जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जैसलमेर(राज0)
1. अध्यक्ष ः श्री रामचरन मीना ।
2. सदस्या : श्रीमती संतोष व्यास।
3. सदस्य ः श्री मनोहर सिंह नारावत ।
परिवाद प्रस्तुत करने की तिथी - 15.04.2014
मूल परिवाद संख्या:- 23/2014
1. श्रीमति गवरीेदेवी पत्नि स्व. श्री भगवानाराम आयु 52 साल जाति मेघवाल।
2. नरसींगाराम पुत्र स्व. श्री भगवानाराम आयु 35 साल जाति मेघवाल।
3. रायसिंगाराम पुत्र स्व. श्री भगवानाराम आयु 30 साल जाति मेघवाल।
4. जेठाराम पुत्र स्व. श्री भगवानाराम आयु 30 साल जाति मेघवाल।
5. मगाराम पुत्र स्व. श्री भगवानाराम आयु 24 साल जाति मेघवाल।
निवासीगण सर्वे गांव श्री मोहनगढ़ तहसील व जिला जैसलमेर।
............परिवादीयागण ।
बनाम
1ण् ब्वजंा डंीपदकतं वसक डनजनंस स्पमि प्देनतंदबम स्जकण् 7 जी थ्सववतए ठनपसकपदह छवण् 21ए प्दपिदपजल च्ंताए व्िि ॅमेजमतद म्गचतमेे भ्पहीूंल ळमदमतंस । ज्ञ टंपकलं डंतह डंसंक;म्द्ध डनउइंप 400097
2ण् डंीपदकतं - डंीपदकतं थ्पदंदबपंस ैमतअपबमे स्पउपजमक ैंकींदं भ्वनेमए 2दक थ्सववतए 570 च्ण्ठण् डंतहमए ॅवतसपए डनउइंप.400018
3. श्रीमति प्रेमी देवी पुत्री स्व. श्री भगवानाराम पत्नि श्री सीताराम आयु 30 साल जाति मेघवाल निवासी गंाव-पोस्ट आसकन्द्रा तहसील पोकरण जिला जैसलमेर
.............अप्रार्थीगण।
प्रार्थना पत्र अंतर्गत धारा 12, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986
उपस्थित/-
1. श्री उम्मेदसिंह नरावत़, अधिवक्ता परिवादीगण की ओर से।
2. अप्रार्थी सं. 1 की ओर से कंवराजसिंह राठौड़ उपस्थित ।
3. अप्रार्थी सं. 2 व 3 की ओर से कोई उपस्थित नही।
ः- निर्णय -ः दिनांक ः 05.11.2015
1. परिवाद के संक्षेप में तथ्य इस प्रकार है कि प्रार्थीगण के पति व पिता भगवानाराम ने एक वाहन सं. आर जे 15 टीए 0987 अप्रार्थी सं. 2 के यहा फाईनेस कराया तो अप्रार्थी सं. 2 ने कम्पनी शर्तो का हवाला देकर अप्रार्थी सं. 1 से लाईफ इन्ष्योरेंस अनिवार्य होना बताकर 1 बीमा बीमित धन राषि 2 लाख रू का किया जिसका प्रीमियम मय टैक्स 3292 रू लेकर दिनांक 04.10.2013 से 03.10.2014 तक की अवधि के लिये कोटक क्रेडिट टर्म ग्रूप प्लान पाॅलिसी का जीवन बीमा किया जिसके पाॅलिसी नम्बर ब्प्;ब्त्000020द्ध अंकित किये गये बीमा किये जाने की तिथि से पहले बीमित भगवानाराम हष्टपुष्ट व स्वस्थ व्यक्ति था। दिनांक 01.12.2013 को उल्टी दस्त होने के कारण उसकी तबीयत बिगड़ गई व उसका अपने गांव मोहनगढ़ मे दैहान्त हो गया। बीमित भगवानाराम का दैहान्त होने के कारण उसका बीमा क्लैम अदायगी प्रार्थना-पत्र प्रार्थीगण ने अप्रार्थी सं. 