जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-59/2016
रामकृश्ण अवस्थी एडवोकेट पुत्र स्व0 सुंदर लाल अवस्थी निवासी 3ए/16 आजाद नगर, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
प्रबन्ध निदेषक, केस्को, कानपुर नगर।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 22.01.2016
निर्णय तिथिः 09.03.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी द्वारा भेजा गया अवैध व आधार रहित बिल रू0 50,993.00 का निरस्त किया जाये, परिवादी को परेषान करने की एवज में क्षतिपूर्ति कम से कम रू0 20000.00 तथा वाद व्यय रू0 10000.00 दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने अपने निवास उपरोक्त में बिजली के कनेक्षन व मीटर लगाने हेतु दिनांक 25.03.13 को रू0 2550.00 जमा करके आवेदन पत्र दिया था। किन्तु विपक्षी की ओर से लगभग 3 वर्श तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी। विगत 18.11.15 को परिवादी के निवास पर आये और दो किलोवाट का घरेलू कनेक्षन करके मीटर लगा दिया। परिवादी ने विद्युत का उपभोग प्रारम्भ कर दिया। आने वाले बिल का भुगतान करने के लिए परिवादी तैयार था कि इसी बीच विपक्षी ने आधार रहित और अकारण परिवादी के यहां 50993.00 का बिल भेज दिया। पूछने पर विपक्षी ने बताया कि मीटर लगने के पहले आपने जो बिजली का उपयोग किया है, यह उसी का बिल
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है। जबकि सत्यता यह है कि मीटर लगने के पहले न तो विपक्षी ने कोई कनेक्षन परिवादी के यहां किया था और न ही परिवादी ने कोई विद्युत का उपयोग किया। यदि परिवादी द्वारा मीटर लगने से पूर्व बिजली का उपयोग किया गया होता तो उक्त अवैधानिक उपभोग के चलते परिवादी के विरूद्ध बिजली चोरी का मुकद्मा या उसका कनेक्षन क्यों नहीं काटा गया-यह विचारणीय है। विपक्षी उपभोक्ताओं के विरूद्ध अनाप-सनाब बिल भेजने के लिए षहर में कुख्यात है। ऐसे बिलों को भेजने में विपक्षी के कर्मचारियों का उद्देष्य यह होता है कि उपभोक्ता इन बिलों को ठीक कराने के लिए उनके पास आये और वह अवैध वसूली कर सके। उपरोक्त प्रकार से विपक्षी का उक्त रू0 50,993.00 का बनावटी बिल पूर्णतया अवैध है व निरस्त किये जाने योग्य है।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी का विद्युत कनेक्षन दिनांक 25.03.13 को ही बिना मीटर के प्रारम्भ कर दिया गया था तथा दिनांक 18.11.15 को परिवादी की उपस्थिति में परिवादी के परिसर में निरीक्षण के समय परिवादी, बिना मीटर के विद्युत उपभोग करते पाया गया था। परिवादी द्वारा निरीक्षण पुस्तिका में अपना हस्ताक्षर भी किया गया है। परिवादी का विद्युत कनेक्षन दिनांक 25.03.13 से चालू था तथा दिनांक 18.11.15 को चल रहे विद्युत कनेक्षन में मीटर संस्थित किया गया। परिवादी को उसके द्वारा विद्युत कनेक्षन प्राप्त कर उपभोग किये जाने का निर्धारित नियमों एवं टैरिफ के अनुसार विद्युत बिल दिया गया है। परिवादी द्वारा विद्युत उपभोग के बाद भुगतान से बचने के लिए विपक्षी पर अनावष्यक आरोप लगाये गये हैं। परिवाद खारिज किया जाये।
4. परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा का खण्डन किया गया है और स्वयं के द्वारा प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र की पुनः पुश्टि की गयी है।
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परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 14.01.16 एवं 05.07.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-4/2 लगायत् 4/5 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में जसमीर सिंह गंगवार अधिषाशी अभियन्ता का षपथपत्र दिनांकित 29.03.16 व षपथपत्र आर0के0 सिंह अधषाशी अभियन्ता दिनांकित 20.09.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप उपभोक्ता निरीक्षण प्रपत्र दिनांकित 18.11.15 व सूची के साथ संषोधित विद्युत बिल की छायाप्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत की गयी लिखित बहस के अवलोकन करने के उपरान्त तथा उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत किये गये षपथपत्रीय व अन्य अभिलखीय साक्ष्यों के परिषीलनोपरान्त विदित हेता है कि परिवादी द्वारा दिनांक 25.03.13 का प्रष्नगत मीटर लगाने हेतु आवेदन किया गया है, जो परिवादी की ओर से प्रस्तुत कागज सं0-4/2 से सिद्ध होता है। परिवादी द्वारा यह अभिकथन किया गया है कि दिनांक 18.11.15 को विपक्षी द्वारा उसके प्रष्नगत परिसर में मीटर लगाकर कनेक्षन दिया गया है। परिवादी का उपरोक्त कथन परिवादी की ओर से प्रस्तुत कागज सं0-4/3 से प्रमाणित होता है।?
विपक्षी द्वारा परिवादी को प्रेशित बिल कागज सं0-4/4 को परिवादी द्वारा गलत बताया गया है। उपरोक्त बिल के अवलोकन से विदित हेता है कि उपरोक्त बिल पर विपक्षी द्वारा बिना मीटर के बिजली उपयोग
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करने हेतु लिखा गया है। उक्त बिल के अवलोकन से यह स्पश्ट नहीं होता है कि उक्त बिल विपक्षी द्वारा किस अवधि से किस अवधि तक का दिया गया है। बिल अवधि कालम में कुछ नहीं लिखा गया है। विपक्षी की ओर से यह कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा मीटर लगने से पहले ही विद्युत का उपभोग मीटर लगाने वाले व कनेक्षन देने से सम्बन्धित जमा धनराषि के बाद से विद्युत का उपयोग करता रहा है। परिवादी के अनुसार उक्त रसीद 25.03.13 की है। विपक्षी के उपरोक्त कथन के विरूद्ध परिवादी का यह कहना है कि यदि परिवादी द्वारा मीटर लगने से पूर्व अर्थात 18.11.15 से पूर्व विद्युत का उपयोग किया जा रहा था, तो वह अवैधानिक था। इस सम्बन्ध में विपक्षी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी। इससे ही यह स्पश्ट होता है कि परिवादी द्वारा मीटर लगने से पूर्व बिजली का प्रयोग अपने प्रष्नगत आवास में नहीं किया गया है। परिवादी नियम कानून का पालन करने वाला पेषे से अधिवक्ता है और कारपुर बार एसोषिएषन का अध्यक्ष भी रह चुका है।
उपरोक्तानुसार उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के परिषीलन से विदित होता है कि विपक्षी केस्को कंपनी द्वारा दिनांक 18.11.15 से पूर्व परिवादी द्वारा प्रयोग की गयी विद्युत के सम्बन्ध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों व साक्ष्यों के उपरोक्तानुसार विष्लेशणोपरान्त फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से, विपक्षी द्वारा की जा रही रू0 50,993.00 को अवैध वसूली को निरस्त करने हेतु तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
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ःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षी के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि विपक्षी द्वारा जारी बिल बावत रू0 50,993.00 निरस्त किया जाता है। विपक्षी निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर रू0 5000.00 परिवाद व्यय के रूप में अदा करे।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।