जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम कानपुर नगर
अध्यासीनः डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष
पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य
उपभोक्ता परिवाद संख्याः-99/2014
हरेन्द्र कुमार सिंह पुत्र स्व0 गया सिंह, निवासी-159, एम0आई0जी0 तृतीय, दबौली वेस्ट, थाना गोविन्द नगर, कानपुर।
................परिवादी
बनाम
1. कानपुर विद्युत आपूर्ति कंपनी लि0, कानपुर नगर द्वारा मैनेजिंग डायरेक्टर केस्को, कानपुर नगर स्थित सिविल लाइन्स, कानपुर नगर।
2. अधिषाशी अभियन्ता केस्को, सब स्टेषन दादानगर, कानपुर नगर, पता दादा नगर सब स्टेषन, कानपुर नगर।
..............विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 01.03.2014
निर्णय की तिथिः 20.01.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी के पक्ष में तथा विपक्षीगण के विरूद्ध प्रष्नगत बिल रू0 25,325.00 को रद्द कर उसका भुगतान रोके जाने की आज्ञप्ति प्रदान की जाये एवं परिवादी को मानसिक, षारीरिक एवं आर्थिक क्षति रू0 70,000.00 तथा परिवाद व्यय दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र प्रस्तुत करके संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी मकान नं0-159, एम0आई0जी0 तृतीय, दबौली वेस्ट कानपुर नगर का निवासी है। परिवादी ने विपक्षीगण से घरेलू विद्युत कनेक्षन सं0-033823 बुक सं0-45 एन.आई. खाता सं0-डी.एन. 24117034 है, जिस पर 2 किलोवाट विद्युत भार का मीटर ले रखा है। जिसका मीटर नं0-ई- 2589 है, जिसका अनुमानित प्रतिमाह भुगतान परिवादी द्वारा किया जा रहा है। दिनांक 25.09.13 को विपक्षीगण के कर्मचारी द्वारा विद्युत मीटर की जांच की गयी और बताया गया कि मीटर 96.55 प्रतिषत धीमा चल रहा
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है। विपक्षीगण के कर्मचारी/अधिकारियों द्वारा दिनांक 27.09.13 को उपरोक्त कनेक्षन पर लगे विद्युत संयोजनों की जांच की तथा लोड की गणना की, जिसका कुल विद्युत भार 1870 वाॅट पाया गया, जो कि स्वीकृत भार से कम था। विपक्षीगण के कर्मचारियों/अधिकारियों द्वारा मीटर की सील खोलकर जांच की गयी और जांचोपरान्त लिखित रूप से बताया कि मीटर में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं है। जांचोपरान्त विपक्षीगण द्वारा परिवादी को मनमाने तरीके से रू0 1,27,139.00 का बिल दे दिया गया। परिवादी द्वारा आपत्ति करने पर बिल कम करके रू0 25,325.00 का बिल दे दिया गया। परिवादी का पिछला कोई भी बकाया नहीं है। परिवादी भारतीय रेल सेवा में लोको पायलट के रूप में कार्यरत् है तथा अधिकतर समय रेल ड्राईवर होने के कारण घर से बाहर रहता है। घर में मात्र उसकी पत्नी व दो बेटे हैं, जिसमें से बड़़ा बेटा दिल्ली षहर में रहकर पढ़ाई कर रहा है। उपरोक्त विद्युत कनेक्षन पर उक्त मीटर हटाकर पुनः एक नया मीटर विपक्षीगण द्वारा दिनांक 03.01.14 को लगा दिया गया और उक्त मीटर का भी भुगतान परिवादी से ले लिया गया। उक्त कनेक्षन पर लगे नये मीटर पर भी दिनांक 03.01.14 से 15.01.14 के बीच मात्र 73 यूनिट का उपभोग पाया गया जो कि पिछले विद्युत बिलों के सापेक्ष औसत अनुसार है अर्थात पिछला मीटर भी सही कार्य कर रहा था और नया मीटर भी उसी अनुसार कार्य कर रहा है, जितना विद्युत उपभोग होता है, उसी को दर्षाता है। विपक्षीगण द्वारा रू0 25,325.00 के अवैध रूप से बनाये गये बिल के भुगतान न किये जाने पर विद्युत सप्लाई बन्द करने की धमकी दी जा रही है। विपक्षीगण द्वारा पूर्व में जो विद्युत संयोजन पर मीटर लगाया गया था, वह ओके/टेस्टेड की संस्तुति के बाद लगाया गया था। विपक्षी सं0-1 से मिलने के उपरान्त भी विपक्षी सं0-1 अपने मनमाने तरीके से भेजे गये बिल को रद्द करने के लिए तैयार नहीं है। विपक्षी सं0-1 का कार्य उपभोक्ता विधि के प्रतिकूल है। परिवादी एक षांतिप्रिय रेलवे ड्राईवर है। विपक्षीगण के उक्त कार्य से परिवादी को मानसिक व आर्थिक क्षति हुई है, जिसके लिए रू0 70,000.00 का भुगतान विपक्षीगण द्वारा किया जाना चाहिए। परिवादी इस वाद पत्र के माध्यम से अन्डरटेकिंग देता है कि मामले के निस्तारण पर उक्त अवैध बिल के सापेक्ष जो बिल तैयार होगा,
