Uttar Pradesh

Rae Bareli

cc61/2013

Smt Savita Tulsiyani - Complainant(s)

Versus

Khadi Garamo Uddyog, - Opp.Party(s)

K.P.Varma

28 Aug 2014

ORDER

Heading1
Heading2
 
Complaint Case No. cc61/2013
 
1. Smt Savita Tulsiyani
BEliganj, Kanha Milk, Kathvara Raebareli
...........Complainant(s)
Versus
1. Khadi Garamo Uddyog,
Endra Nagar, Raebareli
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 JUDGES Lalta Prasad Pandey PRESIDENT
 HON'BLE MR. Rajendra Prasad Mayank MEMBER
 HON'BLE MS. Shailja Yadav MEMBER
 
For the Complainant:K.P.Varma, Advocate
For the Opp. Party:
ORDER

जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष फोरम रायबरेली।

परिवाद संख्‍या: ६१/२०१३

श्रीमती सविता तुलसियानी पत्‍नी अशोक कुमार निवासिनी पारूमल निवास बेलीगंज शहर रायबरेली स्‍वामी कान्‍हा मिल्‍क प्रोडक्‍ट कठवारा जिला-रायबरेली।                                                                          

                                               परिवादिनी

बनाम

०१. खादी और ग्रामोघोग आयोग राज्‍य कार्यालय इन्दिरा नगर लेखराज मार्केट फैजाबाद रोड लखनऊ द्धारा राज्‍य निदेशक।

०२. पंजाब नेशनल बैंक शाखा चौहान मार्केट शहर रायबरेली द्धारा मुख्‍य शाखा प्रबंधक।

                                                       विपक्षीगण

परिवाद अंतर्गत धारा-१२ उपभोक्‍ता संरक्षण १९८६

निर्णय

     परिवादिनी सविता तुलसियानी ने यह परिवाद धारा-१२ उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम १९८६  के अंतर्गत इस आशय का प्रस्‍तुत किया है कि परिवादिनी एक शिक्षित बेरोजगार महिला होने के कारण विपक्षीगण द्धारा चलाई जा रही पी०एम०ई०जी०पी० योजना के अंतर्गत ऋण प्राप्‍त कर स्‍वरोजगार हेतु आवेदन वर्ष-२००८ में किया जिसे विपक्षीगण द्धारा फरवरी २००९ में स्‍वीकृत करते हुये परिवादिनी की इकाई कान्‍हा मिल्‍क प्रोडक्‍ट हेतु रू० १४२३०००.०० का टर्म ऋण खाता संख्‍या ०९१७००१बी०००००२६४ तथा माह नवम्‍बर २००९ में रू० ९५००००.०० कार्यशील पॅूजी हेतु सी० सी० खाता संख्‍या ९१७००८७०००६९८२७ खोलकर कुल मु० २३७५०००.०० का ऋण प्रदान किया गया तथा परिवादिनी ने रू० १२५०००.०० का मार्जिन मनी स्‍वयं व्‍यय किया। इस प्रकार भवन व कार्यशाला निर्मित कराकर और मशीनरी क्रय करके रू० २५०००००.०० में अपना स्‍वरोजगार शुरू किया जिसमे ऋण अदायगी हेतु रू० ३६०००.०० मासिक किश्‍त निर्धारित थी जिसे विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा सी० सी० लिमिट से निकाल कर टर्म लोन खाते में स्‍वयं जमा किया जाना था। योजना के अंतर्गत स्‍वरोजगार स्‍थापित करने पर सरकार द्धारा लाभार्थी के इकाई का  भौतिक सत्‍यापन करके पूर्ण संतुष्‍ट होने के उपरान्‍त अनुदान भी प्रदान किया जाना था जो विपक्षी संख्‍या-०१ द्धारा संबंन्धित बैंक को भेजा जाना था जो तीन वर्ष तक बैंक में एफ० डी० आर० के रूप में निवेशित करने के उपरान्‍त लाभार्थी को प्रदान किया जाता है। विपक्षीगण ने परिवादिनी के इकाई का सत्‍यापन करने के पश्‍चात् विपक्षी संख्‍या-०२ की मॉग पर विपक्षी संख्‍या-०१ द्धारा रू० ८७५०००.०० की अनुदान धनराशि जून-२००९ में उनके पास भेज दी गई जो सुरक्षित है। दोनो खाते दो वर्ष तक सुचारू रूप से चलने के उपरान्‍त तीसरे वर्ष में विपक्षी

 

 संख्‍या-०२ के अधिकारी व कर्मचारीगण ने परिवादी ने अनुचित धनराशि की मॉग की जिससे इंकार करने पर उपेक्षापूर्ण कृत्‍य करते हुये सी०सी० खाते से धन निकासी में आवश्‍यक व्‍यवधान उत्‍पन्‍न कर खाते का संचालन जानबूझकर अनियमित करते हुये परिवादिनी को अनुदान की धनराशि से वंचित करने हेतु खुले शब्‍दो में धमकी देते हुये विधि विरूद्ध तरीके से दिनांक ०५.१२.२०११ को नोटिस भेजा जिस पर परिवादिनी ने न्‍यायालय में एक परिवाद संख्‍या ०८/२०१२ विपक्षी संख्‍या-०२ के विरूद्ध योजित करते हुये ऋण खाते का शुद्ध विवरण न्‍यायालय में प्रस्‍तुत  करने तथा परिवादिनी का उत्‍पीड़न न करने व अनुदान की धनराशि से वंचित न करने हेतु प्रस्‍तुत किया था। तदोपरान्‍त विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा यह दुष्‍प्रचार किया जाने लगा कि परिवादिनी ने इकाई संस्‍थापित नहीं किया है जिस हेतु परिवादिनी ने न्‍यायालय के माध्‍यम से कमिश्‍नर नियुक्‍त कराते हुये स्‍थल निरीक्षण करवाया। समय-समय पर परिवादिनी के इकाई का भौतिक सत्‍यापन कर विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा बीमा भी कराया जाता रहा। परिवाद योजित किये जाने की सूचना प्राप्‍त  होने पर विपक्षी संख्‍या-०२ नाराज होकर मानमाने ढ़ग से कार्यवाही करते हुये परिवादिनी के खाते को अनियमित करार देते हुये एन० पी० ए० कर परिवादिनी को गलत सूचना भेजता रहा। विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा सी० सी० खाते से धन आहरण करने के बाद अनुचित हस्‍तक्षेप करने के कारण जनवरी २०११ के पश्‍चात् परिवादिनी उक्‍त खाते से धन आहरित नहीं कर सकी फिर भी ऋण खाते में धनराशि का भुगतान करती रही। विपक्षी संख्‍या-०२ ने दिनांक ०७.११.२०११ को पत्र लिखकर रू० ६०७६२.०० का बकाया बताया जिसके सापेक्ष एक माह में  ही परिवादिनी ने रू० ९५०००.०० जमा करके खाते को नियमित कर दिया गया  परन्‍तु बैंक के अधिवक्‍ता ने दिनांक ०५.१२.२०११ को नोटिस भेजकर जमानतदारो को प्रताडि़त किया जा रहा है। परिवाद योजित करने के उपरान्‍त विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा दिनांक १५.१२.२०१२ को पत्र भेजकर यह सूचित किया गया कि टर्म लोन खाते में रू० १३३०६४.०० और सी० सी० खातें में रू० ४९१०६७.०० बकाया है। इस संबंध में जब परिवादिनी विपक्षी संख्‍या-०२ से मिली तो उसने बताया कि पत्र गलत भेज दिया गया है और कहा कि आप टर्म लोन में रू० १५००००.०० तथा सी० सी० खाते में रू० १४००००.०० जमा कर दे जिसका परिवादिनी ने अनुपालन करते हुये माह फरवरी २०१२ में ही जमा कर दिया जिस पर दोनो खाते नियमित हो गये। विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा घोर उपेक्षा एंव लापरवाही करते हुये मार्च २०१२ में परिवादिनी के दोनो खातों को बिना किसी सूचना के एन० पी० ए० कर दिया जो बैंकिग नियमो के विपरीत है। विपक्षी संख्‍या-०२ ने दिनांक ०४.०७.२०१२ को प्रेषित नोटिस में दिनांक  ३१.०३.२०१२ से  परिवादिनी  के  खाते को एन० पी० ए० करते हुये

