Uttar Pradesh

StateCommission

A/2013/970

Uttar Madhya Railway - Complainant(s)

Versus

Keshav Prasad - Opp.Party(s)

Prem Prakash Srivastava

12 Dec 2014

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/2013/970
(Arisen out of Order Dated in Case No. of District State Commission)
 
1. Uttar Madhya Railway
a
 
BEFORE: 
 HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary PRESIDING MEMBER
 HON'ABLE MR. Sanjay Kumar MEMBER
 
For the Appellant:
For the Respondent:
ORDER

राज् उपभोक्ता  विवाद प्रतितोष आयोग, 0 प्र0 लखनऊ।

                                सुरक्षित

          अपील संख्‍या-970/2013       

मण्‍डल रेल प्रबन्‍धक, कार्मिक उत्‍तर मध्‍य रेलवे झॉसी।

                                                 अपीलार्थी                   

                                  बनाम

1-केशव प्रसाद पुत्र श्री रामदास निवासी फतेहपुर बजरिया, रेलवे पम्‍प हाउस के पास, कस्‍बा, तहसील व जिला-महोबा।

2-शाखा प्रबन्‍धक, भारतीय स्‍टेट बैंक शाखा महोबा जिला-महोबा।                                                          प्रत्‍यर्थीगण                                    

समक्ष:-

1-मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन सदस्‍य।

2-मा0 श्री संजय कुमार सदस्‍य।

अपीलार्थी की ओर से उपस्थित। विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्‍तव।

प्रत्‍यर्थी की ओर से उपस्थित।        कोई नहीं।

दिनांक 30-12-2014

    मा0 श्री अशोक कुमार चौधरी पीठासीन न्‍यायिक सदस्‍य द्वारा उदघोषित

   निर्णय

अपीलकर्ता ने प्रस्‍तुत अपील विद्वान जिला मंच महोबा द्वारा परिवाद संख्‍या-131/2011 केशव प्रसाद बनाम मण्‍डल रेल प्रबन्‍धक आदि में दिये गये निर्णय दिनांक 04-04-2013 के विरूद्ध प्रस्‍तुत की है जिसमें कि विद्वान जिला मंच ने निम्‍न आदेश पारित किया है।

” परिवादी केशव प्रसाद का परिवाद खिलाफ विपक्षी संख्‍या-1 आंशिक रूप से एक पक्षीय रूप से स्‍वीकार किया जाता है तथा विपक्षी सं0-1 को आदेशित किया जाता है कि वह परिवादी को पेंशन मु0 1,38,372/-रू0 मय महंगाई भत्‍ता, अर्धवार्षिक तथा अन्‍य भत्‍ते, जो भी परिवादी को देय हों वह 12 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज सहित पेंशन दिनांक से इस निर्णय के एक माह के अन्‍दर परिवादी के खाते में जमा करें। इसके अलावा परिवादी विपक्षी संख्‍या-1 से मानसिक कष्‍ट के एवज में मु0 10,000/-रू0 एवं वाद व्‍यय के एवज में मु0 2,500/-रू0 भी पाने का अधिकारी होगा। परिवाद विपक्षी संख्‍या-2 के विरूद्ध निरस्‍त किया जाता है। ”

उपरोक्‍त वर्णित आदेश से क्षुब्‍ध होकर यह अपील योजित की गयी है।    संक्षेप में तथ्‍य इस प्रकार है कि परिवादी ने अपनी पेंशन 1,38,372/-रू0 मय महंगाई भत्‍ता व अनय अनुतोष दिलाये जाने हेतु परिवाद प्रस्‍तुत किया है।

 

2

अपीलकर्ता की ओर से विद्वान अधिवक्‍ता श्री पी0 पी0 श्रीवास्‍तव के तर्कों को सुना गया एवं प्रत्‍यर्थी की ओर से कोई उपस्थित नहीं है।

