RAM PRASAD filed a consumer case on 25 Feb 2022 against KGSG BANK in the Azamgarh Consumer Court. The case no is CC/109/2012 and the judgment uploaded on 25 Feb 2022.
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग- आजमगढ़।
परिवाद संख्या 109 सन् 2012
प्रस्तुति दिनांक 01.10.2012
निर्णय दिनांक 25.02.2022
राम प्रसाद उम्र तखo 46 साल पुत्र रामसुभग, साo- नेवादा, पोस्ट- चांद पट्टी, तहसील- सगड़ी, जनपद- आजमगढ़।
.........................................................................................परिवादी।
बनाम
उपस्थितिः- कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष” तथा गगन कुमार गुप्ता “सदस्य”
कृष्ण कुमार सिंह “अध्यक्ष”
याची ने अपने याचना पत्र में यह कहा है कि वह विपक्षी संख्या 01 का खाताधारक है और उसका खाता संख्या 216 है। बैंक के कर्मचारियों से जानपहचान होने के कारण विपक्षी संख्या 01 ने याची को सलाह मशविरा देते हुए प्रलोभन दिया कि अवीवा लाइफ इन्श्योरेन्स एक बहुत अच्छी कम्पनी है। उक्त कम्पनी का उद्देश्य तनावरहित बीमा करना है। विपक्षी संख्या 01 ने याची को उकसाया कि वह अपने बचत खाते से जमा रुपयों में कुछ रुपया एक मुश्त तीन साल तक लगातार विपक्षी संख्या 02 के खाते में जमा कर दे तो दो साल बाद जमाशुदा धनराशि का दोगुना हो जाएगी। याची खेत-खलिहान में काम करने वाला एक ग्रामीण व्यक्ति है। विपक्षी संख्या 01 की बातों पर विश्वास करते हुए उसे अपनी सहमति दे दिया। याची की सहमति पर विपक्षी संख्या 01 ने याची के खाता से मुo 10,000/- रुपया निकालकर विपक्षी संख्या 02 के खाते में ट्रान्सफर कर दिया। जिसके बाबत विपक्षी संख्या 02 ने दिनांक 18.06.2009 को दूसरा प्राप्ति बॉन्ड प्रदान किया तथा तीसरी किश्त माह जून 2010 में विपक्षी संख्या 01 ने विपक्षी संख्या 02 के खाते में याची के खाता से मुo 10,000/- रुपया ट्रान्सफर किया जिसका प्राप्ति बॉण्ड प्रमाण पत्र याची को विपक्षी संख्या 01व02 द्वारा नहीं दिया गया। याची विपक्षीगण के आश्वासन पर अपने द्वारा जमाशुदा रुपयों के दुगुना होने का इन्तजार कर रहा था। इसी बीच दिनांक 05.01.2012 को विपक्षी संख्या 02 ने याची के कुल जमाशुदा रकम को समाप्त करते हुए मात्र मुo 10,000/- रुपया का चेक प्रदान किया, जिसे देखकर याची हथप्रभ हो गया। चेक लेकर याची विपक्षी संख्या 01 की शाखा में गया और वहां पर विपक्षी संख्या 01 द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। याची ने उक्त चेक को विपक्षी संख्या 01 की शाखा में रुपया प्राप्त करने के लिए जमा किया। उक्त चेक क्लियरेन्स पर विपक्षी संख्या 02 द्वारा लिखकर वापर कर दिया कि यह चेक मात्र 03 माह के लिए वैध था, जबकि वैधता 06 माह की चेक पर लिखा था। उक्त 10,000/- रुपया भी याची को प्राप्त नहीं हो पाया। तब उसने नोटिस दिया। अतः याची को विपक्षीगण से मुo 30,000/- रुपया मय ब्याज दिलवाया जाए।
याची द्वारा अपने याचना पत्र के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
प्रलेखीय साक्ष्य में याची ने कागज संख्या 4/1 पासबुक की छायाप्रति, कागज संख्या 4/2 चेक की छायाप्रति, कागज संख्या 4/3 चेक रिटर्निंग मेमो की छायाप्रति तथा कागज संख्या 4/4 रजिस्ट्री रसीद प्रस्तुत किया है।
कागज संख्या 17क² विपक्षी संख्या 02 द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है तथा उसने प्राथमिक आपत्ति में यह कहा है कि याची को दो साल के अन्दर याचना पत्र प्रस्तुत करना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। फोरम द्वारा उसके डिले को माफ भी नहीं किया गया। याचना पत्र गलत आधार पपर प्रस्तुत किया गया है और संधार्य नहीं है। विपक्षी की ओर से कोई भी अपने कार्य में डिफीसिएन्सी कारित नहीं की गयी है। याची को कोई भी वाद कारण याचना पत्र प्रस्तुत करने का प्राप्त नहीं है। याची ने प्रपोजल फॉर्म को दिनांक 18.02.2008 को भरा व हस्ताक्षर किया, जिसका नं.एन.एन.यू. 