Uttar Pradesh

StateCommission

A/1257/2015

M/s J.K. Agro Seeds - Complainant(s)

Versus

Krishan Kant - Opp.Party(s)

Amit Bose, Anshumali Sood

23 Nov 2022

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1257/2015
( Date of Filing : 22 Jun 2015 )
(Arisen out of Order Dated 20/05/2015 in Case No. C/46/2013 of District Mainpuri)
 
1. M/s J.K. Agro Seeds
Rampur
...........Appellant(s)
Versus
1. Krishan Kant
Mainpuri
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 23 Nov 2022
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

 (मौखिक) 

अपील सं0- 1257/2015

M/s. J.K. Agro Seeds, Village Razanagar, Post Office Swar, District Rampur, through its Authorised Representative Sri Rishi Pal Singh, aged about 33 years, Son of Sri Nand Ram, Resident of Village Karampur, Post Office Mursena, District Rampur.

                                            …….Appellant

Versus

1. Sri Krishna Kant aged about 47 years Son of Sri Man Singh, Resident of Village Banke, Pargana, Tehsil and District Mainpuri.

2. Kshetriya Sahkari Samiti Ltd. Ratibhanpur Kiratpur, District Mainpuri, through its Secretary.

3. District Cooperative Bank Ltd., Mainpuri, Branch Mainpuri, through its Administrator/Chairman.                                         

                                        ……..Respondents

समक्ष:-

   माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य।

   माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित       : श्री अंशुमाली सूद,

                                  विद्वान अधिवक्‍ता।             

प्रत्‍यर्थी सं0- 1 की ओर से उपस्थित   : श्री विजय कुमार यादव,

                                  विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 व 3 की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।

 

दिनांक:- 23.11.2022

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित

 

निर्णय

1.        परिवाद सं0- 46/2013 कृष्‍ण कांत बनाम जे0के0 एग्रो सीड्स व 02 अन्‍य में जिला उपभोक्‍ता आयोग, मैनपुरी द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दि0 20.05.2015 के विरुद्ध यह अपील प्रस्‍तुत की गई है।

2.        विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद स्‍वीकार करते हुए अंकन 75,300/-रू0 की धनराशि 06 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित पृथक एवं संयुक्‍त दायित्‍व के तहत अदा करने का आदेश दिया है और मानसिक प्रताड़ना के मद में 4,000/-रू0 तथा वाद व्‍यय के रूप में 3,000/-रू0 अदा करने के लिए भी आदेशित किया है।

3.        परिवाद के तथ्‍यों के अनुसार प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी ने गेहूं बोने के लिए अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 से बीज क्रय किया था। नियमानुसार खाद एवं बीज डाली गई तथा निराई एवं गुड़ाई की गई, परन्‍तु बीज में जमाव नहीं हुआ जिसकी शिकायत अपीलार्थी/विपक्षी से की गई। उनके द्वारा बीज की कीमत लौटाने तथा कृषि उत्‍पाद में हुई क्षति की पूर्ति का आश्‍वासन दिया गया, परन्‍तु कोई क्षतिपूर्ति नहीं की गई।

4.        अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 ने प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को बीज की आपूर्ति के कथन से इंकार किया। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी द्वारा बीज क्रय करने के साढ़े पांच महीने बाद परिवाद प्रस्‍तुत करना कहा गया और यह भी कहा गया कि इस बीच अनाज काटकर फसल तैयार कर ली गई है।

5.        प्रत्‍यर्थी सं0- 2/विपक्षी सं0- 2 द्वारा सहकारी समिति के सदस्‍य की शिकायत आगे बढ़ाने का उल्‍लेख किया गया है। यह भी कथन किया गया है कि उसके पास 12 बीघे खेत नहीं था।

6.        प्रत्‍यर्थी सं0- 3/विपक्षी सं0- 3 ने पूरे प्रकरण में अपनी कोई भूमिका नहीं बतायी है।