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उसका भुगतान कर देगा। इसके एवज में एक चेक सं0-142603 भारतीय स्टेट बैंक, षाखा को-आपरेटिव इंडस्ट्रियल स्टेट कानपुर नगर रू0 25,325.00 का मा0 न्यायालय के समक्ष बतौर अन्डरटेकिंग/गारंटी जमा कर रहा है। ऐसी स्थिति में उक्त बिल का भुगतान वाद के निस्तारण तक रोके जाने का आदेष प्रदान कर अंतिम रूप से रद्द किया जाना न्यायसंगत होगा।
3. विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि विपक्षीगण के द्वारा कोई भी बिल मनमाने तरीके से परिवादी को आर्थिक व मानसिक क्षति पहुॅचाने के उद्देष्य से नहीं दिया गया है। बल्कि प्रत्येक बिल नियमानुसार दिये गये हैं। परिवादी के यहां दिनांक 25.09.13 को मीटर की टेस्टिंग एक्वाचेक द्वारा की गयी थी, जिसमें यह पाया गया था कि परिवादी के परिसर में स्थापित मीटर 96.55 प्रतिषत धीमा पाया गया था, जिसके आधार पर परिवादी को नियमानुसार बिल दिया गया था। बिल रू0 1,27,139.00 का दिया गया था। किन्तु परिवादी की मांग पर परिवादी के परिसर का पुनः दिनांक 27.09.13 को चेकिंग की गयी, जिसमें परिवादी का लोड 1870 वाॅट पाया गया। मीटर में कोई अनियमितता नहीं पाई गयी। केवल मीटर धीमा पाया गया। अतः धारा-126 विद्युत अधिनियम 2003 के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए विद्युत आपूर्ति संहिता 2005 के संलग्नक 6.3 के अनुसार नियमानुसार रू0 21,499.00 का बिल जनवरी 2014 में प्रेशित किया गया, जो कि नियमानुसार है और परिवादी उसे जमा करने के लिए बाध्य है। किन्तु परिवादी ने उसे जमा नहीं किया। अतः परिवादी के नियमित बिल दिनांकित 14.02.14 में उक्त बकाये को जोड़कर बिल भेजा गया, जो नियमानुसार उचित है। परिवादी द्वारा, चेक द्वारा दी गयी अन्डरटेकिंग व गारंटी न ही नियमानुसार है और न ही उसका कोई औचित्य है। परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं हुआ। अतः परिवाद निरस्त किया जाये।
4. परिवादी की ओर से प्रतिउत्तर पत्र प्रस्तुत करके विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है
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तथा स्वयं के द्वारा परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुश्टि की गयी है।
परिवादी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5. परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में स्वंय का षपथपत्र दिनांकित 28.02.14 एवं 19.08.14 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में मीटर टेस्टिंग रिपोर्ट की प्रति, निरीक्षण प्रपत्र की प्रति, राजस्व निर्धारण बिल की प्रति, विद्युत बिल की प्रति, उत्तर मध्य रेलवे का परिचय पत्र की प्रति, मूल चेक सं0-142603, मीटर कास्ट बिल की प्रति, मीटर सीलिंग प्रमाण पत्र की प्रति एवं जमा बिलों की प्रतियां दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6. विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में सुषील गर्ग, अधिषाशी अभियन्ता का षपथपत्र दिनांकित 06.03.14 एवं षैलेन्द्र कुमार अधिषाशी अभियन्ता का षपथपत्र दिनांकित 03.08.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में मीटर टेस्टिंग रिपोर्ट की प्रति, उपभोक्ता निरीक्षण प्रपत्र की प्रति, राजस्व निर्धारण बिल की प्रति, विद्युत बिल की प्रति दाखिल किया है।
ःःनिष्कर्शःः
7. फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया।
