Uttar Pradesh

StateCommission

A/447/2024

Anupam Manager Chaudhary Motors & other - Complainant(s)

Versus

Keshari Prasad - Opp.Party(s)

Raghvendra P. Singh

05 Apr 2024

ORDER

STATE CONSUMER DISPUTES REDRESSAL COMMISSION, UP
C-1 Vikrant Khand 1 (Near Shaheed Path), Gomti Nagar Lucknow-226010
 
First Appeal No. A/447/2024
( Date of Filing : 02 Apr 2024 )
(Arisen out of Order Dated 05/09/2020 in Case No. Complaint Case No. CC/11/2020 of District Gonda)
 
1. Anupam Manager Chaudhary Motors & other
Itiyathok post Itiyathok tehsil distt gonda
...........Appellant(s)
Versus
1. Keshari Prasad
bhatpurwa post itiyathok tehsil distt Gonda
...........Respondent(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR PRESIDENT
 
PRESENT:
 
Dated : 05 Apr 2024
Final Order / Judgement

(मौखिक)

राज्‍य उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ

अपील संख्‍या-447/2024

अनुपम, प्रबन्‍धक, चौधरी मोटर्स व अन्‍य

बनाम

केशरी प्रसाद पुत्र श्री राम बचन

समक्ष :-

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष

अपीलार्थी के अधिवक्‍ता         : श्री राघवेन्‍द्र प्रताप सिंह

प्रत्‍यर्थी के अधिवक्‍ता           : कोई नहीं।

दिनांक :- 05.4.2024

मा0 न्‍यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्‍यक्ष द्वारा उदघोषित

निर्णय

प्रस्‍तुत अपील अपीलार्थी/बीमा कम्‍पनी द्वारा इस आयोग के सम्‍मुख धारा-41 उपभोक्‍ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अन्‍तर्गत जिला उपभोक्‍ता विवाद प्रतितोष आयोग, गोण्‍डा द्वारा परिवाद सं0-11/2020 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 05.9.2022 के विरूद्ध योजित की गई है।

संक्षेप में वाद के तथ्‍य इस प्रकार है कि प्रत्‍यर्थी/परिवादी ग्राम-भटपुरवा पोस्ट इटियाथोक जिला गोण्डा का निवासी है तथा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-1 चौधरी मोटर्स इटियाथोक गोण्डा का प्रबन्धक है तथा अपीलार्थी/विपक्षी सं0-2 उसका प्रोपराइटर (स्वामी) है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण के प्रतिष्ठान से होण्डा सी0वी0 साइन मोटर साइकिल चेसिस सं0- एम ई 4 जेसी 654 बी एच 7022603 इंजन नं0-जे0सी0 65 ई 71031154 दिनांक 14.3.2017 को कय की गई थी। इस तरह प्रत्‍यर्थी/परिवादी अपीलार्थी/विपक्षीगण का उपभोक्ता वाहन क्रय किये जाने के उपरान्त हो गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की उक्त मोटर साईकिल में खराबी आने पर दिनांक 10.10.2019 को अपीलार्थी/विपक्षीगण की एजेंसी पर दिखाया गया, तो अपीलार्थी/विपक्षीगण ने ब्लॉक किट सहित तमाम

-2-

सामान बदलने के लिए कहा तथा प्रत्‍यर्थी/परिवादी से रू0 7,256.00 लेकर उक्त पार्टो को बदला गया तथा आश्वासन दिया कि वाहन की खराबी ठीक हो जायेगी।

अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा ब्लॉक किट आदि पार्टो को बदलने के पश्चात भी प्रत्‍यर्थी/परिवादी की मोटर साइकिल ठीक नहीं हुई तथा पूर्ववत खराबी बनी रही। पुनः दिनांक 06.01.2020 को अपीलार्थी/विपक्षीगण के एजेंसी पर दिखाया तो अपीलार्थी/विपक्षीगण ने पुनः ठीक करना शुरू कर दिया, उसी दौरान प्रत्‍यर्थी/परिवादी के मोटर साइकिल का चैम्बर तोड डाला तथा पूर्व में बदले गये पार्टों को पुनः बदलना बताकर प्रत्‍यर्थी/परिवादी से पुन: रू0 7,442-00 वसूल कर लिए गये तथा दोनों बार प्रत्‍यर्थी/परिवादी को बिल न देकर इस्टीमेट पर रूपया लेकर बिल/रसीद दे दिया गया। प्रत्‍यर्थी/परिवादी की मोटर साइकिल की खराबी इसके बावजूद भी पूरी तरह ठीक नहीं हुई तथा बिलों का मिलान करने पर पता चला कि दिनांक 10.10.2019 को लगाये गये नये पार्टों को पुनः दिनांक 06.01.2020 को नया लगाना दर्शाकर पैसा वसूला गया है एवं ठीक से सर्विस न देकर लेबर चार्ज पुन: वसूला गया है।

 अपीलार्थी/विपक्षीगण ने प्रत्‍यर्थी/परिवादी से पैसा लेकर उसकी मोटर साइकिल की खराबी ठीक नहीं की और अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा मोटर साइकिल का चैम्बर तोड़कर, एक ही पार्टस् का दो बार पैसा लेकर बेईमानी की गई है एवं वाहन की खराबी को ठीक न कर सेवा में कमी की गई है, जिसके कारण प्रत्‍यर्थी/परिवादी को अपने वाहन के प्रयोग से वंचित रहना पडा है और उसे शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से दो लाख रूपये की क्षति हुई है। प्रत्‍यर्थी/परिवादी द्वारा अपीलार्थी/विपक्षीगण को विधिक

-3-

नोटिस जरिए अधिवक्ता दिनांक 07.3.2020 को देकर निवेदन किया गया कि नोटिस पाने के 15 दिवस के भीतर एक ही पार्ट की दो बार वसूली गयी धनराशि एवं क्षतिपूर्ति अदा कर दें, लेकिन अपीलार्थी/विपक्षीगण द्वारा नोटिस पाने के पश्चात न तो उसका जवाब दिया और न ही उसका अनुपालन किया गया, अत्एव क्षुब्‍ध होकर परिवाद जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख प्रस्‍तुत किया गया है।

जिला उपभोक्‍ता आयोग के सम्‍मुख विपक्षीगण की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ और न ही कोई प्रतिवाद पत्र प्रस्‍तुत किया गया अत्एव जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा विपक्षीगण के विरूद्ध परिवाद की कार्यवाही एकपक्षीय रूप से अग्रसारित की गई।

विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा परिवादी के अभिकथन एवं उपलब्‍ध साक्ष्‍य पर विस्‍तार से विचार करने के उपरांत परिवाद को आंशिक रूप से स्‍वीकार करते हुए निम्‍न आदेश पारित किया है:-

''परिवादी का परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध एकपक्षीय स्‍वीकार किया जाता है और विपक्षीगण को संयुक्‍त व पृथक-पृथक रूप से आदेशित किया जाता है कि परिवादी का रू0 14,694.00 (चौदह हजार छ: सौ चौरानबे रूपये) मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के लिए 5,000.00 (पॉच हजार) तथा वाद व्‍यय के रूप 3,000.00(तीन हजार) निर्णय की तिथि से 30 दिन के भीतर भुगतान करें। नियत समयावधि में भुगतान न होने पर विपक्षीगण 09 प्रतिशत वार्षिक ब्‍याज निर्णीत धनराशि वास्‍तविक भुगतान की तिथि तक देय होगा।

पत्रावली दाखिल द‍फ्तर हो।

निर्णय की प्रति परिवादी के खर्च पर विपक्षीगण को प्रेषित किया जाय।" 

 

