जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम, कानपुर नगर।
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह...............................................सदस्य
उपभोक्ता वाद संख्या-739/2011
जय प्रकाष षुक्ला पुत्र स्व0 श्री सुन्दरलाल षुक्ला निवासी मकान नं0-590/1 एच ब्लाक यषोदा नगर, कानपुर नगर।
................परिवादी
बनाम
1. कानपुर विद्युत आपूर्ति कम्पनी लि0, विद्युत वितरण खण्ड दहेली सुजानपुर कानपुर नगर जरिये अधिषाशी अभियन्ता।
2. उत्तर प्रदेष पावर कारपोरेषन लि0, 14, अषोक मार्ग षक्ती भवन, लखनऊ जरिये मुख्य प्रबन्ध निदेषक।
...........विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 28.11.2011
निर्णय की तिथिः 08.06.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा प्रेशित नोटिस एवं बिल रू0 22,424.00 दिनांक 25.08.11 निरस्त की जाये तथा रू0 50,000.00 क्षतिपूर्ति एवं परिवाद व्यय रू0 5000.00 परिवादी को विपक्षीगण से दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी की माता श्रीमती इन्दूमती षुक्ला के नाम से विपक्षीगण द्वारा भवन सं0-590/01 एच0 ब्लाक यषोदा नगर कानपुर में दो किलोवाट विद्युत भार का घरेलू उपयोग हेतु एक विद्युत संयेाजन सं0-003373/1704 उपलब्ध कराया गया था। परिवादी की माता का गत वर्श देहान्त हो गया, जिससे विधिक उत्तराधिकारी एवं प्रतिनिधि के रूप में परिवादी उपरोक्त विद्युत कनेक्षन का उपभोग करते हुए विपक्षीगण द्वारा प्रदत्त समस्त विद्युत बिलों का यथा समय भुगतान करता रहा। परिवादी को प्राप्त विद्युत बिल सं0-1000021587 दिनांकित 09.10.11 बावत रू0 696.00 का भुगतान नगद
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देकर रसीद प्राप्त की थी। दिनांक 18.09.11 को परिवादी के उपरोक्त विद्युत कनेक्षन पर विपक्षीगण के प्रतिनिधि द्वारा परिवादों के परिसर में नया विद्युत मीटर सं0-6705247 स्थापित किया गया और संपूर्ण कनेक्षन की स्थिति की भी जांच की गयी। परिवादी को जरिये पंजीकृत डाक, विपक्षी सं0-1 का नोटिस संख्या-1483 दिनांकित 25.08.11 बावत रू0 18524.00 इसी धनराषि की एक हस्त निर्मित विद्युत बिल के साथ दिनांक 12.10.11 को भेजा गया, जिस पर चेकिंग रिपोर्ट राजस्व दिनांक 07.07.11 के बावत उल्लेख किया गया है, जिसका पूर्णतया मिथ्या एवं बनावटी होने के कारण परिवादी ने दिनांक 13.10.11 को विपक्षी को लिखित विरोध दर्ज कराया और सही विद्युत बिल की अपेक्षा की। उक्त के उपरान्त विपक्षीगण की ओर से बिल प्राप्त हुआ, जिसमें उपरोक्त की मनमानी व मिथ्या धनराषि रू0 22,494.00 के साथ उपभोग मासिक बिल रू0 696.00 की धनराषि के साथ जोड़कर संयुक्त बिल कुल रू0 23190.00 उपलब्ध कराया गया, जिसकी उपरोक्तानुसार परिवादी पर अदायगी की कोई बाध्यता नहीं है। परिवादी के परिसर में उक्त पुराने कनेक्षन पर कोई भी किसी प्रकार की गड़बड़ी न तो थी और न पायी गयी और न ही उक्त प्रकार से मीटर परिवर्तन किये जाते समय की गयी जांच के अतिरिक्त वर्श 2011 में कोई जांच की गयी। परिवादी की तीन पुत्रियां है, जो कि अपनी-अपनी ससुराल में हैं तथा एक पुत्र है जो अपनी पत्नी व पोते के साथ भारतीय नौसेना में केरल प्रदेष में है। इसलिए परिवादी केवल अपनी पत्नी के साथ ही रहता है, जिससे उसे आधा किलोवाट विद्युत भार का ही उपभोग कर पाना कठिन होता है। जबकि परिवादी विपक्षीगण को 2 किलोवाट भार उपभोग विद्युत मूल्य बराबर अदा करता रहा है। विपक्षीगण का उपरोक्त कृत्य बेहद त्रुटिपूर्ण सेवाओं एवं अनुचित व्यापार पद्धति का है। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3. विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी के परिसर में श्रीमती इन्दूमती षुक्ला के नाम
