TARUVENDRA SINGH filed a consumer case on 27 Apr 2017 against KESKO in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is CC/278/10 and the judgment uploaded on 29 Jun 2017.
तरूणेन्द्र बाजपेयी एडवोकेट पुत्र स्व0 सी0एल0 बाजपेयी निवासी-127/ 786/डब्लू-1 साकेत नगर कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1.प्रबन्ध निदेषक, कानपुर विद्युत सम्पूर्ति कंपनी, (केस्को) कानपुर नगर।
2.अधिषाशी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड एन0बी0-2 नौबस्ता (केस्को) कानपुर नगर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिला तिथिः 17.05.2010
निर्णय तिथिः 07.06.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि एकमुष्त समाधान योजना 2004 में अंतिम रूप से जमा बिल रीडिंग 2598 तक तथा कैम्प में एन.आर. पर जमा रू0 3061.00 को समायोजित करते हुए तत्कालीन रेट पर जमा अवधि के पष्चात का बिल रीडिंग 4300 तक का बनाये जाने, ओ.टी.एस. 2010 में जमा धनराषि रू0 10,000.00 को समायोजित करने, तथा क्षतिपूर्ति दिलाये जाने तथा विद्युत कनेक्षन विच्छेदित न करने का आदेष विपक्षीगण के विरूद्ध पारित किया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी के उपरोक्त परिसर में उसके पिता के नाम से विद्युत कनेक्षन सं0-007213 बुक सं0-45 वी 9 खण्ड एन.बी-2 नौबस्ता विद्युत प्रकार-10 किलोवाट 2 संचालित है। परिवादी के पिता की मृत्यु दिनांक 02.01.15 को हो गयी। एकमुष्त समाधान योजना वर्श 2004 में परिवादी के पिता द्वारा दिनांक 21.01.14 को अंतिम रूप से संलग्नक विद्युत बिल जो दिनांक 31.12.2000 से 16.02.2004 तक की अवधि का भुगतान कर दिया गया। किन्तु विपक्षीगण के खण्ड नौबस्ता रिकार्ड में कोई संषोधन नहीं किया
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गया। परिवादी के पिता के द्वारा अपने जीवनकाल में दिनांक 11.05.04 को 11.10.04 को बिल संषोधन करने के प्रार्थनापत्र दिये गये। किन्तु विपक्षीगण के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। अपने पिता की मृत्यु के बाद परिवादी द्वारा विपक्षीगण के जे0ई0 श्री रमेष चन्द्रा, कर्मचारी अषोक गुप्ता, जे0ई0 दुबे, क्लर्क श्री राकेष त्रिपाठी, केस्को के अधिवक्ता श्री नरेन्द्र मिश्रा, केस्को के अधिषाशी अभियन्ता से अन्यान्य बार संपर्क किये जाने के बावजूद विपक्षीगण के द्वारा परिवादी की नहीं सुनी गयी। इस सम्बन्ध में परिवादी द्वारा दिनांक 31.03.05 को विपक्षीगण के अधिषाशी अभियन्ता को पत्र भी लिखा गया। किन्तु विपक्षीगण के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इस दौरान विपक्षीगण के द्वारा एक बार परिवादी का प्रष्नगत विद्युत कनेक्षन भी काटा गया। किन्तु पुनः केस्को के अधिवक्ता श्री नरेन्द्र मिश्रा को परिवादी द्वारा मोबाइल के माध्यम से संपर्क कर अवगत कराने पर परिवादी का कनेक्षन पुनः जोड़ दिया गया। परिवादी का यह भी कथन है कि एकमुष्त समाधान योजना में जमा यूनिट 2598 दिनांक 16.02.04 तक तथा वर्श 2005 में बिना संषोधित बिल के जमा रू0 3060.00 को समायोजित करते हुए वर्तमान रीडिंग 4300 तक की रीडिंग से बिल बनाया जाना उचित है। परिवादी दिनांक 28.04.10 को केस्को के एम.डी. से मिला और प्रार्थनापत्र दिया, जिस पर एम.डी. द्वारा मुख्य अभियन्ता को समस्या समाधान हेतु दिनांक 03.05.10 को निर्देष जारी किया। किन्तु बिल में उचित संषोधन न करके रू0 49,683.00 के स्थान पर रू0 37,731.00 का बिल दिनांक 14.05.10 को बनाकर जमा करने हेतु दिया गया, जो अनुचित एवं अवैधानिक है। विपक्षीगण के द्वारा परिवादी के साथ अनुचित एवं अवैधानिक सेवा देने के लिए परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी ने रू0 3061.00 विद्युत बिल जमा किया है तो उसकी रसीद प्रस्तुत करने और उसकी प्रमाणिकता