 

 जमानतदारों द्धारा प्रतभिूति के रूप में जमा विभिन्‍न डिपाजिटो को तोड़कर ऋण खातें में समायोजित करके शेष बची राशि रू० ६१५६२.०० को परिवादिनी के सी० सी० खाते में जमा कर दिया। परिवादिनी ने दिनांक २७.०५.२०१२ व १४.०६.२०१२ को पत्र भेजकर अनुदान के रूप में जमा एफ० डी० की धनराशि को तोड़कर ऋण खाते में समायोजित करते हुये खाता बन्‍द  करने का निवेदन किया गया किन्‍तु विपक्षी द्धारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। विवश होकर परिवादिनी ने माननीय उच्‍च न्‍यायालय लखनऊ बेंच में रिट पिटीशन योजित किया जिस पर माननीय न्‍यायालय द्धारा आदेश पारित कर परिवादिनी को विपक्षी संख्‍या-०२ को प्रत्‍यावेदन देने तथा विपक्षी संख्‍या-०२ को दो माह के अंदर निस्‍तारण करने का निर्देश दिया। उक्‍त के अनुपालन में दिनांक ०९.०८.२०१२ को परिवादिनी ने प्रत्‍यावेन प्रस्‍तुत  किया जिस पर विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा दिनांक २५.०९.२०१२ को सुनवाई हेतु तिथि दी गई। विपक्षी संख्‍या-०२ ने दिनांक ०९.०८.२०१२ के प्रत्‍यावेदन की धारा ०१ ता २५ व अतिरिक्‍त प्रत्‍यावेदन की धारा ०१ ता ०३ को विभागीय कर्मचारियों के अनुचित प्रभाव में आकर दिनांक ०४.१०.२०१२ को निरस्‍त कर दिया। पुन: विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा दिनांक २५.०९.२०१२ को प्रत्‍यावेदन की सुनवाई का समय दिया गया परन्‍तु दिनांक ०९.०८.२०१२ को पत्र भेजकर विपक्षी संख्‍या-०१ द्धारा परिवादिनी की जमा अनुदान धनराशि इस आपत्ति के साथ वापस मॉगा कि परिवादिनी की इकाई ही स्‍थापित नहीं है। इस संबंध में जब परिवादिनी विपक्षी संख्‍या-०१ से मिली तो उसने बताया कि विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा हमे जो सूचना उपलब्‍ध कराई गई उसी के आधार पर कार्यवाही की गई अब अनुदान की धनराशि का भुगतान हम नहीं करेगें। इस प्रकार बिना मौके की विधिक जॉच कराये केवल विपक्षी संख्‍या-०२ की सूचना के आधार पर अनुदान की धनराशि से उसे वंचित कर दिया गया।

     विपक्षीगण द्धारा घोर लापरवाही करते हुये दोनो ऋण खातों को एन० पी० ए० किया गया जमानतदारो की एफ० डी० तोड़कर पूर्ण भुगतान प्राप्‍त  करके शेष धनराशि रू० ६१५६२.०० परिवादिनी के खाते में जमा कर दिया तथा उसके बन्‍धक प्‍लाट व मकान के दस्‍तावेज को वापस नहीं किया गया। पुन: परिवादिनी द्धारा माननीय उच्‍च न्‍यायालय में रिट प्रस्‍तुत  करने पर विपक्षी संख्‍या-०२ ने दिनांक १८.१२.२०१२ को रू० २७४४५.०० जमा कर बन्‍धक विलेख वापस कर दिया। परिवादिनी की मॉग पर विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा जो विवरणी दी गई उसमे दिनांक १४.०७.२०१२ को परिवादिनी का रू० ६१५६२.०० अधिक जमा है और दिनांक १८.१२.२०१२ को सी० सी० खाते से रू० ५१८४५.०० निकालकर टर्म लोन खाते में जमा कर दिया गया और सी० सी० खाते में रू० १८७६२.०० ब्‍याज तथा रू० १८१५०.०० लीगल चार्ज लगाया। दिनांक १८.१२.२०१२

 

