Uttar Pradesh

StateCommission

C/2005/22

Mohhamad Jameel - Complainant(s)

Versus

King George Medical University Lucknow & other - Opp.Party(s)

Amol Kumar

22 Feb 2021

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
Complaint Case No. C/2005/22
( Date of Filing : 04 May 2005 )
 
1. Mohhamad Jameel
a
Lucknow
U.P
...........Complainant(s)
Versus
1. King George Medical University Lucknow & other
A
Lucknow
U.P.
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR PRESIDING MEMBER
 HON'BLE MR. Vikas Saxena JUDICIAL MEMBER
 
PRESENT:
 
Dated : 22 Feb 2021
Final Order / Judgement

                                                           (सुरक्षित)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

परिवाद संख्‍या-22/2005

Mohammad Jameel S/o Late Meeru Khan, R/o 239 Hata Mumtaz Mahal, Golaganj, Lucknow.

                   परिवादी

बनाम

1. King George Medical University through its registrar, Lucknow.

2. King George Medical University through its Vice Chancellor, Lucknow.

3. Dr. Shekhar Tandon, Head of the Department of Thoracic and Cardio-Vascular Surgery (CTVS), King George Medical University, Lucknow.

4. Dr Darbari, Junior Resident, Department of Thoracic and Cardio-Vascular Surgery (CTVS), King George Medical University, Lucknow.

        विपक्षीगण

समक्ष:-                           

1. माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य

2. माननीय श्री विकास सक्‍सेना, सदस्‍य।

परिवादी की ओर से उपस्थित        : कोई नहीं।

विपक्षीगण की ओर से उपस्थित      : श्री जे0एन0 मिश्रा,

                                                      विद्वान अधिवक्‍ता।

दिनांक: 10.03.2021

माननीय श्री सुशील कुमार, सदस्‍य  द्वारा उद्घोषित                                                 

निर्णय

1.          यह परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध अंकन 21,60,000/- रूपये की क्षतिपूर्ति की वसूली के लिए प्रस्‍तुत किया गया है।

2.         परिवाद के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार हैं कि परिवादी का पुत्र मो0 जहीर गंभीर दिल की बीमारी से ग्रसित था, जिसे दिनांक 04.01.2005 को KGMU में भर्ती कराया गया था। परिवादी के पुत्र ने दिनांक 07.01.2005 को सांस लेने में समस्‍या बत‍ाई थी। विपक्षीगण के लापरवाहपूर्ण व्‍यवहार के कारण दिनांक 07.01.2005 को परिवादी के पुत्र को ह्दयघात हुआ। दिनांक 10.01.2005 से परिवादी के पुत्र की शारीरिक स्थिति विकृत होने लगी। विपक्षीगण द्वारा मांगी गई धनराशि अंकन 1,25,000/- रूपये परिवादी द्वारा जमा की गई। दिनांक 16.02.2005 को परिवादी के पुत्र का Echo Test होना था तथा दिनांक 17.01.2005 को परिवादी के पुत्र की मृत्‍यु हो गई। परिवाद पत्र के कुछ पैराग्राफ में डा0 के नैतिक कर्तव्‍यों तथा माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों का हवाला दिया गया है, परन्‍तु चूंकि परिवाद में तथ्‍यों का संक्षिप्‍त रूप से कथन किया जाता है, इसलिए केवल तथ्‍यों का संक्षिप्‍त उल्‍लेख ही किया जा रहा है। परिवाद पत्र में उल्‍लेख किया गया है कि परिवादी के पुत्र को भर्ती के दौरान डा0 द्वारा यदाकदा देखा जाता था, परन्‍तु नियमित रूप से मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति के लिए सताया जाता था और इन उपकरणों के आपूर्ति करने वाले व्‍यक्ति डा0 को अपने-अपने उपकरण अच्‍छा बताने की होड़ में रहते थे। दिनांक 10.01.2005 से परिवादी के पुत्र की सेहत में गिरावट के पश्‍चात परिवादी द्वारा आपातकालीन चिकित्‍सा देने का अनुरोध किया गया, परन्‍तु स्‍टाफ एवं डा0 का व्‍यवहार हेय, उदासीन और डाट-फटकार लगाने वाला होता था।

