Uttar Pradesh

StateCommission

A/432/2018

Ramlakhan Jaiswal - Complainant(s)

Versus

Kisan Seva Kendra - Opp.Party(s)

Iftekhar Hasan

05 Jun 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/432/2018
( Date of Filing : 07 Mar 2018 )
(Arisen out of Order Dated 29/01/2018 in Case No. C/202/2017 of District Sonbhadra)
 
1. Ramlakhan Jaiswal
Sonbhaddra
...........Appellant(s)
Versus
1. Kisan Seva Kendra
Sonbhaddra
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. Vikas Saxena PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Jun 2024
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।

मौखिक

अपील सं0-432/2018

 

(जिला उपभोक्‍ता आयोग, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0-202/2017 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 29-01-2018 के विरूद्ध)

राम लखन जायसवाल, आयु लगभग 63 वर्ष, पुत्र स्‍व0 बैजनाथ जायसवाल, निवासी ग्राम सलखन, पोस्‍ट-सलखन, तहसील राबर्ट्सगंज, जिला-सोनभद्र।

    ............अपीलार्थी/परिवादी।

                                बनाम    

किसान सेवा केन्‍द्र, पिपरी रोड, उरमौरा, पोस्‍ट-राबर्ट्सगंज, तहसील राबर्ट्सगंज, जिला-सोनभद्र बजरिये-देवानन्‍द द्विवेदी पुत्र कृपाशंकर दुबे, निवासी-परासी दुबे, जिला-सोनभद्र।

            ............प्रत्‍यर्थी/विपक्षी।  

समक्ष:-

1. मा0 श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

2. मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित: श्री इस्‍तेखार हसन विद्वान अधिवक्‍ता।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित : श्री अनिल कुमार मिश्रा विद्वान अधिवक्‍ता।    

 

दिनांक :- 05-06-2024.

 

मा0 श्रीमती सुधा उपाध्‍याय, सदस्‍य द्वारा उदघोषित

 

निर्णय

यह अपील, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा-15 के अन्‍तर्गत, जिला उपभोक्‍ता आयोग, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0-202/2017 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 29-01-2018 के विरूद्ध योजित की गयी है।

परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी एक गरीब कृषक है तथा कृषि से होने वाली उपज से ही उसकी आजीविका चलती है। परिवादी ने अपने कृषि कार्य हेतु एक ट्रैक्टर खरीदने के उद्देश्य से विपक्षी के एजेन्सी में सम्पर्क किया। विपक्षी के द्वारा बताया गया कि फार्मट्रैक का मॉडल बी०पी०-41 ट्रैक्टर बहुत अच्छा है तथा यह ट्रैक्टर 03 लीटर प्रति घण्टा सूखी जुताई में तथा 3.5 लीटर प्रति घण्टा गीले जुताई में तेल के खपत करता है।

-2-

यह कि विपक्षी के बताने के अनुसार परिवादी ने कहा कि यह ट्रायल कराकर ट्रैक्टर के तेल के खपत के बारे में दिखवा देंगे तभी परिवादी ट्रैक्टर खरीदेगा जिस पर विपक्षी द्वारा कहा गया कि ट्रैक्टर ट्रायल में तभी भेजा जायेगा जब तक कि कुछ एडवांस जमा नहीं होगा यदि ट्रैक्टर उक्त तेल खपत के अनुसार नहीं होगा तो ट्रैक्टर वापस कर लिया जावेगा। उक्त कम्पनी का सभी ट्रैक्टर ज्यादा डीजल खपत करता है।

यह कि परिवादी ने विपक्षी की बातों पर विश्वास करके उसे 32,000/- रूपये 11.07.2017 को अदा कर दिया तथा 2,68,000/- रूपये अपने खाते से विपक्षी के बैंक खाते में दिनॉक 13.07.2017 को भुगतान कर दिया, इस प्रकार से परिवादी ने विपक्षी को कुल 3,00,000/- रू0 अदा किया, किन्‍तु विपक्षी द्वारा परिवादी को कोई भी सेल लेटर या अन्य रसीद जो कि बस्तु एवं सेवा कर (जी०एस०टी०) के तहत है, कोई बिल नहीं दिया।

