Vishva Mishra filed a consumer case on 17 Jun 2016 against KDA in the Kanpur Nagar Consumer Court. The case no is cc/723/2010 and the judgment uploaded on 29 Jun 2017.
कानपुर विकास प्राधिकरण, मोतीझील, कानपुर नगर द्वारा उपाध्यक्ष।
...........विपक्षी
परिवाद दाखिला तिथिः 04.10.2010
निर्णय तिथिः 08.06.2017
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1. परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि विपक्षी से भूखण्ड सं0-एच-2 लेआउट प्लान के अनुसार जो 45 मीटर रोड पर स्थित है, की रजिस्ट्री परिवादीगण के हक में किये जाने का आदेष पारित किया जाये, विपक्षी से मानसिक क्षतिपूर्ति के लिये रू0 1,00,000.00 एवं आर्थिक क्षति व दौड़भाग के लिए रू0 20,000.00 दिलाया जाये, विपक्षी से अनुमानित जमा धन रू0 5,25,000.00 पर जमा की तिथि से निश्पादन की तिथि तक 12 प्रतिषत वार्शिक ब्याज दिलाया जाये तथा रू0 3500.00 खर्चा मुकद्मा दिलाया जाये।
2. परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादीगण का कथन यह है कि परिवादीगण को विपक्षी द्वारा आवासीय भूखण्ड विस्तार योजना के अंतर्गत (सब स्कीम जरौली विस्तार योजना) भूखण्ड विपक्षी के पत्र दिनांकित 26.02.15 के द्वारा आवंटित किया गया। भूखण्ड की कुल अनुमानित कीमत रू0 5,00,000.00 थी। अनुमानित उपरोक्त धनराषि एकमुष्त जमा करने पर रू0 25,000.00 की छूट प्रस्तावित थी। चूॅकि भूखण्ड कार्नर का था, इसलिए अनुमानित मूल्य रू0 5,00,000.00 में 10 प्रतिषत कार्नर चार्ज सहित कुल रू0 5,50,000.00 होती है। परन्तु एकमुष्त
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जमा करने पर रू0 25000.00 छूट का माफ करने पर कुल अनुमानित कीमत रू0 5,25,000.00 बनती है। परिवादीगण के द्वारा रू0 25000.00 आनलाइन दिनांक 21.03.05 को षेश रू0 5,00,000.00 दिनांक 27.01.05 को क्रमषः रू0 4,75,000.00 एवं रू0 25000.00 भारतीय स्टेट बैंक षाखा मोतीझील कानपुर में कुल रू0 5,25,000.00 जमा कर कुल अनुमानित धन जमा कर दिया था। इस प्रकार विधिनुसार तय कीमत अदा कर देने के बाद भूखण्ड का समस्त स्वत्व प्राप्त कर लिया था। लेआउट प्लान के अनुसार एच-1, एच-2, एच-3, एच-4, 45 मीटर रोड पर स्थित थे और भूखण्ड सं0-एच-2 परिवादीगण को आवंटित किया गया था। परन्तु विभागीय शड़यंत्र व एक सुनियोजित साजिष के तहत परिवादीगण को अवैधानिक तरीके से मौके पर साइट प्लान बदलकर उनको आवंटित भूखण्ड सं0-एच-2 को 45 मीटर रोड से बदलकर 9 मीटर रोड पर करके, दिया जा रहा है। इस प्रकार विपक्षी के द्वारा घोर अनियमितता की जारी है। इस प्रकार की अनियमितता पूर्व में श्रीमती कान्ती सचान पत्नी श्री कर्णवीर सिंह सचान के साथ भी विपक्षी द्वारा की गयी थी। जिस प्रकार श्रीमती कान्ती सचान ने एक परिवाद सं0-390/07 कान्ती सचान बनाम कानपुर विकास प्राधिकरण दाखिल किया गया है। जिसका निर्णय श्रीमती कान्ती सचान के पक्ष में फोरम द्वारा पारित किया गया हैं उक्त निर्णय/ आदेष की प्रति दाखिल की जा रही है। विपक्षी द्वारा की गयी घोर अनियमितता के कारण परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.विपक्षी की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके, परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का खण्डन किया गया है और यह कहा गया है कि प्रष्नगत भूखण्ड 45 मीटर रोड पर नहीं बल्कि 9 मीटर रोड पर स्थित है, जो लेआउट प्लान में स्थित है। षांती देवी बनाम के0डी0ए0 में परिवाद मा0 उपभोक्ता फोरम द्वारा ही भूखण्ड प्राप्त हुआ है और षांती देवी को भी 9 मीटर रोड पर ही प्राप्त हुआ है और षांती देवी ने कोई आपत्ति नहीं की और उक्त भूखण्ड प्राप्त किया।
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विपक्षी द्वारा सेवा में कोई कमी कारित नहीं की गयी है। विपक्षी ने परिवादीगण को 9 मीटर रोड पर ही भूखण्ड दिया है, जो कि लेआउट में प्रदर्षित हैं परिवादीगण के आवेदन पत्र के साथ दिये गये षपथपत्र में पूरी धनराषि का विवरण दिया गया है और परिवादीगण को यह मंजूर था और परिवादीगण को विपक्षी के सारे नियम व षर्तें भी मंजूर थी, किन्तु अब परिवादीगण स्वयं विपक्षी के आवंटन पत्र की आखरी धारा का उल्लंघन कर रहे हैं और षपथपत्र में दी गयी धारा-10 का भी उल्लंघन कर रहे हैं। परिवादीगण कोई अनुतोश प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है। अतः परिवाद सव्यय खारिज किया जाये।
परिवादीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
4.परिवादीगण ने अपने कथन के समर्थन में स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 21.05.11 एवं 10.03.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-1 व 2 लगायत् 1/77 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षी की ओर से प्रस्तुत किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.विपक्षी ने अपने कथन के समर्थन में मयंक यादव उपसचिव जोन-3 का षपथपत्र दिनांकित 12.04.16 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में कागज सं0-2/1 व 2/2 तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
निष्कर्श
6.फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों एवं उभयपक्षों की ओर से प्रस्तुत लिखित बहस का सम्यक परिषीलन किया गया।
उभयपक्षों की ओर से उपरोक्त प्रस्तर-4 व 5 में वर्णित षपथपत्रीय व अन्य अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत किये गये हैं। पक्षकारों की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त साक्ष्यों में से मामले को निर्णीत करने में सम्बन्धित साक्ष्यों का ही आगे उल्लेख किया जायेगा।
उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रस्तुत मामले में निम्नलिखित विचारणीय वाद बिन्दु बनते हैंः-
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1.क्या प्रष्नगत भूखण्ड सं0-एच-2 रकबा 200 वर्गमीटर जरौली फेस-2 कानपुर नगर लेआउट प्लान के अनुसार 45 मीटर चौड़ी रोड पर स्थित है, यदि हां तो प्रभाव?
2.परिवादी कौन सा अनुतोश प्राप्त करने का अधिकारी है?
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-01
7.यह वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार परिवादीगण पर है। परिवादीगण की ओर से यह कथन किया गया है कि लेआउट प्लान के अनुसार परिवादी को भूखण्ड सं0-एच-2, 45 मीटर रोड पर आवंटित किया गया था। परन्तु विपक्षी विभागीय शड़यंत्र व सुनियोजित साजिस के तहत परिवादीगण को अवैधानिक तरीके से मौके पर साइट प्लान बदलकर उनको भूखण्ड सं0-एच-2, 45 मीटर से 9 मीटर रोड पर दिया जा रहा है। परिवादीगण द्वारा अपने कथन के समर्थन में सूची के साथ संलग्न कागज सं0-1 के रूप में लेआउट की छायाप्रति प्रस्तुत की गयी है। इस लेआउट की छायाप्रति को देखने से विदित होता है कि प्लाट के तीन ओर 7.50 मीटर चौड़ी सड़क दिखायी गयी है। प्रस्तुत किये गये लेआउट प्लान के बांयी तरफ कहीं पर यह अंकित नहीं है कि उक्त रोड कितने मीटर चौड़ी है। लेआउट में दिषा भी निर्धारित नहीं की गयी है। अतः फोरम इस मत का है कि परिवादीगण द्वारा यह सिद्ध नहीं किया जा सका है कि उसे प्रष्नगत प्लाट 45 मीटर रोड पर आवंटित किया गया है। इसके विपरीत विपक्षी की ओर से परिवादीगण को 9 मीटर चौड़ी सड़क पर प्रष्नगत प्लाट आवंटित किये जाने का कथन किया गया है और अपने कथन के समर्थन में संलग्नक-2/1 के रूप में लेआउट प्लान प्रस्तुत किया गया है। जिसमें ऊपर की ओर उत्तर दिषा बतायी गयी है, जिसके ठीक दक्षिण दिषा में 9 मीटर चौड़ी रोड दिखाई गयी हैं उक्त लेआउट पर विभाग के जे0ई0 व अन्य सम्बन्धित अधिकारियों के भी हस्ताक्षर है। जबकि परिवादीगण की ओर से लेआउट प्लान में किसी के हस्ताक्षर विद्यमान नहीं है। अतः विपक्षी की ओर से प्रस्तुत लेआउट प्लान विष्वसनीय है।
उपरोक्त तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में और उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर उपरोक्त विचारणीय वाद बिन्दु परिवादीगण
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के विरूद्ध तथा विपक्षी के पक्ष में निर्णीत किया जाता है।
विचारणीय वाद बिन्दु संख्या-02
