जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-761/2012
श्रीमती सियादेवी पत्नी नरेन्द्र कुमार सचान निवासिनी मकान नं0-ई-611, एल.आई.जी. विष्व बैंक बर्रा, थाना-बर्रा परगना व तहसील व जिला, कानपुर नगर।
................परिवादिनी
बनाम
1. अधिषाशी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड, केस्को विष्व बैंक बर्रा, कानपुर नगर।
2. प्रबन्ध निदेषक, केस्को, केस्को हाउस सिविल लाइन कानपुर।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 26.12.12
निर्णय की तिथिः 28.04.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण, परिवादिनी से पूर्व बिल के अनुसार बिल जमा करायें व गलत आरोपित बिल दिनांकित 27.11.12 रू0 22,731.00 निरस्त करें तथा परिवादिनी को विपक्षीगण से मुकद्मा खर्चा दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादिनी का यह कथन है कि परिवादिनी उपरोक्त मकान की निवासिनी है और परिवादिनी ने अपने उपरोक्त मकान में बिजली कनेक्षन हेतु आवेदन पत्र दिनांक 07.01.10 को किया था और दिनांक 29.10.10 को केबिल मय मीटर के विपक्षीगण द्वारा उपरोक्त मकान में प्रतिस्थापित किया था। तब से परिवादिनी खाता सं0- 32132397 जो परिवादिनी का केस्को खाता है, में अपना बिजली बिल का भुगतान करती चली आ रही है। परिवादिनी ने अपने मकान के कनेक्षन सं0-45 ई 2042376 में पहला बिल दिनांक 31.10.10 से 14.11.10 को दिनांक 15.11.10 को रू0 4283.00 विपक्षी के हक में अपने खाता संख्या में केस्को में जमा किया। परिवादिनी का उक्त मीटर दिनांक 01.04.11 को
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खराब हो गया, जिससे परिवादिनी ने विपक्षी के यहां जाकर मीटर खराब होने की सूचना दी तो विपक्षी द्वारा यह बताया गया कि पूर्व बिल के आधार पर आप बिल जमा करें और दिनांक 23.04.12 से 23.05.12 तक का रू0 324.00 अदा किया। दिनांक 20.09.12 को बकाया बिल भुगतान करने हेतु परिवादिनी, विपक्षी के यहां गयी और यह कहा कि परिवादिनी पूर्व का बिल भुगतान करना चाहती है तथा नया मीटर लगाये जाने के लिए एक प्रार्थनापत्र दिया। विपक्षी द्वारा नया मीटर लगा दिया गया तथा पुराना मीटर उखाड़ लिया गया। मीटर उखाड़ते समय परिवादिनी से रू0 1000.की मांग की गयी, न देने पर फर्जी लिखा पढ़ी कर मीटर को गलत दिखाकर धारा-135 विद्युत अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही कर दी गयी तथा परिवादिनी को रू0 22,731.00 का बिल बनाकर प्राप्त करा दिया गया, जो बिल्कुल अवैध है। परिवादिनी अपना असल बिल जो नये मीटर में आया है, आज भी जमा करने को तैयार है, लेकिन विपक्षीगण यह कहकर बिल जमा नहीं कर रहे हैं कि जब तक रू0 22,731.00 जमा नहीं करेंगे, तब तक अपका कोई बिल जमा नहीं होगा तथा कनेक्षन काटने की धमकी भी दे रहे हैं। फलस्वरूप परिवादिनी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. परिवाद योजित होने के पष्चात विपक्षीगण को पंजीकृत डाक से नोटिस भेजी गयी, लेकिन पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद भी विपक्षीगण फोरम के समक्ष उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षीगण पर पर्याप्त तामीला मानते हुए दिनांक 07.01.2015 को एकपक्षीय कार्यवाही किये जाने का आदेष पारित किया गया।
परिवादिनी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4. परिवादिनी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 08.02.13 एवं 15.05.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-1 दिनांकित 19.12.12 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगातय् 1/9, सूची कागज सं0-2 दिनांकित 20.06.13 के साथ संलग्न कागज सं0-2/1 लगातय् 2/2 एवं कागज सं0-3/1 लगायत् 3/4 दाखिल किया है।
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निष्कर्श
5. फोरम द्वारा परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता की एकपक्षीय बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
परिवादिनी के विद्वान अधिवक्ता को एकपक्षीय रूप से सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षीगण बावजूद तामीला उपस्थित नहीं आये। अतः विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय कार्यवाही प्रचलित की गयी।
परिवादिनी की ओर से सूची के साथ प्रस्तुत अभिलेखीय साक्ष्य कागज सं0-1/8 (मीटर जाँच आख्या) के अवलोकन से विदित होता है कि विपक्षीगण, परिवादिनी के परिसर में स्थापित मीटर का निरीक्षण किया गया, जिसमें विपक्षीगण द्वारा यह पाया गया कि, ’’उपरोक्त मीटर बाक्स की दोनों सीले (ज्मउचमतमकद्ध हैं, बाक्स को खोलकर मीटर बाडी में छेद व मीटर रीडिंग छव.क्पेचसंल कर दी गयी है, उपरोक्त कारण से विपक्षीगण द्वारा परिवादिनी के विरूद्ध भारतीय विद्युत अधिनियम 2003 संषोधित 2007 के अंतर्गत धारा-135 में कार्यवाही की गयी है। स्वयं परिवादिनी द्वारा अपने परिवाद पत्र में यह स्वीकार किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा उसके विरूद्ध धारा-135 विद्युत अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही की गयी है।
उपरोक्त प्रस्तर से यह स्पश्ट होता है कि परिवादिनी के विरूद्ध विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-135 के अंतर्गत कार्यवाही की गयी है। जिसके सुनवाई का क्षेत्राधिकार फोरम को प्राप्त नहीं है।
उपरोक्त के सम्बन्ध में मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा विधि निर्णय यू0पी0 पावर कार्पोरेशन एवं अन्य बनाम अनीष अहमद ।प्त् 2013 ;ैब्द्ध 2766 में यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि धारा-135 व धारा-126 इलेक्ट्रिसिटी ऐक्ट के अंतर्गत की गयी कार्यवाही के सम्बन्ध में सुनवाई का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं होगा।
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अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस निर्णय पर पहुॅचता है कि परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद एकपक्षीय रूप से स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
:ःःआदेषःःः
6. उपरोक्त कारणों से परिवादिनी का प्रस्तुत परिवाद, विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय रूप से खारिज किया जाता है।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।