यह कि परिवादी ने ट्रैक्टर ले जाकर जब ट्रैक्टर से ट्रायल के तहत सूखे खेत में जुताई किया तो एक घण्टे में 06 लीटर डीजल की खपत हुआ जो कि विपक्षी के बताने से दूना खपत रहा तब परिवादी ने विपक्षी को सूचना दिया विपक्षी के द्वारा फार्म ट्रैक कम्पनी का इन्जीनियर अपने रोल्लामैन व मिस्त्री को दिनॉक 18.07.2017 को मौके पर भेजा उनके सामने ट्रैक्टर से सूखे में जुताई करने पर भी ट्रैक्टर द्वारा प्रति घण्टा 06 से 65 लीटर डीजल की खपत किया गया तब इन्जीनियर, सेल्समैन व मिस्त्री के द्वारा ट्रैक्टर में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट की बात कहकर दूसरा ट्रैक्टर देने हेतु कहा गया। ट्रैक्टर एक दिन 02 घण्टा व दूसरे दिन 06 घण्टा कुल 08 घण्टा चला। विपक्षी द्वारा कहा गया कि ट्रैक्टर वापस कर देवें एवं अपना पैसा वापस ले लेवें।

यह कि ट्रैक्टर का एवरेज सही नहीं होने के कारण एवं मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट के कारण दिनॉक, 27.07.2017 को परिवादी ने विपक्षी को ट्रैक्टर वापस कर दिया गया तथा परिवादी द्वारा विपक्षी से अपना पैसा मु० 3,00,000/- रूपये वापस

-3-

माँगा गया तो विपक्षी ने कहा कि अभी पेशा वापरा नहीं होगा तब परिवादी ने ट्रैक्टर प्राप्ति का रसीद देने हेतु कहा गया तो विपक्षी लिखकर तैयार नहीं था। बहुत आग्रह पर विपक्षी ने अपने एक कर्मचारी से एक लेख लिखवाया और शर्त रखा कि जब तक उस लेख पर परिवादी अपना हस्ताक्षर नहीं करेगा तो एडवॉस रकम वापस नहीं होगा विपक्षी के दबाव व पैसा प्राप्त करने की गरज के कारण परिवादी ने प्रस्तुत लेख पर अपना हस्ताक्षर कर दिया।

यह कि परिवादी ने जब लेख की फोटो प्रति कराकर पढ़वाया तो पता चला कि आपने ट्रैक्टर बिक जाने पर मु० 3,00,000/- रूपये देने की शर्त लिख दिया तथा अन्य बातें भी मनगढ़न्‍त तरीके से अंकित कर दिया गया, उसे ऐसी कोई शर्त स्वीकार नहीं है। विपक्षी जबरदस्ती प्रस्तुत लेख पर ही पावती देने हेतु तैयार था लिहाजा दबाव में हस्ताक्षर कराया गया।

यह कि परिवादी का पैसा विपक्षी द्वारा अनुचित तरीके से अपने पास रोक रखा है। परिवादी को दूसरा ट्रैक्टर खरीदना है तथा उसे पेसे की सख्त आवश्यकता है क्योंकि खेती का सीजन चल रहा है एवं ट्रैक्टर के अभाव में परिवादी खेती का कार्य नहीं कर पा रहा है। विपक्षी द्वारा छल कपट एवं धोखे से मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट का ट्रैक्टर दिया एवं परिवादी का पैसा वापस नहीं कर रहे हैं जो विपक्षी के पार्ट पर घोर सेवा की कमी है। विपक्षी के द्वारा पैसा न देने एवं ट्रैक्टर के अभाव में परिवादी खेती नहीं कर पा रहा है, इस वर्ष की फसल चौपट हो गयी।

विपक्षी ने अपना वादोत्‍तर दाखिल किया, जिसमें विपक्षी ने कथन किया कि  परिवादी द्वारा असत्य व झूठे कथनों के आधार पर परिवाद प्रस्तुत किया गया है, अस्तु परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

यह कि परिवादी द्वारा परिवाद कालबाधित है और उसके बाबत कोई विलम्ब माफी हेतु प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है न ही परिवाद उपरोक्त में विलम्ब माफी हेतु कथन किया गया है, इस आधार पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

-4-

यह कि परिवादी द्वारा परिवाद दफा-1 में जिस तरह से कथन किया गया है, बिल्कुल असत्य व झूठा कथन कथन किया गया है, इस आधार पर परिवादी द्वारा

प्रस्तुत परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

यह कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद की दफा-2 में उल्लिखित कथन सरासर गलत व बिल्कुल झूठा है। ट्रैक्टर विपक्षी के बाबत किसी प्रकार की बातचीत परिवादी से आपत्तिकर्ता की नहीं हुई थी।