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पर स्वीकार होगी। परिवादी द्वारा जो ओ0टी0एस0 स्कीम के अंतर्गत रू0 1000.00 जमा किया गया था, उसे विद्युत बिल में घटाकर विद्युत बिल प्रेशित किया गया था। परिवादी ने बिल संषोधन कराने हेतु विभाग से कोई संपर्क स्थापित नहीं किया था। परिवादी द्वारा मनगढ़ंत आरोप लगाकर परिवाद योजित किया गया है। परिवादी को विद्युत बिल बनाये जाने के सम्बन्ध में नियमानुसार सूचना दी गयी थी। परिवादी को रू0 49,683.00 का बिल बनाकर दिया गया था तथा प्रथम किष्त के रूप में रू0 10000.00 जमा कराने के लिए परिवादी को अवगत कराया गया। परिवादी यदि चेक द्वारा भुगतान करता तो तुरंत उसके खाते में जमा कर दिया जाता। यदि परिवादी ने विद्युत बिल का भुगतान नहीं किया गया, तो उसके विद्युत बिल का विच्छेदन नियमानुसार किया जायेगा। परिवादी ने यदि किसी कर्मचारी को व्यक्तिगत रूप से भुगतान किया होगा, तो इसकी जिम्मेदारी विभाग की नहीं होगी। नियमानुसार परिवादी को भुगतान काउंटर पर करनी चाहिए। परिवादी द्वारा उपयोग की गयी विद्युत उर्जा के आधार पर विद्युत बिल बनाकर दिया गया है। परिवादी विद्युत बिलों की बकाया धनराषि से बचने के लिए झूठे व मनगढंत आधारों पर प्रार्थनापत्र दे रहा है। परिवादी की समस्या सुनकर नियमानुसार बिल बनाकर दिया गया था। परन्तु परिवादी ने विपक्षी बिल का भुगतान नहीं किया है। परिवादी कोई भी उपषम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी ने एकमुष्त समाधान योजना के सम्बन्ध में जो मा0 न्यायालय के समक्ष षिकायत की गयी, वह कालबाधित है। परिवादी को ओ0टी0एस0 के अंतर्गत सही बिल कनाकर दिया गया, परन्तु परिवादी बकाया धनराषि का बिल नहीं जमा कर रहा है। अतः उपरोक्त कारणों से परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 14.05.10 एवं 29.02.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1/1 लगायत् 1/26 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
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5.विपक्षीगण की ओर से अपने कथन के समर्थन में न तो कोई षपथपत्र दाखिल किया गया है और न ही कोई अभिलेखीय साक्ष्य दाखिल किया गया है।
निष्कर्श
6.फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
परिवादी की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-4 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है। परिवाद दिनांक 06.11.15 को परिवादी की अनुपस्थित के कारण उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा-13 की उपधारा-2(सी) के अंतर्गत खारिज किया गया है। तदोपरान्त परिवादी द्वारा उक्त आदेष के विरूद्ध मा0 राज्य आयोग के समक्ष अपील सं0-2548/15 प्रस्तुत की गयी। मा0 राज्य आयोग द्वारा उपरोक्त पारित आदेष दिनांक 14.12.15 में आदेष पारित करते हुए अधोहस्ताक्षरी फोरम के द्वारा पारित आदेष दिनांक 06.11.15 को अपास्त किया गया है और दोनों पक्षों को सुनवाई का समुचित अवसर देकर परिवाद को गुण-दोश के आधार पर निर्णीत किये जाने का आदेष पारित किया गया है। मा0 राज्य आयोग द्वारा पारित उक्त आदेष प्राप्त करने के पष्चात पत्रावली पुनः दिनांक 28.12.15 से अपने मूल नम्बर पर चलाई गयी तथा विपक्षीगण को नोटिस जारी करके, दिनांक 29.02.16 नियत की गयी। दिनांक 2902.17 को विपक्षीगण बावजूद तामीला उपस्थित नहीं आये, अतः विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद एकपक्षीय रूप से सुनवाई का आदेष पारित किया गया।
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परिवादी जो कि स्वयं एडवोकेट है, को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने परिसर में लगे हुए उपरोक्त विद्युत कनेक्षन के सम्बन्ध में संषोधित व सही बिल प्रस्तुत करने के लिए विपक्षीगण के कार्यालय से अन्यान्य प्रकार से कई बार संपर्क किया गया, किन्तु विपक्षीगण के द्वारा परिवादी की नहीं सुनी गयी। विपक्षीगण की ओर से मात्र जवाब दावा प्रस्तुत किया गया है, अन्य कोई प्रलेखीय साक्ष्य जवाब दावा के समर्थन में प्रस्तुत नहीं किया गया है। जवाब दावा में भी विपक्षीगण की ओर से निराधार कथन किये गये हैं। विपक्षीगण द्वारा जवाब दावा के प्रस्तर-14 में यह कहा गया है कि परिवादी ने बिल संषोधन कराने हेतु विभाग से कोई संपर्क स्थापित नहीं किया था। विपक्षीगण का यह कथन परिवादी की ओर से सूची के साथ प्रस्तुत पत्र दिनांकित 12.04.10 द्वारा तरूणेन्द्र बाजपेयी/परिवादी, वहक श्रीमान प्रबन्ध निदेषक केस्को सम्पूर्ति प्रषासन