(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ
अपील संख्या-1889/2007
National Insurance Company Ltd through Divisional Manager, Divisional Office
Versus
Km. Deepti Rani Bhattacharya daughter of Late Prakash Chandra Bhattacharya
समक्ष:-
1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य।
2. माननीय श्रीमती सुधा उपाध्याय, सदस्य।
उपस्थिति:-
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री नीरज पॉलीवाल, विद्धान
अधिवक्ता
प्रत्यर्थी की ओर से उपस्थित: श्री यू0के0 श्रीवास्तव, विद्धान
अधिवक्ता
दिनांक: 26.07.2024
माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्य द्वारा उदघोषित
निर्णय
1. परिवाद संख्या-125/2004, कु0 दिप्ती रानी बनाम नेशनल इं0कं0लि0 में विद्वान जिला आयोग, (प्रथम) आगरा द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 29.05.2007 के विरूद्ध यह अपील प्रस्तुत की गयी है। जिला उपभोक्ता आयोग ने बीमा क्लेम की धनराशि 09 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज लगाकर भुगतान करने हेतु आदेशित किया गया है।
2. इस निर्णय/आदेश को इन आधारों पर चुनौती दी गई है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश विधि विरूद्ध है।
3. दोनों पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं को सुना गया तथा प्रश्नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली का अवलोकन किया गया।
4. निर्णय/आदेश के अवलोकन से जाहिर होता है कि विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश साक्ष्य की सही व्याख्या पर आधारित है, जिसके निष्कर्ष में किसी प्रकार की अवैधानिकता नहीं है, परन्तु अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह बहस की गई है कि ब्याज दर अत्यधिक उच्च दर से निर्धारित की गई है। निर्णय के अवलोकन से जाहिर होता है कि ब्याज की राशि 09 प्रतिशत, जो अत्यधिक उच्च दर से अधिरोपित की गयी है। अत: इस पीठ के मत में ब्याज दर 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से अदा करने का आदेश देना उचित है। अपील तदनुसार आंशिक रूप से स्वीकार होने योग्य है।
आदेश
प्रस्तुत अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। विद्वान जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा पारित प्रश्नगत निर्णय/आदेश दिनांक 29.05.2007 इस प्रकार परिवर्तित किया जाता है कि ब्याज दर 09 प्रतिशत प्रतिवर्ष के स्थान पर 07 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर देय होगी। शेष निर्णय/आदेश पुष्ट किया जाता है।
प्रस्तुत अपील में अपीलार्थी द्वारा यदि कोई धनराशि जमा की गई हो तो उक्त जमा धनराशि मय अर्जित ब्याज सहित संबंधित जिला उपभोक्ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्तारण हेतु प्रेषित की जाए।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय एवं आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दे।
(सुधा उपाध्याय)(सुशील कुमार)
सदस्य सदस्य
संदीप सिंह, आशु0 कोर्ट नं0 2