7.        सभी पक्षकारों के साक्ष्‍य पर विचार करने के बाद विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने यह निष्‍कर्ष दिया है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को खराब गेहूं के बीज की आपूर्ति की गई। इसलिए अपीलार्थी/विपक्षीगण पृथक-पृथक एवं संयुक्‍त दायित्‍व के तहत उत्‍तरदायी हैं।

8.        हमने अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता श्री अंशुमाली सूद तथा प्रत्‍यर्थी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता श्री विजय कुमार यादव को सुना। प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेखों का सम्‍यक परिशीलन किया। प्रत्‍यर्थीगण सं0- 2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।  

9.        इस निर्णय एवं आदेश को परिवाद के विपक्षी सं0- 1 जे0के0 एग्रो सीड्स द्वारा चुनौती दी गई है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि उनके द्वारा बीज तैयार किया जाता है और तैयार करने के बाद क्षेत्रीय सहकारी समिति लि0 को प्रेषित किया जाता है। इसलिए प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी उनका उपभोक्‍ता नहीं है। इस तर्क में कोई बल प्रतीत नहीं होता है, क्‍योंकि अंतत: बीज अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 द्वारा ही तैयार किया जाता है। अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 द्वारा ही कृषकों को बीज की आपूर्ति करने के लिए अपनी एजेसियों को बीज उपलब्‍ध कराया जाता है। इसलिए अप्रत्‍यक्ष रूप से प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी, अपीलार्थी/विपक्षी सं0- 1 का भी उपभोक्‍ता है, परन्‍तु चूँकि परिवाद पत्र में यह कथन किया गया है कि 12 बीघे खेत के लिए अनाज क्रय किया गया था, परन्‍तु भू अभिलेख की प्रति के अवलोकन से जाहिर होता है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी के पास केवल 06 बीघे भूमि थी न कि 12 बीघे। इसलिए प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी के पक्ष में 12 बीघे भूमि मानते हुए 75,300/-रू0 की क्षति का आदेश पारित किया गया है। यह राशि 37,650/-रू0 होनी चाहिए। अत: अपील आंशिक रूप से इस सीमा तक स्‍वीकार होने योग्‍य है कि प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को आपूर्ति किए गए खराब सीड्स के कारण कारित क्षति के रूप में 37,650/-रू0 की राशि दिलाया जाना उचित प्रतीत होता है। यद्यपि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग ने परिवाद के सभी विपक्षीगण के विरुद्ध पृथक एवं संयुक्‍त दायित्‍व के तहत अदा करने का आदेश दिया है, परन्‍तु चूँकि बैंक द्वारा प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को किसी प्रकार के ऋण की आपूर्ति नहीं की गई। इसलिए बैंक संयुक्‍त या एकल दायित्‍व के तहत इस राशि को अदा करने के लिए बाध्‍य नहीं है। यह सही है कि बैंक द्वारा कोई अपील प्रस्‍तुत नहीं की गई है, परन्‍तु चूँकि विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश को एक पक्षकार द्वारा चुनौती दी गई है। इसलिए गैर पक्षकार के विरुद्ध पारित किए गए अवैध आदेश को भी विचार में लिया जा सकता है। अत: बैंक के विरुद्ध प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश पारित किया गया है। तदनुसार प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश संशोधित होने योग्‍य एवं अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार किए जाने योग्‍य है।       

                             आदेश

10.       अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। प्रत्‍यर्थी सं0- 1/परिवादी को 75,300/-रू0 के स्‍थान पर 37,650/-रू0 की राशि देय होगी और यह राशि परिवाद के विपक्षीगण सं0- 1 एवं 2 द्वारा संयुक्‍त एवं पृथक दायित्‍व के तहत देय होगी। शेष निर्णय एवं आदेश की पुष्टि की जाती है।   

          अपील में उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

          अपील में धारा 15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अपीलार्थी द्वारा जमा धनराशि अर्जित ब्‍याज सहित इस निर्णय व आदेश के अनुसार जिला उपभोक्‍ता आयोग को निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जावे।    

          आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।           

 

      (विकास सक्‍सेना)                     (सुशील कुमार)

                सदस्‍य                             सदस्‍य

                                 

शेर सिंह, आशु0, कोर्ट नं0- 2

 

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

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