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दो किलोवाट भार का विद्युत संयोजन लगा है, जिससे परिवादी अपने संपूर्ण परिसर में विद्युत उपभोग करता है। परिवादी के परिसर की विद्युत खपत बहुत कम आने के कारण दिनांक 07.09.11 को निरीक्षण किया गया। परिसर में लगे मीटर केबल की जांच पर मीटर से पूर्व केबल में कट लगाकर परिवादी द्वारा सीधे विद्युत का उपभोग पाया गया। जिसके कारण विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-135 एवं धारा-126 के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए परिवादी को धारा-135 के अंतर्गत षमन षुल्क राषि रू0 8000.00 एवं नियमानुसार निर्धारित राजस्व निर्धारण षुल्क का रू0 22,494.00 का बिल प्रेशित किया गया तथा दिनांक 18.09.11 को विद्युत मीटर परिवर्तित किया गया। परिवादी द्वारा विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-135 एवं धारा-126 के अंतर्गत प्रेशित नोटिस के विरूद्ध मा0 फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया है, जिसके विरूद्ध परिवाद सुनने व निस्तारण का अधिकार नहीं है। अतः परिवाद निरस्त किया जाये। परिवादी द्वारा मीटर के पूर्व केबल में कट लगाकर विद्युत उपभोग करते पाया गया, जिसके कारण नियमानुसार कार्यवाही करते हुए विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-135 एवं धारा-126 के अंतर्गत के अंतर्गत षमन षुल्क व राजस्व निर्धारण षुल्क का बिल प्रेशित किया गया, जो पूर्णतया सही व विधिक है, और जिसके भुगतान का उत्तरदायित्व परिवादी पर है। परिवादी के परिसर में लगे मीटर रीडिंग के आधार पर ही बिल प्रेशित किये जाते थे, परन्तु दिनांक 07.07.11 के निरीक्षण में कनेक्षन में अनियमितता होने के कारण मीटर परिवर्तित किया गया एवं अनियमितता की नियमानुसार कार्यवाही भी की गयी। परिवादी को कोई भी वाद कारण किसी भी तिथि को उत्पन्न नहीं हुआ, क्योंकि निर्धारित नियमों के अंतर्गत कार्यवाही किसी त्रुटिपूर्ण सेवा की श्रेणी में नहीं आता है। अतः परिवाद खारिज किया जाये।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 26.11.11 एवं 19.04.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची
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कागज सं0-1 के साथ संलग्न कागज सं0-1/1 लगातय् 1/13, कागज सं0-2/1 लगायत् 2/7 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में अंषुमान यादव, अधिषाशी अभियन्ता का षपथपत्र दिनांकित 07.06.12 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची कागज सं0-3 के साथ संलग्न कागज सं0-3/1 लगायत् 3/3 एवं सूची कागज सं0-4 के साथ संलग्न कागज सं0-4/1 लगायत् 4/2 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का एवं परिवादी तथा विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से यह विदित होता है कि विपक्षी का मुख्य कथन यह है कि परिवादी को चेकिंग रिपोर्ट राजस्व दिनांकित 07.07.11 को भेजी गयी है। अतः मामला धारा- 135 व 126 विद्युत अधिनियम के अंतर्गत आता है, जिससे विचारण करने का क्षेत्राधिकार फोरम को नहीं है। जबकि इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से विपक्षी के तर्कों का खण्डन करते हुए यह कहा गया है कि अभिकथित चेकिंग रिपोर्ट दिनांकित 07.07.11 पूर्णतया मिथ्या एवं बनावटी है, जिसका परिवादी द्वारा दिनांक 13.10.11 को लिखित विरोध दर्ज कराया गया और सही विद्युत बिल की अपेक्षा की गयी। जिसके उपरान्त विपक्षीगण की ओर से बिल प्राप्त हुआ, जिसमें विपक्षी की मनमानी व मिथ्या धनराषि रू0 22,494.00 के साथ उपभोग मासिक बिल रू0 696.00 की धनराषि के साथ जोड़कर संयुक्त बिल कुल रू0 23,190.00 अवैधानिक रूप से भेजा गया। परिवादी के परिसर में पुराने कनेक्षन पर कोई गड़बड़ी नहीं थी और न पायी गयी। मीटर परिवर्तित करने के समय जांच के अतिरिक्त वर्श 2011 में कोई जांच नहीं की गयी।