यह कि परिवादी द्वारा विपक्षी के यहाँ से पूर्ण सन्तुष्टि के आधार पर ट्रैक्टर ले जाया गया और उसकी कीमत 5,90,000/- रू0 में से कुल मिलाकर 3,00,000/- रू0 विपक्षी को अदा किया गया और शेष बकाया धनराशि अदा कर देने का आश्‍वासन परिवादी द्वारा विपक्षी को किया गया था. लेकिन परिवादी द्वारा शेष बकाया धनराशि का अदायगी विपक्षी को नहीं की गयी।

यह कि परिवादी का परिवाद पत्र की दफा-4 में उल्लिखित कथन बिल्कुल सरासर गलत व झूठा है। परिवादी द्वारा ले जाये गये ट्रैक्टर कतई साढ़े छ: लीटर प्रति घण्टा की दर से तेल खपत नहीं करता है तथा परिवादी कर यह भी कथन सरासर गलत व झूठा है आपत्तिकर्ता द्वारा ट्रैक्टर वापस लेकर पैसा वापस ले जाने हेतु परिवादी से कहा गया था।

यह कि परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद की दशा-5 में यह कथन सरासर गलत झूठा है कि परिवादी के ट्रैक्टर में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट था तथा आपत्तिकर्ता अथवा आपत्तिकर्ता के कर्मचारी द्वारा परिवादी को दबाव देकर किसी प्रकार का लेख नहीं लिखवाया गया है न ही हस्ताक्षर बनवाया गया है, बल्कि परिवादी द्वारा स्‍वेच्‍छा से  अपना हस्ताक्षर पढ़ व पढ़वाकर बनाया गया था।

यह कि परिवादी द्वारा ट्रैक्टर का उपयोग लगभग 22 घण्टा किया गया है और लापरवाही पूर्वक व अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ट्रैक्टर संचालन करने के कारण उसके नये टायर में कई जगह कट लग गया है तथा रिम का पेन्ट छोड़ दिया है और कल्टीवेटर भी क्षतिग्रस्त अवस्था में है।

-5-

यह कि आपत्तिकर्ता का परिवादी के पास अभी भी 2,90,000/- रूपया  बकाया है। उक्त ट्रैक्टर के बाबत परिवादी के नाम जो चालान कटा है उस पर परिवादी के हस्ताक्षर हैं और उक्त चालान में बिके हुए माल की वापसी न होने का स्‍पष्‍ट उल्लेख है।

यह कि परिवादी के ट्रैक्टर के बाबत परिवादी के नाम चालान कट चुका है, पुनः उसी ट्रैक्टर की बिक्री व चालान किसी भी हालत में दूसरे व्यक्ति को नहीं की जा सकती, परिवादी द्वारा बहुत ही खराब हालत में ट्रैक्टर वापस किया गया है।

यह कि परिवादी द्वारा उक्त ट्रैक्टर में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट का आरोप लगाया गया है जबकि उसके सम्बन्ध में किसी इन्जीनियर / टेक्नीशियन की जॉच रिपोर्ट परिवादी द्वारा परिवाद के साथ प्रस्तुत नहीं की गयी है, जिससे परिवादी द्वारा आरोपित आरोप बिल्कुल निराधार है।

यह कि उक्‍त ट्रैक्टर के बाबत परिवादी द्वारा कोई सेल लेटर, रसीद व कोई बिल नहीं दी गयी है, बल्कि परिवादी को ट्रैक्टर बतौर ट्रायल दिया गया था यदि परिवादी की बात मान भी लिया जावे तो परिवादी बहक आपत्तिकर्ता के बीच उपभोक्ता का सम्बन्ध नहीं साबित हो रहा है। इस आधार पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिशद पोषणीय नहीं है और निरस्त होने योग्य है।

यह कि परिवादी द्वारा आपत्तिकर्ता के यहॉं वापस किये गये उक्‍त ट्रैक्टर की बिक्री अन्य व्यक्ति को किसी भी हालत में नहीं हो पायी और परिवादी के झूठे इलजाम व कृत्य के कारण आज भी उक्त ट्रैक्टर परिवादी के यहाँ पड़ा हुआ है और परिवादी को उक्त ट्रैक्टर के बाबत पूरी कीमत अदा करनी पड़ी।

यह कि आपत्तिकर्ता द्वारा परिवादी के विरुद्ध न्यायालय में प्रस्तुत किये गये परिवाद से बचने की नियत से परिवादी द्वारा झूठे कथनों के आधार पर आपत्तिकर्ता को हैरान व परेशान करने की नियत से परिवाद प्रस्तुत कर दिया गया है, जो पोषणीय नहीं है और निरस्त किये जाने योग्य है।

