राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
(मौखिक)
अपील संख्या-1418/2024
शिवराज सिंह पुत्र श्री भूप सिंह
बनाम
कोटाक महिन्द्रा ओल्ड म्यूचअल लाईफ इन्श्योरेंस लिमिटेड व एक अन्य
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष।
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : श्री सत्य प्रकाश पाण्डेय,
विद्वान अधिवक्ता।
प्रत्यर्थीगण की ओर से उपस्थित : कोई नहीं।
दिनांक: 23.09.2024
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील इस न्यायालय के सम्मुख जिला उपभोक्ता आयोग, मेरठ द्वारा परिवाद संख्या-475/2011 शिवराज सिंह बनाम कोटाक महिन्द्रा ओल्ड म्यूचअल लाईफ इन्श्योरेंस लिमिटेड व एक अन्य में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 27.07.2024 के विरूद्ध योजित की गयी है।
मेरे द्वारा अपीलार्थी की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता श्री सत्य प्रकाश पाण्डेय को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय एवं आदेश तथा पत्रावली पर उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया गया।
संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार हैं कि परिवादी को विपक्षी संख्या-1 कोटाक महिन्द्रा ओल्ड म्यूचअल लाईफ इन्श्योरेंस लिमिटेड के प्रतिनिधि विपक्षी संख्या-2 द्वारा बताया गया कि विपक्षी संख्या-1 का कोटेक स्मार्ट एडवान्टेज प्लान बहुत अच्छा है, जिसमें 20,000/-रू0 एक बार जमा करने के बाद 2,00,000/-रू0 का बीमा होगा, जो तीन वर्ष उपरान्त मिल जावेगा।
परिवादी द्वारा विपक्षीगण की बातों पर विश्वास करते हुए
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दिनांक 06.03.2008 को चेक के माध्यम से 20,000/-रू0 का भुगतान उपरोक्त प्लान के अन्तर्गत विपक्षीगण को किया गया। तदोपरान्त विपक्षीगण द्वारा परिवादी को एक पालिसी संख्या-00942684 बीमित राशि 2,00,000/-रू0 अवधि 15 वर्ष दिनांकित 29.03.2008 जारी की गयी। उक्त पालिसी पर यह भी अंकित था कि प्रति वर्ष 20,000/-रू0 15 साल तक जमा करने हैं, जिसे पढ़कर परिवादी को आश्चर्य हुआ। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को गलत तरीके से झूठ बोलकर उक्त पालिसी जारी की गयी, जो विपक्षीगण की सेवा में कमी है।
परिवादी का कथन है कि उक्त पालिसी में यह भी अंकित था कि यदि परिवादी उक्त पालिसी से सन्तुष्ट नहीं है तो 15 दिन के अन्दर ही लिख कर भेजने पर परिवादी की धनराशि वापस कर दी जावेगी। अत: परिवादी द्वारा 15 दिन के अन्दर ही विपक्षीगण से सम्पर्क कर पत्र लिखकर सूचित किया कि प्रापोजल फार्म विपक्षी संख्या-2 द्वारा भरा गया था तथा यह कि विपक्षी संख्या-2 द्वारा पालिसी जारी करने से पूर्व अन्य स्कीम बतायी गयी थी तथा पालिसी पर अलग स्कीम उल्लिखित है। परिवादी की जमा धनराशि वापस कर दी जावे, जिसका कोई जवाब विपक्षीगण द्वारा नहीं दिया गया तथा यह कि विपक्षीगण द्वारा बिना किसी सूचना/नोटिस के परिवादी की उक्त पालिसी खत्म कर दी व बार-बार सम्पर्क करने के बावजूद जमा धनराशि वापस नहीं की गयी। विपक्षीगण द्वारा एकतरफा निर्णय लेते हुए तीन वर्ष बाद 2,000/-रू0 का चैक परिवादी को भेजा गया तथा बकाया समस्त धनराशि जब्त कर ली गयी। अत: क्षुब्ध होकर परिवादी द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए वांछित अनुतोष की मांग की गयी।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख विपक्षी की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया तथा मुख्य रूप से यह कथन
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किया गया कि परिवादी द्वारा विपक्षी पर लगाए गए आरोप निराधार हैं, जो बिना किसी दस्तावेजी साक्ष्य के लगाए गए हैं। परिवादी द्वारा प्रश्नगत बीमा पालिसी के अन्तर्गत प्रस्ताव फार्म दिनांक 06.03.2008 को भरा गया, जिसके आधार पर उसे कोटक स्मार्ट एडवान्टेज पालिसी संख्या-00942684, बीमित धनराशि अंकन-2,00,000/-रू0 अवधि 15 वर्ष वार्षिक किस्त अंकन-2000/-रू0 दिनांकित 29.03.2008 जारी की गयी, जिसमें फ्री लुक पीरियड का विकल्प मौजूद था। फ्री लुक पीरियड के अनुसार परिवादी प्रश्नगत बीमा पालिसी प्राप्त करने से 15 दिन के अन्दर बीमा पालिसी निरस्त करा सकता था, परन्तु परिवादी द्वारा उक्त अवधि में बीमा पालिसी निरस्त नहीं करायी गयी, इसलिए परिवादी का पालिसी निरस्त कराने का आवेदन पत्र दिनांकित 29.10.2009 निरस्त कर दिया गया।
विपक्षी द्वारा परिवादी को पत्र दिनांक 27.01.2011 द्वारा सूचित किया गया कि उसकी पालिसी व्ययगत स्थिति में है, जो पुर्नजीवित अवधि की समाप्त पर एवं सुसंगत इरडा सर्कुलर के अनुसार समाप्त हो जायेगी। परिवादी द्वारा प्रश्नगत बीमा पालिसी को पुर्नजीवित न कराए जाने के कारण विपक्षी द्वारा पत्र दिनांक 07.04.2011 के द्वारा बीमा पालिसी को समाप्त कर दिया गया तथा 2000/-रू0 परिवादी को वापस कर दिया गया। संविदा की शर्तों के अनुसार विपक्षी बीमा कम्पनी परिवादी को कोई प्रतिकर अदा करने के लिए उत्तरदायी नहीं है। विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी नहीं की गयी है। परिवाद निरस्त होने योग्य है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्यों/प्रपत्रों पर विचार करने के उपरान्त यह पाया गया कि प्रश्नगत बीमा पालिसी अग्रिम प्रीमियम जमा न होने के कारण लैप्स हुई तथा पालिसी लैप्स होने के उपरान्त विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को नियमानुसार 2000/-रू0 चैक के माध्यम
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से वापस कर दिया गया। अत: विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा विपक्षीगण की सेवा में कोई कमी नहीं पायी गयी। तदनुसार विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा परिवाद निरस्त किया गया।
अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता को सुनने तथा समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए तथा जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय एवं आदेश का परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त मैं इस मत का हूँ कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा समस्त तथ्यों का सम्यक अवलोकन/परिशीलन व परीक्षण करने के उपरान्त विधि अनुसार निर्णय एवं आदेश पारित किया गया, जिसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।
तदनुसार प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
जितेन्द्र आशु0
कोर्ट नं0-1