2 के मार्फत अप्रार्थी सं. 1 को भैजा लैकिन अप्रार्थीगण ने डिक्लेरेषन आॅफ गुड हैल्थ की गलत घोषणा करने का हवाला देकर क्लैम खारिज कर दिया। जबकि बीमित पूर्णरूपेण स्वस्थ व्यक्ति था उसे कोई बीमारी नही थी उसकी मृत्यु उल्टी दस्त के कारण हुई उसे कैसर की बीमारी नही थी। बीमा कम्पनी ने गलत आधार पर प्रार्थीगण का क्लैम खारिज कर सेवा दोष कारित किया है। प्रार्थीगण ने बीमित धन राषि 2 लाख रू व मानसिक परेषानी पेटे 25,000 रू व परिवाद व्यय 25,000 रू दिलाये जाने का निवेदन किया।
अप्रार्थी सं. 1 बीमा कम्पनी की तरफ से जवाब पेष कर प्रकट किया कि बीमा की संविदा तथ्यों की सत्यता पर आधारित होती है। जिसे लेटिन भाषा में श्कवबजतपदम व िनइमततपउंम पिकमपश् कहा जाता है। बीमा धारक के लिये यह आवष्यक रहा था कि बीमा धारक पाॅलिसी लिये जाने से पूर्व क्मबसंतंजपवद व िळववक भ्मंसजी ;क्व्ळभ्द्ध मे पूछी गई स्वास्थ से सम्बधित जानकारी का उत्तर सही प्रकार से देता जिससे की बीमा की संविदा भंग न हो। प्रार्थी सं. 1 के पति के द्वारा पूर्व मे कराये गये ईलाज एवं कपंहदवेपे के तथ्यों को छिपाया गया था। एवं गलत प्रकार से क्मबसंतंजपवद दिया गया था। अप्रार्थी सं0 1 ने प्रार्थीगण का क्लैम प्रार्थना-पत्र खारिज कर कोई सेवा दोष कारित नही किया है प्रार्थीगण हर्जाना राषि प्राप्त करने का अधिकारी नही है व परिवादीगण का प्रार्थना पत्र मय हर्जा खर्चो खारिज किये जाने का निवेदन किया। अप्रार्थी सं0 2 को बाद तामिल नोटिस कोई उपस्थित नही होने के कारण उसके विरूद्व एकपक्षीय कार्यवाही की गई तथा अप्रार्थी सं. 3 का जवाब जरिये डाॅक प्राप्त हुआ जिसमे उसने कथन किया कि प्रार्थीगण के पक्ष मे मै अपना हक तर्क करती हूॅ।
हमने विद्वान अभिभाषक पक्षकारान की बहस सुनी और पत्रावली का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया।
2. विद्वान अभिभाषक पक्षकारान द्वारा की गई बहस पर मनन करने, पत्रावली में पेष किए गए शपथ पत्रों एवं दस्तावेजी साक्ष्य का विवेचन करने तथा सुसंगत विधि को देखने के पष्चात इस प्रकरण को निस्तारित करने हेतु निम्नलिखित विवादित बिन्दु कायम किए जाते है -
1. क्या परिवादी एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है ?
2. क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटि के दोष की तारीफ में आता है?
3. अनुतोष क्या होगा ?
4. बिन्दु संख्या 1:- जिसे साबित करने का संपूर्ण दायित्व परिवादीगण पर है जिसके तहत कि क्या परिवादीगण उपभोक्ता की तारीफ में आता है अथवा नहीं और मंच का भी सर्वप्रथम यह दायित्व रहता है कि वे इस प्रकार के विवादित बिन्दु पर सबसे पहले विचार करें, क्यों कि जब तक परिवादीगण एक उपभोक्ता की तारीफ में नहीं आता हो, तब तक उनके द्वारा पेष किये गये परिवाद पर न तो कोई विचार किया जा सकता है और न ही उनका परिवाद उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत पोषणिय होता है, लेकिन हस्तगत प्रकरण में परिवादीगण के मृतक पति व पिता भगवानाराम ने बाकायदा विहित प्रक्रिया अपना कर अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी के यहा 3292 रू बीमा प्रीमियम जमा कराकर जीवन बीमा करवाया जिसे अप्रार्थीगण द्वारा भी माना गया है इसलिए हमारी विनम्र राय में परिवादी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 2; 1द्ध;क्द्ध के तहत एक उपभोक्ता की तारीफ में आता है, फलतः बिन्दु संख्या 1 परिवादी के पक्ष में निस्तारित किया जाता है।
5. बिन्दु संख्या 2:- कि क्या विपक्षी का उक्त कृत्य एक सेवा त्रुटी के दोष की तारीफ में आता है अथवा नहीं ? विद्वान अभिभाषक अप्रार्थीगण बीमा कम्पनी की दलील है कि बीमा धारक ने पाॅलिसी लिये जाने से पूर्व क्मबसंतंजपवद व िहववक भ्मंसजी मे पूछी गई स्वास्थ से सम्बधित जानकारी मे पूर्व में कोई बीमारी होना नही बताया जाकर स्वस्थ होना बताया जब कि प्रार्थीया के पति द्वारा कराये गये इलाज एवं ड्राइगोनिस्स के तथ्यों को छुपाया गया। इस प्रकार गलत क्मबसंतंजपवद दिया गया इसके आधार पर क्लेम खारिज किया गया है वह सही है। उनकी यह भी दलील है कि दौराने अनुसंधान प्रार्थीया के पति भगवानाराम के दस्तावेज एवं इलाज से सम्बधित मेडिकल दस्तावेज सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर एवं पी.बी.एम. चिकित्सालय बीकानेर से प्राप्त किये गये थे। उन दस्तावेज से यह प्रकट हुआ कि प्रार्थीया के पति भगवानाराम ब्। च्ंदबमतंे ;ब्मदेमत च्ंदबमतंेद्ध के लिए उक्त अस्पताल मे दिनांक 03.07.2013 से 09.10.2013 को इलाज किया गया जो प्रार्थीया के पति के द्वारा उक्त ड्राइगोनिस्स के तथ्यों को दिनांक 04.10.2013 के क्व्ळ के अन्तर्गत प्रकट नही किया गया है उनकी यह भी दलील है कि उक्त क्लैम सही खारिज किया गया है। तथा परिवादीया का परिवाद मय हर्जे खर्चे के खारिज किये जाने का निवेदन किया। तथा अपने तर्को के समर्थन मे माननीय उच्चतम न्यायालय का स्पमि प्देनतंदबम ब्वतचवतजपवद व िप्दकपं - व्तेण्अेण्ैउजण्।ेीं ळवमस - ।दतण् आंध्रप्रदेष हाईकोट का स्प्ब् व िप्दकपं अध्े ठण्ब्ींदकतंअंजींउउंए।प्त्1971 ।च्41ए माननीय राष्टीय उपभोक्ता आयोग का स्प्ब् व िप्दकपं - वजीमते अध्े ठंसइपत ज्ञंनत व पंजाब राज्य उपभोक्ता आयोग का स्प्ब् व िप्दकपं अध्े ैउजण् च्पंतप क्मअप - व्जीमते का विनिष्चय पेष किये गये।