 से २१.१२.२०१२ तक का ब्‍याज रू० ३९.०० व रू० २५०.०० अन्‍य जोड़कर रू० ८९०४६.०० का विधिविरूद्ध ढ़ग से रिजर्व बैंक के नियमो के अनुकूल उसके भवन को नीलाम किये जाने की धमकी देकर प्राप्‍त कर लिया। इस संबंध में परिवादिनी ने दिनांक २६.१२.२०१२ को पत्र भी लिखा था। विपक्षीगण के उपरोक्‍त कृत्‍य से परिवादिनी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।  अत: परिवादिनी ने यह परिवाद प्रस्‍तुत किया  है। परिवादिनी ने याचना किया है कि उसे विपक्षीगण से रू० ८७५०००.०० अनुदान की धनराशि मय ब्‍याज तथा मशीनरी नष्‍ट होने की क्षतिपूर्ति रू० ५०००००.०० व रू० १०००००.०० मानसिक क्षतिपूर्ति रू० ३०००.०० सामाजिक क्षतिपूर्ति रू० ५००००.०० एफ० डी० तोड़ने की क्षतिपूर्ति तथा रू० ८९०४६.०० अधिक वसूल की गई धनराशि मय ब्‍याज वापस दिलाई जाय।

विपक्षी संख्‍या-०१ द्धारा प्रतिवाद पत्र योजित किया है जिसमे यह अभिकथन किया है कि पंजाब नेशनल बैंक चौहान मार्केट रायबरेली की रिपोर्ट एंव गिरी इन्‍स्‍टीट्यूट आफ डवलपमेन्‍ट स्‍टडीज अलीगंज लखनऊ की रिपोर्ट के आधार पर यह पाया गया कि परिवादिनी द्धारा उन मानको को पूरा नहीं किया गया जिसके आधार पर पी० एम० ई० जी० पी० योजना के अंतर्गत अनुदान प्रदान किया जाता है विपक्षी संख्‍या-०१ द्धारा विपक्षी संख्‍या-०२ से अनुरोध किया गया कि वे मार्जिन मनी रू० ८७५०००.०० अपने नोडल बैंक पंजाब नेशनल बैंक इन्दिरा नगर लखनऊ को वापस कर दे। स्‍वतंत्र एजेन्‍सी की जॉच रिपोर्ट के आधार पर अनुदान राशि वापस लेने की कार्यवाही की गई। विपक्षी संख्‍या-०१ को इस वाद में अनावश्‍यक पक्षकार बनाया गया है। मार्जिन मनी की धनराशि सीधे उद्ममी को नहीं प्रदान की जाती है। पी० एम० ई० जी० पी० योजना के दिशा निर्देशों के अनुसार ऋणकर्ता के पक्ष में मार्जिन मनी राशि जारी कर दिये जाने के बाद उस राशि को शाखा स्‍तर पर लाभार्थी संस्‍था के नाम में तीन वर्ष मियादी जमा रसीद पर रखा जायेगा तथा इस पर किसी प्रकार के ब्‍याज का भुगतान नहीं किया जायेगा तथा रसीद की समतुल्‍य ऋण राशि पर ब्‍याज प्रभारित नहीं किया जायेगा। पी० एम० ई० जी० पी० योजना के दिशा निर्देशों के अनुसार समय-समय पर संस्‍था के कार्यकलापो की जॉच बैंक द्धारा तथा अन्‍य स्‍वतंत्र जॉच एजेन्सियों द्धारा की जायेगी तथा किसी प्रकार की अनियमितता पाये जाने पर उद्ममी को दी जाने वाले अनुदान धनराशि वापस ली जा सकती है। परिवादिनी के पत्र दिनांक १६.१०.२०१२ के क्रम में पंजाब नेशनल बैंक से आख्‍या मॉगी गई जिन्‍होने दिनांक ०४.१०.२०१२ को अवगत कराया कि मेसर्स कान्‍हा मिल प्रोडक्‍ट इकाई की जॉच बैंक अधिकारियों द्धारा नियमानुसार की गई तो पाया गया कि इकाई नहीं चल रही है तथा रिलीज राशि का दुरूपयोग किया गया। इसके अतिरिक्‍त बैंक के वरिष्‍ठ

 

 निरीक्षक द्धारा भी जॉच में इकाई का नहीं चलना पाया गया। जॉच के दौरान यह पाया गया कि कार्यशाला पुरानी है। विपक्षी संख्‍या-०१ के कार्यालय द्धारा नियुक्‍त मान्‍यता प्राप्‍त बाहरी एजेन्‍सी मेसर्स गिरी अध्‍ययन विकास संस्‍थान लखनऊ के द्धारा इकाई का भौतिक सत्‍यापन जनवरी २०११ में किया गया जिसमे पाया गया कि मशीन इत्‍यादि स्‍थापित  नहीं है तथा शेड में पशुपालन का कार्य किया जा रहा है। परिवादिनी को दी जाने वाली सेवा में किसी प्रकार की कोई त्रुटि विपक्षी संख्‍या-०१ के स्‍तर पर नहीं की गई है अत: परिवाद को खारिज किये जाने की याचना की गई है।

विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा प्रतिवाद पत्र योजित किया गया है जिसमे यह अभिकथन किया गया है कि अनुदान की धनराशि ८७५०००.०० विपक्षी संख्‍या-०१ द्धारा प्रदान की गई है। परिवादिनी द्धारा खाते का संचालन संविदा के अनुरूप न करने तथा सी० सी० लिमिट में बिक्रीत धनराशि नियमानुसार जमा न करने से बैंकिंग अधिनियम के तहत खातों को एन० पी० ए० घोषित करते हुये नियमानुसार कार्यवाही करते हुये अनुदान की धनराशि विपक्षी संख्‍या-०१ को वापस कर दी गई। अनुदान धनराशि प्राप्‍त करने के संबंध में माननीय उच्‍च न्‍यायालय द्धारा याचिका खारिज कर दी गई। पुन: अनुदान के संबंध में परिवाद योजित किया जाना न्‍याय के सिद्धान्‍तों  के प्रतिकूल है। परिवादिनी के लापरवाही पूर्वक कार्य करने तथा नियमित पैसा न जमा करने के कारण उसके खातें को एन० पी० ए० किया गया। परिवादिनी उपभोक्‍ता की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती  है ऐसी स्थिति में परिवाद पोषणीय नहीं है। परिवादी द्धारा एक परिवाद ०८/२०१२ योजित किया गया था जो खारिज किया जा चुका है पुन: चालाकी करते हुये उसने दूसरा परिवाद योजित किया है जो निरस्‍त  होने योग्‍य है। परिवादिनी ने तथ्‍यों  को तोड़- मरोड़कर प्रस्‍तुत किया है जो बलहीन होने के कारण निरस्‍त  किये जाने योग्‍य है।

परिवादिनी ने परिवाद पत्र के कथन के समर्थन में स्‍वयं का शपथ पत्र तथा अभिलेखीय साक्ष्‍य के रूप में पत्र दिनांक ०९.०८.२०१२ व २५.०९.२०१२ तथा फेहरिस्‍त द्धारा कुल- १२ प्रपत्र प्रस्‍तुत किया है।