8.यह वाद बिन्दु सिद्ध करने का भार भी परिवादीगण पर ही है। परिवादीगण की ओर से यह कथन किया गया है कि परिवादीगण द्वारा प्रष्नगत भूखण्ड की अनुमानित धनराषि रू0 5,25,000.00 विपक्षी के यहां जमा की जा चुकी है। परिवादीगण की ओर से सूची के साथ तत्सम्बन्धित अभिलेखीय साक्ष्य भी प्रस्तुत किये गये हैं। परिवादीगण द्वारा प्रस्तुत परिवाद उस प्रष्नगत भूखण्ड को 45 मीटर रोड पर ही दिलाये जाने की याचना के साथ प्रस्तुत किया गया है। किन्तु विचारणीय वाद बिन्दु सं0-1 में दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि विपक्षी की ओर से प्रस्तुत लेआउट प्लान के अनुसार परिवादीगण प्रष्नगत भूखण्ड यथा आवंटित द्वारा विपक्षी प्राप्त करने के अधिकारी हैं। परिवादी द्वारा विपक्षी के यहां रू0 5,25,000.00 जमा किया जाना बताया गया है, और तत्सम्बन्धित साक्ष्य दाखिल किये गये हैं। निष्चित रूप से जमा धनराषि का विपक्षी लाभ प्राप्त कर रहा है। अतः ऐसी दषा में परिवादीगण का परिवाद उन्हें, उनके द्वारा जमा धनराषि पर 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज दिलाये जाने हेतु भी स्वीकार किये जाने योग्य है।
परिवादीगण द्वारा जमा अनुमानित धनराषि रू0 5,25,000.00 जमा की तिथि से निश्पादन दिनांक तक 12 प्रतिषत साधारण ब्याज याचित किया गया है तथा मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए रू0 1,00,000.00 तथा भागदौड़ के लिए रू0 20,000.00 तथा रू0 3500.00 मुकद्मा खर्चा दिलाये जाने की याचना की गयी है। किन्तु चूॅकि यह निश्कर्श दिया जा चुका है कि परिवादीगण द्वारा प्रष्नगत भूखण्ड 45 मीटर रोड पर होने के अपने कथन को साबित नहीं किया जा सका है। इसलिए परिवादी को कोई वाद कारण उत्पन्न नहीं होता है। ऐसी स्थिति में परिवादीगण उपरोक्त अन्य याचित अनुतोश भी प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है। श्रीमती कान्ती सचान जिसका उल्लेख परिवादीगण द्वारा अपने परिवाद पत्र में किया गया है- में पारित निर्णय/आदेष, तथ्यों की भिन्नता के कारण लागू नहीं होता है।
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क्योंकि उपरोक्त निर्णय अवलोकित करने से विदित होता है कि उपरोक्त मामले में विपक्षी द्वारा कतिपय भूखण्डों को ओवरलैप करने की बात विपक्षी द्वारा स्वीकार की गयी है और यह कहा गया है कि पूर्व लाटरी कमेटी ने नियमानुसार कंप्यूटर में विवरण दर्ज करते समय प्रथम पाकेट में एच.आई.जी. के दूसरे भूखण्डों को एच.एच.-1 से एच.एच.-4 कर दिया गया। जबकि प्रस्तुत मामले में विपक्षी के द्वारा उपरोक्तवत् कोई कथन नहीं किया गया है।
उपरोक्तानुसार दिये गये निश्कर्श के आधार पर फोरम इस मत का है कि परिवादीगण का प्रस्तुत परिवाद मात्र इस आषय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है कि परिवादीगण, विपक्षी विकास प्राधिकरण से नियमानुसार आवंटित प्लाट का पंजीयन कराकर कब्जा व दखल प्राप्त कर सकते हैं। षेश याचित अनुतोश के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।
ःःःआदेषःःः
8. उपरोक्त विचारणीय बिन्दु में दिये गये निश्कर्श के अनुसार परिवादी का प्रस्तुत परिवाद इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षी, परिवादीगण को, परिवादीगण के द्वारा जमा धनराषि का समायोजन करके आवंटन पत्र में उल्लिखित दर से आवंटित प्रष्नगत प्लाट, यदि परिवादी चाहें तो, नियमानुसार पंजीकरण निश्पादित करे तथा कब्जा व दखल उपलब्ध करायें तथा विपक्षी उपरोक्त समय में परिवादीगण द्वारा जमा की गयी धनराषि रू0 5,25,000.00 पर 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज, विपक्षी विभाग में जमा करने की तिथि से तायूम वसूली अदा करें।
प्रस्तुत मामले के तथ्यों, परिस्थितियों के आलोक में यह भी स्पश्ट किया जाता है कि प्रस्तुत मामले में उभयपक्ष अपना-अपना परिवाद व्यय स्वयं वहन करेंगे।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
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आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।
( पुरूशोत्तम सिंह ) (डा0 आर0एन0 सिंह)
वरि0सदस्य अध्यक्ष
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
फोरम कानपुर नगर फोरम कानपुर नगर।
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