कानपुर, चेयरमैन, उ0प्र0 पावर कारपोरेषन लखनऊ, सचिव उ0प्र0 पावर कारपेरेषन लखनऊ, उर्जा सचिव उ0प्र0 पावर कारपोरेषन लखनऊ एवं अधिषाशी अभियन्ता एन0बी0-2 नौबस्ता खण्ड, कानपुर को प्रेशित किये गये हैं। जिससे विपक्षीगण का उपरोक्त कथन पूर्णतया असत्य सिद्ध होता है। उक्त पत्र पर सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा उपभोक्ता के विपक्षीगण पर लगाये गये आरोपों की नियमानुसार जांच करवाकर नियमानुसार अविलम्ब आदेष देने का निर्देष भी दिया गया है। इसके बावजूद विपक्षीगण का यह कथन कि परिवादी द्वारा बिल सही कराने के लिए विपक्षीगण से कोई संपर्क नहीं किया गया-सरासर झूठ व गलत सिद्ध होता है। विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा के प्रस्तर-9 में परिवादी की ओर से जमा की गयी धनराषि रू0 3061.00 की प्रमाणिकता को स्वीकार नहीं किया गया है। जबकि परिवादी द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में बिल कागज सं0-1/11 प्रस्तुत किया गया है, जिसके अवलोकन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा रू0 3061.00 जमा किया गया है। विपक्षीगण के द्वारा अपने जवाब दावा के प्रस्तर-18 में यह कहा गया है कि परिवादी को बिल बनाये जाने के संबन्ध
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में नियमानुसार सूचना दी गयी थी, किन्तु विपक्षीगण के द्वारा अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। अतः विपक्षीगण का उपरोक्त कथन भी असत्य व निराधार सिद्ध होता है। विपक्षीगण के द्वारा अपने जवाब दावा के प्रस्तर-22 व 23 में काल्पनिक अभिवचन करते हुए यह कहा गयाहै कि यदि परिवादी ने विद्युत बिल का भुगतान नहीं किया होगा तो उसके विद्युत का विच्छेदन नियमानुसार किया गया होगा। परिवादी ने यदि किसी कर्मचारी को व्यक्तिगत रूप से चेक द्वारा भुगतान किया गया हो तो इसकी जिम्मेदारी विभाग की नहीं होगी। विपक्षीगण के द्वारा बिना किसी आधार के अपने जवाब दावे के प्रस्तर-30 में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा उपयोग की गयी विद्युत उर्जा के आधार पर परिवादी को बिल बनाकर दिये गये हैं। विपक्षीगण के द्वारा परिवाद को कालबाधित होना भी बताया गया है। किन्तु अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में उपरोक्त प्रस्तर-4 में वर्णित षपथपत्रीय साक्ष्य व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं, जिनसे परिवादी का कथन सिद्ध होता है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में तथा उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस निश्कर्श पर पहुॅचता है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किये जाने योग्य है कि विपक्षीगण एकमुष्त समाधान योजना वर्श 2004 में अंतिम रूप से जमा बिल यूनिट सं0-2598 दिनांक 16.02.04 तक तथा कैम्प पर एन.आर. पर जमा की गयी धनराषि रू0 3061.00 को समायोजित करते हुए तत्कालीन रेट पर जमा अवधि के पष्चात का संषोधित बिल तथा ओ.टी.एस. 2010 में जमा धनराषि रू0 10000.00 को समायोजित करके, संषोधित बिल परिवादी को प्रदान करें तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय अदा करें। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य
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उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी का प्रष्नगत विद्युत कनेक्षन वर्तमान में कटा हुआ नहीं है। अतः विद्युत कनेक्षन विच्छेदित न करने के सम्बन्ध में कोई आदेष पारित किया जाना औचित्यपूर्ण नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, एकमुष्त समाधान योजना वर्श 2004 में अंतिम रूप से जमा बिल यूनिट सं0-2598 दिनांक 16.02.04 तक तथा कैम्प पर एन.आर. पर जमा की गयी धनराषि रू0 3061.00 को समायोजित करते हुए तत्कालीन रेट पर जमा अवधि के पष्चात का संषोधित बिल तथा ओ.टी.एस. 2010 में जमा धनराषि रू0 10000.00 को समायोजित करके, संषोधित बिल परिवादी को प्रदान करने तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी अदा करें।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
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