     विपक्षी संख्‍या-०१ द्वारा प्रतिवाद पत्र के कथनों के समर्थन में शपथपत्र तथा पत्र दिनांक १२/१६.१०.२०१२ व १७.१०.२०१२ के साथ जॉच रिपोर्ट एंव गवाही तथा पत्र दिनांक २०.०१.२०१२ प्रस्‍तुत किया है।

विपक्षी संख्‍या-०२ द्वारा प्रतिवाद पत्र के कथनों के समर्थन में शपथपत्र तथा फेहरिस्‍त के माध्‍यम से कुल छ: प्रपत्र प्रस्‍तुत किया है।

     हमने परिवादी तथा विपक्षी संख्‍या-०१ व ०२ के विद्वान अधिवक्‍ताओं की बहस सुना तथा पत्रावली का भलीभांति परिशीलन किया। पक्षों के अभिवचन एंव प्रस्‍तुत  किये गये मौखिक व अभिलेखीय साक्ष्‍य से यह स्‍पष्‍ट है कि पक्षों

 

के मध्‍य वास्‍तविक विवाद मात्र यह है कि क्‍या परिवादिनी को प्राप्‍त होने वाली अनुदान धनराशि विधि विरूद्ध तरीके से नहीं प्रदान की गई।

     उल्‍लेखनीय है कि विपक्षी संख्‍या-०१ खादी एंव ग्रामोघोग आयोग उत्‍तर प्रदेश लखनऊ ऋणदाता बैंक को इस आधार पर अनुदान की धनराशि अवमुक्‍त करते हुये संबंधित उघोग स्‍थापित करने हेतु लिये गये ऋण का सदुपयोग  किया गया एंव तत्‍क्रम में उघोग की इकाई न केवल स्‍थापित की गई है अपितु सुचारू रूप से संचालित की जा रही है। यहॉ इस तथ्‍य का भी उल्‍लेख किया जाना उचित होगा कि उघोग स्‍थापित करने हेतु लागत एंव कार्यशील पॅूजी के लिये सावधि ऋण (टर्म लोन) इस आधार पर प्रदान किया जाता है कि उघोग संस्‍थापित करने हेतु आवश्‍यक संयत्र एंव ढ़ाचागत बनावट हेतु आवश्‍यक व्‍यय किया गया है एंव उक्‍त व्‍यय हेतु पॅूजी की आवश्‍यकता है। परिवादिनी को ढ़ाचागत निर्माण हेतु सावधि ऋण प्रदान किया गया था कार्यशील पॅूजी हेतु कैश क्रेडिट एकाउन्‍ट (सीसीए) खोल करके ऋण प्रदान किया गया। परिवादिनी को रू० १४२३०००.०० का सावधि ऋण तथा रू० ९५००००.०० कार्यशील पॅूजी हेतु कैश क्रेडिट एकाउन्‍ट खातें में ऋण के रूप में धन आहरित करने एंव क्रमश: जमा करने की सुविधा मई-२००९ में प्रदान की गई। विपक्षी संख्‍या-०२ बैंक द्धारा नियमानुसार स्‍थल निरीक्षण करने के उपरान्‍त इस आशय की अनुसंशा पर कि परिवादिनी द्धारा लिये गये ऋण के आलोक में कान्‍हा मिल्‍क  प्रोडक्‍ट इकाई की न केवल स्‍थापना की गई अपितु उसे सुचारू रूप से संचालित भी किया जा रहा है। विपक्षी संख्‍या-०१ (खादी और ग्रामोघोग आयोग लखनऊ) ने परिवादिनी को अनुदान प्रदान किये जाने हेतु मु० ८७५०००.०० अनुदान की राशि माह जून-२००९ में विपक्षी संख्‍या-०२ के पास भेज दी गई जो सुरक्षित रहा किन्‍तु कालान्‍तर में विपक्षी संख्‍या-०२ इसी बैंक ने विपक्षी संख्‍या-०१ को इस आशय की आख्‍या प्रेषित किया कि परिवादिनी द्धारा कान्‍हा मिल्‍क प्रोडक्‍ट की इकाई न लगाई गई और न उसे सुचारू रूप से संचालित किया गया तथा परिवादिनी का ऋण खाता अनियमित हो गया है अत: परिवादिनी को प्रदान किये जाने हेतु अनुदान की राशि वापस ले ली जाय।

     विपक्षी बैंक के अभिकथन एंव विभिन्‍न अभिलेखों से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादिनी प्राप्‍त होने वाली अनुदान की धनराशि को दो आधारों पर वापस लिये जाने की अनुसंशा की गई है। प्रथम यह कि परिवादिनी की संस्‍था विधिवत स्‍थापित नहीं की गई तथा संचालित नहीं की जा रही है एंव उसका खाता एन. पी. ए. कर दिया गया है। अब देखना यह है कि क्‍या विपक्षी बैंक के पास इस आशय का पर्याप्‍त साक्ष्‍य व आधार उपलब्‍ध था कि परिवादिनी द्धारा दुग्‍ध उत्‍पाद व्‍यवसाय हेतु संयत्र नहीं लगाये गये एंव इकाई स्‍थापित करके उसे  संचालित  नहीं किया गया। यहॉ आरम्‍भ  में  ही इस तथ्‍य का

 