अपीलकर्ता के विद्वान अधिवक्‍ता का तर्क है कि परिवादी स्‍वेच्‍छा से सेवानिवृत्‍त हुआ था पेमेन्‍ट आफ वेजेज एक्‍ट की धारा-7(2) (सी) व धारा-17 के अन्‍तर्गत सक्षम क्षेत्राधिकार वाले न्‍यायालय (सी0ए0टी0) सेन्‍ट्रल एडमिनिस्‍टेटिव ट्रिब्‍यूनल में मुकदमा दायर करना चाहिए था क्‍योंकि यह परिवाद सेवा से संबंधित है है जिस पर सुनवाई का क्षेत्राधिकार सेन्‍ट्रल एडमिनिस्‍टेटिव ट्रिब्‍यूनल को है अत: ऐसी परिस्थिति में चूंकि परिवादी उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की धारा-2 (1) (डी0) और न ही धारा -2 (1) (ओ) के अन्‍तर्गत सुनवाई की श्रेणी के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता है अत: उसका परिवाद उपभोक्‍ता न्‍यायालय द्वारा सुनने का क्षेत्राधिकार नहीं है तदनुसार अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है एवं प्रश्‍नगत निर्णय निरस्‍त किये जाने योग्‍य है।

 प्रश्‍नगत निर्णय एवं पत्रावली में उपलब्‍ध अभिलेखों का परिशीलन किया गया जिससे कि यह विदित होता है कि प्रस्‍तुत प्रकरण परिवादी की सेवा से संबंधित है जिसके श्रवण का क्षेत्राधिकार सेन्‍ट्रल एडमिनिस्‍टेटिव ट्रिब्‍यूनल को है, इस सेवा संबंधी प्रकरण में उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत के अन्‍तर्गत उपभोक्‍ता न्‍यायालय को श्रवण का क्षेत्राधिकार नहीं है।

श्रीमती मनोरमा तिवारी बनाम राजस्‍थान सरकार, 2 (1992) सी0पी0जे0 500: 1991 (2) सी0पी0आर0 118:1991 सी0पी0सी0 497 (राष्‍ट्रीय आयोग दिल्‍ली) में यह अवधारित किया गया है कि नियोजक विषयक मामले अर्थात सेवा संबंधी मामले जैसे वेतन, भत्‍ता, आदि उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम की परिधि के बाहर है। इसके अतिरिक्‍त जनरल मैंनेजर प्‍लांटेशन कार्पोरेशन आफ केरल बनाम के0 के0 राजन II(2003) सी0पे0जे0 618(केरल) में यह अवधारित किया गया है कि सरकारी कर्मचारी के सेवा सम्‍बन्‍धी लाभ चाहे उसकी सेवा के दौरान के हों अथवा सेवानिवृत्ति के बाद के हों, वे सभी मामले उपभोक्‍ता सरंक्षण अधिनियम के अन्‍तर्गत नहीं आते हैं। साथ ही साथ यह भी उल्‍लेखनीय है कि सेवा निवृत्‍त सरकारी कर्मचारी के पेंशन विषयक प्रकरण उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत पोषणीय नहीं है। सेवा निवृत्‍त कर्मचारी, उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत परिभाषित, उपभोक्‍ता की श्रेणी में नहीं आता क्‍योंकि उसने प्रतिफल के बदले में कोई सेवा विपक्षी के भाड़े पर नहीं ली है। जैसा कि मा0 राष्‍ट्रीय आयोग नई दिल्‍ली द्वारा कृष्‍ण कुमार गुप्‍ता बनाम जी0एम0, बैंक आफ इण्डिया व अन्‍य, 1 (2003) सी0पी0जे0

 

 

3

152: 2003 (1) सी0पी0आर0 256 में अवधारित किया जा चुका है। उपरोक्‍त विवेचना के आधार पर अपील स्‍वीकार किये जाने योग्‍य है।    

                     आदेश

अपील स्‍वीकार की जाती है विद्वान जिला मंच द्वारा परिवाद संख्‍या-131/2011 केशव प्रसाद बनाम मण्‍डल रेल प्रबन्‍धक आदि में दिये गये निर्णय/आदेश दिनांक 04-04-2013 को निरस्‍त किया जाता है।

वाद व्‍यय पक्षकार अपना-अपना स्‍वयं वहन करेंगे।

     इस निर्णय/आदेश की प्रमाणित प्रतिलिपि उभय पक्ष को नियमानुसार उपलब्‍ध करा दी जाये। 

 

 

 

(अशोक कुमार चौधरी)                                 (संजय कुमार)

 पीठासीन सदस्‍य                                             सदस्‍य

 मनीराम आशु0-2

 कोर्ट- 3  

 
 
[HON'ABLE MR. Ashok Kumar Chaudhary]
PRESIDING MEMBER
 
[HON'ABLE MR. Sanjay Kumar]
MEMBER

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