Uttar Pradesh

StateCommission

A/2654/2015

M/S Lakshya Cold Storage Pvt Ltd - Complainant(s)

Versus

Kjishan Gopal Singh - Opp.Party(s)

Sarvesh Kumar Sharma

17 Apr 2018

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2654/2015
( Date of Filing : 28 Dec 2015 )
(Arisen out of Order Dated 30/11/2015 in Case No. C/28/2011 of District Aligarh)
 
1. M/S Lakshya Cold Storage Pvt Ltd
Aligarh
...........Appellant(s)
Versus
1. Kjishan Gopal Singh
Aligarh
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 HON'BLE MR. Mahesh Chand MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 17 Apr 2018
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0 लखनऊ।

अपील संख्‍या :2654/2015

सुरक्षित

(जिला उपभोक्‍ता फोरम, अलीगढ़ द्वारा परिवाद संख्‍या-28/2011 में पारित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30-11-2015 के विरूद्ध)

M/s Lakshya Cold Storage Private Limited, near Village Tehra, Mathura Road, Police Station Iglas Tehsil Iglas, District Aligargh, through its Proprietor/Partner.                      ......अपीलार्थी/विपक्षी

बनाम्

Kishan Gopal Singh, alias Pappu, Son of Devi Singh Mumraja Haraunata, Police Station Iglas, District-Aligarh..          

                                                  ......प्रत्‍यर्थी/परिवादी

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित- विद्धान अधिवकता  श्री इफ्तेखार हसन।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-  विद्धान अधिवकता    श्री सत्‍य प्रकाश पाण्‍डेय।  

अपील संख्‍या :1218/2016

किशन गोपाल सिंह उर्फ पप्‍पू पुत्र श्री देवी सिंह, निवासी मुमरेजा हरौनता, थाना इगलास, जिला अलीगढ़।                             ......अपीलार्थी/परिवादी

बनाम्

मेसर्स लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोर प्रा0लि0, निकट ग्राम टेहरा, मथुरा रोड, थाना इगलास, तहसील इगलास, जिला अलीगढ़ उ0प्र0 द्वारा प्रोपराइटर्स/पार्टनर्स।

                                                  ......प्रत्‍यर्थी/विपक्षी

अपीलार्थी  की ओर से उपस्थित- विद्धान अधिवकता  श्री सत्‍य प्रकाश पाण्‍डेय।       प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित-  विद्धान अधिवकता       श्री इफ्तेखार हसन।

 

 

समक्ष  :-

  1- मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान,     अध्‍यक्ष।

  1. मा0 श्री महेश चन्‍द,                   सदस्‍य

दिनांक : 28-06-2018

मा0 श्री महेश चन्‍द, सदस्‍य द्वारा उद्घोषित निर्णय

परिवाद संख्‍या-28/2011 Kishan Gopal Singh alias Pappu बनाम् M/s Lakshya Cold Store Private Limited. में जिला उपभोक्‍ता फोरम, अलीगढ़ द्वारा पारित आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनां‍क 30-11-2015 के विरूद्ध उपरोक्‍त उल्लिखित अपीलें उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-15  के अन्‍तर्गत इस आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गई है। चूंकि दोनों अपीलें एक ही आक्षेपित निर्णय एवं आदेश दिनांक 30-11-2015 के विरूद्ध दायर की गयी है अत: उनका निस्‍तारण एक साथ इस निर्णय द्वारा किया जा रहा है। अपील संख्‍या-2654/2015 इसमें प्रमुख अपील होगी।

संक्षेप में विवाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार उसने अपीलार्थी के कोल्‍ड स्‍टोर में मार्च, 2010 में भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों में कुल 888 बोरे आलू का भण्‍डारण किया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार उसे अपीलार्थी/विपक्षी के द्वारा यह आश्‍वासन दिया गया था कि आलू की आगामी फसल तक उसका आलू सुरक्षित रहेगा। लेकिन वह जब उक्‍त आलू की कोल्‍ड स्‍टोर से निकासी हेतु गया तो अपीलार्थी/विपक्षी के कर्मचारियों ने समस्‍त भण्‍डारित आलू की निकासी नहीं की और कहा कि जब तक वह समस्‍त भण्‍डारित आलू का किराया जमा नहीं कर देता, उसके आलू की निकासी नहीं की जायेगी। इस पर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने उनसे पूछा कि अपीलार्थी/विपक्षी की लापरवाही के कारण उसके कितने आलू के बोरे पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्‍त हुए है। परिवादी/प्रत्‍यर्थी भण्‍डारित आलू का किराया जमा कर अपना आलू वापस लेना चाहता था तथा विपक्षी से यह भी जानना चाहता था कि उसका कितना आलू विपक्षी की लापरवाही से खराब हुआ है। अपीलार्थी/विपक्षी के साझीदार तथा उसके कर्मचारियों ने धमकी दी कि वह सम्‍पूर्ण किराया जमा करे अन्‍यथा उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