 उल्‍लेख करनाउचित होगा कि परिवादिनी ने विभिन्‍न अवसरों पर कई बार संबंन्धित बैंक शाखा के उच्‍चाधिकारियों से यह लिखित अनुरोध किया कि परिवादिनी द्धारा स्‍थापित संयत्र इकाई का स्‍थल निरीक्षण कर लिया जाय एंव इस भ्रामक स्थिति को स्‍पष्‍ट कर लिया जाय कि परिवादिनी द्धारा संस्‍थापित दुग्‍ध उत्‍पादन संयत्र न केवल स्‍थापित है अपितु उसे सुचारू रूप से संचालित भी किया जा रहा है। यघपि बैंक ने अपने पत्र में इस आशय का उल्‍लेख किया है कि उनके द्धारा निरीक्षण किया गया किन्‍तु कोई भी निरीक्षण आख्‍या बैंक द्धारा इस मंच के समक्ष नहीं प्रस्‍तुत किया गया है जिससे यह स्‍पष्‍ट हो सके कि परिवादिनी द्धारा लिये गये ऋण से इकाई स्‍थापित नहीं की गई एंव उसे संचालित नहीं किया जा रहा है। राज्‍य कार्यालय खादी एंव ग्रामोघोग आयोग सूक्ष्‍म लघु एंव मध्‍यम उघम मंत्रालय भारत सरकार इन्दिरा नगर फैजाबाद मार्ग लखनऊ उत्‍तर प्रदेश द्धारा दिनांक १६.१०.२०१२ को परिवादिनी को प्रेषित पत्र से यह प्रकट होता है कि परिवादिनी की इकाई का बैंक अधिकारियों द्धारा नियमानुसार की गई जॉच में यह पाया गया कि इकाई चल नहीं रही थी तथा अवमुक्‍त धनराशि का दुरूपयोग किया गया है। इसी प्रकार इकाई की जॉच बैंक के आंचलिक लेखा कार्यालय लखनऊ के वरिष्‍ठ निरीक्षक द्धारा भी की गई जिसमें प्रतभिूतियों के न पाये जाने एंव इकाई के न चलने की पुष्टि की गई। कार्यशाला ऋण अवमुक्‍त करने के पूर्व की निर्मित है। आयोग द्धारा नियुक्‍त एंव बाहरी एजेन्‍सी में० गिरि अध्‍ययन विकास संस्‍थान लखनऊ द्धारा भी स्‍थल निरीक्षण किया गया जिसमे यह पाया गया कि मशीनरी आदि स्‍थापित नहीं की गई थी अपितु शेड में पशुपालन का कार्य किया जा रहा है। विपक्षी संख्‍या-०१ ने गिरि संस्‍थान  से कराई गई जॉच आख्‍या की सत्‍यापित प्रतिलिपि प्रस्‍तुत किया है जिसमे जॉच का विवरण अंकित किया गया है। उक्‍त जॉच आख्‍या का परिशीलन करने से यह स्‍पष्‍ट है कि यह जॉच परिवादिनी अथवा उसके द्धारा नामित किसी प्रतिनिधि अथवा बैंक के किसी अधिकारी की उपस्थिति में नहीं किया गया। आश्‍चर्यजनक तथ्‍य यह है कि इंगित किये जाने के बावजूद विपक्षी संख्‍या-०१ खादी ग्रामोघोग आयोग ने ऐसी कोई जॉच आख्‍या नहीं प्रस्‍तुत किया जिससे यह प्रकट हो कि गिरि संस्‍थान द्धारा की गई जॉच परिवादिनी की इकाई से ही संबंन्धित है। दाखिल की गई जॉच आख्‍या से यह प्रकट होता है कि यह जॉच आख्‍या दिनांकित २०.०१.२०१२ किसी सुरेन्‍द्र कुमार की संस्‍था का है। परिवादिनी की इकाई कान्‍हा मिल्‍क प्रोडक्‍ट यूनिट से संबंन्धित नहीं है क्‍योंकि लाभार्थी के हस्‍ताक्षर के स्‍थान पर किसी सुरेन्‍द्र कुमार का हस्‍ताक्षर है। बैंक अधिकारी का इस जॉच के चौथे खण्‍ड के पृष्‍ठ भाग पर अस्‍पष्‍ट हस्‍ताक्षर है जिससे यह स्‍पष्‍ट नहीं होता कि बैंक के किस पदाधिकारी का  हस्‍ताक्षर है। जॉच आख्‍या के अन्‍य पृष्‍ठों पर

 

 किसी बैंक अधिकारी के कोई हस्‍ताक्षर तथा पदनाम का उल्‍लेख नहीं किया गया है जिससे यह प्रकट हो कि गिरि संस्‍थान द्धारा स्‍थल निरीक्षण करते समय बैंक का कौन अधिकारी उपस्थित था। उक्‍त कथित जॉच आख्‍या पर यह उल्लिखित है कि इकाई में विघुत का कनेक्‍शन  दिनांक ०१.०४.२००९ को हुआ जबकि परिवादिनी  के कथनानुसार उसकी इकाई  में कभी भी विघुत का कोई कनेक्‍शन नहीं किया गया बल्कि वह जनरेटर से अपनी इकाई का संचालन करती थी। इसके अतिरिक्‍त इस तथ्‍य का भी उल्‍लेख करना उचित होगा कि गिरि संस्‍थान की तरफ से जॉच करने वाले सत्‍यापन अधिकारी ने अपनी जॉच आख्‍या में यह भी उल्‍लेख किया है कि परिवादिनी की संस्‍था में मुख्‍य द्धार पर लोहे के गेट पर ताला लगा है एंव सामने के ही तरफ लकड़ी के छोटे गेट में भी ताला लगा है बगल के रास्‍ते के पीछे से यह सत्‍यापन अधिकारी जॉच करने गये थे। जॉच आख्‍या में उल्लिखित इस तथ्‍य के परिशीलन से यह स्‍पष्‍ट है कि परिवादिनी के तरफ से उक्‍त कथित स्‍थल निरीक्षण करते समय मौके पर कोई विघमान नहीं था तथा संस्‍थापित इकाई का मुख्‍य द्धार एंव अन्‍य द्धार भी बन्‍द था अत: पार्श्‍व भाग से प्रवेश करने  एंव निरीक्षण करने की यह कार्यवाही न केवल विधि विरूद्ध थी अपितु तथ्‍यो को स्‍पष्‍ट इंकार करने वाली थी। इसके अतिरिक्‍त जैसा कि उपरोक्‍त उल्लिखित है यह जॉच किसी सुरेन्‍द्र कुमार लाभार्थी की इकाई से संबंन्धित है अत: स्‍पष्‍ट है कि परिवादिनी की संस्थित इकाई का स्‍थल निरीक्षण विधि सम्‍मत तरीके से कभी किया ही नहीं गया। यह भी उल्‍लेखनीय है कि पंजाब नेशनल बैंक के मुख्‍य प्रबंधक रायबरेली की शाखा ने दिनांक २०.०१.२०१२ को इस आशय की आख्‍या खादी एंव ग्रामोघोग आयोग लखनऊ को प्रेषित किया है कि दिये गये पते पर हमारे शाखा से कई बार अधिकारियों ने निरीक्षण किया किन्‍तु आवेदन में दर्शाये गये व्‍यवसाय की सुचारू रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है। आवेदक द्धारा बैंक से लिये गये ऋण का दुरूपयोग करना प्रतीत होता है।

