्च्श्रण्4;ैब्द्ध म्बवदवउपब ज्तंदेचवतज व्तहंदप्रंजपवद टे ब्ींतंद ैचपददपदह डपससे ;च्द्धस्जक ंदक ।दतण् पर अवलम्ब लिया । 
4.    अप्रार्थी की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि बीमा कम्पनी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं है । क्योंकि वह अप्रार्थी का उपभोक्ता नहीं है । लेटर आफ सबरोगेषन एक प्रकार का एसाईनमेंट है इसलिए बीमा कम्पनी को परिवाद प्रस्तुत करने का कोई अधिकार नहीं है । बीमा कम्पनी व बीमित के बीच किसी प्रकार का कोई प्रिविटी आफ कान्ट्रेंक्ट नहीं होने के कारण कोई उपभोक्ता विवाद नहीं है एवं परिवाद खारिज होने योग्य है । कम्पनी के पक्ष में पावर आफ अटार्नी जारी नहीं की जा सकती । विधिक प्रावधानों के प्रकाष में परिवाद चलने योग्य नहीं है । परिवाद खारिज किया जाना चाहिए । 5.    हमने परस्पर तर्क सुने हैं एवं पत्रावली में उपलब्ध अभिलेखों  के साथ साथ प्रस्तुत विनिष्चियों में प्रतिपादित न्यायिक दृष्टान्तों का भी आदरपूर्वक अवलोकन कर लिया है । 
6.    परिवाद का तत्थ्यात्मक विवेचन आवष्यक नहीं है अपितु विचारणीय बिन्दु  मात्र यह है कि  क्या बीमा कम्पनी उपभोक्ता की श्रेणी में आती है ? व सेबरोगेषन के आधार पर वह वांछित अनुतोष प्राप्त करने की हकदार है ?
7.    जो विनिष्चय प्;2010द्धब्च्श्रण्4;ैब्द्ध म्बवदवउपब ज्तंदेचवतज व्तहंदप्रंजपवद टे ब्ींतंद ैचपददपदह डपससे ;च्द्धस्जक ंदक ।दतण् प्राथी पक्ष की ओर से प्रस्तुत हुआ है, में लेटर आफ सबरोगेषन के आधार पर इन्ष्योंरर द्वारा  प्रस्तुत परिवाद को पोषणीय माना गया है व सबरोगेषन को उचित पाया है । अतः प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत विनिष्चय के प्रकाष में जो राषि नुकसान की भरपाई के रूप में प्रार्थी संख्या 2 द्वारा प्रार्थी संख्या 1 को पूर्व में अदा की गई है, को  प्रार्थी संख्या 2 अप्रार्थी से वसूल करने की हकदार है । जहां तक पावर आफ अटार्नी  बाबत् विवाद का प्रष्न है, यह बिन्दु उपरोक्त विवेचन में भी उठाया गया था तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए लेटर आफ सेबरोगेषन के आधार पर इन्ष्योरर द्वारा दायर किए गए परिवाद को पोषणीय माना है । 
8.    सार यह है कि परिवाद स्वीकार किए जाने योग्य है  एवं प्रार्थी संख्या 2  अप्रार्थी से पूर्व में  उसके द्वारा अप्रार्थी संख्या 1 को अदा की गई राषि वसूल करने का अधिकारी है ।  अतः परिवाद स्वीकार किया जाकर आदेष है कि
                             :ः- आदेष:ः-
9.    (1)    प्रार्थी संख्या 2 अप्रार्थी से  प्रार्थी संख्या 1 को अदा की गई राषि रू. 72550/-  मय 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज दर सहित परिवाद प्रस्तुत करने की दिनांक से तदायगी प्राप्त करने का अधिकारी होगा । 
                 (2)       प्रार्थी  संख्या 2 अप्रार्थी से  परिवाद प्रस्तुत करने की तिथि से आज निर्णय तक की अवधि को देखते हुए  परिवाद व्यय के पेटे रू. 5000/- भी प्राप्त करने का  अधिकारी होगा । 
            (3)    क्रम संख्या 1  लगायत 2  में वर्णित राषि अप्रार्थी प्रार्थी संख्या 2 को इस आदेष से दो माह की अवधि में अदा करें   अथवा आदेषित राषि डिमाण्ड ड््राफट से प्रार्थी के पते पर रजिस्टर्ड डाक से भिजवावे ।  
          आदेष दिनांक 23.08.2016  को  लिखाया जाकर सुनाया गया ।

                
(नवीन कुमार )        (श्रीमती ज्योति डोसी)      (विनय कुमार गोस्वामी )
      सदस्य                   सदस्या                      अध्यक्ष    

 

 

 

 
 
[ Vinay Kumar Goswami]
PRESIDENT
 
[ Naveen Kumar]
MEMBER
 
[ Jyoti Dosi]
MEMBER

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