चूंकि अपीलार्थी/विपक्षी ने आलू भण्‍डारण में आलू की सुरक्षा हेतु समुचित सुविधाऍं प्रदान नहीं की जिससे उसका आलू खराब हो गया और उसे आलू की

 

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कीमत में रू0 4,50,000/- की क्षति हुई तथा बीज का आलू सड़ जाने से वह आलू की बोआई नहीं कर सका जिससे उसे बुआई न करने के कारण फसल के रूप में रू0 12,00,000/- की क्षति हुई इस प्रकार कुल रू0 16,50,000/- की क्षति हुई।इससे उसे मानसिक कष्‍ट भी हुआ। विपक्षी/अपीलार्थी के स्‍तर पर सेवा में कमी से क्षुब्‍ध होकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी ने जिला फोरम, अलीगढ़ में उपरोक्‍त उल्लिखित परिवाद संख्‍या-28/2011 दायर किया जिसमें निम्‍नलिखित अनुतोष दिलाने की प्रार्थना की गई :-

  1. That the OP be directed to pay a sum of Rs. 19.77000/- including interest of one month @ 18 % Per annum.
  2. That, the cost of the suit Rs. 5000/- be also awarded to the applicant against the OP.
  3. That, the valuation of the suit a sum of Rs. 19,82,000/- Hence Court Fee. Rs. 500/- pay vide Indian Postal Order (IPO).

उक्‍त परिवाद का अपीलार्थी/विपक्षी द्वारा जिला फोरम के समक्ष प्रतिवाद किया गया तथा प्रतिवाद पत्र दाखिल किया गया। प्रतिवाद पत्र में अभिकथन किया गया कि आलू भण्‍डारण करते समय आलू की किस्‍म का विवरण किसान पर्ची पर अंकित किया जाता है, उस पर किसान के हस्‍ताक्षर होते है। प्रतिवाद पत्र में भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों पर भिन्‍न-भिन्‍न किस्‍म का कुल 888 बोरे भण्‍डारित किया जाना स्‍वीकार किया गया है। प्रतिवाद पत्र में यह भी अभिकथन किया गया है कि जब आलू की निकासी होती है तो किसान को गेट पास दिया जाता है। विपक्षी/अपीलार्थी ने अपने प्रतिवाद पत्र में यह भी अभिकथन किया कि भण्‍डारण के समय लाट संख्‍या-1887/126 का आलू खराब एवं भीगा हुआ था। इसको भण्‍डारित करते समय परिवादी को यह बताया गया था कि यह माल खराब है तथा सड़ सकता है और इसके खराब होने पर विपक्षी की कोई जिम्‍मेदारी नहीं होगी फिर भी किसान द्वारा अपनी जिम्‍मेदारी पर उक्‍त आलू भण्‍डारित किया गया था।    प्रतिवाद पत्र में यह कथन किया गया कि चूंकि उक्‍त 126 बोरे माल खराब होकर सड़ गया था तथा उसे परिवादी ने नहीं उठाया तो दिनांक 30-11-2010 को उक्‍त  

 

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सड़ा आलू फेक दिया गया। आलू भण्‍डारण का किराया तथा उसे फिकवाने की मजदूरी का भुगतान भी परिवादी द्वारा नहीं किया गया। इसी प्रकार लाट संख्‍या-1553/82 का आलू भी भण्‍डारण के समय खराब था जो किसान की जिम्‍मेदारी पर रखा था। निकासी के समय वह भी सड़ गया था जिसे किसान के द्वारा न उठाने के कारण फिकवा दिया गया। इसका भी भण्‍डारण किराया व फेकने की मजदूरी का भुगतान परिवादी द्वारा नहीं किया गया। इस प्रकार विपक्षी ने अपने प्रतिवाद पत्र में परिवादी के अभिकथनों का प्रतिवाद करते हुए परिवादी का परिवाद रू0 1,00,000/- के हर्जे के साथ निरस्‍त करने की प्रार्थना की।

