Uttar Pradesh

Muradabad-II

cc/183/2011

Shri Gaurav Singh - Complainant(s)

Versus

Kothiwal Dental College & Research Center - Opp.Party(s)

12 Feb 2018

ORDER

         परिवाद प्रस्‍तुतिकरण की तिथि: 08-11-2011  

                                              निर्णय की तिथि: 12.02.2018

कुल पृष्‍ठ-4(1ता4)

न्यायालय जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम-द्वितीय, मुरादाबाद

उपस्थिति

श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष

                      श्री सत्‍यवीर सिंह, सदस्‍य

परिवाद संख्‍या- 183/2011

गौरव सिंह पुत्र डा. विजेन्‍द्र सिंह निवासी मौ. कटघर महबुल्‍ला गंज शहर व जिला मुरादाबाद।                                                     …..परिवादी

बनाम

कोठीवाल डेन्‍टल कालेज एण्‍ड रिसर्च सेंटर, कांठ रोड, शहर व जिला मुरादाबाद।                                                                     ….....विपक्षी

 (श्री पवन कुमार जैन, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित)

निर्णय

  1. इस परिवाद के माध्‍यम से परिवादी ने यह अनुतोष मांगा है कि विपक्षी से उसे अधिक वसूली गई ट्यूशन फीस अंकन-1,60,000/-रूपये वापस दिलायी जाये। क्षतिपूर्ति की मद में दो लाख रूपये और अंकन-10,000/-रूपये परिवाद व्‍यय की मद में परिवादी ने अतिरिक्‍त मांगे हैं।   
  2. संक्षेप में परिवाद कथन इस प्रकार हैं कि बी.डी.एस. कोर्स हेतु परिवादी ने सत्र       2003-04 में विपक्षी विश्‍वविद्यालय में एडमिशन लिया। उसका चार वर्षीय पाठ्यक्रम वर्ष 2006-07 में पूरा हुआ। विश्‍वविद्यालय ने परिवादी को बेचलर आफ डेन्‍टल सर्जरी की डिग्री दे दी। परिवादी का आरोप है कि जिस दौरान उसने बीडीएस किया, उस दौरान ट्यूशन फीस अंकन-1,10,000/-रूपये वार्षिक निर्धारित थी, जबकि विपक्षी ने उससे अंकन-1,50,000/-रूपये वार्षिक की दर से ट्यूशन फीस वसूल की। इस प्रकार चार वर्षों में 40,000/-रूपये प्रतिवर्ष की दर से विपक्षी ने उससे अंकन-1,60,000/-रूपये अधिक वसूल किये, जिसका विपक्षी को कोई अधिकार नहीं था। परिवादी ने अधिक वसूल की गई इस धनराशि की वापसी हेतु विपक्षी को नोटिस भिजवाया किन्‍तु उसका कोई उत्‍तर विपक्षी ने नहीं दिया। विपक्षी द्वारा किये गये कृत्‍य सेवा में कमी होना अभिकथित करते हुए परिवादी ने परिवाद में अनुरोधित अनुतोष दिलाये जाने की प्रार्थना की।
  3. परिवाद के साथ परिवादी ने विपक्षी को भिजवाये गये कानूनी नोटिस दिनांकित       29-8-2011 की छायाप्रति तथा नोटिस भिजवाये जाने की असल डाक रसीद को दाखिल किया, इसके अतिरिक्‍त सूची कागज सं.-3/11 के माध्‍यम से परिवादी ने उ.प्र.शासन के फीस निर्धारण संबंधी शासनादेश दिनांकित 15-7-2003, शैक्षिक सत्र 2003-04 से 2006-07 के दौरान अंकन-1,50,000/-रूपये प्रतिवर्ष की दर से विपक्षी को अदा की गई ट्यूशन फीस का प्रमाण पत्र तथा सचिव, उत्‍तर प्रदेश शासन के पत्र दिनांकित 13-10-2005 की छायाप्रतियों को भी दाखिल किया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-3/12 लगायत 3/18 हैं।