     यहॉ यह भी उल्‍लेखनीय है कि बैंक ने परिवादिनी को इस आशय का पत्र प्रेषित किया है कि परिवादिनी द्धारा इकाई की स्‍थापना ही नहीं की गई बल्कि इसके विपरीत आयोग द्धारा की गई कथित जॉच में संस्‍थापित इकाई को सुचारू रूप से न चलाये जाने का निराधार आख्‍या प्रस्‍तुत  की गई है। यहॉ यह स्‍पष्‍ट करना उचित होगा कि विपक्षी बैंक ने यघपि आयोग को प्रेषित पत्र में इस आशय का उल्‍लेख  किया है कि परिवादिनी की इकाई की कई बार जॉच की गई किन्‍तु बैंक द्धारा की गई किसी भी जॉच की आख्‍या इस मंच के समक्ष नहीं प्रस्‍तुत की गई है।

     इसके विपरीत विपक्षी बैंक द्धारा परिवादिनी को प्रदान किये गये ऋण का विवरण एंव हिसाब मॉगे जाने पर जब बैंक द्धारा हिसाब का विवरण नहीं

 

 दिया गया तब परिवादिनी ने इस मंच के समक्ष परिवाद संख्‍या- ०८/२०१२ प्रस्‍तुत किया और उक्‍त परिवाद में वर्णित तथ्‍य को विधि द्धारा स्‍थापित सिद्धान्‍तों के अनुरूप सिद्ध करने हेतु परिवादिनी ने इस मंच के आदेश पर एडवोकेट कमिश्‍नर नियुक्‍त कराकर स्‍थल निरीक्षण कराया। उक्‍त परिवाद में एडवोकेट कमिश्‍नर द्धारा किया गया स्‍थल निरीक्षण को प्रस्‍तुत किया गया है जिसमे विद्धान एडवोकेट कमिश्‍नर ने यह स्‍पष्‍ट आख्‍या दिया है कि संस्‍था अपने उद्देश्‍यों  के अनुसार मौके पर कार्यरत एंव विधिवत संचालित पाई गई। एडवोकेट कमिश्‍नर ने अपनी आख्‍या के समर्थन में मौके के कैमरा फोटो भी प्रस्‍तुत किया है जो उक्‍त आख्‍या का अंश है। उल्‍लेखनीय है कि उक्‍त आख्‍या की सत्‍यापित प्रतिलिपि प्रस्‍तुत परिवाद में अभिलेखीय साक्ष्‍य के रूप में प्रस्‍तुत की गई है किन्‍तु न तो परिवाद संख्‍या ०८/२०१२ में और न ही वर्तमान वाद में उक्‍त रिपोर्ट के विरूद्ध कोई आपत्ति प्रस्‍तुत की गई फलत: विधिक रूप से यह अवधारित  किया जायेगा  कि एडवोकेट कमिश्‍नर द्धारा दी गई आख्‍या विश्‍वसनीय साक्ष्‍य है। अत: हम इस निश्चित मत के है कि परिवादिनी द्धारा लिये गये ऋण के आलोक में स्‍थापित इकाई न केवल स्‍थापित है अपितु उसे संचालित भी किया जा रहा है। सामान्‍य रूप से बैंक अपने ऋण की सुरक्षा के लिये तथा ऋणी  की इकाई की सुरक्षा के लिये स्‍थापित इकाई का बीमा कम्‍पनी से बीमा कराती है। इस संबंध में बैंक ने परिवादिनी की इकाई का दिनांक १९.०१.२०१२ को दिनांक २४.०१.२०१२ से २३.०१.२०१३ तक की अवधि के लिये बीमा कराया है एंव बीमा के किश्‍त की धनराशि परिवादिनी के खातें से आहरित की गई है जिससे यह स्‍पष्‍ट है कि बैंक इस तथ्‍य से भली भॉति अवगत एंव संतुष्‍ट था कि दिनांक १९.०१.२०१२ को परिवादिनी की स्‍थापित इकाई सुचारू रूप से संचालित थी। आश्‍चर्यजनक तथ्‍य यह है कि एक तरफ बैंक दिनांक १९.०१.२०१२ को परिवादिनी की इकाई के संचालित होने के आधार पर इकाई का बीमा नियमानुसार बीमा कम्‍पनी  से करवाकर बीमा प्रीमियम का भुगतान करता है इसके बावजूद खादी ग्रामोघोग लखनऊ द्धारा नियुक्‍त  किये गये गिरि संस्‍थान ने दिनांक २०.०१.२०१२ को इकाई संचालित नहीं होने का तथ्‍य कथित रूप से पाया गया जो स्‍पष्‍ट है न केवल विरोधाभासी है अपितु अविश्‍वसनीय एंव असत्‍य है।

     अत: हम इस निश्चित मत के है कि परिवादिनी द्धारा विपक्षी बैंक से ऋण लेकर संस्‍थापित इकाई विधिवत संचालित थी।

       जहॉ तक बैंक द्धारा परिवादिनी के खातें को एन.पी.ए घोषित किये जाने का प्रश्‍न है। भारतीय रिवर्ज बैंक द्धारा सभी बैंकों को निर्गत किये गये दिशा निर्देश से यह स्‍पष्‍ट है कि किन परिस्थितियों में किसी ऋण खातें को एन.पी.ए. घोषित किया जायेगा जिसमे मुख्‍यत: एंव  सारांशत: यह दिशा निर्देश है कि

 

१०

 ऋण प्राप्‍त करके स्‍थापित की गई संस्‍था विधिवत संचालित हो तथा लिया गया ऋण निर्धारित समय पर अदा किया जाता रहे। जहॉ  तक परिवादिनी द्धारा लिये गये ऋण को समय से न अदा करने का प्रश्‍न है विपक्षी बैंक ने परिवादिनी को दिनांक ०१.११.२०११ को इस आशय का पत्र प्रेषित किया कि