12032762 था। पॉलिसी होल्डर ने सारा सुसंगत पेश किया और मुo 10,000/ रुपया वार्षिक जमा करता रहा। परिपक्वता की तिथि को उसे एक लाख रुपए प्राप्त होना था। दिनांक 03.03.2008 को पॉलिसी याची को जारी की गयी और टर्म्स और कन्डीशन्स दिनांक 06.03.2008 को उसके पास बेज दिया गया था। जिसमें यह कहा गया था कि यदि पॉलिसी होल्डर संतुष्ट नहीं है तो वह 15 दिन के अन्दर अपना बीमा कैंसिल कराकर जमाशुदा धनराशि वापस प्राप्त कर सकता है। पॉलिसी एक लम्बे समय के लिए थी, लेकिन पॉलिसी होल्डर केवल तीन साल तक अपना पैसा उसमें जमा किया। पॉलिसी के डिटेल में यह भी वर्णित किया गया था कि यदि पॉलिसी होल्डर केवल तीन साल तक प्रीमियम जमा करता है तो उसका परिणाम क्या होगा। यह नहीं माना जा सकता है कि पॉलिसी होल्डर अशिक्षित था, जिसके कारण वह 15 दिन के अन्दर अपना बीमा कैंसिल नहीं करवाया। जब पॉलिसी होल्डर ने पूरा प्रीमियम जमा नहीं किया तो दिनांक 03.01.2012 को उसका बीमा निरस्त कर दिया गया। पॉलिसी होल्डर को 10,000/- रुपए का चेक नियमानुसार प्रदान कर दिया गया। अतः परिवाद निरस्त किया जाए।
विपक्षी संख्या 02 द्वारा अपने जवाबदावा के समर्थन में शपथ पत्र प्रस्तुत किया गया है।
कागज संख्या 19क² विपक्षी शाखा प्रबन्धक काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक शाखा चालाकपुर जिला आजमगढ़ द्वारा जवाबदावा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें उसने परिवाद पत्र के कथनों से इन्कार किया है। अतिरिक्त कथन में उसने यह कहा है कि याची को उनके विरुद्ध याचना पत्र प्रस्तुत करने का कोई कारण वाद उत्पन्न नहीं हुआ है। याची व बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या 02 के बीच हुए करार के अनुसार भुगतान प्राप्त करने व देने की जिम्मेदारी याची व बीमा कम्पनी विपक्षी संख्या 02 के बीच है। इससे बैंक से कोई वास्ता सरोकार नहीं है। इस प्रकार याची झूठे कथनों के साथ याचना पत्र प्रस्तुत किया है। अतः याचना पत्र खारिज किया जाए।
प्रलेखीय साक्ष्य में विपक्षी शाखा प्रबन्धक काशी गोमती संयुत ग्रामीण बैंक शाखा चालाकपुर जिला आजमगढ़ द्वारा कागज संख्या 24/1 ता 24/13 प्रपोजल फॉर्म की छायाप्रति तथा स्टैण्डर्ड टर्म्स एण्ड कन्डीशन्स प्रस्तुत किया गया है।
बहस के दौरान पुकार कराए जाने पर उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ता उपस्थित आए तथा उभय पक्षकारों के विद्वान अधिवक्ताओं ने अपना-अपना बहस सुनाया। बहस सुना तथा पत्रावली का अवलोकन किया। विपक्षी संख्या 02 की ओर से पॉलिसी का जो टर्म्स एण्ड कण्डीशन्स के प्रपत्र प्रस्तुत किए गए हैं उसमें यह लिखा हुआ है कि यदि तीन साल तक प्रीमियम जमा किया जाता है और उसके पश्चात् प्रीमियम जमा नहीं किया जाता है तो पॉलिसी को निरस्त कर दिया जाएगा और याची को मुo 10,000/- रुपए प्रथम प्रीमियम की थनराशि अदा कर दी जाएगी। टर्म्स एण्ड कण्डीशन्स के अनुपालन में कागज संख्या 4/2 विपक्षी संख्या 02 ने मुo 10,000/- रुपए का चेक याची को दिया था। जिसे वह बैंक में मियाद बाद भुगतान हेतु प्रस्तुत किया। कागज संख्या 4/3 इस सन्दर्भ का प्रपत्र है जिसमें यह लिखा हुआ है कि चेक समय सीमा के पश्चात् प्रस्तुत किया गया है अतः उसका भुगतान नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार हम लोगों के विचार से विपक्षी संख्या 02 अथवा 01 ने कोई भी लापरवाही याची के साथ नहीं किया है और पॉलिसी के टर्म्स और कण्डीशन्स के अनुसार याची को मुo 10,000/- रुपए का चेक प्रदान कर दिया था। याची का यह कर्त्तव्य था कि वह निर्धारित समय 06 माह के अन्दर उस चेक के भुगतान हेतु उसे बैंक में प्रस्तुत करता, लेकिन ऐसा वह नहीं किया, इसके लिए वह स्वयं जिम्मेदार है। ऐसी स्थिति में हमारे विचार से याचना पत्र निरस्त होने योग्य है।
आदेश
याचना पत्र निरस्त किया जाता है। पत्रावली दाखिल दफ्तर हो।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
दिनांक 25.02.2022
यह निर्णय आज दिनांकित व हस्ताक्षरित करके खुले न्यायालय में सुनाया गया।
गगन कुमार गुप्ता कृष्ण कुमार सिंह
(सदस्य) (अध्यक्ष)
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