-4-

जिला उपभोक्‍ता आयोग के प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश से क्षुब्‍ध होकर अपीलार्थी/विपक्षीगण की ओर से प्रस्‍तुत अपील योजित की गई है।

मेरे द्वारा अपीलार्थीगण की ओर से उपस्थित विद्वान अधिवक्‍ता श्री राघवेन्‍द्र प्रताप सिंह को सुना गया तथा जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित निर्णय/आदेश का सम्‍यक परिशीलन एवं परीक्षण किया गया।

मेरे द्वारा अपीलार्थी के विद्वान अधिवक्‍ता के कथनों को सुनने के पश्‍चात तथा विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा पारित प्रश्‍नगत निर्णय/आदेश एवं पत्रावली पर उपलब्‍ध समस्‍त अभिलेखों के परिशीलनोंपरांत यह पाया गया विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा समस्‍त तथ्‍यों का परिशीलन करने के उपरांत जो निष्‍कर्ष अपने निर्णय में अंकित किया गया है वह मेरे विचार से विधि सम्‍मत है, परन्‍तु विद्वान जिला उपभोक्‍ता आयोग द्वारा अपने प्रश्‍नगत आदेश में जो अपीलार्थी/विपक्षीगण के विरूद्ध रू0 14,694.00(वाहन मरम्‍मत की धनराशि), मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के रूप में रू0 5,000.00 तथा वाद व्‍यय के रूप में रू0 3,000.00 की देयता निर्धारित की गई है, वह वाद के सम्‍पूर्ण तथ्‍यों एवं परिस्थितियों तथा अपीलार्थी के अधिवक्‍ता के कथन को दृष्टिगत रखते हुए अधिक प्रतीत हो रही है, अत्एव उसे संशोधित कर परिवर्तित किया जाना उचित प्रतीत होता है।

तद्नुसार वाहन मरम्‍मत की राशि रू0 14,694.00(चौदह हजार छ: सौ चौरानबे रू0) की देयता को रू0 10,000.00(दस हजार रू0) में तथा मानसिक एवं शारीरिक कष्‍ट के देयता रू0 5,000.00(पॉच हजार रू0) को रू0 2,000.00(दो हजार रू0) में एवं वाद व्‍यय की

-5-

देयता रू0 3,000.00(तीन हजार रू0) को रू0 1000.00(एक हजार रू0) में परिवर्तित किया जाता है,  तद्नुसार प्रस्‍तुत अपील आंशिक रूप से स्‍वीकार की जाती है। निर्णय/आदेश का शेष भाग यथावत कायम रहेगा।

यहॉ यह तथ्‍य भी स्‍पष्‍ट किया जाता है यदि उपरोक्‍त धनराशि बीमा कम्‍पनी से परिवादी द्वारा प्राप्‍त की जा चुकी है तब उस स्थिति में उपरोक्‍त आदेशित धनराशि अपीलार्थी देय नहीं होगी।

अपीलार्थीगण को आदेशित किया जाता है कि वह उपरोक्‍त आदेश का अनुपालन 45 दिन की अवधि़ में किया जाना सुनिश्चित करें।

प्रस्‍तुत अपील को योजित करते समय यदि कोई धनराशि अपीलार्थी द्वारा जमा की गयी हो, तो उक्‍त जमा धनराशि मय अर्जित ब्‍याज सहित सम्‍बन्धित जिला उपभोक्‍ता आयोग को यथाशीघ्र विधि के अनुसार निस्‍तारण हेतु प्रेषित की जाए।

     आशुलिपिक/वैयक्तिक सहायक से अपेक्षा की जाती है कि वह इस निर्णय/आदेश को आयोग की वेबसाइट पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।

                                       

                                 (न्‍यायमूर्ति अशोक कुमार)                             

                                            अध्‍यक्ष                                                                                                                

हरीश आशु.,

कोर्ट नं0-1

 

 

 
 
[HON'BLE MR. JUSTICE ASHOK KUMAR]
PRESIDENT
 

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