 

-6-

यह कि परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र के साथ ऐसा कोई दस्तावेजी साक्ष्‍य  प्रस्तुत नहीं किया गया है जिससे परिवादी व विपक्षी के बीच उपभोक्ता का सम्बन्ध साबित हो सके अस्तुत परिवाद निरस्त किये जाने योग्य है।

यह कि परिवादी द्वारा विपक्षी के यहॉं से फार्म ट्रैक ट्रैक्टर ले जाना स्वीकार किया गया है, लेकिन परिवादी द्वारा फार्म ट्रैक ट्रैक्टर कम्पनी व उसके सक्षम अधिकारी को परिवाद में पक्षकार नहीं बनाया गया है जो आवश्यक पक्षकार होने चाहिये थे इस आधार पर परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद में आवश्यक पक्षकार को पक्षकार न बनाये जाने का दोष आरिज है, इस आधार पर परिवाद प्रस्तुत परिवाद  अपूर्ण है जो निरस्त किये जाने योग्य है। परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद अन्य आधारों पर भी पोषणीय नहीं है, अस्तु निरस्त किये जाने योग्य है।

उभय पक्ष के कथनों/अभिकथनों एवं साक्ष्‍यों का विस्‍तृत विश्‍लेषण करते हुए विद्वान जिला आयोग द्वारा परिवादी का परिवाद खारिज कर दिया गया।

इसी आदेश से क्षुब्‍ध होकर वर्तमान अपील योजित की गई है।

हमारे द्वारा उभय पक्ष के विद्वान अधिवक्‍तागण को सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्‍ध अभिलेख एवं प्रश्‍नगत निर्णय व आदेश का सम्‍यक् रूप से परिशीलन किया गया।

अपीलार्थी की ओर से तर्क किया गया कि विद्वान जिला आयोग द्वारा प्रश्‍नगत निर्णय दिनांक 29-01-2008 तर्कहीन, अन्‍यायपूर्ण, कानून से असंगत एवं बिना कानूनी मस्तिष्‍क का प्रयोग किए पारित किया गया है, इसलिए निरस्‍त होने योग्‍य है।

अपीलार्थी की ओर से यह भी तर्क किया गया कि विद्वान जिला फोरम को प्रत्यर्थी का परिवाद संख्या-176/2017 सुने जाने का क्षेत्राधिकार प्राप्त नहीं था, बावजूद इसके उक्त परिवाद को स्वीकार कर अपीलार्थी का परिवाद संख्या-202/2017 गलत तौर से निरस्त किया गया है. इसलिए प्रश्‍नगत आदेश दिनांक 29-01-2018 निरस्त किए जाने योग्य है।

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अपीलार्थी का तर्क है कि विद्वान जिला आयोग द्वारा इस तथ्य पर भी ध्यान नहीं दिया गया है कि अपीलार्थी कृषक है तथा अधिक पढ़ा-लिखा नहीं है, हस्ताक्षर बनाना जानता है तथा प्रत्यर्थी द्वारा दिए गये ट्रैक्टर के साथ कोई वारण्टी / गारण्टी कार्ड, मैन्युफैक्चरर (निर्माता) का नाम पता इत्यादि नहीं दिया गया था बल्कि मात्र उसे चालान दिया गया था। ट्रैक्टर की कुल कीमत रूपये 5,90,000/- थी उसके सापेक्ष अपीलार्थी द्वारा रूपये 3,00,000/- का भुगतान कर प्रश्‍नगत ट्रैक्टर ट्रायल हेतु लिया गया था एवं तेल (डीजल) की खपत ज्यादा होने से वह ट्रैक्टर उसके उपयोग लायक नहीं था।  इसी कारण उसने उक्‍त ट्रैक्टर प्रत्यर्थी को वापस लौटा दिया, परन्तु प्रत्यर्थी द्वारा 03.00 लाख रू0 अपीलार्थी को वापस नहीं किया गया। विद्वान जिला आयोग द्वारा अपीलार्थी के परिवाद के तथ्यों की गहराई में गये बगैर बिना अनुशीलन एवं परिशीलन के एवं अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के विरुद्ध आदेश पारित किया गया है, जो कि निरस्त किए जाने योग्य है।

