जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक 212014 प्रस्तुति दिनांक-24.03.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
रवि प्रकाष कटरे, आत्मज श्री घनाराम
कटरे, उम्र लगभग 30 वर्श, षिक्षित
बेरोजगार, निवासी-ग्राम-मोहगांव, पोस्ट
गोडेगांव, तहसील-बरघाट, जिला सिवनी
(म0प्र0)।.....................................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
कृश्णा मोटर्स प्रायवेट लिमिटेड,
द्वारा-प्रोपरार्इटरसंचालक, कृश्णा
मोटर्स प्रायवेट लिमिटेड, ग्राम-सर्रा,
नागपुर रोड, छिन्दवाड़ा, जिला सिवनी
(म0प्र0)।.....................................................................अनावेदकविपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक-03.07.2014ेको पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक से क्रय किये गये वाहन, टाटा कम्पनी के इणिडका विस्टा माडल के भुगतान में वाहन के बीमा और आर0टी0ओ0 पंजीयन का षुल्क भी प्राप्त कर लेना कहते हुये, आर0टी0ओ0, आर0सी0 बुक प्रदान न किये जाने को अनुचित प्रथा व सेवा में कमी बताते हुये, हर्जाना दिलाने व वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र दिलवाये जाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह अविवादित है कि-परिवादी ने, अनावेदक से टाटा कम्पनी का इणिडका विस्टा माडल वाहन, महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा सर्विस कम्पनी लिमिटेड से फायनेंस के जरिये क्रय किया था। और यह भी विवादित नहीं कि-उक्त खरीदी में एक वर्श से अधिक समय हो जाने के बावजूद, अनावेदक द्वारा, परिवादी को वाहन का आर0टी0ओ0, रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र सौपा नहीं गया।
(3) संक्षेप में परिवाद का सार यह है कि-अनावेदक के सिवनी कार्यालय द्वारा, परिवादी को उक्त फायनेंस के जरिये खरीदे गये वाहन दिनांक-15.02.2013 को प्रदान किया गया और अनावेदक के द्वारा, वाहन का कुल मूल्य 4,17,346-रूपये बताया गया और अनावेदक ने वाहन का आर0 टी0ओ0 से पंजीयन व बीमा आदि कराने की सुविधा बताकर, उक्त कार्य हेतु पृथक से राषि मूल्य में जोड़कर एक मुष्त 5,43,000-रूपये प्राप्त किये गये और अनावेदक ने विक्रय दिनांक से दो माह के अंदर वाहन का बीमा व रजिस्ट्रेषन कराकर देने का आष्वासन दिया था, लेकिन एक वर्श से भी अधिक समय हो जाने पर भी आर0टी0ओ0 कार्यालय का पंजीयन प्रमाण-पत्र परिवादी को नहीं दिया गया और बीमा प्रमाण-पत्र की मात्र छायाप्रति दी गर्इ, जो कि-परिवादी लगभग एक वर्श से लगातार अनावेदक के अधिकृत व हितबद्ध सिवनी कार्यालय में संपर्क करता रहा, तो मात्र 8-10 दिन का आष्वासन देकर, गुमराह किया जाता रहा, इस संबंध में स्वयं परिवादी माह नवम्बर-2013 में व्यकितगत रूप से अनावेदक से मिलकर निवेदन किया, तो दिसम्बर माह तक वाहन का आर0टी0ओ0 रजिस्ट्रेषन देने का आष्वासन दिया जाता रहा, लेकिन अनावेदक ने वाहन का रजिस्ट्रेषन परिवादी को प्रदान न कर, वाहन की राषि परिवादी पर बकाया होने का सूचना-पत्र