6 इसका प्रबल विरोध करते हुए परिवादीया विद्वान अभिभाषक की दलील है कि जो क्मबसंतंजपवद थ्वतउ दिनांक 04.10.2013 अप्रार्थीगण ने बताया है वह अग्रेजी भाषा मे है। मृतक भगवानाराम के हस्ताक्षर हिन्दी मे है। वह एक ग्रामीण परिवेष का व्यक्ति है। जो क्मबसंतंजपवद की भाषा अग्रेजी को नही समझ सकता इस क्मबसंतंजपवद को पढाकर भगवानाराम को समझा दिया गया हो ऐसी कम्पनी की साक्ष्य नही है। रतनसिंह जिसने यह क्मबसंतंजपवद थ्वतउ भरा उसका भी कोई शपथ-पत्र पेष नहीं किया गया है। न ही साक्ष्य में उसे पेष किया गया है। तथा मूल क्मबसंतंजपवद थ्वतउ को पेष नही किया गया है उसकी फोटो प्रति पेष की गई है। अतः क्मबसंतंजपवद व िहववक भ्मंसजी प्रमाण-पत्र साबित नही है। न ही भगवानाराम के द्वारा हस्ताक्षर करना साबित है उनकी यह भी दलील है कि भगवानाराम की मृत्यु स्वभाविक थी उनकी मृत्यु ब्। च्ंदबमतंे से नही हुई है तथा क्मबसंतंजपवद वितउ में प्री एगजीस्ंिटग बीमारी का कोई कालम नहीं हैं अत बीमारी छुपाने का आरोप गलत हैं। उनकी यह भी दलील है कि अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने जो दिनांक 11.03.2013 का बिल पेष किया गया यह भगवानाराम का हो यह साबित नही है। क्योकि उसमे भगवानाराम का नाम नही है। तथा एक दूसरा बिल डाॅ. दिनेष कोठारी को पेष किया गया है उसमे भी कोई दिनांक अंकित नही है। अतः यह बिल घोषणा से पूर्व का हो यह भी साबित नही है। तथा रोग उपचार पत्र भगवानाराम का पेष किया गया उसमे भी कोई दिनांक स्पष्ट रूप से प्रकट नही है। तथा दिनांक 22.11.2013 का जो रोग उपचार पत्र पेष किया गया वह घोषणा पत्र के बाद का है। तथा मानसी लेब का जो डाईग्नोसिस रिपोर्ट दिनांक 11.03.2013 पेष की गई उसमें भी त्ण्।ण् थ्।ब्ज्व्त् छम्ळ।ज्प्टम् हैै। तथा इसमे भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी कोई मदद नही मिलती। उनकी यह भी दलील है कि दिनांक 25.05.2013 का जो डाॅ. अमीता भार्गव का परामर्ष पत्र पेष किया गया है उसको भी साबित नही कराया यह दस्तावेज जाॅच मे किसने लिया किससे लिया गया यह साबित नही है। न ही डाॅ. अमिता भार्गव का कोई शपथ-पत्र पेष किया है।
7 उनकी यह भी दलील है कि दिनांक 03.07.2013 को जो ।कउपेेपवद ंदक क्पेबींतहम त्मबवतक ैण्डण्ै डमकपबंस ब्वससमहम ।दक भ्वेचपजंस श्रंपचनत का पेष किया गया है वह मूल दस्तावेज नहीं हैं इसकी मूल प्रति से प्रमाणित प्रति किसने प्राप्त कि उसका शपथ पत्र भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पेष नहीं किया तथा नही उसे स्वय को पेष किया गया है। तथा दिनांक 09.10.2013, 10.10.2013, 21.11.2013 को जो बिल पेष किये है वो क्मबसंतंजपवद के बाद के है। परिवादीया के पति ने बैक से लान प्राप्त किया था प्रीमियम का भुगतान परिवादीया के पति भगवानाराम के लान एकाउन्ट से की गई है उसका कोई इरादा यह नही था। कि तथ्य को छुपा कर झुठा क्मबसंतंजपवद दिया गया हो। अतः क्मबसंतंजपवद से पूर्व बीमारी परिवादिया के पति को हो ऐसा बीमा कम्पनी साबित नही कर पाई है इस प्रकार की बीमारी को क्मबसंतंजपवद मे छिपाया हो यह बात गलत है। अतः जो क्लैम खारिज किया गया है वह गलत खारिज किया गया है। अतः अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादीया का क्लेम खारिज कर सेवा दोष कारित किया है। परिवादीयागण को बीमीत राषि के साथ मानसिक हर्जाना व परिवाद व्यय दिलाए जाने का निवेदन किया। अपने तर्को के सर्मथन मेें अपील सं. 186-2014 सुरेन्द्र सरीन बनाम ओरियटल इंष्योरेंस कंपनी लिमिटेड राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर निर्णय 06.01.2015, माननीय राष्टीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली रिवीजन पीटिसन नम्बर 3021/2014 बिडला सन लाइफ इन्सोनेन्स कम्पनी बनाम श्रीमति किरण परफुले बहादुरे निर्णय दिनांक 13.01.2015, माननीय राष्टीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली रिवीजन पीटिसन नम्बर 1496/2010 एल.