S.P. SHARMA filed a consumer case on 15 Jul 2014 against KRISHNA AUTO MOBILES in the Seoni Consumer Court. The case no is CC/38/2014 and the judgment uploaded on 15 Oct 2015.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, सिवनी(म0प्र0)
प्रकरण क्रमांक 382014 प्रस्तुति दिनांक-25.04.2014
समक्ष :-
अध्यक्ष - रवि कुमार नायक
सदस्य - श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत,
एस0पी0 षर्मा, आत्मज एन0डी0 षर्मा,
उम्र लगभग 63 वर्श, एस0एस0सी0
कालेज, घंसौर, तहसील घंसौर, जिला
सिवनी (म0प्र0)।480.661.......................................................आवेदकपरिवादी।
:-विरूद्ध-:
कृश्णा आटो मोबार्इल्स, प्रोपरार्इटर
अनुराग त्रिपाठी, उम्र लगभग 38 वर्श,
डीलर (हीरो वाहन) जबलपुर रोड,
सिवनी, तहसील व जिला सिवनी
(म0प्र0)।480.661.....................................................................अनावेदकविपक्षी।
:-आदेश-:
(आज दिनांक- 15.07.2014 को पारित)
द्वारा-अध्यक्ष:-
(1) परिवादी ने यह परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत, अनावेदक द्वारा, परिवादी को वाहन-मोटरसायकिल-हीरोहोण्डा विक्रय करते समय वाहन के मूल्य के अतिरिक्त, वाहन का रजिस्ट्रेषन व बीमा कराने के लिए जो राषि ली गर्इ और वाहन के बीमा प्रमाण-पत्र की मूल प्रति व रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र अब-तक प्रदान न किये जाने को अनुचित प्रथा व सेवा में कमी बताते हुये, वाहन का आर0टी0ओ0 पंजीयन प्रमाण-पत्र व इंष्योरेंस की मूल प्रति दिलाने व परिवादी से अनुचित-रूप से प्राप्त की गर्इ अतिरिक्त राषि 1497-रूपये व हर्जाना दिलाने के अनुतोश हेतु पेष किया है।
(2) यह स्वीकृत तथ्य है कि-अनावेदक हीरो कम्पनी वाहन का डीलर व वाहन विक्रेता है और उसने दिनांक-30.12.2012 को परिवादी को हीरो टू-व्हीलर वाहन, 50,284-रूपये मूल्य पर विक्रय किया था और उसी दिन वाहन का आर0टी0ओ0 पंजीयन व बीमा कराने हेतु पृथक से 7,116-रूपये प्राप्त कर रसीदें जारी की थीं। यह भी अविवादित है कि-अभी-तक परिवादी को वाहन का आर0टी0ओ0 पंजीयन प्रमाण-पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।
(3) स्वीकृत तथ्यों के अलावा परिवाद का सार यह है कि-परिवादी ने, अनावेदक से दिनांक-30.12.2012 को 50,284-रूपये मूल्य पर हीरो टू- व्हीलर वाहन लिया था, परिवादी स्वयं वाहन का पंजीकृत बीमा कराना चाहता था, लेकिन अनावेदक ने उसके माध्यम से वाहन का बीमा षोरूम में ही व उसके पंजीयन की कार्यवाही कराये बिना वाहन प्रदान करने से मना कर दिया और वाहन की खरीदी के पष्चात, वाहन का रजिस्ट्रेषन व बीमा अनावेदक की फर्म के माध्यम से ही कराने के लिए बादध्य किया और परिवादी से उक्त हेतु अनावेदक ने दिनांक-30.12.2013 को बिल क्रमांक-261 के माध्यम से वाहन के रजिस्ट्रेषन हेतु 5,327-रूपये, इंष्योरेंस हेतु 1632- रूपये व गुडलार्इफ हेतु 175-रूपये, इस तरह कुल-7,116-रूपये प्राप्त किये और उसके चार माह बाद तक भी न आर0टी0ओ0 से पंजीयन कराया, न ही इंष्योरेंस की मूल प्रति प्रदान की। बार-बार संपर्क करने पर भी रजिस्ट्रेषन व