अपीलार्थी की ओर से यह भी तर्क किया गया कि विद्वान जिला आयोग द्वारा इस तथ्य पर भी ध्यान नहीं दिया गया है कि उक्‍त प्रश्‍नगत ट्रैक्टर रूपये 03 लाख के भुगतान पर ट्रायल हेतु लाया गया था तथा ट्रायल में डीजल की खपत अधिक पाए जाने पर तथा ट्रायल में असफल हो जाने से उसे प्रत्यर्थी को वापस कर दिया गया था तथा उक्त ट्रैक्टर को प्रत्यर्थी द्वारा वापस भी ले लिया गया है। मात्र अपने बचने हेतु धोखे से एक प्रपत्र पर अपीलार्थी के हस्ताक्षर ले लिए गये थे। उक्‍त प्रपत्र में लिखे कथानक से प्रत्यर्थी की कारगुजारी एवं उसका आचरण स्वयं दर्शित है।

अपीलार्थी की ओर से यह भी तर्क किया गया कि अपीलार्थी का परिवाद "Res ipsa Laquiter" (परिस्थितियॉं स्‍वयं बोलती हैं) पर आधारित है। विद्वान जिला आयोग द्वारा इस तथ्य पर भी ध्यान नहीं दिया गया है कि ट्रैक्टर का सम्पूर्ण मूल्य प्राप्त किए बिना प्रत्यर्थी द्वारा जानबूझकर अपीलार्थी को फसाने की गरज से त्रुटिपूर्ण ट्रैक्टर के विक्रय का प्रयास किया गया है। विद्वान जिला आयोग द्वारा गलत निष्कर्ष कि ट्रैक्टर के सम्बन्ध में अपीलार्थी द्वारा निर्माता कम्पनी को पक्षकार नहीं बनाया

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गया है और न ही तकनीकी विशेषज्ञ की रिपोर्ट दाखिल की गई है, के आधार पर निरस्त किया गया है, जो कि सर्वथा अनुचित एवं गलत है, क्योंकि अभी उक्‍त प्रश्‍नगत ट्रैक्टर मात्र प्रत्यर्थी के आश्‍वासन के आधार पर कि प्रश्‍नगत ट्रैक्टर का रिजल्ट (कम डीजल खपत के मामले में) अच्छा है इसलिए मात्र एडवांस भुगतान के आधार पर सिर्फ ट्रायल हेतु ही लाया गया था तथा ट्रायल में खरा नहीं उतरने पर उसे वापस कर दिया गया। अत्एव निर्माता को पक्षकार बनाने  अथवा विशेषज्ञ की रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं थी।

प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा मुख्‍य रूप से यह तर्क किया गया कि इस मामले में परिवादी के कथनानुसार यदि ट्रैक्‍टर में कोई निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि थी तो उसको साबित करने के लिए विशेषज्ञ आख्‍या प्रस्‍तुत करनी चाहिए थी। निर्माण सम्‍बन्‍धी त्रुटि को साबित करने का भार परिवादी पर ही है।

विद्वान जिला आयोग ने भी अपने निष्‍कर्ष में स्‍पष्‍ट रूप में यह उल्लिखित किया है कि परिवादी द्वारा न तो निर्माता कपनी को आवश्‍यक पक्षकार बनाया गया है और न ही किसी तकनीकी विशेषज्ञ की रिपोर्ट पत्रावली में दाखिल की गयी है, जिससे यह साबित हो सके कि परिवादी के ट्रैक्‍टर में मैन्‍युफैक्‍चरिंग डिफेक्‍ट है।

अपील पत्रावली पर भी अपीलार्थी की ओर से ट्रैक्‍टर में कथित दोष के लिए किसी तकनीकी विशेषज्ञ की रिपोर्ट प्रस्‍तुत नहीं की गई है।

निर्माण सम्‍बन्‍धी दोष के सन्‍दर्भ में निन्‍नलिखित न्‍यायिक दृष्‍टान्‍त महत्‍वपूर्ण है :-

In the case of Baljit  Kaur  Vs  Divine Motors & Anr , III(2017)CPJ599(NC) the Hon’ble Nation Consumer Commission has said that if any manufacturing defect is alleged then the onus to prove it is on the complainant. In this case complainant had submitted the affidavits of seven or eight persons in his favour, it was held that the affidavits could not take place of the expert  opinion.

 

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In the case of Suresh  Chand Jain  Vs  Service Engineer and Sales Supervisor, MRF Limited &  Ors I(2011)CPJ 63 (NC) the Hon’ble Nation Consumer Commission has said that where it is alleged that there is manufacturing defect of tyres, the burden to prove it is on complainant and he cannot prove it. He could not tender any expert evidence hence he failed to prove that there was any manufacturing defect in the tyres.