आई.सी. आफ इण्डिया बनाम सौरव अग्रवाल दिनांक 02.01.2015, अपील सं. 746/2010 भारतीय जीवन बीमा निगम बनाम श्री मति रूकमणी देवी राज्य उपभोक्ता आयोग जयपुर दिनांक 05.10.2015, माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग राजस्थान जयपुर के प्रथम अपील संख्या 1110/2012 ठंरंर ।ससपंद्र स्पमि प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जकण् अध्े ैीममसं मजबण् निर्णय दिनांक 26.09.2013 के विनिष्चय पेष किये।
8 उभय पक्षों के तर्को पर मनन किया गया पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य पर हमारी राय इस प्रकार हैं कि हम सिद्धांत रूप से अप्रार्थी बीमा कम्पनी की प्रस्तुत दलील से सहमत है कि यदि यह प्रमाणित हो जाता है की किसी भी बीमीत का बीमा अनुबन्ध करते समय स्वास्थय सम्बन्धी आवष्यक तथ्यो को बीमित ने छुपाया है तो ऐसे तथ्य जो उसके ज्ञान में थे उसके सम्बन्ध मे मिथ्या घोषणा की है तो बीमा अनुबन्ध स्वत ही निरस्त हो जाता है। लेकिन बीमा कम्पनी को साक्ष्य के आधार पर यह साबित करना होगा की बीमा धारक ने अपनी पूर्व बीमारी के तथ्य को घोषणा के समय छुपाया है। इस सम्बन्ध सर्व प्रथम बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत घोषणा प्रमाण पत्र दिनांक 04.10.2013 जो पेष किया गया है। वह मूल घोषणा पत्र नही है उसकी फोटा प्रति है तथा घोषणा पत्र मे प्री एगजीस्ंिटग बीमारी का कोई कालम नहीं हैं। उसको किसी भी गवाह द्वारा बीमा कम्पनी ने साबित नहीं कराया है। रतनसिंह जिसने क्मबसंतंजपवद वितउ भरा है उसको भी साक्ष्य में पेष नही किया गया है न ही भगवानाराम के हस्ताक्षरों को सक्षम साक्ष्य से प्रमाणित कराया है। यह क्मबसंतंजपवद वितउ अग्रेजी भाषा मे है गवाह रतनसिंह ही इस तथ्य को साबित कर सकता था कि भगवानाराम को यह क्मबसंतंजपवद वितउ पढ कर समझा दिया था और सही मान कर यह हस्ताक्षर किये थे। भगवानराम ग्रामीण परिवेष का व्यक्ति है उससे यह आषा नही कि जा सकती की अग्रेजी में दिये गए क्मबसंतंजपवद वितउ को समझ कर हस्ताक्षर किये हो। अप्रार्थीगण की तरफ से साक्ष्य में केवल प्रीती सावत असिस्टेन्ट वाइस प्रसिडेन्ट लीगल कोटक महेन्द्रा का शपथ पत्र पेष किया गया है उसने भी अपनी साक्ष्य में यह नही बताया की क्मबसंतंजपवद वितउ मृतक भगवानाराम को समझा दिया गया हो समझाने के बाद ही रतनसिह की मौजूदगी में भगवानाराम ने इस पर हस्ताक्षर किये हो अत घोषणा पत्र के सम्बन्ध में सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य रतनसिह की थी। जिसका शपथ पत्र या कोई साक्ष्य साबित करने के लिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पेष नहीं की है अत अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत क्मबसंतंजपवद व िहववक भ्मंसजी प्रमाण पत्र दिनांक 04.10.2013 साबित नहीं है परिवादीया के विद्वान अधिवक्ता द्वारा पेष माननीय राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग राजस्थान जयपुर के प्रथम अपील संख्या 1110/2012 ठंरंर ।ससपंद्र स्पमि प्देनतंदबम ब्वउचंदल स्जकण् अध्े ैीममसं मजबण् निर्णय दिनांक 26.09.2013 के पेरा सं. 7 में प्ज पे ं हमदमतंस चतंबजपबम ंउवदहेज जीम ंहमदजे व िजीम प्देनतंदबम बवउचंदल जींज जीमल जीमउेमसअमे पिसस नच जीम चतवचवेंस वितउे व िजीम पदेनतमक ंदक पद ं तवनजपदम उंददमत जीमल जीमउेमसअमे चनज जीम ंदेूमते जव जीम ुनमतपेमे पद जीम चतवचवेंस वितउण् ज्ीम मदजपतम चतवचवेंस वितउ पे पद म्दहसपेी ूीमतमंे तिवउ जीम ेपहदंजनतमे व िजीम पदेनतक ंतम पद भ्पदकपण् प्ज ंचचमंते तिवउ जीम चतवचवेंस वितउ जींज जीम पदेनतमक ूंे इंेपबंससल ंद ंहतपबनसजनतपेजण् इससे भी हमारे मत को बल मिलता हैं