बीमा की मूल प्रति प्रदान नहीं किया, जिसके लिए परिवादी को बार-बार घंसौर से सिवनी आना पड़ रहा है, मार्च-2014 में जब परिवादी ने अनावेदक को यह अवगत करा दिया था कि-उसका वाहन खड़ा करा लिया गया है, परिवादी ने दस्तावेजों की प्रतियों की मांग की, तो पंजीयन हेतु पेष दस्तावेज व इंष्योरेंस की मात्र फोटोप्रतियां दी गर्इं, जिनके अवलोकन से परिवादी को जानकारी हुर्इ कि-इंष्योरंस के नाम पर 14-रूपये अधिक वसूला गया है और आर0टी0ओ0 से रजिस्ट्रेषन हेतु मात्र 3,830-रूपये लगे हैं, जो कि-परिवादी से मिथ्या कथन कर, रजिस्ट्रेषन बाबद 5,327- रूपये की राषि वसूली जाकर, परिवादी के प्रति-सेवा में कमी की गर्इ, इस तरह कुल-1497-रूपये वाहन के रजिस्ट्रेषन व बीमा के नाम से अधिक वसूली गया है, वह राषि वापस पाने का परिवादी अधिकारी है और अनावेदक ने व्यवसायिक कदाचरण कर, समयावधि में दस्तावेज उपलब्ध न कराकर, परिवादी को बार-बार घंसौर से सिवनी आने के लिए परेषान किया, जिसमें करीब 2,000-रूपये व्यय करना पड़ा, परिवादी का समय और षकित बर्बाद हुर्इ और उसे जो मानसिक क्लेष हुआ, उक्त बाबद 25,000-रूपये हर्जाना भी चाहा गया।
(4) स्वीकृत तथ्यों के अलावा, अनावेदक के जवाब का सार यह है कि-उसे हीरो मोटो कार्पोरेषन लिमिटेड का स्पश्ट निर्देष है कि-वाहन विक्रय के पष्चात अनावेदक स्वयं पंजीयन व वाहन के बीमा की कार्यवाही करे, उक्त हेतु परिवादी से 7,116-रूपये प्राप्त कर, अनावेदक ने रसीद प्रदान किया है और परिवादी को विक्रय किये गये वाहन का बीमा कराने के पष्चात, अनावेदक ने अपने अभिकत्र्ता के माध्यम से अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय, सिवनी में पंजीयन हेतु दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं, जो कि-पंजीयन, कार्यालय द्वारा, वाहन का मूल रजिस्ट्रेषन प्रदान न करने के कारण परिवादी को नहीं किया जा सका, इसमें अनावेदक की कोर्इ लापरवाही नहीं है, वाहन का मूल बिल देते से वाहन के साथ हेलमेट लेना अनिवार्य है, जिसकी कीमत 810-रूपये है तथा आनलार्इन पंजीयन फीस 250-रूपये परिवहन कार्यालय में जमा होती है, वाहन की नंबर प्लेट का खर्च 111-रूपये, पोस्ट आफिस लिफाफा 30-रूपये, जिसमें पंजीयन कार्यालय से आर0सी0 बुक परिवादी के मूल पते पर भेजी जाती है एवं परिवादी के षपथ-पत्र व नोटरी षुल्क का खर्च 40-रूपये, आर0टी0ओ0 एजेंट की फीस 260-रूपये, इस तरह कुल-1501-रूपये का जो खर्च हुआ, उक्त राषि परिवादी के द्वारा नहीं जोड़ी जाकर, भूल की गर्इ है और मिथ्या आधार पर परिवाद पेष किया गया, जो निरस्त योग्य है।
(5) मामले में निम्न विचारणीय प्रष्न यह हैं कि:-
(अ) क्या अनावेदक ने, परिवादी को वाहन विक्रय करते
समय वाहन के रजिस्ट्रेषन व बीमा के नाम पर
परिवादी से अनुचित रूप से अधिक राषि प्राप्त कर
और वाहन के बीमा की मूल प्रति व रजिस्ट्रेषन
प्रमाण-पत्र परिवादी को प्रदान न कर, परिवादी के
प्रति-अनुचित प्रथा को अपनाया है?
(ब) क्या परिवादी, अनावेदक द्वारा, वाहन के रजिस्ट्रेषन
पंजीयन के नाम पर अधिक प्राप्त की गर्इ राषि व
वाहन के बीमा व आर0टी0ओ0 रजिस्ट्रेषन की मूल
प्रति तथा हर्जाना पाने का अधिकारी है?