उभयपक्षोंद्वारा अपने-अपने साक्ष्‍य जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किये गये। जिला फोरम ने साक्ष्‍यों का परिशीलन कर तथा उनको सुनकर निम्‍नलिखित आक्षेपित आदेश दिनांक 30-11-2015 पारित किया है :-

‘’परिवादी का परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को शीतगृह में रखे गये आलू की कीमत रू0 4,50,000/- तथा फसल को न बो पाने व फसल की क्षति के रूप में हुई क्षति रू0 6,00,000/- का भुगतान परिवादी को करें। वाद व्‍यय के रूप में रू0 2,000/- परिवादी को विपक्षी भुगतान करें। उपरोक्‍त आदेश का पालन एक माह में किया जाए।‘’

उपरोक्‍त आक्षेपित आदेश से क्षुब्‍ध होकर प्रस्‍तुत अपीलें दायर की गयी है। अपीलार्थी लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज द्वारा अपील संख्‍या-2654/2015 प्रश्‍नगत आदेश रू0 1,00,000/- के हर्जे के साथ को निरस्‍त करने हेतु तथा परिवादी द्वारा अपील संख्‍या-1218/2016 जिला फोरम द्वारा दिये गये अनुतोष में वृद्धि के लिए दायर की गयी है। 

अपील संख्‍या-2654/2015 में आधार लिया गया है कि विद्धान जिला फोरम ने तथ्‍यों की पूर्णतया अनदेखी कर प्रश्‍नगत आदेश वित्‍तीय क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर पारित किया है। अपील के आधार में कहा गया है कि प्रश्‍नगत परिवाद का मूल्‍यांकन रू0 20,00,000/- से अधिक का है जिसका विद्धान जिला फोरम ने संज्ञान न लेकर त्रुटि की है। अपीलार्थी द्वारा प्रश्‍नगत प्रकरण में किसी प्रकार की सेवा में त्रुटि नहीं की है। परिवादी ने परिवाद साफ नियत से दायर नहीं किया बल्कि तथ्‍यों को छिपाकर दायर  किया है। विद्धान जिला फोरम ने रू0

 

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4,50,000/- तथा रू0 6,00,000/- का अनुतोष देकर किसी औचित्‍य का प्रदर्शन नहीं किया और पूर्णतया त्रुटिपूर्ण आदेश पारित किया है जो निरस्‍त होने योग्‍य है।

अपील संख्‍या-1218/2016 परिवादी द्वारा दायर की गयी है जिसमें प्रश्‍नगत आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गयी है कि विद्धान जिला फोरम ने तथ्‍यों की सही प्रकार से विवेचना नहीं की है और परिवादी का आलू सड़ जाने के कारण परिवादी को आर्थिक और मानसिक क्षति हुई थी और उसके लिए विद्धान जिला फोरम ने बहुत ही कम धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दिलायी है जिसमें वृद्धि की जानी आवश्‍यक है।

चूंकि दोनों अपीलें एक ही आदेश के विरूद्ध है अत: इन दोनों अपीलों का निस्‍तारण एक साथ किया जा रहा है।

पीठ द्वारा दोनों अपीलों में लिये गये आधारों पर सम्‍यक विचार किया है और विद्धान जिला फोरम के प्रश्‍नगत आदेश का तथा परिवाद में उठाये गये बिन्‍दुओं का गंभीरता से अध्‍ययन किया गया।