दिया, जबकि-पंजीयन हेतु अनावेदक ने पृथक से राषि पूर्व में ही प्राप्त कर ली थी और ऐसी किसी भी राषि का संबंध परिवादी के वाहन से नहीं है, इसलिए किसी अन्य राषि या पष्चातवर्ती भुगतान को अनावेदक अपना दोश छिपाने की दृशिट से दुर्भावनापूर्वक आधार बना रहा है, जो सेवा षर्तों का उल्लघंन व व्यवसायिक दुराचार है और अनुचित व्यापार प्रथा के तहत अपराध है। अत: परिवादी को अनावेदक से उक्त आर0टी0ओ0 पंजीयन प्रमाण-पत्र दिलवाये जाने व हर्जाना दिलाने का अनुतोश चाहा गया है।
(4) अनावेदक-पक्ष की ओर से जवाब में परिवाद के सभी कथनों को अस्वीकार करते हुये, यह अतिरिक्त कथन किया गया है कि-अनावेदक के द्वारा, परिवादी के वाहन का पंजीयन करा लिया गया है, लेकिन परिवादी ने अनावेदक को वाहन के रजिस्ट्रेषन व इंष्योरेंस की राषि 56,004-रूपये का भुगतान नहीं किया है, यदि परिवादी उक्त राषि का भुगतान कर देता है, तो अनावेदक उक्त वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र परिवादी को प्रदान करने के लिए तैयार है। और परिवाद सव्यय निरस्त योग्य है।
(5) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या अनावेदक ने, परिवादी के वाहन का
रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र परिवादी को प्रदान
न कर, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी किया
है व अनुचित व्यापार प्रथा को अपनाया है?
(ब) क्या परिवादी, अनावेदक से उक्त बाबद हर्जाना
और वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र पाने का
पात्र है?
(स) सहायता एवं व्यय?े
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) अनावेदक के द्वारा, परिवादी को जरिये अधिवक्ता भेजे गये रजिस्टर्ड-डाक से नोटिस की प्रति प्रदर्ष सी-5 और डाक लिफाफा की प्रति प्रदर्ष सी-6 से यह स्पश्ट है कि-अनावेदक के द्वारा, दिनांक-27.12.2013 का उक्त प्रदर्ष सी-5 का नोटिस परिवादी को भेजकर यह मांग की गर्इ थी कि- उक्त वाहन क्रय किये जाने के पष्चात वाहन की बकाया राषि का भुगतान परिवादी द्वारा, अनावेदक को किया जाना है और षेश राषि का भुगतान षीघ्र करने का भी आष्वासन देकर भुगतान नहीं किया गया और बकाया राषि जमा नहीं करने के कारण, वाहन का पंजीयन नहीं हो पा रहा है और वाहन का पंजीयन न होने से वाहन की दुर्घटना होने पर, अनावेदक की कोर्इ जवाबदारी नहीं रहेगी, परिवादी स्वयं जवाबदार होगा, इसलिए नोटिस प्रापित से 7 दिन के अंदर वाहन की बकाया राषि अनावेदक के कार्यालय में जमा कर, रसीद प्राप्त कर लें और संबंधित संपूर्ण दस्तावेजी कार्यवाही पूर्ण करें, अन्यथा कानूनी कार्यवाही की जावेगी।
(7) तो उक्त नोटिस की अन्तर्वस्तु से यह दर्षित हो रहा है कि-वाहन के मूल्य की बकाया राषि होना कहकर नोटिस में मांग की गर्इ थी, लेकिन कुल कितनी राषि देय है, ऐसा कोर्इ उल्लेख उक्त नोटिस में नहीं। जबकि- अनावेदक द्वारा पेष परिवाद के जवाब से यह दर्षित हो रहा है कि-वाहन के मूल्य की संपूर्ण राषि प्राप्त हो जाने बाबद कोर्इ विवाद नहीं किया गया है, बलिक वाहन के बीमा और आर0टी0ओ0 से रजिस्ट्रेषन कराने की राषि का भुगतान न होना कहकर उक्त बाबद, कुल 56,004-रूपये परिवादी पर षेश होना कहा जा रहा है।