(स) सहायता एवं व्यय?े
-:सकारण निष्कर्ष:-
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(अ) :-
(6) स्वयं अनावेदक के जवाब से यह सिथति स्पश्ट है कि-अनावेदक से वाहन खरीदी के समय अनावेदक के पास रजिस्ट्रेषन व बीमा की कार्यवाही का षुल्क सहित खर्च जमा कराने पर ही वाहन विक्रय करने अनावेदक द्वारा कहा गया और दिनांक-30.12.2013 को वाहन की बिक्री के समय वाहन का विक्रय मूल्य 50,284-रूपये के अतिरिक्त अलग से परिवादी से वाहन का आर0टी0ओ0 रजिस्ट्रेषन व इंष्योरेंस बाबद 7,116-रूपये प्राप्त किये गये, जो प्रदर्ष सी-2 की रसीद, प्रदर्ष सी-3 के रिटेल इनवार्इस, प्रदर्ष सी-6 के प्रोफार्मा इनवार्इस से स्पश्ट है कि-वाहन का रजिस्ट्रेषन व बीमा खर्च व वाहन के मूल्य बाबद कुल-58,400-रूपये अनावेदक द्वारा, परिवादी से प्राप्त किये गये। और उक्त से यह भी स्पश्ट है कि-बीमा षुल्क बाबद 1639-रूपये, आर0टी0ओ0 चार्ज 5,327-रूपये और गुडलार्इफ 175-रूपये अनावेदक द्वारा, परिवादी से वसूले गये, जबकि-बीमा पालिसी षेडयूल व प्रमाण-पत्र की फोटोप्रति प्रदर्ष सी-4 से कुल बीमा प्रीमियम की राषि 1618-रूपये बीमा कम्पनी को भुगतान किया जाना और आर0टी0ओ0 इनरोलमेन्ट डिटेल की फोटोप्रति प्रदर्ष सी-5 में जो षुल्क विवरण दिया है, उसके अनुसार रजिस्ट्रेषन फीस 60-रूपये, स्मार्ट कार्ड फीस 200-रूपये, ट्रेड फीस 50-रूपये, वाहन टेक्स 3,520-रूपये, इस तरह कुल-3,830-रूपये फीस आर0टी0ओ0 कार्यालय में जमा होना स्पश्ट है। और प्रदर्ष सी-6 से स्पश्ट है कि-आर0टी0ओ0 चार्ज के रूप में अनावेदक ने, परिवादी से 5,327-रूपये वसूले हैं, जो प्रदर्ष सी-5 में दर्षाये आर0टी0ओ0 षुल्क विवरण से 1497-रूपये अधिक हैं।
(7) अनावेदक के जवाब की कणिडका-5 में उक्त अधिक प्राप्त की गर्इ राषि बाबद यह दर्षाया गया है कि-मूल बिल देते समय हेलमेट लेना जरूरी है, जिसकी कीमत 810-रूपये है, लेकिन उक्त जवाब में कहीं यह लेख नहीं किया गया है कि-कोर्इ हेलमेट परिवादी को अनावेदक द्वारा दिया गया, अनावेदक के जवाब के समर्थन में कोर्इ षपथ-पत्र भी अनावेदक-पक्ष से पेष नहीं हुआ, बलिक प्रदर्ष आर-1 की रिपोर्ट में कार्बन रसीद की फोटोप्रति पेष की गर्इ है, जिसमें मूल रसीद की पावती के कोर्इ हस्ताक्षर परिवादी के नहीं। और परिवादी-पक्ष की ओर से इस संबंध में षपथ-कथन भी पेष किया गया है कि-उसे कोर्इ हेलमेट अनावेदक द्वारा प्रदान नहीं किया गया, हेलमेट उसके पास पूर्व से ही था, उसे खरीदने की जरूरत ही नहीं थी, तो प्रदर्ष आर-1 अनावेदक के द्वारा अपने बचाव में एकतरफा रूप से तैयार कर लिया गया दस्तावेज है और अन्यथा भी आर0टी0ओ0 रजिस्ट्रेषन के नाम पर प्राप्त की गर्इ राषि के संबंध में हेलमेट की रसीद कोर्इ स्पश्टीकरण नहीं हो सकता और यदि हेलमेट परिवादी को बेचा गया होता, तो उसका अलग से विवरण होता। आर0टी0ओ0 और इंष्योरेंस में जो प्राप्त की गर्इ राषि के खर्च बाबद यह अनावेदक का बनावटी साक्ष्य है, जो विचारणीय नहीं।
(8) इसी तरह वाहन के नंबर प्लेट का खर्च 111-रूपये होना जो अनावेदक के जवाब में बताया गया है, उक्त बाबद कोर्इ भी पावती या रसीद, नंबर प्लेट बेचे जाने की अनावेदक-पक्ष की ओर से पेष नहीं और वाहन के रजिस्ट्रेषन के लिए प्राप्त की गर्इ राषि बाबद दर्षाया उक्त खर्च भी बनावटी है। इसी तरह अनावेदक के जवाब में आनलार्इन पंजीयन फीस 250-रूपये परिवहन कार्यालय में जमा होने का विवरण दिया गया है, परिवहन कार्यालय में 250-रूपये आनलार्इन षुल्क के रूप में जमा करने की रसीद पेष करने अनावेदक के द्वारा, दिनांक-27.06.2014 को अवसर भी लिया गया, लेकिन ऐसी कोर्इ रसीद अनावेदक पेष नहीं कर सका, क्योंकि प्रदर्ष सी-5 के आर0 टी0ओ0 फीस डिटेल में 50-रूपये ट्रेड फीस के रूप में उल्लेख है, तो आनलार्इन पंजीयन फीस 250-रूपये रही होना अनावेदक द्वारा बताया गया गलत आधार है। जबकि-प्रदर्ष सी-5 की रसीद में 50-रूपये ट्रेड फीस समिमलित है। तो उक्त बाबद 250-रूपये अतिरिक्त व्यय भी अनावेदक ने झूठा दर्षाया है। इसी तरह आर0टी0ओ0 एजेन्ट की फीस 260-रूपये अनावेदक के जवाब में दर्षार्इ गर्इ है और अनावेदक की ओर से इस संबंध में प्रदर्ष आर-2 का दिनांक-01.04.2012 का एक लेख की प्रति पेष कर दी गर्इ, जिसमें अनावेदक फर्म की ओर से मिस्टर रिजवान अहमद को आर0टी0 ओ0 संबंधी कार्य हेतु नियुक्त किया जाना दर्षाया गया है और इस हेतु प्रति वाहन 260-रूपये दिये जाने का उल्लेख है, लेकिन परिवादी के वाहन के पंजीयन बाबद कथित रिजवान अहमद को 260-रूपये प्रापित की कोर्इ रसीद पेष नहीं की गर्इ है। और जब प्रदर्ष सी-5 से यह स्पश्ट है कि- आनलार्इन आर0टी0ओ0 पंजीयन की कार्यवाही की गर्इ है, तो किसी आर0 टी0ओ0 एजेन्ट को षुल्क अदा करने का प्रष्न ही संभव नहीं है और कथित रिजवान अहमद कोर्इ आर0टी0ओ0 एजेन्ट हो, ऐसा भी अनावेदक-पक्ष की ओर से दर्षाया नहीं गया है। तो 260-रूपये आर0टी0ओ0 एजेन्ट को देने का बचाव भी अनावेदक का झूठा बचाव है। और तब ऐसे में मात्र परिवादी के षपथ-पत्र बाबद नोटरी खर्च 40-रूपये और पोस्ट आफिस लिफाफा का खर्च 30-रूपये, मात्र 70-रूपये ही अतिरिक्त खर्च प्रदर्ष सी-5 में दर्षाये 3,830-रूपये की रसीद के अलावा संभाव्य रहा है, जो मिलाकर कुल-3,900-रूपये होता है, जबकि-अनावेदक द्वारा, आर0टी0ओ0 चार्ज के रूप में 5,327-रूपये परिवादी से वसूले गये, जो उक्त मद में 1,427- रूपये व बीमा के मद में 14-रूपये, इस तरह कुल-1,440-रूपये वाहन के रजिस्ट्रेषन व बीमा कराने के मद में अनावेदक द्वारा, परिवादी से अनुचित रूप से अधिक वसूल लिया जाना स्थापित पाया जाता है।
(9) तो वाहन खरीदी के साथ अनावेदक की फर्म के माध्यम से ही वाहन का रजिस्ट्रेषन व बीमा कराने की बादध्यता बताकर, वाहन के मूल्य के अतिरिक्त, वाहन के रजिस्ट्रेषन व बीमा के मद में परिवादी से 1400-रूपये अधिक अनुचित रूप से अनावेदक द्वारा वसूल लिया जाना अनुचित व प्रतिबंधित व्यापार प्रथा है और परिवादी के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है। और वाहन के बीमा पालिसी की मूल प्रति परिवादी को नहीं दी गर्इ, यह उसके अखणिडत षपथ-पत्र से भी स्पश्ट है। और अनावेदक के जवाब में