3.         परिवादी ने अंकन 1,25,000/- रूपये की धनराशि प्राप्‍त करने के लिए मुख्‍यमंत्री उत्‍तर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया। दिनांक 15.01.2005 को महामहिम् राष्‍ट्रपति महोदय ने अस्‍पताल का भ्रमण किया, उनके द्वारा कहा गया कि गरीबों को नि:शुल्‍क सेवाएं उपलब्‍ध कराई जाएंगी। परिवाद पत्र में उन व्‍यक्तियों के नाम एवं धनराशि का उल्‍लेख किया गया है, जिनके द्वारा स्‍वैच्छिक रूप से इलाज के खर्च के लिए परिवादी को धनराशि उपलब्‍ध कराई गई थी। परिवादी के पुत्र को दिनांक 04.01.2005 को भर्ती किया गया और Echo Test के लिए दिनांक 16.02.2005 की तिथि दी गई, जिससे जाहिर होता है कि विपक्षीगण अपने कर्तव्‍यों का पालन योग्‍यता/मान्‍यता के अनुसार नहीं कर रहे थे। परिवादी के पुत्र को बेसमेंट स्थित वार्ड में रखा गया। Echo Test तिथि से पूर्व ही दिनांक 17.01.2005 को परिवादी के पुत्र की मृत्‍यु हो गई। डा0 शेखर टण्‍डन द्वारा CTVS विभाग में भर्ती करते समय अंकन 1 लाख रूपये की मांग की थी और राशि जमा करने के पश्‍चात ही आपरेशन करने के लिए कहा था। यदि परिवादी के अनुरोध के अनुसार Echo Test अस्‍पताल के बाहर कराया गया होता और आपरेशन समय पर कर दिया गया होता तब परिवादी का पुत्र जिन्‍दा होता। परिवादी द्वारा दिनांक 14.01.2005 को ही वांछित धनराशि एकत्र कर ली गई थी। परिवादी का मृतक पुत्र इकलौता कमाई करने वाला था, उसने अपने पीछे विधवा और चार माह की पुत्री को छोड़ा है। उसने Times of India को मृत्‍यु से पूर्व बताया था कि डाक्‍टरों द्वारा इलाज में उपेक्षा की गई है और यह कहा गया है कि उसकी देखभाल तब की जाएगी जब धन का प्रबन्‍ध कर लिया जाएगा। परिवादी द्वारा दिनांक 27.01.2005 को मूल परिवाद के विपक्षी संख्‍या-6 एवं 7 के कृत्‍यों के प्रति लापरवाही की शिकायत की गई और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने का भी प्रयास किया गया, परन्‍तु रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई, इसलिए पु‍लिस अधिक्षक को पत्र भेजा गया। परिवादी द्वारा मृतक की संभावित आय के मद में अंकन 12,60,000/- रूपये, मानसिक प्रताड़ना के मद में अंकन 5,00,000/- रूपये, बच्‍चों की शिक्षा के मद में अंकन 4,00,000/- रूपये कुल 21,60,000/- रूपये की मांग करते हुए परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है।

4.         परिवादी द्वारा परिवाद पत्र के समर्थन में शपथपत्र एवं मरीज को भर्ती कराने से लेकर सहायता की गुहार तथा महामहिम् राष्‍ट्रपति महोदय द्वारा दिए गए उद्बोधन की रिपोर्ट से संबंधित दस्‍तावेज प्रस्‍तुत किए गए हैं। इसी प्रकार KGMU के डा0 द्वारा धन देने के बाद ही इलाज करने के संबंध में Times of India लखनऊ में प्रकाशित एक रिपोर्ट की प्रति भी प्रस्‍तुत की गई है। शिकायती पत्र की प्रतियां भी, जिनका उल्‍लेख परिवाद पत्र में किया गया है, प्रस्‍तुत की गई हैं।