प्रस्तुत मामले में विपक्षीगण की ओर से यह स्वीकार किया गया है कि दिनांक 25.09.13 को परिवादी के परिसर में लगे मीटर की टेस्टिंग करायी गयी थी, जिसमें परिवादी के परिसर में स्थापित मीटर 96.55 प्रतिषत धीमा पाया गया था, जिसके आधार पर परिवादी को नियमानुसार बिल रू0 1,27,139.00 का दिया गया है। किन्तु परिवादी की मांग पर परिवादी के परिसर का पुनः दिनांक 27.09.13 को चेकिंग की गयी, जिसमें परिवादी का लोड 1870 वाॅट पाया गया। मीटर में कोई अनियमितता नहीं पाई गयी, केवल मीटर धीमा पाया गया। अतः धारा-126 विद्युत अधिनियम 2003 के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए विद्युत आपूर्ति संहिता 2005 के संलग्नक 6.3 के अनुसार नियमानुसार रू0 21,499.00 का बिल जनवरी 2014 में प्रेशित किया गया, जो नियमानुसार उचित है। जबकि परिवादी की ओर से यह तर्क प्रस्तुत किये गये हैं कि, विपक्षी की ओर से प्रस्तुत बिल
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गलत है। विपक्षीगण द्वारा परिवादी को मनमाने तरीके से पहले रू0 1,27,139.00 का बिल दिया गया और बाद में आपत्ति करने पर रू0 25,325.00 का बिल दिया गया। परिवादी का पिछला कोई भी बकाया नहीं है।
उपरोक्तानुसार उपरोक्त बिन्दु पर उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि स्वयं विपक्षीगण द्वारा विरोधाभाशी कथन किये गये हैं। एकतरफा विपक्षीगण का यह कहना है कि परिवादी के मीटर में किसी प्रकार की कोई अनियमितता नहीं पायी गयी। दूसरी तरफ विपक्षी का यह भी कथन है कि केवल मीटर धीमा पाया गया। विपक्षीगण की ओर से यह भी स्वीकार किया गया है कि परिवादी द्वारा आपत्ति करने से पूर्व विपक्षीगण द्वारा परिवादी को रू0 1,27,139.00 का बिल भेजा गया था और आपत्ति करने पर रू0 25,325.00 का बिल भेजा गया। इस प्रकार स्वयं विपक्षीगण की स्वीकारोक्ति से स्पश्ट होता है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी को उपरोक्तानुसार बिल मनमाने एवं गैर- जिम्मेदाराना तरीके से भेजे गये हैं और इस प्रकार सेवा में कमी कारित की गयी है। अन्य किसी बिन्दु पर कोई विवाद उभयपक्षों की ओर से नहीं बताया गया है। विपक्षीगण की ओर से मात्र अपने प्रतिवादपत्र में यह कहा गया है कि परिवादी के विरूद्ध धारा-126 विद्युत अधिनियम के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए नियमानुसार बिल भेजेू गये हैं, किन्तु विपक्षीगण की उपरोक्त स्वीकारोक्ति से स्पश्ट होता है कि विपक्षीगण द्वारा अनुचित व्यापार-व्यवहार परिवादी के साथ किया गया है।
अतः उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एवं उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किये जाने योग्य है कि विपक्षीगण प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर जिस तारीख से परिवादी के परिसर में मीटर लगाया गया है, उस तरीख से लेकर अद्यतन बिल नियमानुसार बनाकर परिवादी को उपलब्ध कराये। नियमानुसार बिल प्रेशित करने तक विपक्षीगण, परिवादी का, प्रस्तुत परिवाद में उल्लिखित मीटर का विद्युत कनेक्षन नहीं काटेंगे। उक्त अवधि में यदि परिवादी द्वारा
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कोई बिल का भुगतान विपक्षी विभाग को किया गया है, तो उसका समायोजन करने के पष्चात ही विपक्षीगण, परिवादी को नियमानुसार बिल प्रेशित करें, जिसका भुगतान परिवादी करे। परिवादी, विपक्षीगण से परिवाद व्यय के रूप में रू0 5000.00 प्राप्त करने का अधिकारी है। जहां तक परिवादी की ओर से अन्य याचित उपषम का प्रष्न है-उक्त याचित अतिरिक्त उपषम के लिए परिवादी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण उपरोक्त याचित अतिरिक्त उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
:ःःआदेषःःः
7. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी को दिनांक 25.09.13 से अद्यतन नियमानुसार मीटर रीडिंग के आधार पर बिल बनाकर प्रस्तुत करें, जिसका भुगतान परिवादी द्वारा बिल प्राप्त करने के 15 दिन में किया जाये। तब तक विपक्षीगण, परिवादी का विद्युत कनेक्षन विच्छेदित नहीं करेंगे तथा विपक्षीगण परिवादी को उपरोक्त अवधि के अंदर परिवाद व्यय के रूप में रू0 5000.00 भी अदा करें।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) (डा0 आर0एन0 सिंह)
सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर। फोरम कानपुर नगर।