(8) इस संबंध में अनावेदक द्वारा जारी फायनेंस बिल की प्रति प्रदर्ष सी-1 को देखें, तो वाहन का कुल मूल्य 4,17,346.90-रूपये उस-पर टोटल टेक्स 54,255.10-रूपये सहित, कुल योग-4,41,602-रूपये दर्षाया गया है और उसमें बीमा की राषि 16,712-रूपये और वेट टेक्स 50,356-रूपये सहित, आर (4) की राषि व चार्ज सहित, कुल राषि 5,43,000-रूपये होना दर्षार्इ गर्इ है, जो कि-उक्त कुल राषि 5, 43,000-रूपये फायनेंस कम्पनी से अनावेदक द्वारा प्राप्त कर लिया जाना प्रदर्ष सी-4 के डिलेवरी मैमो से दर्षित है। और उक्त फायनेंस की राषि प्राप्त होने के पूर्व दिनांक-16.02.2013 को फायनेंस कम्पनी द्वारा, परिवादी से 1,27,140-रूपये (मार्जिन मनी) जमा करा लिया जाना प्रदर्ष सी-3 की रसीद की प्रति से स्पश्ट हैै। जबकि-बीमा पालिसी प्रमाण-पत्र व षेडयूल की फोटोप्रति प्रदर्ष सी-2 में पालिसी प्रीमियम की कुल राषि 16,692-रूपये दर्षार्इ गर्इ, लेकिन वाहन के कुल टेक्स सहित मूल्य 4,41,602-रूपये की गणना को कोर्इ चुनौती अनावेदक के जवाब में दी नहीं गर्इ। और प्रदर्ष सी- 1 के फायनेंस बिल से ही यह स्पश्ट उल्लेख है कि-बीमा की राषि के रूप में 16,712-रूपये तो अलग से प्राप्त किया गया था और 50,356-रूपये वेट टेक्स सहित जो 84,686-रूपये आर.4 की राषि व आर (4) की चार्ज के रूप में जोड़ा गया, तो स्पश्ट है कि-उसमें वेट टेक्स के अलावा, 34,330- रूपये की जो राषि जोड़ी गर्इ, वह परिवादी-पक्ष के अनुसार वाहन के पंजीयन षुल्क की राषि रही है और वह कोर्इ अन्य राषि है, ऐसा अनावेदक-पक्ष दर्षा नहीं सका है, तो परिवादी-पक्ष के अखणिडत षपथ-कथन और प्रदर्ष सी-1 के दस्तावेज के आधार पर, यह स्पश्ट प्रतीत होता है कि-वाहन के बीमा और आर0टी0ओ0 पंजीयन के षुल्क की राषि समिमलित कर, परिवादी के फायनेंस के जरिये 5,43,000-रूपये की राषि अनावेदक ने प्राप्त किया और अन्यथा भी अनावेदक के जवाब से स्पश्ट है कि-उसने परिवादी के नाम से वाहन के रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र आर0टी0ओ0 कार्यालय में पंजीयन प्राप्त कर लिया है, जो अनावेदक, परिवादी को नहीं दे रहा है, आर0टी0ओ0 पंजीयन, अनावेदक ने परिवादी के वाहन का कब कराया, ऐसा कोर्इ विवरण अनावेदक के जवाब में नहीं, न ही पंजीयन की कोर्इ प्रति पेष की गर्इ, न ही रजिस्ट्रेषन का कोर्इ नंबर, विवरण आदि बताया गया। जबकि-दिनांक-27.12.2013 के प्रदर्ष सी-5 के अनावेदक द्वारा जरिये अधिवक्ता परिवादी को भेजे नोटिस को अनावेदक द्वारा तब-तक वाहन का रजिस्ट्रेषन न कराया जाना बताया गया और यदि वाहन का आर0टी0ओ0 रजिस्ट्रेषन कराने बाबद परिवादी से चार्ज अनावेदक ने प्राप्त न किये होते, तो कोर्इ कारण नहीं है कि-अनावेदक द्वारा, परिवादी के वाहन का रजिस्ट्रेषन कराया जाता।
