राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
(मौखिक)
अपील संख्या:-543/2021
शिशुपाल सिंह पुत्रश्री लाल सिंह, निवासी ग्राम 166, अमियापुर पचाक, सम्भल तहसील व जिला सम्भल।
........... अपीलार्थी/परिवादी
बनाम
कोटक महिन्द्रा लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा-
1- शाखा प्रबन्धक, शाखा कार्यालय- दि्वतीय तल, प्लाट नं0-1 व 2, दीनदयालपुरम् बरेली-243001 (उत्तर प्रदेश)
2- महाप्रबंधक, रजिस्टर्ड ऑफिस, दि वतीय तल प्लाट नं0 सी-12, जी ब्लॉक, बी0के0सी0 बांद्रा (ईस्ट) मुम्बई-400051 (महाराष्ट्र)
…….. प्रत्यर्थी/विपक्षीगण
समक्ष :-
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
मा0 श्री सुशील कुमार, सदस्य
अपीलार्थी के अधिवक्ता : श्री सर्वेश्वर मेहरोत्रा
प्रत्यर्थीगण के अधिवक्ता : श्री अविनाश शर्मा
दिनांक :- 19.12.2022
मा0 न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, अपीलार्थी/परिवादी शिशुपाल सिंह द्वारा इस न्यायालय के सम्मुख धारा-41 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्तर्गत जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, सम्भल द्वारा परिवाद सं0-91/2019 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 18.8.2021 के विरूद्ध योजित की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग ने उभय पक्ष के अभिकथन एवं उपलब्ध साक्ष्य पर विस्तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को निरस्त कर दिया है, जिससे क्षुब्ध होकर अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत अपील योजित की गई है।
हमारे द्वारा उभय पक्ष की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्ता द्व्य को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं उपलब्ध समस्त प्रपत्रों का अवलोकन किया।
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संक्षेप में वाद के तथ्य इस प्रकार है कि अपीलार्थी/परिवादी के स्व0 पुत्र धर्मेन्द्र कुमार ने अपने जीवन पर एक जीवन बीमा पालिसी कोटक प्रीमियर लाइफ प्लान ली और प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 बीमा पालिसी जारी करने से पूर्व सभी आवश्यक औपचारिकतायें पूरी करते हुए बीमाधन 7,12,155.00 रू0 के लिए बीमा पालिसी सं0-09796956 दिनांक 31.01.2018 को जारी की गई। दिनांक 17.02.2018 को अचानक अपीलार्थी/परिवादी के पुत्र के पेट में दर्द हुआ और उसकी घर पर ही मृत्यु हो गई, तदोपरांत अपीलार्थी/परिवादी द्वारा उक्त बीमा पालिसी में नॉमिनी होने के कारण अपने पुत्र की मृत्यु की सूचना प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 के कार्यालय में दी गई तथा मृत्यु दावे के सम्बन्ध में औपचारिकतायें पूर्ण की गई, परन्तु प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा बीमित धनराशि का भुगतान नहीं किया गया एवं पता करने पर बताया गया कि मृत्यु दावा रजिस्टर्ड आफिस बॉम्बे को भेजा दिया गया है। प्रत्यर्थी/विपक्षी सं0-1 द्वारा बताया गया कि जॉच में यह तथ्य सामने आया है कि अपीलार्थी/परिवादी के पुत्र द्वारा इस बीमा कम्पनी से पूर्व भी एक अन्य कम्पनी से बीमा पालिसी प्राप्त की गई थी के तथ्य को छिपाकर पालिसी प्राप्त की गई है, जिस कारण मृत्यु दावा निरस्त किया गया है, अत्एव बीमित धनराशि मय क्षतिपूर्ति का अनुतोष दिलाये किये जाने हेतु परिवाद जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रस्तुत किया गया।
जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख प्रत्यर्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रतिवाद पत्र प्रस्तुत कर परिवाद पत्र का विरोध किया गया तथा परिवाद पत्र को निरस्त किये जाने की प्रार्थना जिला उपभोक्ता आयोग के सम्मुख की गई।
प्रस्तुत अपील जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश के विरूद्ध अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत की गई है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य एवं मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों को दृष्टिगत रखते हुए यह पाया गया है कि प्रत्यर्थी विपक्षी बीमा कम्पनी द्वारा अपीलार्थी/परिवादी को प्रेषित पत्र दिनांकित 31.10.2018 द्वारा
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अपीलार्थी/परिवादी द्वारा प्रस्तुत मृत्यु बीमा दावा के तहत बीमा पालिसी सं0-09796956 के संबंध में बीमित धनराशि का भुगतान किये जाने से इंकार किया जाना सर्वथा उचित एवं विधि सम्मत है। प्रत्यर्थी/विपक्षी बीमा कम्पनी ने उक्त पत्र के माध्यमसे अपीलार्थी/परिवादी को प्रश्नगत बीमा पालिसी के संबंध में मृतक धर्मेन्द कुमार द्वारा जमा की गई प्रीमियम धनराशि मु0 42,978.00 रू0 अपीलार्थी/परिवादी के एक्सिस बैंक खाता संख्या-917010084674249 में वापस कर दिये जाने का भी कथन किया है जिससे स्पष्ट है कि प्रत्यर्थी विपक्षी कोटक महिन्द्रा लाइफ इंश्योरेंस कम्पनी द्वारा प्रत्यर्थी/परिवादी के प्रति सेवा में कोई त्रुटि कारित नहीं की गई है।
विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश पूर्णत: विधि अनुकूल है, उसमें किसी प्रकार कोई अवैधानिकता अथवा विधिक त्रुटि अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा अपील स्तर पर इंगित नहीं की जा सकी है, विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश में किसी प्रकार के हस्तक्षेप की आवश्यकता अपील स्तर पर प्रतीत नहीं हो रही है, अत्एव प्रस्तुत अपील बलहीन होने के कारण निरस्त की जाती है।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार) (सुशील कुमार)
अध्यक्ष सदस्य
हरीश सिंह
वैयक्तिक सहायक ग्रेड-2.,
कोर्ट नं0-1