AMARNATH filed a consumer case on 25 Sep 2017 against KESKO in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is cc/633/10 and the judgment uploaded on 28 Sep 2018.
1. परिवादी की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षीगण को निर्देषित किया जावे कि वे जोर जबरदस्ती व बलपूर्वक विधि विरूद्व ढंग से परिवादी के उपरोक्त वर्णित कनेक्षन के विद्युत बिल की वसूली न करें तथा विद्युत मीटर व केबिल उखाड़ने के समय ली गई रीडिंग के अनुसार विद्युत बिल बनाया जाये, जिसे प्रार्थी जमा करने को तैयार है तथा वादव्यय व अन्य जो भी उपषम कानूनन प्रार्थी के पक्ष में हों, विपक्षीगण के विरूद्व आदेष पारित किया जावे।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने विपक्षीगण के कार्यालय से एक घरेलू विद्युत कनेक्षनसं0- 6031, बुक सं0-1702, जिसका मीटर संख्या-एल.एफ.5999 है, प्राप्त किया था। परिवादी ने उक्त कनेक्षन का उपभोग दिंनाक 18.05.2004 तक किया तथा नियमित बिल अदा किया। परिवादी को विद्युत कनेक्षन की आवष्यकता समाप्त हो गई। इस कारण परिवादी ने उपरोक्त घरेलू विद्युत कनेक्षन विच्छेदन हेतु विपक्षीगण को प्रार्थना पत्र दिया तथा दिंनाक 13.05.2005 को स्थाई विच्छेदन षुल्क रू0 200/-जमा करके, स्थाई विच्छेदन की प्रार्थना की। विच्छेदन प्रकिया के तहत विपक्षीगण के विभागीय कर्मचारियों ने केबिल व मीटर उतार लिया, जिसमें मीटर की अंतिम रीडिंग-03021 विच्छेदन के समय पायी गई। परिवादी ने विपक्षीगण से कई बार रीडिंग के अनुसार बिल दिये जाने हेतु प्रार्थना की, ताकि परिवादी बिल जमा कर सके। परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई सार्थक कार्यवाही नहीं की गई। लेकिन विपक्षीगण के द्वारा अंतिम रीडिंग के अनुसार बिल नहीं बनाया गया। बल्कि मनमाने तरीके से गलत तथ्यों पर आधारित विधि विरूद्व अनुचित धनराषि का बिल बनाकर भुगतान हेतु दिया गया, जिसे जमा करने में परिवादी समर्थ नहीं है। परिवादी उपरोक्त कनेक्षन का विच्छेदन के समय ली गई रीडिंग के अनुसार बिल अदा करने के लिये तैयार है। विपक्षीगण अनुचित बिल वसूली करने के प्रयास में हैं और इसीलिये गलत बिलिंग कर गलत तथ्यों पर आधारित बिल/नोटिस दे रहे हैं। परिवादी ने विपक्षीगण को जरिये अधिवक्ता लिखित नोटिस दिंनाकित 21.07.2010 दी। परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई। फलस्वरूप परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3 विपक्षीगण की ओर से जवाबदावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र के तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि परिवादी ने संयोजन दिंनाक 18.05.1998 को प्राप्त किया था तथा उसके परिसर पर मीटर सं0-एम.सी.388092 दिंनाक 04.12.1998 को स्थापित किया गया था। परिवादी द्वारा प्रस्तुत अभिलेख में दिंनाक 31.12.1998 तक ही भुगतान किया गया जबकि दिंनाक 18.05.2004 तक विद्युत का उपभोग किया है। उपभोक्ता द्वारा स्थाई विच्छेदन षुल्क भी दिंनाक 13.05.2005 को जमा किया गया है जिससे स्पश्ट है कि उपभोक्ता द्वारा विद्युत का उपभोग किया गया है किन्तु भुगतान नहीं किया गया है। परिवादी के बिल बीजक नियमानुसार प्रेशित किया गया है। उपभोक्ता के स्थाई विच्छेदन हेतु षुल्क दिंनाक 13.05.2005 को जमा किया गया तथा उसके परिसर के निरीक्षण करने पर मीटर नहीं मिला, इसलिये नियमों के अंतर्गत उपभोक्ता को बीजक दिंनाक 31.12.1998 से दिंनाक 13.05.2005 तक भुगतान हेतु उपलब्ध कराया गया। परिवादी द्वारा परिवाद में असत्य कथन एंव मिथ्या आरोप लगाये गये हैं। परिवादी की नोटिस का जवाब विपक्षी द्वारा दिया गया। परिवाद का कोई भी कारण उत्पन्न नहीं हुआ जिससे परिवाद पोशणींय न होकर निरस्त किये जाने योग्य है। अतः परिवाद खारिज किया जावे।
4.परिवादी की ओर से, विपक्षीगण द्वारा प्रस्तुत किये गये जवाबदावा के खण्डन में जवाबुल जवाब दाखिल किया गया। जिसमें परिवाद पत्र के तथ्यों की पुनः पुश्टि की गई है।
परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.परिवादी अमर नाथ षुक्ला पुत्र एस0के0 षुक्ला की ओर से अपने परिवाद पत्र के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 06.09.2010 एंव षपथपत्र दिंनाकित 22.08.2013 दाखिल किया गया है व अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में सूची के माध्यम से नोटिस की कार्बन प्रति, असल रसीद, संयोजन सं0-एन.बी.2/1702/006031 दिंनाक 05.02.2010 जमा षुल्क रू0 1000/-की प्रति, पी0डी0 षुल्क रू0 200/-जमा की छायाप्रति, अस्थाई विच्छेदन पत्र दिंनाक 18.03.2004 की छायाप्रति, छायाप्रति षपथपत्र दिंनाकित 06.04.2005, पी.डी. प्रार्थना पत्र की प्रति, छायाप्रति फाइनल बिल कनेक्षन सं0-6031 के बावत प्रपत्र दाखिल किये गये हैं। परिवादी द्वारा स्वॅय का साक्ष्य षपथपत्र दिंनाकित 26.06.2014 दाखिल किया गया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.विपक्षीगण की ओर से, जवाबदावा के साथ अधिषाशी अभियन्ता विद्युत वितरण खण्ड नौबस्ता केसको, कानपुर नगर का षपथपत्र दिंनाकित22.06.2011 दाखिल किया गया। किन्तु पर्याप्त अवसर दिये जाने के बावजूद कोई प्रलेखीय साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया। अतः फोरम के आदेष दिंनाकित 06.11.2017 के द्वारा विपक्षी की साक्ष्य का अवसर समाप्त किया गया।
7. पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये षपथपत्रीय साक्ष्यों का तथा प्रलेखीय साक्ष्यों का यथा-आवष्यक स्थान पर आगे निर्णय में उल्लेख किया जायेगा।
ख्
निष्कर्श
8. उभय पक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि परिवादी द्वारा अपने कथन के समर्थन में षपथपत्रीय साक्ष्य व
अन्य प्रलेखीय साक्ष्य, जिनका विवरण निर्णय के प्रस्तर-4 में दिया गया है, दाखिल किये गये हैं। विपक्षी द्वारा अपने कथन के समर्थन में कोई प्रलेखीय साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया। एकमात्र अधिषाशी अभियन्ता का षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है। विपक्षीगण के द्वारा जवाबदावा में यह कहा गया है कि परिवादी ने कनेक्षन दिंनाक 18.05.1998 को प्राप्त किया था तथा उसके परिसर पर मीटर सं0-एम.सी.388092 दिंनाक 04.12.1998 को स्थापित किया गया था। जबकि परिवादी ने विपक्षी के उपरोक्त कथन का खण्डन किया है। ऐसी दषा में विपक्षीगण का यह उत्तरदायित्व था कि वह उपरोक्त दिंनाक 04.12.98 से दिये गये उपरोक्त मीटर को स्थापित करने से सम्बन्धित प्रलेखीय साक्ष्य दाखिल करते। किन्तु विपक्षीगण की ओर से, अपने उपरोक्त कथन के समर्थन में, अवसर दिये जाने के बावजूद कोई प्रलेखीय साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया। विधि का यह सुस्थापित सिद्वान्त है कि ’’जो तथ्य अन्य प्रलेखीय साक्ष्य के द्वारा साबित किया जा सकता हो, उन तथ्यों को मात्र षपथपत्रीय साक्ष्य के द्वारा साबित किया जाना नहीं माना जायेगा।’’ अतः ऐसी दषा में विपक्षी का कथन अन्य प्रलेखीय साक्ष्य से प्रमाणित न होने के कारण स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है। परिवादी का कथन षपथपत्रीय साक्ष्य व अन्य प्रस्तुत किये गये प्रलेखीय साक्ष्यों से प्रमाणित होता है। अतः परिवादी का परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों एंव उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद ऑषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किये जाने योग्य है कि विपक्षीगण परिवादी के प्रष्नगत विद्युत कनेक्षन सं0-6031, बुक सं0-1702, मीटर संख्या-एल.एफ.5999 जो कि परिवादी के भवन सं0-674, वाई. ब्लॉक किदवई नगर, कानपुर नगर में स्थापित है, को बिना विधिक प्रकिया अपनाये हुये विच्छेदित नहीं करेगें तथा विपक्षीगण परिवादी के विद्युत मीटर व केबिल उखाड़ने के समय ली गई रीडिंग के अनुसार विद्युत बिल संषोधित करके परिवादी को प्रदान करेंगें और तद्नुसार ही परिवादी से विद्युत प्रयोग व्यय प्राप्त करेंगें। विपक्षीगण रू0 5000/-परिवाद व्यय के रूप में परिवादी को अदा करेगें। जहॉ तक अन्य याचित उपषम का प्रष्न है - के सम्बन्ध में परिवादी द्वारा कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न करने के कारण, स्वीकार किये जाने योग्य नहीं हैं।
:ःआदेषःःः
9. परिवादी का प्रस्तुत परिवाद, उपरोक्त कारणों से, ऑषिक रूप से विपक्षीगण के विरूद्व इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि विपक्षीगण परिवादी के परिसर में स्थापित प्रष्नगत विद्युत कनेक्षन सं0-6031, बुक सं0-1702, मीटर संख्या-एल.एफ.5999 को बिना विधिक प्रकिया अपनाये हुये विच्छेदित न करें तथा विपक्षीगण को आदेषित किया जाता है कि वे प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर परिवादी के विद्युत मीटर व केबिल उखाड़ने के समय ली गई रीडिंग के अनुसार विद्युत बिल संषोधित करके परिवादी को प्रदान करें और तद्नुसार ही परिवादी से विद्युत प्रयोग व्यय प्राप्त करें तथा विपक्षीगण रू0 5000/-(पॉच हजार रू0) परिवाद व्यय, परिवादी को अदा करें।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
(पुरूशोत्तम सिंह) ( सुधा यादव ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य सदस्या अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद जिला उपभोक्ता विवाद
प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम प्रतितोश फोरम
कानपुर नगर। कानपुर नगर कानपुर नगर।
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