9 अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रस्तुत बिल दिनांक 11.03.2013 भगवानाराम का ही हो ऐसा साबित नहीं हैं क्योकि इस पर भगवानाराम का नाम नहीं है। तथा डा. दिनेष कोठारी का परामर्ष पत्र पेष किया गया है इसमें भी दिनांक अकित नही है कि यह घोषणा से पहले का हो तथा इसमें परामर्ष व नाम अलग अलग स्याही से अकित है। अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा पेष परामर्ष पत्र दिनांक 25.05.2013 जो डा. अमिता भार्गव का है लेकिन इसमें कोई ऐसा निष्कर्ष नहीं है कि बीमीत व्यकि कैन्सर बीमारी से ग्रसित हो इसमें मृतक को केवल भर्ती होने की सलाह दी गई थी। अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से भगवानाराम का दिनांक 03.07.2013 का ।कउपेेपवद ंदक क्पेबींतहम त्मबवतक ैण्डण्ै डमकपबंस ब्वससमहम ।दक भ्वेचपजंस श्रंपचनत का पेष किया गया है। उसमे यह तथ्य अवष्य आया है कि ब्। च्ंदबमतंे की बीमारी थी इस सम्बन्ध में अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से पेष गवाह प्रीती सावत ने अपनी साक्ष्य मे यह बताया है कि अनुसंधान की कार्यवाही के अन्तर्गत यह दस्तावेज प्राप्त किये लेकिन यह दस्तावेज किसने प्राप्त किये, किसने अनुसंधान किया इस बाबत कोई साक्ष्य नही है तथा अनुसंधान कर्ता व दस्तावेज प्राप्तकर्ता का भी शपथ पत्र पेष नही किया गया है। डा सहायक आचार्य रेडियोथैरेपी विभाग एस.एम.एस हास्पीटल जयपुर का भी इस बाबत शपथ पत्र नही है डाक्टर की साक्ष्य से भी इस बात को अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने साबित नहीं कराया है तो यह नही माना जा सकता कि मृतक क्मबसंतंजपवद से पूर्व किसी बीमारी से गा्रसित था हमारे मत को माननीय राष्टीय उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नई दिल्ली के रिवीजन पीटिसन सं. 3021/2014 बिडला सन लाइफ इन्सोनेन्स कम्पनी बनाम श्रीमति किरण परफुले बहादुरे निर्णय दिनांक 13.01.2015, में प्रतिपादित ब्वउचंदल ींे दवज ेनइउपजजमक ंदल ेनचचवतजपदह चंचमते वज जीम ंििपकंअपज व िजीम कवबजवत ूीव जतमंजमक जीम संजम चवसपबल ीवसकमत बल मिलता है तथा जो दस्तावेज पेष किये गए है वह मूल दस्तावेज नही है वह प्रतिलिपि है अप्रार्थी बीमा कम्पनी द्वारा प्रतिलिपि सत्यापित करने वाले व्यक्ति का शपथ पत्र भी पेष नही किया गया है तथा बीमा कम्पनी द्वारा दिनांक 22.04.2013 पी.बी.एम चिकित्सालय बीकानेर अन्तर्वासी रोगी शयया शीर्ष टिकट पेष किया गया है लेकिन इस टिकट पर जो व्इमतेंअंजपवद अकित किया गया है उसमे यह तथ्य आया है कि छव डमेे स्मेपवद ैममद प्द च्ंदबतमवे क्नम ज्व ळंेमेने ।इकवउमद इसमे भी अप्रार्थी बीमा कम्पनी को घोषणा पत्र से पूर्व बीमारी के बाबत् कोई मदद नही मिलती है अप्रार्थी बीमा कम्पनी की तरफ से पेष दस्तावेज दिनांक 22.11.2013 जो क्मबसंतंजपवद व िहववक भ्मंसजी के बाद के है तथा मृतक की मृत्यु क्मबसंतंजपवद व िहववक भ्मंसजी प्रमाण-पत्र से पूर्व की बीमारी से हुई हो ऐसा भी बीमा कम्पनी की कोई साक्ष्य नही है।