5.         विपक्षीगण (मूल परिवाद के विपक्षी संख्‍या-4, 5, 6 एवं 7) की ओर से लिखित कथन प्रस्‍तुत करते हुए इस तथ्‍य को स्‍वीकार किया गया कि परिवादी के पुत्र को CTVS विभाग में सहजता से भर्ती किया गया था। परिवादी के पुत्र को कार्डियोलाजी विभाग से दिनांक 03.01.2005 को रेफर किया गया था और दिनांक 04.01.2005 को भर्ती कर लिया गया। यह उल्‍लेख किया गया कि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों का दुरूपयोग करते हुए यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है। परिवादी के पुत्र के इलाज में किसी भी प्रकार की असावधानी नहीं बरती गई। परिवादी का पुत्र NYHA की श्रेणी IIIrd / IVth का मरीज था। आपरेशन करने से पूर्व की सावधानियां बरतना जरूरी था। मूल परिवाद के विपक्षी संख्‍या-6 एवं 7 परिवादी के पुत्र के लिए Double Valves Replacement Surgery की व्‍यवस्‍था कर रहे थे, जिसके लिए कई तरह के अनुसंधान आवश्‍यक थे। ब्‍लड टेस्‍ट रिपोर्ट्स दिनांकित 07.01.2005, 11.01.2005, 12.01.2005, 13.01.2005, 14.01.2005 तथा दिनांक 16.01.2005 तैयार कराई गई थीं, जो अनेग्‍जर संख्‍या-7 के रूप में संयुक्‍त रूप से प्रस्‍तुत की जा रही हैं। दंत, ENT तथा त्‍वचा विभाग से भी अनापत्‍ति‍ प्रमाण पत्र प्राप्‍त किए गए थे, जिसकी संयुक्‍त रिपोर्ट लिखित कथन के साथ अनेग्‍जर संख्‍या-8 के रूप में प्रस्‍तुत की गई है। Clotting Parameters की रिपोर्ट दिनांक 12.01.2005 को प्राप्‍त की गई थी, जो अनेग्‍जर संख्‍या-9 है तथा HB, HCV तथा HIV रिपोर्ट अनेग्‍जर संख्‍या-10 है। विपक्षीगण द्वारा उपरोक्‍त रिपोर्ट तैयार कराने की प्रक्रिया से स्‍पष्‍ट है कि अत्‍यंत सावधानी के साथ आपरेशन की प्रक्रिया प्रारम्‍भ की जा रही थी। मूल परिवाद के विपक्षी संख्‍या-6 एवं 7 द्वारा लिखित कथन में आपरेशन के खर्चों को बताया गया था। परिवादी को भी तदनुसार सूचित किया गया था तथा प्रमाण पत्र दिनांक 11.01.2005 को जारी किया गया था। परिवादी के पुत्र को कभी भी अनदेखा नहीं किया गया। रिपोर्ट्स के अवलोकन से ज्ञात होता है कि उसके पुत्र का स्‍वास्‍थ्‍य गिरावट की ओर नहीं है। परिवादी द्वारा असत्‍य कथनों पर परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो खारिज होने योग्‍य है और केवल अपने पुत्र की मृत्‍यु के पश्‍चात आयोग की सहानुभूति प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से परिवाद पत्र में धनराशि इकट्ठा करने जैसे भावनात्‍मक तथ्‍यों का उल्‍लेख किया गया है।

6.         परिवादी की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। मूल परिवाद के विपक्षी संख्‍या-6 त 7/विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता श्री जे0एन0 मिश्रा की बहस सुनी गई तथा पत्रावली का अवलोकन किया गया।

7.         परिवाद के प्रथम पैरे में ही यह उल्‍लेख किया गया है कि परिवादी का पुत्र गंभीर दिल की बीमारी से ग्रसित था। लिखित कथन में यह विवरण दिया गया है कि परिवादी के पुत्र को दिनांक 03.01.2005 को कार्डियोलाजी विभाग द्वारा CTVS विभाग के लिए रेफर किया गया था, परन्‍तु परिवादी द्वारा इस महत्‍वपूर्ण तथ्‍य को छिपाया गया और प्रत्‍यक्ष उल्‍लेख कर दिया गया कि परिवादी के पुत्र को दिनांक 04.01.2005 को CTVS विभाग में भर्ती कराया गया था। CTVS विभाग में भर्ती कराने के पश्‍चात विपक्षीगण द्वारा Double Valves Replacement Surgery करने की तैयारिंया की गईं और असंख्‍य परीक्षण कराए गए, जिनका उल्‍लेख अनेग्‍जर संख्‍या-7, 8, 9 एवं 10 में मौजूद है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क है कि Double Valves Replacement Surgery के लिए उपरोक्‍त परीक्षणों का होना आवश्‍यक था। लिखित कथन में वर्णित इस तथ्‍य की पुष्टि शपथपत्र द्वारा की गई है, जिसका कोई खण्‍डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है। Double Valves Replacement Surgery से पूर्व सभी प्रकार के परीक्षण कराने तथा विभिन्‍न विभागों की अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्‍त करना एक अपरिहार्य कार्यवाही थी, इस तथ्‍य की पुष्टि शपथपत्र द्वारा की गई है, जिसका कोई खण्‍डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है। लिखित कथन के साथ अनेग्‍जर संख्‍या-3, 4, 5 एवं 6 प्रस्‍तुत किया गया है, जिनके अवलोकन से यह निष्‍कर्ष निकलता है कि Double Valves Replacement Surgery से पूर्व जो परीक्षण कराए जाना आवश्‍यक थे, वह परीक्षण विपक्षीगण द्वारा कराए गए।

8.         परिवाद पत्र में यह उल्‍लेख किया गया है कि परिवादी ने आपातकालीन चिकित्‍सा उपलब्‍ध कराने का अनुरोध किया था। लिखित कथन में यह उल्‍लेख किया गया है कि सामान्‍यत: दिल की बीमारी से संबंधित दो प्रकार की सर्जरी होती है। Ischemia दिल की बीमारी के लिए Coronary Heart Bypass Surgery की जाती है, जबकि Valves रिप्‍लेसमेंट सर्जरी Damaged Valves के लिए की जाती है। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि प्रथम प्रकृति की सर्जरी आपातकालीन आधार पर सम्‍पादित की जाती है, परन्‍तु  Valves Replacement Surgery आपातकालीन तरीके से सम्‍पादित नहीं की जाती है। परिवादी के पुत्र की श्रेणी II की सर्जरी की जानी थी यानि Double Valves Replacement किए जाने थे, इसीलिए आपातकालीन सर्जरी नहीं की गई थी। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता का यह तर्क अनेग्‍जर संख्‍या-3, 4, 5 एवं 6 में वर्णित मेडिकल साहित्‍य निष्‍कर्ष के अनुसार है। अत: परिवादी के इस आरोप में कोई सार नहीं है कि उसके पुत्र की आपाकालीन सर्जरी नहीं की गई।

