Uttar Pradesh

StateCommission

A/2003/3030

M. Allahabad Bank - Complainant(s)

Versus

Krishna Chandra Pandey - Opp.Party(s)

Vinay Shanker

01 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2003/3030
( Date of Filing : 11 Nov 2003 )
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. M. Allahabad Bank
Gonda
...........Appellant(s)
Versus
1. Krishna Chandra Pandey
Gonda
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 01 Nov 2022
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-3030/2003

मैनेजर, इलाहाबाद बैंक, मेन ब्रांच गोण्‍डा, जिला गोण्‍डा।

                             अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्  

कृष्‍ण चन्‍द्र पाण्‍डेय पुत्र श्री राम लोटन पाण्‍डेय, प्रोपराइटर मैसर्स शेखर लघु उद्योग खिरोरा मोहन, गोण्‍डा, निवासी मकान नं0-73, मोहल्‍ला मानसपुरी, परगना व तहसील व जिला बलरामपुर।

                      प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष:-                                                              

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित         : श्री विनय शंकर।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित                : कोई नहीं।

दिनांक:  01.11.2022 

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

निर्णय

1.                    परिवाद संख्‍या-45/2000, कृष्‍ण चन्‍द्र पाण्‍डेय बनाम इलाहाबाद बैंक में विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग, गोण्‍डा द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.06.2003 के विरूद्ध यह अपील देरी से अर्थात दिनांक 11.11.2003 को प्रस्‍तुत की गई है। इस देरी को क्षमा किए जाने हेतु अपीलार्थी द्वारा आवेदन मय शपथ पत्र प्रस्‍तुत किया गया है। इस आवेदन में अपील देरी से प्रस्‍तुत करने का पर्याप्‍त स्‍पष्‍टीकरण प्रस्‍तुत किया गया है, अत: देरी क्षमा की जाती है।  

2.          प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश द्वारा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए विपक्षी बैंक को निर्देशित किया है कि वह परिवादी को अवशेष ऋण राशि रू0 77,115/- 15 दिन के अन्‍दर उपलब्‍ध कराएं।

3.          इस निर्णय एवं आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि ऋण स्‍वीकृत करना तथा वितरित करना बैंक का विशेषाधिकार है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग को यह अधिकार नहीं है कि वह बैंक को निर्देश दे कि वह स्‍वीकृत  किए  गए समस्‍त ऋण को वि‍तरित करे। परिवादी को जो ऋण स्‍वीकृत

-2-

किया गया था, उसकी औपचारिकताएं परिवादी द्वारा पूर्ण नहीं की गई, इसलिए अवशेष ऋण जारी नहीं किया गया।

4.          अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विनय शंकर उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। केवल अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना गया तथा प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।

5.          अपीलार्थी द्वारा लिखित कथन में यह आधार लिया गया है कि परिवादी ने ऋण वितरित करने के उद्देश्‍य से औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की, इसलिए अवशेष राशि वितरित नहीं की जा सकी। बैंक को यह अधिकार प्राप्‍त है कि यदि परिवादी द्वारा ऋण प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से समस्‍त औपचारिकताएं पूर्ण नहीं की जाती हैं तब बैंक ऋण के वितरण को रोक सकता है। ऋण स्‍वीकृत करने का तात्‍पर्य यह नहीं है कि परिवादी में यह अधिकार निहित हो गया है कि समस्‍त स्‍वीकृत ऋण की राशि वितरित की जाए। समस्‍त स्‍वीकृत ऋण की राशि को प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से ऋण उपभोक्‍ता को आवश्‍यक औपचारिकताएं भी पूर्ण करनी होती हैं, जो नहीं की गई। अत: विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विधि के विपरीत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है, जो अपास्‍त होने और अपील स्‍वीकार होने योग्‍य है।

आदेश

6.             प्रस्‍तुत अपील स्‍वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 13.06.2003 अपास्‍त किया जाता है तथा परिवाद खारिज किया जाता है।

            उभय पक्ष अपना-अपना व्‍यय भार स्‍वंय वहन करेंगें।

      आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।

 

(विकास सक्‍सेना)                        (सुशील कुमार)

  सदस्‍य                                 सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-3

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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