10. परिवादीया द्वारा अपनी साक्ष्य मे यह बताया गया है कि उसका पति भगवानाराम वक्त बीमा स्वस्थ व्यक्ति था उसे कोई बीमारी नही थी व उसकी मृत्यु उल्टी दस्त के कारण हुई थी, उसे कैन्सर की कोई बीमारी नही थी। इस सम्बन्ध मे परिवादीया द्वारा प्रस्तुत मृत्यु प्रमाण पत्र में भी मृत्यु का कारण कैन्सर ही होना नही बताया है तथा संरपच ग्राम पंचायत मोहनगढ का मृत्यु प्रमाण पत्र पेष हुआ उसने बताया कि भगवानाराम पुत्र जसोताराम जाति मेघवाल निवासी मोहनगढ की आकस्मिक मृत्यु दिनांक 01.12.2013 को हो गई मृत्यु से पूर्व वह भली भाति स्वस्थ था। अत पूर्व बीमारी से मृत्यु हुई हो ऐसा अप्रार्थी बीमा कम्पनी साबित करने मे असफल रही है अतः उपरोक्त साक्ष्य विवेचन से यह प्रकट है कि क्मबसंतंजपवद व िहववक भ्मंसजी दिनांक 04.10.2013 जिसके आधार पर अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने क्लेम खारिज किया है तथा जो दस्तावेज मृतक भगवानाराम के दिनांक 04.10.2013 से पूर्व के पेष किये है उसको बीमा कम्पनी साबित नही कर पाई है तथा अनुसंधान कर्ता जिसने यह दस्तावेज प्राप्त किये उसका भी कोई शपथ पत्र पेष नही किया गया है तथा बीमा शर्तो से भगवानाराम को अवगत करा दिया गया हो ऐसी भी बीमा कम्पनी की कोई साक्ष्य नही है अत अप्रार्थी बीमा कम्पनी ने परिवादीयागण का जो क्लेम खारिज किया है वह उचित नही है इसलिए अप्रार्थी बीमा कम्पनी सख्या 1 व 2 ने परिवादीयागण का क्लेम खारिज कर सेवा दोष कारित किया है।
फलतः बिन्दु संख्या 2 अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के विरूद्व निस्तारित किया जाता है ।
11. बिन्दु संख्या 3:- अनुतोष । बिन्दु संख्या 2 परिवादीयागण के पक्ष मे निस्तारित होने के फलस्वरूप परिवादीयागण का परिवाद अप्रार्थी सं. 1 व 2 के विरूद्व स्वीकार किये जाने योग्य है जो स्वीकार किया जाता है जहां तक क्लैम की राषि का प्रष्न है परिवादीयागण अप्रार्थी संख्या 1 व 2 बीमा कम्पनी से बीमित राषि दो लाख रूपये प्राप्त करने के अधिकारिणी है तथा साथ ही उनसे इस राषि पर परिवाद प्रस्तुत होने की दिनांक 15.04.2014 से तावसूली तक 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज भी प्राप्त करने का हकदार है तथा परिवादीयागण को मानसिक वेदना के 3000 रूप्ये व परिवाद व्यय पेटे 2000 रूपये दिलाए जाना उचित है।
ः-ः आदेश:-ः
परिणामतः परिवादीयागण का परिवाद अप्रार्थी संख्या 1 व 2 के विरूद्व स्वीकार किया जाकर अप्रार्थी संख्या 1 व 2 बीमा कम्पनी को आदेषित किया जाता है कि वह 2 माह के भीतर-भीतर परिवादीयागण को बीमित राषि दो लाख रूपये व इस राषि पर परिवाद प्रस्तुत करने की दिनाकं 15.04.2014 से तावसूली 9 प्रतिषत वार्षिक ब्याज अदा करें, इसके अलावा मानसिक हर्जाना पेटे रू 3,000/- रूपये तीन हजार मात्र एवं परिवाद व्यय पेटे रू 2000/- रूपये दो हजार मात्र 2 माह के भीतर भीतर अदा करे ।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।
आदेश आज दिनांक 05.11.2015 को लिखाया जाकर खुले मंच में सुनाया गया।
( मनोहर सिंह नारावत ) (संतोष व्यास) (रामचरन मीना)
सदस्य, सदस्या अध्यक्ष,
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच,
जैसलमेर। जैसलमेर। जैसलमेर।