(मौखिक)
राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0प्र0, लखनऊ।
अपील संख्या- 2350/1999
(जिला उपभोक्ता आयोग, कुशीनगर द्वारा परिवाद संख्या- 474/1999 में पारित निर्णय/आदेश दिनांक 19-07-1999 के विरूद्ध)
मेसर्स हिन्दुस्तान मोटर्स लि0 द्वारा रीजनल मैनेजर एस०एल० हाउस 6 बी. टी.बी. सप्रू मार्ग लखनऊ डिस्ट्रिक लखनऊ।
अपीलार्थी
बनाम
1- केदारनाथ जायसवाल, पुत्र श्री तुलसी राम जायसवाल, निवासी- कसया जिला कुशीनगर।
2- शक्ति मोटर्स सेल्स, सोमनाथ मन्दिर रोड, देवरिया, जिला देवरिया द्वारा प्रोपराइटर पवन कुमार गुप्ता।
.प्रत्यर्थीगण
समक्ष:-
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष
अपीलार्थी की ओर से उपस्थित : कोई उपस्थित नहीं।
प्रत्यर्थीगण की ओर से : कोई उपस्थित नहीं।
दिनांक-09-12-2021
माननीय न्यायमूर्ति श्री अशोक कुमार, अध्यक्ष द्वारा उदघोषित
निर्णय
प्रस्तुत अपील, परिवाद संख्या- 474 सन् 1999 केदारनाथ जायसवाल बनाम शक्ति मोटर्स सेल्स, सोमनाथ मन्दिर रोड, देवरिया, व तीन अन्य में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कुशीनगर द्वारा पारित निर्णय और आदेश दिनांक 19-07-1999 के विरूद्ध धारा-15 उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत राज्य आयोग के समक्ष प्रस्तुत की गयी है, जो लगभग 23 वर्षों से लम्बित है।
2
वाद पुकारा गया। उभय-पक्ष अनुपस्थित हैं।
विद्वान जिला आयोग के समक्ष प्रत्यर्थी संख्या-1 केदारनाथ जायसवाल द्वारा इस तथ्य का उल्लेख किया गया है कि वाद पत्र में विपक्षी संख्या-1 शक्ति मोटर सेल्स देवरिया के द्वारा जिला आयोग देवरिया के सम्मुख एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया जिसे विद्वान जिला आयोग द्वारा इस आधार पर निरस्त किया गया कि उक्त प्रार्थना पत्र में उचित कारण प्रस्तुत नहीं किया गया है तथा यह कि विपक्षी संख्या-1 के पैराकार ने न्यायालय के सम्मुख उल-जुलुल बहस करने का प्रयास किया जैसा कि अंकित किया गया है तथा यह कि नोटिस प्रेषित किये हुए एक माह से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है।
शिकायतकर्ता द्वारा यह कथन किया गया कि उसने एक डीजल ट्रेकर गाड़ी हायर परचेज पर एल्पिक फाइनेंस लि0 लखनऊ से ऋण लेकर विपक्षी संख्या-1 शक्ति मोटर्स सेल्स लि0 से 2,09,475/-रू० में क्रय किया था। विपक्षी संख्या-1 द्वारा उक्त गाड़ी के विक्रय के सम्बन्ध में परिवादी से धोखा किया गया, अर्थात उक्त गाड़ी का कुल मूल्य 1,60,000/-रू० था और उससे 2,09,475/-रू० लिया गया। उक्त गाड़ी का इंजन भी मानक के विपरीत पाया गया। छ: माह में ही गाड़ी की स्थिति अत्यन्त खराब हो गयी। एक्सेल बार-बार टूटता रहा जिसका विपक्षी संख्या-1 द्वारा समुचित संज्ञान नहीं लिया गया न ही मरम्मत आदि करायी गयी।
विद्वान जिला आयोग द्वारा शिकायतकर्ता की शिकायत पत्र में वर्णित तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए विपक्षीगण के विरूद्ध निम्न आदेश पारित किया है:-
3
" विपक्षीगण को निर्देशित किया जाता है कि वह शिकायतकर्ता को 2,09,475/-रू० में मय 25 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से सूद के खरीद की तिथि से तथा क्षतिपूर्ति के मद में 5000/-रू० अदा कर अपनी सेवा में की गयी कमी को दूर करें तथा ट्रेकर अपने पास ही रखें, अन्यथा उनके विरूद्ध दफा 27 की कार्यवाही की जा सकती है साथ ही 10,000/-रू० जुर्माने की कार्यवाही भी किये जाने का आदेश पारित किया है।"
उक्त आदेश से क्षुब्ध होकर विपक्षी संख्या-2 सर्वश्री हिन्दुस्तान मोटर्स लि0 द्वारा अपील इस न्यायालय के सम्मुख दाखिल की गयी है जिस पर इस न्यायालय द्वारा अन्तरिम आदेश पारित किया गया है। तरोपरान्त अपील लगभग 20 तिथियों पर सूचीबद्ध हुयी। विगत पूर्व कई तिथियों पर उभय-पक्ष अनुपस्थित रहे हैं। समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए तथा यह कि अपीलार्थी कम्पनी का अस्तित्व अब समाप्त हो चुका है एवं चॅूकि विपक्षीगण की ओर से न तो विपक्षी और न ही उनके अधिवक्ता ही उपस्थित हुए हैं, अत: प्रस्तुत अपील अदम पैरवी में खारिज की जाती है।
आदेश
प्रस्तुत अपील निरस्त की जाती है। उभय-पक्ष अपना-अपना वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
आशुलिपिक से अपेक्षा की जाती है कि वह आदेश को आयोग की वेबसाइड पर नियमानुसार यथाशीघ्र अपलोड कर दें।
(न्यायमूर्ति अशोक कुमार)
अध्यक्ष
कृष्णा-आशु० कोर्ट नं०1