भी उक्त लांछन से इंकार नहीं किया गया, तो बीमा प्रमाण-पत्र की मूल प्रति अनावेदक के द्वारा, परिवादी को न दिया जाना भी अनुचित होकर, परिवादी के प्रति-की गर्इ सेवा में कमी है। जहां-तक आर0टी0ओ0 रजिस्ट्रेषन का सवाल है, तो रजिस्ट्रेषन हेतु अनावेदक द्वारा कार्यवाही कर दी गर्इ, रजिस्ट्रेषन प्रदान करना उसके हाथ में नहीं, रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र प्राप्त होने में विलम्ब बाबद परिवादी को अतिरिक्त क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय से संपर्क करना है, तो वाहन का रजिस्ट्रेषन प्रमाण-पत्र प्राप्त न होने में अनावेदक का कोर्इ दोश होना स्थापित नहीं है। परन्तु बीमा पालिसी का मूल परिवादी को प्रदान न कर और वाहन के रजिस्ट्रेषन व बीमा के मद में 1400-रूपये अतिरिक्त रूप से अधिक प्राप्त कर, अनावेदक द्वारा, परिवादी के प्रति अनुचित प्रथा अपनार्इ गर्इ और सेवा में कमी की गर्इ है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(ब):-
(10) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ के आधार पर ही परिवादी, अनावेदक का उपभोक्ता होना और अनावेदक द्वारा, परिवादी से 1400-रूपये अधिक अनुचित रूप से प्राप्त कर लेना तथा बीमा पालिसी की मूल प्रति प्रदान नहीं किया जाना स्थापित है, जिसे अनावेदक से प्राप्त करने का परिवादी अधिकारी है। और वाहन के मूल्य में जो भी कमीषन व लाभ अनावेदक ने प्राप्त किया, उसके अलावा, वाहन के रजिस्ट्रेषन व बीमा चार्ज के रूप में अनुचित रूप से अधिक राषि प्राप्त कर, अनुचित लाभ अनावेदक ने प्राप्त किया है और बीमा पालिसी की मूल परिवादी को नहीं दी, तो ऐसी सेवा में कमी व अनुचित प्रथा के कारण परिवादी को जो असुविधा व मानसिक कश्ट हुआ और बार-बार उक्त हेतु सिवनी आना पड़ा, उससे उसका जो समय-श्रम और धन की हानि हुर्इ, उक्त सबको देखते हुये, परिवादी, अनावेदक से 4,000-रूपये हर्जाना पाने का पात्र होना पाया जाता है। तदानुसार विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'ब को निश्कर्शित किया जाता है।
विचारणीय प्रष्न क्रमांक-(स):-
(11) विचारणीय प्रष्न क्रमांक-'अ और 'ब के निश्कर्शों के आधार पर मामले में निम्न आदेष पारित किया जाता है:-
(अ) अनावेदक, परिवादी से अनुचित रूप से प्राप्त की गर्इ
1400-रूपये (चौदह सौ रूपये) की राषि व वाहन
के बीमा पालिसी की मूल परिवादी को आदेष दिनांक
से दो माह की अवधि के अंदर प्रदान करे।
(ब) अनावेदक, परिवादी को 4,000-रूपये (चार हजार
रूपये) हर्जाना आदेष दिनांक से दो माह की अवधि
के अंदर अदा करे।
(स) अनावेदक स्वयं का कार्यवाही-व्यय वहन करेगा और
परिवादी को कार्यवाही-व्यय के रूप में 2,000-रूपये
(दो हजार रूपये) अदा करे।
मैं सहमत हूँ। मेरे द्वारा लिखवाया गया।
(श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत) (रवि कुमार नायक)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोषण फोरम,सिवनी प्रतितोषण फोरम,सिवनी
(म0प्र0) (म0प्र0)
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