राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
मौखिक
अपील संख्या-488/2003
(जिला फोरम, शाहजहॉंपुर द्वारा परिवाद संख्या-164/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-01-2003 के विरूद्ध)
Branch Manager Bank of Baroda Branch Nahil, Tehsil Puweyan District Shahjahanpur.
अपीलार्थी / विपक्षी
बनाम
Krishna Kumar Trivedi, Son of Jagdish, resident of Village Nahil, Puweyan District-Shahjahanpur.
प्रत्यर्थी / परिवादी
समक्ष :-
1- मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2- मा0 श्रीमती बाल कुमारी, सदस्य।
1- अपीलार्थी की ओर से उपस्थित – श्री हरी प्रसाद श्रीवास्तव।
2- प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित - कोई नहीं।
दिनांक : 04-11-2015
मा0 श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य द्वारा उदघोषित निर्णय :
अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील विद्धान जिला फोरम, शाहजहॉंपुर द्वारा परिवाद संख्या-164/1999 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 16-01-2003 के विरूद्ध प्रस्तुत की गयी है। जिसमें जिला मंच द्वारा परिवादी का परिवाद स्वीकार किया गया और विपक्षी को आदेशित किया गया कि वह आदेश से एक माह के अंदर चेक की धनराशि अंकन 6213/-रू0 परिवाद को मय ब्याज तथा वाद व्यय व मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु अंकन 1,000/-रू0 परिवादी को अदा करें। इसमें चूक होने पर इस धनराशि पर परिवादी 9 प्रतिशत ब्याज आदेश की तिथि से पाने का अधिकारी होगा।'' इसी आदेश से क्षुब्ध होकर अपीलार्थी ने प्रस्तुत अपील योजित की है।
संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि परिवादी का एक बचत खाता सं0-313 बैंक आफ बड़ौदा शाखा नाहिल में है। परिवादी ने अपने बचत खाता में एक चेक सं0-923545 कैश बाउचर नं0-2723 धनराशि 6213/-रू0 एकाउन्टपेयी जो कि भारतीय स्टेट बैक शाखा टाउनहाल से आहरित होना था को संग्रहित हाने के लिए जमा किया। दिनांक 13-02-1999 को विपक्षी ने चेक जमा करने के उपरान्त संग्रहीत करने हेतु अपने मुख्य कार्यालय बैंक आफ बड़ौदा शाखा गोविन्दगंज, शाहजहॉपुर भेजा। परिवादी ने अपने धन के आहरण की जानकारी चाही जो कि विपक्षी द्वारा नहीं दी गयी। परिवादीने दिनांक 21-04-1999 को एक पंजीकृत पत्र भेजा किन्तु कोई जवाब नहीं दिया गया । परिवादी ने एक पत्र जोनल मैनेजर बैंक आफ बड़ौदा मेरठ को दिनांक 06-05-1999 को भेजा वहॉं से भी कोई उत्तर नहीं मिला । परिवादी बैंक का उपभोक्ता है और विपक्षी की जिम्मेदारी है कि वह उपभोक्ता को सही जानकारी दे परन्तु ऐसा न करके उनके द्वारा सेवा में कमी की गयी इसलिए यह परिवाद योजित किया गया है।
प्रतिपक्षी द्वारा उत्तर पत्र दाखिल किया गया। जिसमें परिवादी की मद संख्या-1 व 2 स्वीकार की गयी तथा शेष अस्वीकार की गयी। परिवादी द्वारा चेक जमा किया जाना स्वीकार किया गया। विपक्षी ने योगेश कोरियर द्वज्ञरा गोविन्दगंज शाखा में पी0ओ0डी0 के माध्यम से 06-03-1999 को प्रापत कराया जिसे बैंक आफ बड़ौदा शाखा गोविन्दगंज से भुगतान प्रापत करने हेतु स्टेट बैंक शाखा को भेजा जाना था जो ट्रांजिस्ट के दौरान खो गया। इस संबंध में आपत्तिकर्ता द्वारा बैंक आफ बड़ौदा को दो अनुस्मारक प्रेषित किये गये परन्तु स्टेट बैंक की शाखा से यह धनराशि प्राप्त नहीं हुई।
पीठ के समक्ष अपीलार्थी की ओर से विद्धान अधिवक्ता श्री हरी प्रसाद श्रीवास्तव उपस्थित आए। प्रत्यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं।
हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्ता के तर्क सुने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य एवं जिला मंच द्वारा पारित निर्णय का अवलोकन किया।
अपील के दौरान अपीलकर्ता के द्वारा जो धनराशि जिला मंच में 7000/-रू0 एफ0डी0आर0 के रूप में जमा है उसको वापस लेने के बारे में प्रार्थना पत्र दिया गया है उसी के साथ संलग्नक लगाया गया है जिससे स्पष्ट है कि आयकर अधिकारी, शाहजहॉपुर के द्वारा कृष्ण कमार त्रिवेदी परिवादिनी को पत्र लिखा गया है जिसमें यह कहा गया है कि कृष्ण कुमार त्रिवेदी को रिफण्ड बाउचर दिनांक जारी किया गया है और एक पत्र शाखा प्रबन्धक को कृष्ण कुमार द्वारा लिखा गया दिया है जिसमें यह कहा गया कि उसको एक कैश मिला था जो बैंक में दिनांक 18-02-1999 को जमा किया गया था जो की शाखा से कहीं खो गया था और उसकी वसूली न मिलने पर उसने जिला फोरममें केस किया था। तदोपरान्त उसी के पक्ष में निर्णय हुआ और उसके बाद बैंक द्वारा डुप्लीकेट चेक बनाने हेतु कहा गया और डुप्लीकेट चेक उसको 6213/-रू0 का भुगतान मिल चुका है और अब प्रार्थी चाहता है कि उसे बैंक से कोई शिकायत नहीं है और अपना केस वापस ले रहे हैं। प्रार्थी के उपरोक्त प्रार्थना पत्र तथा दोबारा जो रिफण्ड बाउचर दिनांक19-11-2013 को आयकर अधिकारी प्रथम, शाहजहॉपुर द्वारा जारी किया गया है उसे देखते हुए हम यह पाते है कि अब प्रत्यर्थी को कोई रकम प्राप्त नहीं करना है तद्नुसार अपीलकर्ता की अपील स्वीकार किये जाने योग्य है।
आदेश
अपीलकर्ता की अपील स्वीकार की जाती है। चूंकि प्रत्यर्थी को दोबारा रकम आयकर विभाग से मिल चुकी है इसी क्रम में जिला मंच का आदेश निरस्त किया जाता है। उभयपक्ष अपना-अपना अपीलीय व्यय स्वंय वहन करेंगे।
( राम चरन चौधरी ) ( बाल कुमारी )
पीठासीन सदस्य सदस्य
कोर्ट नं0-5 प्रदीप मिश्रा