          जहॉं तक अपीलार्थी का यह कथन है कि प्रश्‍नगत परिवाद Res Ipsa Loquitur पर आधारित है, इस सम्‍बन्‍ध में उल्‍लेखनीय है कि लापरवाही को साबित करने के लिए सबूत का भार वादी पर होता है। यदि वादी, प्रतिवादी की ओर से लापरवाही साबित करने में सक्षम नहीं है, तो प्रतिवादी को उत्‍तरदायी नहीं बनाया जा सकता है। ऐसी स्थिति में Res Ipsa Loquitur का सिद्धांत लागू नहीं होगा।

      मार्गन बनाम सिम, (1857) 11 मू पीसी 307, 312 के मामले में लॉर्ड वेन्‍सलेडेल ने कहा कि क्षति के लिए मुआवजे की वसूली की मांग करने वाली पार्टी को यह पता लगाना चाहिए कि जिस पार्टी के खिलाफ वह शिकायत करता है, वह गलत है। सबूत का बोझ स्‍पष्‍ट रूप से उस पर है और उसे यह दिखाना होगा कि नुकसान का कारण विरोधी पक्ष की लापरवाही है। यदि अन्‍त में वह मामले को समान पैमाने पर छोड़ देता है और अदातल को सन्‍तुष्‍ट नहीं करता है कि यह लापरवाही या दूसरे पक्ष की चूक के कारण हुआ तो वह सफल नहीं हो सकता।

      अपीलार्थी की ओर से अपील के साथ संलग्‍न कागज सं0-22 की ओर पीठ का ध्‍यान आकर्षित कराया गया, जिसमें ट्रैक्‍टर की कुल कीमत 5,90,000/- रू0 दर्शित है, जिसमें से 32,000/- रू0 का भुगतान परिवादी द्वारा किया जाना तथा 5,58,000/- रू0 बाकी रहना दर्शित है, परन्‍तु उक्‍त चालान पर कहीं भी यह अंकित नहीं है कि ट्रैक्‍टर ट्रायल के लिए दिया गया था।

अपीलार्थी की ओर से अपील के साथ संलग्‍न कागज सं0-25 की ओर भी पीठ का ध्‍यान आकर्षित कराया गया, जिसमें उल्लिखित है कि ट्रैक्‍टर जब बिक जायेगा तो 32,000/- रू0 उसे (अपीलार्थी/परिवादी) को वापस कर दिए जायेंगे,

-10-

परन्‍तु यह पत्र मात्र एक सादा कागज पर अंकित है, जिस पर केवल प्रार्थी (परिवादी) के हस्‍ताक्षर हैं। बिक्रेता का कोई भी हस्‍ताक्षर अंकित नहीं है। ऐसी स्थिति में यह पत्र विश्‍वसनीय नहीं है।

      उपरोक्‍त तथ्‍य एवं परिस्थितियों तथा विधिक न्‍याय निर्णयों के आलोक में पीठ के अभिमत में विद्वान जिला आयोग द्वारा दिये गये उक्‍त निर्णय के विरूद्ध अपील में जो आधार लिए गए हैं, वे सारहीन एवं बलहीन हैं।

अत: स्‍पष्‍ट है विद्वान जिला आयोग ने प्रत्‍येक तथ्‍य का उचित एवं विधिक  रूप से विश्‍लेषण करते हुए प्रश्‍नगत आदेश पारित किया है, जिसमें किसी हस्‍तक्षेप की कोई आवश्‍यकता नहीं है।

तदनुसार अपील निरस्‍त होने योग्‍य है।

आदेश

वर्तमान अपील निरस्‍त की जाती है। जिला उपभोक्‍ता आयोग, सोनभद्र द्वारा परिवाद सं0-202/2017 में पारित प्रश्‍नगत निर्णय एवं आदेश दिनांक 29-01-2018 की पुष्टि की जाती है।

अपील व्‍यय उभय पक्ष अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

      उभय पक्ष को इस निर्णय की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करायी जाय।

      वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

 

        (सुधा उपाध्‍याय)                     (विकास सक्‍सेना)

            सदस्‍य                             सदस्‍य                    

दिनांक :- 05-06-2024.

प्रमोद कुमार,

वैय0सहा0ग्रेड-1,

कोर्ट नं.-3.        

 

  

             

 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MRS. SUDHA UPADHYAY]
MEMBER
 

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