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उपरोक्तानुसार उपरोक्त बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित हेाता है कि परिवादी द्वारा चेकिंग रिपोर्ट से इंकार किया गया है। दिनांक 18.09.11 को पुराने मीटर को परिवर्तित कर नया मीटर सं0-6705247 स्थापित किया जाना स्वीकार किया गया है और प्रष्नगत चेकिंग रिपोर्ट दिनांकित 07.07.11 मिथ्या बतायी गयी है। विपक्षीगण की ओर से अपने कथन के समर्थन में षपथपत्र, लिखित बहस एवं चेकिंग रिपोर्ट दिनांकित 07.07.11 प्रस्तुत की गयी है। किन्तु धारा-135 की किसी कार्यवाही का कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया है। अभिकथित चेकिंग रिपोर्ट में किसी स्वतंत्र साक्षी के सामने तैयार किये जाने का उल्लेख विपक्षीगण की ओर से नहीं किया गया है। इस सम्बन्ध में परिवादी की ओर से विधि निर्णय जनरल मैनेजर कम चीफ मैनेजर एवं अन्य बनाम श्रीमती कौषल्या सिन्हा 2012;1द्ध ब्च्त् 93 ;छब्द्ध में मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 राश्ट्रीय आयेाग द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि जहां पर कोई निरीक्षण परिवादी की उपस्थिति में अथवा परिवादी के किसी प्रतिनिधि की उपस्थिति में किया गया हो और निरीक्षण को परिवादी द्वारा आक्षेपित किया गया हो, ऐसी दषा में निरीक्षण रिपोर्ट नियमसंगत नहीं मानी जायेगी। परिवादी की ओर से ही विधि निर्णय केरला स्टेट इलेक्ट्रिकसिटी बोर्ड एवं अन्य बनाम डोमिनिक जोसेफ एवं अन्य 2012;1द्ध ब्च्त् 317 ;छब्द्ध में मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है, जिसमें मा0 राश्ट्रीय आयेाग द्वारा यह विधिक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि जहां पर बिजली चोरी का मामला बताया गया हो, ऐसी परिस्थितियों में बिजली चेारी का कथन, विद्युत कंपनी को अपने अकाट्य व निष्चायत्मक साक्ष्य के द्वारा प्रमाणित करना होगा।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये विधि निर्णयों में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत से मार्गदर्षन प्राप्त होता है और उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत का लाभ परिवादी को प्राप्त होता है। क्योंकि उपरोक्त मामले में परिवादी द्वारा चेकिंग रिपोर्ट व चेकिंग रिपोर्ट में बिजली चेारी का तथ्य अंकित करते हुए किसी प्राथमिकी द्वारा उक्त चेकिंग रिपोर्ट
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को प्रमाणित नहीं किया गया है। विपक्षीगण की ओर से विधि निर्णय यू0पी0 पावर कारपोरेषन लि0 एवं अन्य बनाम अनीस अहमद 2013 ;3द्ध ब्च्त् 670 ;ैब्द्ध में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत की ओर से फोरम का ध्यान आकृश्ट किया गया है। मा0 उच्चतम न्यायालय का संपूर्ण सम्मान रखते हुए स्पश्ट करना है कि तथ्यों की भिन्नता के कारण उपरोक्त विधि निर्णय में प्रतिपादित विधिक सिद्धांत प्रस्तुत मामले में लागू नहीं होता है। क्योंकि ऊपर के प्रस्तर में यह निश्कर्श दिया जा चुका है कि विपक्षीगण चेकिंग रिपोर्ट व धारा-135 की कार्यवाही साबित करने में असफल रहे हैं।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत नोटिस/बिल रू0 22,494.00 दिनांकित 25.08.11 निरस्त करने तथा परिवाद व्यय दिलाये जाने हेतु स्वीकार किये जाने योग्य है। जहां तक परिवादी की ओर से याचित अन्य उपषम का सम्बन्ध है- उक्त याचित उपषम के लिए परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण परिवादी द्वारा याचित अन्य उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को प्रेशित नोटिस/बिल दिनांकित 25.08.11 निरस्त की जाती है। विपक्षीगण परिवादी को परिवाद व्यय के रूप में रू0 5000.00 अदा करें तथा परिवादी द्वारा पूर्व में जमा की गयी समस्त धनराषियों को समायोजित करते हुए विपक्षीगण नया बिल निर्णय के 30 दिन के अंदर प्रस्तुत करे। 30 दिन के अंदर बिल प्रस्तुत न करने पर विपक्षीगण पर अतिरिक्त हर्जा लगाया जा सकता है।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।
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आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर।