Uttar Pradesh

StateCommission

A/1996/577

Sahara India - Complainant(s)

Versus

Kirpa Ram Viswkarma - Opp.Party(s)

V. K. Srivastava

06 May 2016

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/1996/577
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District )
 
1. Sahara India
A
...........Appellant(s)
Versus
1. Kirpa Ram Viswkarma
A
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN PRESIDENT
 
For the Appellant:
For the Respondent:
Dated : 06 May 2016
Final Order / Judgement

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-577/1996

                                                ( मौखिक )

( जिला फोरम, बहराइच द्वारा परिवाद संख्‍या-295/1994 में पारित आदेश दिनांकित 07-03-1996 के विरूद्ध )

  1. प्रबंधक सहारा इण्डिया शाखा कैसरगंज, जिला-बहराइच।
  2. रीजनल मैनेजर, सहारा इण्डिया भवन कपूरथला, काम्‍प्‍लेक्‍स लखनऊ।

अपीलार्थी/विपक्षीगण

बनाम्

कृपा राम विश्‍वकर्मा, उम्र लगभग 35 वर्ष पुत्र हीरालाल विश्‍वकर्मा, सा0-जरबल रोड, प्र0 हेसामपुर, ते0 कैसरगंज, जिला बहराइच।

प्रत्‍यर्थी/परिवादी

समक्ष :-

  1. माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष।
  2. माननीय श्रीमती बाल कुमारी, सदस्‍य।

 

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित   : श्री ए0 के0 श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित     : कोई नहीं।

 

दिनांक : 24-08-2016

 

माननीय न्‍यायमूर्ति श्री अख्‍तर हुसैन खान, अध्‍यक्ष द्वारा उद्घोषित निर्णय

    

     परिवाद संख्‍या-295/1994 कृपा राम विश्‍वकर्मा बनाम् प्रबन्‍धक, सहारा इण्डिया व एक अन्‍य में जिला फोरम, बहराइच द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांकित 07-03-1996 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत यह अपील उक्‍त परिवाद के विपक्षीगण प्रबन्‍धक सहारा इण्डिया व रीजनल मैनेजर, सहारा इण्डिया की ओर से आयोग के समक्ष प्रस्‍तुत की गयी है।

     आक्षेपित निर्णय और आदेश दिनांक 07-03-1996 के द्वारा परिवाद अंशत: स्‍वीकार किया गया है और जिला फोरम द्वारा विपक्षीगण को व्‍यक्तिगत रूप से एवं संयुक्‍त रूप से उत्‍तरदायी मानते हुए आदेश दिया गया है कि वे उसके कर्मचारी के विरूद्ध की जाने वाली पुलिस जॉंच में पूर्ण सहयोग

 

दें। पुलिस की जॉंच पूर्ण होने पर यदि विपक्षीगण का कर्मचारी दोषी ठहराया जाता है, तो वे परिवादी को रू0 50,000/- तथा उस पर दिनांक 17-02-1993 से भुगतान की तिथि तक बतौर क्षतिपूर्ति 24 प्रतिशत ब्‍याज भी अदा करें। यदि किन्‍हीं परिस्थिति में पुलिस विपक्षीगण के कर्मचारी को दोषी नहीं पाती है तो विपक्षी परिवादी को उसके द्वारा प्राप्‍त की जानी वाली शेष धनराशि पर 18 प्रतिशत की दर से ब्‍याज भी दिनांक 17-02-1993 से भुगतान की तिथि तक अदा करें। जिला फोरम ने उभयपक्ष को वाद व्‍यय स्‍वयं वहन करने का आदेश दिया है।

     अपीलार्थी की ओर से उसके विद्धान अधिवक्‍ता श्री ए0 के0 श्रीवास्‍तव उपस्थित आए। प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। जबकि प्रत्‍यर्थी की ओर से विद्धान अधिवक्‍ता श्री यू0 के0 सिंह पहले उपस्थित हो चुके हैं।

     हमने अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता के तर्क को सुना है तथा आक्षेपित निर्णय और आदेश तथा पत्रावली का अवलोकन किया है।

     अपीलार्थी के विद्धान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवाद पत्र में कथित मामले के संबंध में अपराध संख्‍या-124/93 दर्ज था जिसके संबंध में सक्षम न्‍यायालय द्वारा विधिक कार्यवाही लम्बित थी साथ ही रिट याचिकाऍं भी मा0 उच्‍च न्‍यायालय के समक्ष लम्बित थी। अत: जिला फोरम द्वारा संज्ञान लिया जाना विधि सम्‍मत नहीं है। जिला फोरम द्वारा पारित निर्णय और आदेश विधि विरूद्ध एवं अधिकार रहित है।

     हमने अपीलार्थी के तर्क पर विचार किया है।

     धारा-3 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम से स्‍पष्‍ट है कि इस अधिनियम के उपबंध तत्‍सयम प्रवि‍ष्‍ट किसी अन्‍य विधि के उपबंधों के अतिरिक्‍त होंगे न कि उसके अल्‍पीकरण के संबंध में होंगे। अत: परिवाद पत्र के कथित प्रकरण के

 

 

संबंध में आपराधिक वाद पंजीकृत होने व विवेचना होने के आधार पर जिला फोरम का क्षेत्राधिकार समाप्‍त नहीं हो जाता है।

     प्रत्‍यर्थी/परिवादी के अनुसार विपक्षीगण के यहॉं उसने 25,000/-रू0 फिक्‍स डिपाटिज खाते में 4 वर्ष में दुगना करने के लिए जमा किया था और उसकी परिपक्‍वता तिथि दिनांक 07-02-1993 थी। परिपक्‍वता तिथि के बाद जब परिवादी अपना पैसा मांगने गया तो उसका पैसा वापस नहीं किया गया और बताया गया कि दिनांक 17-02-1993 के बाद उसका 50,000/-रू0 मय 18 प्रतिशत ब्‍याज लगाकर वापस किया जायेगा। फिर भी परिवादी का पैसा वापस नहीं किया गया अत: उसने विवश होकर परिवाद जिला फोरम के समक्ष प्रस्‍तुत किया है।

     जिला फोरम के समक्ष अपीलार्थीगण ने लिखित कथन प्रस्‍तुत कर प्रत्‍यर्थी परिवादी का उपरोक्‍त कथन स्‍वीकार किया है परन्‍तु कहा है कि प्रत्‍यर्थी परिवादी ने रू0 18,000/- का ऋण दिनांक 30-10-1989 को विपक्षी अपीलार्थीगण से लिया था। अपीलार्थी विपक्षीगण शेष परिपक्‍वता धनराशि प्रत्‍यर्थी परिवादी को देने को तैयार है।

सम्‍पूर्ण तथ्‍यों और परिस्थितयों पर विचार करने के उपरान्‍त हम इस मत के हैं कि जिला फोरम ने जो आक्षेपित निर्णय और आदेश पारित किया है वह वाद के तथ्‍यों और परिस्थितियों के आधार पर उचित और आधारयुक्‍त है और इसमें किसी हस्‍तक्षेप की आवश्‍यकता नहीं है। अत: अपीलार्थीगण द्वारा प्रस्‍तुत अपील अपास्‍त किये जाने योग्‍य हैं।

आदेश

     अपील अपास्‍त की जाती है। उभयपक्ष अपना-अपना व्‍यय स्‍वयं वहन करेंगे।

 

( न्‍यायमूर्ति अख्‍तर हुसैन खान )                  ( बाल कुमारी )

          अध्‍यक्ष                                सदस्‍य

कोर्ट नं0-1 प्रदीप मिश्रा

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE AKHTAR HUSAIN KHAN]
PRESIDENT

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