  4. विपक्षी की ओर से शपथपत्र से स‍मर्थित प्रतिवाद पत्र कागज सं.-6/1 लगायत 6/4 दाखिल हुआ, जिसमें परिवाद कथनों से इंकार करते हुए यह कथन किया गया कि परिवादी ने जब बीडीएस कोर्स में एडमिशन लिया था तो संपूर्ण जानकारी प्राप्‍त करके फीस इत्‍यादि जमा की थी। परिवादी के स्‍वयं के अनुसार शैक्षिक सत्र 2006-07 में उसे बीडीएस की डिग्री विश्‍वविद्यालय द्वारा दी जा चुकी है, उसने यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि अभिकथित रूप से अधिक फीस वसूल कर लेने की जानकारी दिनांक 27-8-2011 को उसे किस तरह और किस माध्‍यम से प्राप्‍त हुई। इस प्रकार परिवाद कालबाधित है। अन्‍त में यह कहते हुए कि परिवादी और विपक्षी के मध्‍य उपभोक्‍ता और सेवा प्रदाता का संबंध नहीं है, परिवाद को विशेष व्‍यय सहित खारिज किये जाने की प्रार्थना की गई।
  5. परिवादी ने अपना साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-5/1 लगायत 5/5 दाखिल किया, जिसके साथ उसने पूर्व से दाखिल प्रपत्रों के अतिरिक्‍त अपने पिता के बैंक एकाउन्‍ट तथा आरटीआई के अधीन चिकित्‍सा महानिदेशक, लखनऊ से मांगी गई सूचनाओं की छायाप्रतियों को दाखिल किया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-5/6 लगायत 5/11 हैं।
  6. विपक्षी की ओर से विश्‍वविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी का साक्ष्‍य शपथपत्र कागज सं.-9/1 लगायत 9/7 दाखिल किया, जिसके साथ उ.प्र.शासन के चिकित्‍सा विभाग के शासनादेश दिनांकित 15-7-2003, रिट पीटिशन सं.-37525/2003 में माननीय इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित स्‍टे आर्डर दिनांकित 28-8-2003 तथा माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा रिट पीटिशन सं.-350/1993 में पारित निर्णय दिनांकित 14-8-2003 के अनुपालन में गठित कमेटी द्वारा मेडिकल कालेजों में पाठ्यक्रम हेतु वर्ष 2004-05 से छात्रों से लिये जाने वाले शुल्‍क का निर्धारण करते हुए तत्‍संबंधी शासनादेश दिनांकित   20-7-2005 की छायाप्रतियों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया गया है। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-9/8 लगायत 9/15 हैं।
  7. परिवादी नें अपना रिज्‍वाइंडर शपथपत्र कागज सं.-14/1 लगायत 14/3 दाखिल किया, जिसके साथ रिट पीटिशन सं.-37525/2003 में माननीय इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांकित 27-5-2005 तथा शासनादेश दिनांकित 13-10-2005 की छायाप्रतियों को बतौर संलग्‍नक दाखिल किया। ये प्रपत्र पत्रावली के कागज सं.-14/4 लगायत 14/13 हैं।
  8. परिवादी ने अपनी लिखित बहस दाखिल की। विपक्षी की ओर से लिखित बहस दाखिल नहीं की गई।
  9. हमने  दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्‍तागण के तर्कों को सुना। पत्रावली का अवलोकन किया।