9.         लिखित कथन में यह उल्‍लेख किया गया है कि परवादी से सर्जरी करने के लिए किसी धन की मांग नहीं की गई और केवल उपभोग्‍य वस्‍तुओं के लिए अनुमानित खर्च बताए गए थे और भर्ती के समय ही परिवादी को खर्चों के बारे में अवगत करा दिया गया था। विपक्षीगण के विद्वान अधिवक्‍ता द्वारा यह भी बहस की गई कि आपरेशन से पूर्व परिवादी के मृतक पुत्र को प्रदत्‍त किए जा रहे इलाज से सेहत में गिरावट नहीं आई थी। Echo Cardiography की तिथि दिनांक 07.02.2005 के स्‍थान पर दिनांक 31.01.2005 नियत कर दी गई थी। शपथपत्र में दिए गए इस बयान का कोई खण्‍डन पत्रावली पर मौजूद नहीं है। लिखित कथन में जो प्रक्रिया वर्णित की गई है, उसका अनुपालन नहीं किया गया। परिवादी द्वारा किसी भी प्रकार की लापरवाही, उदासीनता को साबित नहीं किया गया है। जहां तक परिवादी द्वारा धन इकट्ठा करने के लिए अनुरोध पत्र प्रकाशित कराने का संबंध है। परिवादी के इस कृत्‍य से विपक्षीगण की लापरवाही साबित नहीं होती है। इसी प्रकार महामहिम् राष्‍ट्रपति महोदय द्वारा गरीबों का इलाज नि:शुल्‍क किए जाने की व्‍यवस्‍था के लिए अपने उदगार प्रकट करना भी विपक्षीगण की लापरवाही को जाहिर नहीं करता है। राजकीय अस्‍पताल में चिकित्‍सा सुविधा नि:शुल्‍क उपलब्‍ध कराई जाती है सिवाय उपभोग्‍य वस्‍तुओं के। प्रस्‍तुत केस में भी परिवादी के पुत्र को भर्ती करना वहां पर उसकी अनेक प्रकार की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कोई शुल्‍क नहीं लिया गया। यही कारण है कि परिवादी द्वारा अस्‍पताल में किए गए किसी खर्च के मद में किसी धनराशि का उल्‍लेख नहीं किया गया है। इसी प्रकार Times of India द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट के आधार पर भी विपक्षीगण की लापरवाही साबित नहीं होती है कि मृतक द्वारा मृत्‍यु से पूर्व यह कथन किया गया कि डाक्‍टरों द्वारा उसका इलाज करने में अनदेखी की गई है।

10.        उपरोक्‍त विवेचना का निष्‍कर्ष यह है कि यह परिवाद गुणवत्‍ताविहीन है। यह सही है कि दुखद रूप से परिवादी के पुत्र की मृत्‍यु हुई है, परन्‍तु विपक्षीगण की लापरवाही का कोई तथ्‍य इस दुखद घटना के लिए मौजूद नहीं था। परिवादी द्वारा विपक्षीगण को प्रताडित करते हुए यह परिवाद प्रस्‍तुत किया गया है, जो भारी हर्जे सहित खारिज होना चाहिए था, परन्‍तु परिवादी की आर्थिक स्थिति तथा उसके पुत्र की दुखद मृत्‍यु के तथ्‍य को विचार में रखते हुए यह परिवाद बगैर किसी हर्जे के खारिज किए जाने योग्‍य है।

आदेश

 

11.        परिवाद खारिज किया जाता है।

12.        पक्षकार अपना-अपना व्‍यय स्‍वंय वहन करेंगे।

13.        पक्षकार को इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रति नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाए।

 

                     

         (विकास सक्‍सेना)                         (सुशील कुमार)

               सदस्‍य                                    सदस्‍य

 

 

लक्ष्‍मन, आशु0,

    कोर्ट-2        

 
 
[HON'BLE MR. SUSHIL KUMAR]
PRESIDING MEMBER
 
 
[HON'BLE MR. Vikas Saxena]
JUDICIAL MEMBER
 

Consumer Court Lawyer

Best Law Firm for all your Consumer Court related cases.

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!
5.0 (615)

Bhanu Pratap

Featured Recomended
Highly recommended!

Experties

Consumer Court | Cheque Bounce | Civil Cases | Criminal Cases | Matrimonial Disputes

Phone Number

7982270319

Dedicated team of best lawyers for all your legal queries. Our lawyers can help you for you Consumer Court related cases at very affordable fee.