परिवादिनी के ऋण खातें में रू० ६०७६२.०० के ऋण की धनराशि अतिदेय हो गई है यघपि यह पत्र विलम्‍ब से प्रेषित किया गया और परिवादिनी को दिनांक ०८.१२.२०११ को प्राप्‍त हुआ‍ किन्‍तु फिर भी परिवादिनी ने दिनांक ०८.११.२०११ से ०८.१२.२०११ के मध्‍य रू० ६७७६२.०० अतिदेय ऋण की धनराशि से अधिक रू० ९५०००.०० जमा कर दिया था फिर भी दिनांक ०८.१२.२०११ की तिथि बीतने  के पूर्व विपक्षी बैंक ने परिवादिनी को अपने अधिवक्‍ता के माध्‍यम से एक विधिक नोटिस इस आशय का प्रेषित किया कि सी० सी० खातें का रू० ८६२२५६.०० तथा सावधि ऋण खातें  का रू० ८८६४३५.०० जमा कर दिया जाय। विपक्षी बैंक किसी भी प्रकार से किसी अभिलेख के माध्‍यम से यह सिद्ध नहीं कर सका है कि दिनांक ०५.१२.२०११ अर्थात विधिक नोटिस देने की तिथि को परिवादिनी का खाता अनियमित रहा हो फिर भी सम्‍पूर्ण बकाया की धनराशि एक मुश्‍त जमा करने हेतु नोटिस विधि विरूद्ध थी। यह भी उल्‍लेखनीय है कि माह फरवरी वर्ष २००९ में ऋण लिया गया तथा खाता नियमित रहते हुये दिसम्‍बर-२०११ में विपक्षी बैंक द्धारा सम्‍पूर्ण धनराशि जमा करने हेतु एकपक्षीय निराधार आदेश निर्गत किया गया यही नहीं विपक्षी बैंक ने परिवादिनी के जमानतदारों को भी सावधि ऋण खातें में रू० १३३०६४.०० तथा सी.सी.ए खातें में रू० ४९१०६७.०० जमा करने हेतु नोटिस दी गई। परिवादिनी ने निर्धारित तिथि के अंतर्गत रू० १३३०६४.०० के बजाय रू० १५००००.०० जमा कर दिया।

     उल्‍लेखनीय तथ्‍य यह है कि परिवादिनी  ने विपक्षी बैंक को इस आशय का अधिकार प्रदान कर रखा था कि बैंक परिवादिनी के सी.सी.ए. से धन आहरित करके सावधि ऋण खातें में जमा करता रहे। पूर्व में विपक्षी बैंक ने ऐसा किया था किन्‍तु कालान्‍तर में प्रकट होता है कि जानबूझकर विधि विरूद्ध तरीके से परिवादिनी का खाता एन. पी. ए. घोषित करने हेतु परिवादिनी के सी. सी. ए. से धन आहरित करके सावधि ऋण खातें में धन नहीं जमा किया गया और यह प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया कि परिवादिनी द्धारा ऋण की अदायगी समय से नहीं की जा रही है। पत्रावली पर उपलब्‍ध परिवादिनी के सावधि ऋण खाता एंव कैश क्रेडिट खाता के विवरणी के परिशीलन से यह स्‍पष्‍ट है कि सी.सी.ए. में पर्याप्‍त धनराशि होने के बावजूद विपक्षी बैंक ने सावधि ऋण खातें में धन नहीं जमा किया एंव प्रदर्शित किया गया कि परिवादिनी का सावधि ऋण खाता अनियमित हो गया है। दिनांक ०४.०९.२०१०

 

११

 से ०१.०३.२०११ तक विपक्षी बैंक द्धारा परिवादिनी के सी० सी० ए० से धनराशि आहरित करके सावधि ऋण खातें में जमा किया गया किन्‍तु बाद में बिना किसी कारण के यह धनराशि आहरण एंव जमा नहीं किया गया है जिसे विपक्षी बैंक ने किसी भी प्रकार से स्‍पष्‍ट नहीं किया है।

     यह भी उल्‍लेखनीय है कि यदि ऋणी  के खातें में नब्‍बे दिन से अधिक की अवधि के लिये ऋण की धनराशि तथा ब्‍याज की अदायगी नहीं की जाती है तब ऋणी के खातें को एन.पी.ए. घोषित कर दिया जाता है। पत्रावली पर उपलब्‍ध बैंक खातें के विवरण से स्‍पष्‍ट है कि दिसम्‍बर २०११ तक परिवादिनी का खाता ऋण अदायगी एंव ब्‍याज की अदायगी के संबंध में नियमित  तत्‍पश्‍चात् दिनांक १५.०२.२०१२ को बैंक द्धारा प्रेषित पत्र के माध्‍यम से टर्म लोन खातें में रू० १३३०४४.०० बकाया होने की सूचना दी गई उक्‍त सूचना के आधार पर परिवादिनी ने तत्‍काल दिनांक १८.०२.२०१२ को मु० १५००००.०० टर्म लोन खातें में जमा कर दिया जो बकाये से अधिक था। ऐसी स्थिति में  मात्र बयालीस दिन की अवधि में दिनांक ३१.०३.२०१२ को बैंक से परिवादिनी का खाता किस प्रकार अनियमित कर दिया गया यह तथ्‍य स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है। इसी प्रकार दिनांक ०७.०१.२०१२ से २९.०३.२०१२ तक की अवधि में परिवादिनी ने विभिन्‍न तथ्‍यों में अपने कैश क्रेडिट एकाउन्‍ट (सी.सी.ए.) में रू० ४१००००.०० जमा किया गया है फिर भी दिनांक २९.०३.२०१२ के पश्‍चात् विपक्षी बैंक द्धारा दिनांक ३१.०३.२०१२ को मात्र दो दिन की अवधि में परिवादिनी का खाता किस प्रकार अनियमित होना मानते हुये एन.पी.ए घोषित कर दिया गया यह तथ्‍य बैंक स्‍पष्‍ट नहीं कर सका है। परिवादिनी ने बैंक के उच्‍चाधिकारियों  को इस आशय की स्‍पष्‍ट रूप से शिकायत किया कि बैंक के कर्मचारी परिवादिनी से अवैध धन की वसूली चाहते है इस तथ्‍य की जॉच कर ली जाय किन्‍तु ऐसी कोई जॉच की गई इसका को प्रमाण विपक्षी बैंक नहीं प्रस्‍तुत कर सका। विपक्षी बैंक से स्‍पष्‍ट रूप से उन अभिलेखों की मंच द्धारा मॉग की गई जिसके आधार पर खाता एन. पी. ए. किया गया किन्‍तु बैंक इस तथ्‍य को स्‍पष्‍ट नहीं कर सका।

     यहॉ पर यह भी स्‍पष्‍ट करना उचित होगा कि परिवादिनी से विपक्षी संख्‍या-०२ ने  ऋण की शेष वसूली तीन वर्ष व्‍यतीत होने के पश्‍चात् उसके द्धारा जमा  की गई प्रतभिूतियों को तोड़कर वसूल कर लिया है वर्तमान समय में परिवादिनी के उपर ऋण का कोई देय अवशेष नहीं है।