  10. परिवादी के अनुसार विपक्षी के विश्‍वविद्यालय से में परिवादी ने बीडीएस कोर्स हेतु शैक्षिक सत्र 2003-04 में एडमिशन लिया था। डिग्री की नकल कागज सं.-5/8 के अनुसार वर्ष 2007 में परिवादी को बीडीएस की डिग्री विश्‍वविद्यालय द्वारा प्रदान की गई। सर्टिफिकेट कागज सं.-3/16 के अनुसार शैक्षिक सत्र 2003-04 से लेकर शैक्षिक सत्र 2006-07 तकि चार शैक्षिक सत्रों में परिवादी ने अंकन-1,50,000/-रूपये वार्षिक की दर से विपक्षी को ट्यूशन फीस अदा की। परिवादी के अधिवक्‍ता ने शासनादेश दिनांकित 15-7-2003 के प्रस्‍तर-4(iii) जो पत्रावली के कागज सं.-9/10 पर दृष्‍टव्‍य है, के अनुसार सत्र 2003-04 में निजी क्षेत्र के डण्‍टल कालेजों में अंकन-1,10,0000/-रूपये ट्यूशन फीस निर्धारित थी। परिवादी के अधिवक्‍ता का तर्क है कि चार शैक्षिक सत्रों में विपक्षी ने कुल अंकन-1,60,000/-रूपये परिवादी से अधिक वसूल किये।
  11.  विपक्षी के अधिवक्‍ता ने हमारा ध्‍यान विपक्षी के साक्ष्‍य शपथपत्र के साथ दाखिल संलग्‍नकों की और आकर्षित करते हुए प्रतिउत्‍तर तर्कों में कहा कि माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा रिट पीटिशन सं.-350/1993 में पारित निर्णय के अनुसार विपक्षी कालेज में बीडीएस पाठ्यक्रम हेतु शैक्षिक सत्र 2004-05 से शासन द्वारा वार्षिक शुल्‍क अंकन-1,71,000/-रूपये निर्धारित किया गया है और इस दर से विपक्षी ट्यूशन फीस वसूल करने का अधिकारी था। हम विपक्षी अधिवक्‍ता के तर्कों से सहमत हैं।
  12. शासन द्वारा शासनादेश दिनांकित 15-7-2003 द्वारा निर्धारित फीस अंकन-1,10,000/-रूपये वार्षिक माननीय उच्‍च न्‍यायालय, इलाहाबाद ने रिट याचिका सं.-37525/2003 में पारित आदेश से स्‍थगित कर दिया था, यद्यपि यह रिट याचिका दिनांक 27-5-2005 को खारिज हो चुकी है किन्‍तु माननीय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा रिट याचिका  सं.-350/1993, इस्‍लामिक एकेडमी आफ एजूकेशन बनाम स्‍टेट आफ कर्नाटका व अन्‍य में पारित निर्णय दिनांकित 14-8-2003 के अनुपालन में शासन द्वारा मेडिकल कालेजों में छात्रों से लिये जाने वाली ट्यूशन फीस का निर्धारण शासनादेश दिनांकित 20-7-2005 द्वारा कर दिया गया है। इसके अनुसार विपक्षी मेडिकल कालेज में बीडीएस पाठ्यक्रम हेतु अंकन-1,71,000/-रूपये वार्षिक शुल्‍क निर्धारित किया गया है। परिवादी से मात्र अंकन-1,50,000/-रूपये वार्षिक शुल्‍क विपक्षी ने लिया, जो शासनादेश दिनांकित 20-7-2005 द्वारा निर्धारित शुल्‍क से कम है।
  13. स्‍वीकृत रूप से परिवादी को बीडीएस की डिग्री वर्ष 2007 में मिल गई थी। उसने कहीं भी यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है कि उसे अभिकथित रूप से अधिक शुल्‍क वसूल लेने की जानकारी वर्ष 2011 में किस प्रकार और किस स्रोत से प्राप्‍त हुई। कदाचित परिवाद कालबाधित है। इस दृष्टिकोण से भी परिवाद खारिज होने योग्‍य है।

     परिवाद खारिज किया जाता है। मामले के तथ्‍यों एवं परिस्थितियों में उभयपक्ष अपना परिवाद व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

    (सत्‍यवीर सिंह)                                     (पवन कुमार जैन)

       सदस्‍य                                              अध्‍यक्ष

     आज यह निर्णय एवं आदेश हमारे द्वारा हस्‍ताक्षरित तथा दिनांकित होकर खुले न्‍यायालय में उद्घोषित किया गया।

 

   (सत्‍यवीर सिंह)                                      (पवन कुमार जैन)

      सदस्‍य                                              अध्‍यक्ष

दिनांक: 12-02-2018

 

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