सुरक्षित
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या-194/2012
(जिला उपभोक्ता फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा परिवाद संख्या-1012/2008 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 17.11.2011 के विरूद्ध)
1. अमित ठकराल पुत्र श्री अशोक ठकराल।
2. खुशबु चौधरी पत्नी अमित ठकराल, निवासीगण 21, प्रेम नगर, सप्रू मार्ग, लखनऊ 226001 ।
अपीलार्थीगण/परिवादीगण
बनाम्
1. क्योनि ट्रैवेल इण्डिया प्रा0लि0, क्योनि हाउस, कोलाबा, मुम्बई 400001, द्वारा सीईओ।
2. एसओटीसी, हेडक्वार्टर, चतुर्थ तल, आर0एन0ए0 कार्पोरेट पार्क, ओल्ड कलानगर, बांद्रा, (ई) मुम्बई 400051, द्वारा सीईओ।
3. एसओटीसी, 302, तृतीय तल, अग्रवाल माल प्लाट नं0-3, सेक्टर 5 द्वारका, नई दिल्ली 110075 (नाउ आफिस शिफ्टेड टू जनपथ, न्यू दिल्ली) द्वारा चीफ आपरेटिंग आफिसर।
4. एसओटीसी, हालीडेज वर्ल्ड आउटलेट, 54, हजरतगंज, अपोजिट बरिस्टा, लखनऊ 226001 द्वारा मैनेजर।
प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण
समक्ष:-
1. माननीय श्री राम चरन चौधरी, पीठासीन सदस्य।
2. माननीय श्री संजय कुमार, सदस्य।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : श्री अरूण टण्डन, विद्वान अधिवक्ता।
दिनांक 23.03.2017
मा0 श्री संजय कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
यह अपील, परिवाद संख्या-1012/2008, अमित ठकराल व अन्य बनाम क्योनि ट्रैवेल इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड व अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष फोरम, द्वितीय लखनऊ द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 17.11.2011 से क्षुब्ध होकर परिवादीगण/अपीलार्थीगण की ओर से योजित की गयी है, जिसके अन्तर्गत जिला फोरम द्वारा प्रश्नगत परिवाद खारिज कर दिया गया है।
अपीलार्थीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं है। प्रत्यर्थीगण की ओर से विद्वान अधिवक्ता श्री अरूण टण्डन उपस्थित हैं। यह अपील वर्ष 2012 से निस्तारण हेतु लम्बित है, अत: पीठ द्वारा समीचीन पाया गया कि प्रस्तुत अपील का निस्तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया जाये। तदनुसार विद्वान अधिवक्ता प्रत्यर्थीगण को विस्तार से सुना गया एवं प्रश्नगत निर्णय/आदेश तथा उपलब्ध अभिलेखों का गम्भीरता से परिशीलन किया गया।
परिवाद पत्र का अभिवचन संक्षेप में इस प्रकार है कि परिवादीगण/अपीलार्थीगण आपस में पति-पत्नी है और शादी के पश्चात से सिंगापुर व मलेशिया में हनीमून प्लेजर की यात्रा के लिए अक्टूबर 2007 में विपक्षी संख्या-3 जो विपक्षी संख्या-1 व 2 के नियंत्रण में है, जिसका ब्रांच आफिस विपक्षी संख्या-4 लखनऊ में स्थित है, की सेवायें क्रय की। परिवादीगण को Flight Ticket Nos 2251188695 and 2652188964, US$ 1338 देने पर विपक्षी संख्या-3 द्वारा प्राप्त कराया गया और टूर का कंफरमेशन वाउचर भी प्राप्त कराया गया। यात्रा की शुरूआत से भारत वापस आने तक परिवादीगण को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी यात्रा की पूरी खुशी नष्ट हो गयी, अत: विपक्षीगण की सेवाओं में कमी से क्षुब्ध होकर प्रश्नगत परिवाद परिवादीगण द्वारा जिला फोरम के समक्ष योजित किया गया।
जिला फोरम के समक्ष विपक्षीगण/प्रत्यर्थीगण ने परिवाद पत्र का विरोध करते हुए प्रतिवाद पत्र दाखिल किया और यह कहा कि विपक्षी संख्या-2 व 4 ब्रांच आफिस है तथा उन्हें पक्षकार बनाने की कोई आवश्यकता नहीं थी तथा न्याय की दृष्टि में उनका दावा सही नहीं है। एसओटीसी वैधानिक व्यक्ति नहीं है तथा उन्हें गलत पक्षकार बनाया गया है। परिवादीगण ने विपक्षी द्वारा बतायी गयी बुकिंग की शर्तों को सही ढंग से पढ़कर अपनी यात्रा के लिए बुकिंग करायी थी तथा इस फोरम को परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं है। परिवादीगण का परिवाद गलत तथ्यों पर आधारित है, जो खारिज होने योग्य है।