उभयपक्षों के विद्धान अधिवक्‍ताओं के तर्कों को ध्‍यानपूर्वक सुना गया। यह पीठ इस मत की है कि यह तथ्‍य निर्विवाद है कि परिवादी ने 888 बोरे आलू भिन्‍न-भिन्‍न तिथियों में माह मार्च, 2010 में अपीलार्थी लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज में भण्‍डारित किया था और उक्‍त आलू के अलग-अलग लाट रखे गये थे और प्रत्‍येक लाट का आलू अलग-अलग किस्‍म का था। यह भी निर्विवादित रूप से स्‍पष्‍ट है कि परिवादी का लाट संख्‍या-1887/126 तथा लाट संख्‍या-1553/82 का कुल 208  बोरे आलू  भण्‍डारण अवधि में खराब हो गया जिसे अपीलार्थी/विपक्षी लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज द्वारा निकासी के समय फेक दिया गया। यह तथ्‍य अपीलार्थी/विपक्षी लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरज ने अपने प्रतिवाद पत्र में भी जिला फोरम के समक्ष स्‍वीकार किया है। आलू की निकासी के समय किसान को गेट पास निर्गत किये जाते हैं। विद्धान जिला फोरम के समक्ष कोल्‍ड स्‍टोरेज द्वारा गेट पासों की जो छायाप्रतियॉ दाखिल की गयी है उससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि शेष आलू परिवादी द्वारा निकासी के समय प्राप्‍त कर लिया गया था क्‍योंकि गेट पासों पर परिवादी अथवा प्रतिनिधियों के हस्‍ताक्षर है और उस पर किसी प्रकार की कोई आपत्ति परिवादी द्वारा दाखिल

 

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नहीं की गयी थी जिससे यह स्‍पष्‍ट होता हो कि 680 बोरा आलू भी सड़ गया था, और ऐसा कोई साक्ष्‍य भी परिवादी द्वारा प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। केवल दो लाटो का 208 बोरा आलू सड़ने का तथ्‍य लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज के द्वारा स्‍वीकार किया गया है। अपीलार्थी लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोर के इस तथ्‍य को स्‍वीकार नहीं किया जा सकता कि भण्‍डारण के समय 208 बोरे आलू खराब या दागी था और यदि वह आलू गीला, दागी या खराब था तो उसे प्रारम्‍भ में ही किसान को वापस कर देना चाहिए था और अपने कोल्‍ड स्‍टोरेज में भण्‍डारित नहीं करना चाहिए था।  अत: यह पीठ इस मत की है कि भण्‍डारण की अवधि में कोल्‍ड स्‍टोर की लापरवाही के कारण  208 बोरे आलू के सड़ने से परिवादी को हुई हानि की क्षतिपूर्ति अदा करने का उत्‍तरदायित्‍व अपीलार्थी लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज का है।

विद्धान जिला फोरम ने समस्‍त 888 बोरे आलू के सड़ जाने की बात अवधारित करते हुए आलू की समस्‍त कीमत रू0 4,50,000/- तथा फसल न बो पाने से होने वाली क्षति रू0 6,00,000/- की हानि की क्षतिपूर्ति का अनुतोष देकर त्रुटि की है क्‍यों कि फसल बोना अथवा न बोना किसान का अपना विवेक था और यदि किसान को आलू की फसल बोनी थी तो वह आलू का बीज कहीं से भी प्राप्‍त कर फसल बो सकता था और उससे अपनी आय अर्जित कर सकता था। फसल न बोने के कारण जो जिला फोरम ने  रू0 6,00,000/- की क्षतिपूर्ति अनुमन्‍य की है वह त्रुटिपूर्ण है। इसी प्रकार समस्‍त 888 बोरा आलू की कीमत अनुमन्‍य करके भी  जिला फोरम ने त्रुटि की है। किन्‍तु 208 बोरा सड़े आलू की कीमत प्राप्‍त करने के लिए परिवादी हकदार है। 208 बोरा आलू में 82 बोरा आलू मोटा गुल्‍ला श्रेणी का था और 126 बोरा आलू गुल्‍ला श्रेणी का था। पत्रावली पर शासन के एक पत्र दिनांक 07 अक्‍टूबर, 2010 की प्रतिलिपि जो निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंसकरण विभाग, उ0प्र0 शासन को सम्‍बोधित है, के अवलोकन से स्‍पष्‍ट होता है कि उक्‍त पत्र वित्‍तीय वर्ष 2010-11 में आलू बीज विक्रय दर का निर्धारण एवं आलू निकासी के संबंध में है जिसमें आलू बीज की अधिकतम कीमत रू0 1245/- और न्‍यूनतम दर रू0 1035/- अंकित की गयी है, किन्‍तु उक्‍त पत्र में गुल्‍ला मोटा आदि के संबंध में कोई उल्‍लेख नहीं है। अत: आलू के बीज की अधिकतम एवं न्‍यूनतम दरों की औसत  दर से क्षतिग्रस्‍त बीज के आलू की कीमत का आंकलन किया जा सकता है। अधिकतम एवं न्‍यूनतम दरों का औसत रू0 1140/- प्रति कुन्‍तल आता है। शासन की उपरोक्‍त उल्लिखित दरें प्रति कुन्‍तल की दर से है न कि बोरे के हिसाब से। अब प्रश्‍न यह उठता है कि प्रत्‍येक बोरे में कितने किलों आलू था। सामान्‍यत: भण्‍डारण किये गये प्रत्‍येक आलू के बोरे में 50 किलो आलू रहता है।