     विपक्षी संख्‍या-०१ के विद्धान अधिवक्‍ता श्री देवराज सिंह ने अन्‍य तथ्‍य के अतिरिक्‍त इस बिन्‍दु पर भी अपनी बहस में तर्क दिया कि प्रस्‍तुत परिवाद प्रांग न्‍याय के सिद्धान्‍त से बाधित है किन्‍तु विद्धान अधिवक्‍ता का उक्‍त तर्क विधि मान्‍य नहीं है क्‍योंकि प्रथमत: पूर्व में योजित परिवाद संख्‍या ०८/२०१२

 

१२

 अभी अंतिम रूप से निर्णीत नहीं हुआ है द्धितीयत: उक्‍त परिवाद की विषय वस्‍तु एंव विवाद का बिन्‍दु प्रस्‍तुत परिवाद से सर्वथा भिन्‍न है।

     उपरोक्‍त  विवेचना के आधार पर हम इस निश्चित मत के है कि विपक्षी बैंक द्धारा विधि विरूद्ध तरीके से यह निष्‍कर्ष निकाला गया कि परिवादिनी की संस्‍था स्‍थापित एंव संचालित नहीं है तथा उसका खाता एन. पी. ए. हो गया है। विपक्षी बैंक द्धारा परिवादिनी को जानबूझकर  हैरान व परेशान करने के लिये परिवादिनी की आर्थिक क्षति हेतु विपक्षी संख्‍या-०१ को यह अनुसंशा प्रेषित की गई कि इकाई संचालित न होने एंव खाता एन. पी. ए. न होने के आधार पर अनुदान की धनराशि वापस ले ली जाय। विपक्षी बैंक द्धारा कृत यह कार्यवाही न केवल आर्थिक परेशानी का कारण बनी अपितु परिवादिनी के जमानतदारों को अनावश्‍यक रूप से विधि विरूद्ध नोटिस देकर उन्‍हें भी मानसिक रूप से परेशान किया जिसके कारण परिवादिनी की स्‍थापित इकाई के व्‍यवसाय

की भी क्षति हुई। यहॉ यह भी उल्‍लेख करना उचित होगा जैसा कि विपक्षी संख्‍या-०१ द्धारा कराई गई जॉच जो गिरि संस्‍थान द्धारा की गई जिसे परिवादिनी की इकाई का न हो करके किसी सुरेन्‍द्र कुमार की इकाई का पाया गया  के आधार पर अन्‍य कोई जॉच कराये बिना विपक्षी संख्‍या-०१ ने मात्र बैंक की अनुसंशा पर अनुदान की धनराशि वापस ले लिया। जो न केवल रिजर्व बैंक आफ इंडिया अपितु भारत सरकार द्धारा दिये गये दिशा निर्देशों के विपरीत है। अत: हम इस निश्चित मत के है कि परिवादिनी परिवाद पत्र में वर्णित तथ्‍य को सिद्ध करने में पूर्णत: सफल रही  है विपक्षी बैंक द्धारा परिवादिनी को विधि विरूद्ध तरीके से न केवल हैरान व परेशान किया अपितु मानसिक कष्‍ट पहॅुचाया गया जिससे विवश होकर परिवादिनी को इस मंच में परिवाद प्रस्‍तुत करना पड़ा।

     उपरोक्‍त  विवेचना के आधार पर हम इस निश्चित मत के है कि परिवादिनी विपक्षीगण से अनुदान की धनराशि तथा क्षतिपूर्ति एंव वाद व्‍यय प्राप्‍त करने की अधिकारी है। परिवाद उपरोक्‍तानुसार आंशिक रूप से स्‍वीकार  किये जाने योग्‍य है।

आदेश

     परिवादिनी का परिवाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया जाता है। परिवादिनी को विपक्षीगण से अनुदान की धनराशि रू० ८७५०००.०० माह जून-२००९ से जमा योजना के अंतर्गत प्राप्‍त होने वाली ब्‍याज की दर से ब्‍याज सहित पाने की अधिकारी है। यदि विपक्षी संख्‍या-०२ बैंक द्धारा परिवादिनी के अनुदान की धनराशि पर जमा योजना के अंतर्गत तीन वर्ष का ब्‍याज अदा किया जा चुका हो तब उक्‍त अवधि तक ब्‍याज परिवादिनी को अदा करने की आवश्‍यकता नहीं होगी। किन्‍तु अनुदान की धनराशि जो विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा

 

१३

 विपक्षी संख्‍या-०१ को वापस किये जाने की तिथि से वास्‍तविक अदायगी की तिथि तक परिवादिनी विपक्षीगण से नौ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज भी प्राप्‍त करने की अधिकारी है। यदि अनुदान की धनराशि प्राप्‍त होने पर कोई भी ब्‍याज विपक्षी संख्‍या-०२ द्धारा परिवादिनी के खातें में जमा नहीं किया गया  है तब अनुदान की धनराशि अवमुक्‍त होने की तिथि जून-२००९ से वास्‍तविक अदायगी की तिथि तक नौ प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज की दर से ब्‍याज प्राप्‍त करने का अधिकार है। विपक्षीगण यह धनराशि दो माह में परिवादिनी को अदा करें। विपक्षी संख्‍या-०२ क्षतिपूर्ति के रूप में परिवादिनी को रू० ५०००.०० तथा वाद व्‍यय के रूप में रू० १०००.०० भी दो माह में अदा करेंगें। दो माह की अवधि के उपरान्‍त परिवादिनी क्षतिपूर्ति तथा वाद व्‍यय की कुल धनराशि रू० ६००० (रू० छ: हजार मात्र) पर परिवाद प्रस्‍तुत करने की तिथि ०६.०५.२०१३ से अदायगी की तिथि तक आठ प्रतिशत ब्‍याज पाने का अधिकारी होगा।

 

 

   (शैलजा यादव)      (राजेन्‍द्र प्रसाद मयंक)      (लालता प्रसाद पाण्‍डेय)

    सदस्‍य              सदस्‍य                 अध्‍यक्ष

यह निर्णय आज फोरम के अध्‍यक्ष एंव सदस्‍यों द्वारा हस्‍ताक्षारित एंव दिनांकित कर उदघोषित किया गया।

 

 

(शैलजा यादव)       (राजेन्‍द्र प्रसाद मयंक)      (लालता प्रसाद पाण्‍डेय)

    सदस्‍य               सदस्‍य                     अध्‍यक्ष

 

दिनांक २८.११.२०१५

 

 

 

 

 

 
 
[JUDGES Lalta Prasad Pandey]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. Rajendra Prasad Mayank]
MEMBER
 
[HON'BLE MS. Shailja Yadav]
MEMBER

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