जिला फोरम द्वारा उभयपक्षों को विस्तार से सुनने एवं पत्रावली का परिशीलन करने के उपरानत उपरोक्त वर्णित निर्णय/आदेश पारित किया गया।
उपरोक्त वर्णित निर्णय एवं आदेश से क्षुब्ध होकर वर्तमान अपील, परिवादीगण/अपीलार्थीगण की ओर से योजित करते हुए आधार अपील में मुख्य रूप से यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि जिला फोरम ने जो निर्णय/आदेश पारित किया है, वह सही एवं उचित नहीं है, क्योंकि जिला फोरम ने जो निष्कर्ष दिया है कि प्रश्नगत प्रकरण की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार मुम्बई न्यायालय में है, जो उचित नहीं है, क्योंकि प्रत्यर्थी/विपक्षी कम्पनी का कार्यालय लखनऊ में स्थित है। इसलिए परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार लखनऊ फोरम को प्राप्त है। विपक्षीगण द्वारा जो सेवाएं परिवादीगण को दी गयीं थीं, उसमें कमी थी, जिसके संबंध में प्रत्यर्थी/विपक्षी कम्पनी ने दिनांक 16.11.2007 को पत्र लिखा, जिससे साबित होता है कि प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण की सेवा में कमी साबित है तथा खेद के रूप में पत्र दिया गया है। अपीलार्थीगण/परिवादीगण व प्रत्यर्थीगण/विपक्षीगण के बीच संविदा हुई है, जो पत्रावली पर उपलब्ध है। जिला फोरम ने साक्ष्यों पर गम्भीरता से विचार किये बिना ही निर्णय पारित कर दिया जो, अपास्त होने एवं अपील स्वीकार होने योग्य है।
प्रत्यर्थीगण के विद्वान अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया कि प्रश्नगत परिवाद की सुनवाई का क्षेत्राधिकार जिला फोरम लखनऊ को प्राप्त नहीं है, क्योंकि टर्म एण्ड कण्डीशन्स में यह वर्णित है कि विवाद उत्पन्न होने पर मामलेकं की सुनवाई करने का अधिकार मुम्बई न्यायालय को होगा। इस प्रकार जिला फोरम को सम्बन्धित परिवाद की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार नहीं है। परिवाद की सुनवाई करने का आर्थित क्षेत्राधिकार भी नहीं था, क्योंकि परिवाद रू0 20,00,000/- (रूपये बीस लाख) क्षतिपूर्ति पाने के लिए दाखिल किया गया था, जिसे संशोधन कर रू0 18 लाख किया गया। अपीलार्थीगण ने व्यक्तिगत यात्रा के लिये बुकिंग करायी थी, लेकिन ग्रुप टूर की सुविधा जैसे टूर स्कार्ट, ग्रुप ट्रांसपोर्ट की सुविधा उनके लिए नहीं थी तथा परिवादीगण को बिना किसी सहायता के निर्धारित यात्रा करनी थी। विपक्षीगण/प्रत्यर्थीगण ने यात्रा की समुचित व्यवस्था की थी। जिला फोरम ने जो निर्णय पारित किया है, वह सही एवं उचित है। अत: अपीलार्थीगण की अपील खारिज होने योग्य है।
आधार अपील एवं सम्पूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया गया, जिससे यह तथ्य विदित होता है कि अपीलार्थीगण ने व्यक्तिगत यात्रा के रूप में बुकिंग करायी थी तथा सभी शर्तों को ध्यान से पढ़कर समझकर बुकिंग करायी थी। विपक्षीगण/प्रत्यर्थीगण द्वारा बुक किये गये शर्तों के अनुसार सुविधा प्रदान की गयी है। यदि अपीलार्थीगण/परिवादीगण अधिक सुविधा प्राप्त करना चाहता है, तो उसके लिए विपक्षीगण/प्रत्यर्थीगण द्वारा उसे पूरी किया जाना जरूरी नहीं था, क्योंकि सेवाओं के बदले शुल्क पहले ही निश्चित था। प्रश्नगत प्रकरण की सुनवाई करने का क्षेत्राधिकार भी जिला फोरम को प्राप्त नहीं था, क्योंकि टर्म एण्ड कण्डीशन्स में यह तथ्य वर्णित है कि विवाद होने पर मामले की सुनवाई का अधिकार मुम्बई न्यायालय को होगा। अत: अपील में कोई बल नहीं पाया जाता है। तदनुसार अपील आधारहीन होने के कारण खारिज होने योग्य है।
आदेश
अपील खारिज की जाती है।
(राम चरन चौधरी) (संजय कुमार)
पीठासीन सदस्य सदस्य
लक्ष्मन, आशु0, कोर्ट-2