(9) तो ऐसे में स्पश्ट है कि-अनावेदक ने, परिवादी-पक्ष से वाहन के बीमा और आर0टी0ओ0 कार्यालय से पंजीयन कराने बाबद षुल्क व चार्ज की राषि प्राप्त की थी और आर0टी0ओ0 का पंजीयन प्रमाण-पत्र हेतु कार्यवाही न कर, उक्त बाबद हुये अनुचित विलम्ब को छिपाने के लिए परिवादी को प्रदर्ष सी-5 का जरिये अधिवक्ता नोटिस, पुन: पंजीयन षुल्क प्राप्त करने की दुर्भावना से प्रेशित किया। और यह परिवाद पेष हो जाने के बाद भी अनावेदक के जवाब में परिवादी के वाहन के आर0टी0ओ0 पंजीयन का दिनांक पंजीयन क्रमांक व विवरण उल्लेख न कर, पंजीयन प्रमाण-पत्र व उसकी कोर्इ फोटोप्रति पेष न कर, पंजीयन के विवरण को छिपाया है, तो यह भी परिवादी के प्रति अपनार्इ गर्इ अनुचित प्रथा व उसके प्रति की गर्इ सेवा में कमी है। इस तरह अनावेदक के द्वारा, परिवादी के प्रति-अनुचित व्यापार प्रथा को अपनाया गया और सेवा में कमी की गर्इ है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(10) नये वाहन के विक्रेताडीलर के द्वारा, परिवादी-पक्ष से वाहन का रजिस्ट्रेषन षुल्क व बीमा प्रीमियम की राषि मूल्य के साथ प्राप्त कर लेने के बावजूद, एक वर्श से अधिक अवधि तक वाहन के रजिस्ट्रेषन कराने बाबद आर0टी0ओ0 कार्यालय में की गर्इ कार्यवाही व षुल्क अदायगी का विवरण या प्राप्त रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र परिवादी को न देकर, अनावेदक-पक्ष के द्वारा जो अनुचित प्रथा को अपनाया गया, तो यह निषिचत ही घोर सेवा में कमी है और परिवाद पेष होने के बावजूद, अनावेदक के द्वारा, परिवादी के वाहन का रजिस्ट्रेषन करा लेना जवाब में कहते हुये भी रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र का कोर्इ विवरण या उसकी प्रति पेष न कर, वाहन के विक्रय के एक वर्श पष्चात भी रजिस्ट्रेषन की जानकारी छिपाकर रखने और यह मामला पेष होने के बावजूद भी इस पीठ के समक्ष जानकारी पेष न करना, अनावेदक का गंभीर दुराचरण है, परिवादी के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है। स्पश्ट है कि-खरीदी के बाद भी एक वर्श तक नये वाहन का उपयोग न कर पाने से वाहन के इंजिन व कलपुर्जे जाम होकर खराब हो जाने और वाहन के मूल्य में बिना उपयोग किये हा्रास हो जाने के सभी परिणाम उत्पन्न करने का ज्ञान व नीयत अनावेदक की रही है। तो ऐसे में अनावेदक, परिवादी को उक्त सब कारणों से 25,000-रूपये हर्जाना अदा करने के लिए दायित्वाधीन होना पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(11) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ और 'ब के निश्कर्शों के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक ने जो परिवादी के रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र
को अपने पास रोककर रखा है, वह आदेष के 30
दिवस के अंदर परिवादी को प्रदान करे।
(ब) अनावेदक, परिवादी को 25,000-रूपये (पच्चीस
हजार रूपये) हर्जाना आदेष दिनांक से दो माह की
अवधि के अंदर अदा करे।
(स) अनावेदक स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और
परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये
(दो हजार रूपये) अदा करे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)