परिवादी ने अपने परिवाद पत्र में यह उल्‍लेख नहीं किया है कि उक्‍त 888 बोरे आलू का कुल वजन कितना था अत: 50 किलो प्रति बोरे के हिसाब से 208 बोरा आलू का कुल वजन 104 कुन्‍तल होता है। इस प्रकार 104 कुन्‍तल आलू का मूल्‍य रू0 1140/- प्रति कुन्‍तल के हिसाब से कुल रू0 1,18560/-/- होता है। चूंकि परिवादी ने लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज को किराये का भुगतान नहीं किया है और ऐसा कोई साक्ष्‍य भी प्रस्‍तुत नहीं किया है जिससे यह स्‍पष्‍ट होता हो कि उसने आलू भण्‍डारण के किराये का भुगतान किया हो अत: लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज अपने कोल्‍ड स्‍टोर में आलू भण्‍डारित करने का किराया प्राप्‍त करने का अधिकारी है। अपीलार्थी/विपक्षी ने अपने संशोधन प्रतिवाद पत्र में आलू भण्‍डारण का किराया रू0 62/- प्रति बोरा अंकित किया है। इसी प्रकार सड़ेआलू को फेकने की मजदूरी भी रू0 10/- प्रति बोरा अंकित की गयी है। इसमें से रू0 62/- प्रति बोरे की दर से कुल 208 बोरा सड़े आलू का किराया रू0 12,896/- तथा रू0 10/- प्रति बोरे की दर से उसे फेकने की मजदूरी रू0 2080/- कुल राशि रू0 14,976/- घटराकर शेष राशि 1,03,584/- होती है। अत: उक्‍त धनराशि वह कोल्‍ड स्‍टोरेज के स्‍वामी से प्राप्‍त करने का पात्र है। अपीलार्थी लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज की अपील संख्‍या-2654/2015 में बल प्रतीत होता है अत: अपीलार्थी की अपील संख्‍या-2654/2015 आंशिक रूप से स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है और प्रश्‍नगत आदेश संशोधित किये जाने योग्‍य है। परिवादी/अपीलार्थी की अपील संख्‍या-1218/16 में कोई बल नहीं और निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

अपीलार्थी लक्ष्‍य कोल्‍ड स्‍टोरेज की अपील संख्‍या-2654/2015 में बल प्रतीत होता है अत: अपील संख्‍या-2654/2015 आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है और प्रश्‍नगत आदेश संशोधित करते हुए रू0 4,50,000/- के स्‍थान पर 104 कुन्‍तल आलू का मूल्‍य रू0 1140/- के हिसाब से कुल  रू0 1,18,560/- होता है और इसमें से रू0 62/- प्रति बोरे की दर से कुल 208 बोरा आलू कोल्‍ड स्‍टोरेज में रखे

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जाने का किराया रू0 12,896/- तथा 208 बोरे सड़े आलू को फेकने की मजदूरी रू0 2080/- कुल धनराशि रू0 14896/- को घटाकर शेष राशि कुल रू0 1,03,584/-/- अपीलार्थी प्रत्‍यर्थी/परिवादी को दावा दायर करने की तिथि से अदायगी की तिथि तक 09 प्रतिशत ब्‍याज सहित निर्णय से एक माह में अदा करेगा। विपक्षी कोल्‍ड स्‍टोरेज परिवादी को जिला फोरम द्वारा आक्षेपित रू0 2000/- वाद व्‍यय की धनराशि भी अदा करेगा। फसल बोआई न करने से फसल की क्षति रू0 600,000/- के आदेश को अपास्‍त किया जाता है।  परिवादी/अपीलार्थी की अपील संख्‍या-1218/16 निरस्‍त की जाती है।

उभयपक्षअपना-अपना अपीलीय व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

निर्णय की प्रमाणित प्रति उभयपक्षों को नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाए।

 

(न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान)                      (महेश चन्‍द)

          अध्‍यक्ष                                  सदस्‍य

कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा, आशु0

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Mahesh Chand]
MEMBER

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