Uttar Pradesh

Kanpur Nagar

CC/108/2015

VARUN KUMAR - Complainant(s)

Versus

KDA - Opp.Party(s)

16 Dec 2015

ORDER

CONSUMER FORUM KANPUR NAGAR
TREASURY COMPOUND
 
Complaint Case No. CC/108/2015
 
1. VARUN KUMAR
DABAULI
kanpur nagar
UP
...........Complainant(s)
Versus
1. KDA
MOTIJHEEL
kanpur nagar
UP
............Opp.Party(s)
 
BEFORE: 
 HON'BLE MR. RN. SINGH PRESIDENT
 HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH MEMBER
 HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI MEMBER
 
For the Complainant:
For the Opp. Party:
ORDER

 


जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश फोरम कानपुर नगर

अध्यासीनः     डा0 आर0एन0 सिंह........................................अध्यक्ष    
    पुरूशोत्तम सिंह..............................................सदस्य

उपभोक्ता परिवाद संख्याः-108/2015

वरूण कुमार पुत्र गुरूदीन निवासी भवन संख्या-68 एम.आई.जी. बर्रा-2, कानपुर नगर द्वारा मुख्तारआम श्री गोपालधर पुत्र गुरूदीन, निवासी 82/ई/47, दबौली, कानपुर नगर।
                                           ................परिवादी
बनाम
1.    उपाध्यक्ष, कानपुर विकास प्राधिकरण स्थित कार्यालय मोतीझील कानपुर नगर।
2.    सचिव, कानपुर विकास प्राधिकरण स्थित कार्यालय मोतीझील, कानपुर नगर।
                               ..............विपक्षीगण
परिवाद दाखिल होने की तिथिः 04.03.2015
निर्णय की तिथिः 27.01.2016
डा0 आर0एन0 सिंह अध्यक्ष द्वारा उद्घोशितः-
ःःःनिर्णयःःः
1.    परिवादी द्वारा प्रस्तुत परिवाद इस आषय से योजित किया गया है कि परिवादी/मुख्तारआम के हक में व विपक्षीगण के विरूद्ध इस आषय का आदेष पारित किया जाये कि परिवादी के पक्ष में भूखण्ड सं0-28 एम.आई.जी. द्वितीय ब्लाक सी0 सुजातगंज कानपुर नगर रकबा 112.25 वर्गमीटर की फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री पुरानी दरों पर ही तत्काल करने का आदेष पारित किया जाये। विपक्षीगण को यह भी निर्देषित किया जाये कि वह परिवादी को हुई आर्थिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति हेतु रू0 2,00,000.00  तथा परिवाद व्यय रू0 10,000.00 दिलाया जाये।
2.    परिवाद पत्र के अनुसार संक्षेप में परिवादी का कथन यह है कि परिवादी ने विपक्षीगण के कार्यालय सुजातगंज योजना में एक आवासीय भूखण्ड सं0-28 एम.आई.जी. द्वितीय ब्लाक सी0 सुजातगंज कानपुर नगर रकबा 112.25 वर्गमीटर को जरिये आवंटन पत्र सं0-1331/डी/सेल दिनांकित 22.02.91 को प्राप्त किया था तथा पंजीकरण षुल्क भी जमा किया था।  विपक्षीगण के द्वारा  उपरोक्त प्रष्नगत  भूखण्ड के लिए  उक्त 
..........2
...2...

लीज डीड दिनांक 04.11.92 को निश्पादित की गयी। परिवादी द्वारा विपक्षी विभाग में नियमित रूप से किष्तों का भुगतान किया जा रहा है। समयाभाव होने के कारण व सम्पत्ति की सही ढंग से देखरेख न होने के कारण परिवादी द्वारा उक्त सम्पत्ति के बावत एक मुख्तारनामा श्री गोपाल धर बालिग पुत्र गुरूदीन निवासी 82/ई/47 दबौली कानपुर नगर के पक्ष में किया, जो अभी तक निरस्त नहीं किया गया है। विपक्षीगण के द्वारा दिनांक 02.02.13 को पत्र सं0-डी/1642/3 दिनांक 02.07.13 जारी करके यह कहा गया कि पुरानी आवंटन दर पर आवंटन बहाल किये जाने का कोई प्राविधान न होने के कारण आवंटी की सहमति पर षासनादेष के अनुसार वर्तमान बाजार दर का 75 प्रतिषत मूल्य पर भूमि दर लगाकर तथा नियमानुसार निर्माण षुल्क में वृद्धि जोड़ते हुए पुर्नस्थापना षुल्क के साथ की गयी गणना के अनुसार आगणित मूल्य रू0 24,41,076.00 की अग्रिम के रूप में जमा करने हेतु अविधिक आदेष किया गया है और न जमा करने पर प्रष्नगत भूखण्ड निरस्त करने को कहा गया है। परिवादी द्वारा विपक्षीगण के कार्यालय में जाकर उक्त अविधिक मांग को सही कर भूखण्ड का वास्तविक मूल्य लगाकर देने को कहा गया। इस प्रकार विपक्षीगण द्वारा आष्वासन देकर एक माह बाद आने को कहा। दिनांक 30.07.13 को विपक्षीगण के विभाग द्वारा पत्रांक सं0-डी/2030/डी.एस. प्राप्त हुआ, जिसमें परिवादी को उपरोक्त भूखण्ड निरस्त करने हेतु जो पूर्व पत्र में निर्देषित किया गया था, के बावत आदेष किया गया था। विपक्षीगण से संपर्क करने पर विपक्षीगण के द्वारा परिवादी से अवैध धनराषि की मांग और अन्यथा स्थिति में पुरानी दर पर रजिस्ट्री करने से मना कर दिया गया। अतः विवष होकर परिवादी को प्रस्तुत परिवाद योजित करना पड़ा।
3.     विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है और अतिरिक्त कथन में यह कहा गया है कि परिवादी द्वारा वास्तविक तथ्यों को छिपाकर परिवाद प्रस्तुत किया गया है, इसलिए परिवादी कोई उपषम प्राप्त करने का अधिकारी नहीं है। परिवादी उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आता है।  परिवाद आधारहीन तथा झूठे तथ्यों 
..........3
...3...

पर आधारित है, इसलिए परिवाद खारिज किये जाने योग्य है। परिवाद पत्र के प्रस्तर-3, 4 व 5 को विपक्षीगण द्वारा स्वीकार किया गया है।
4.    परिवादी की ओर से जवाबुल जवाब प्रस्तुत करके विपक्षीगण की ओर से प्रस्तुत किये गये जवाब दावा में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार खण्डन किया गया है तथा स्वयं के द्वारा परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों की पुनः पुश्टि की गयी है।
परिवादी की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
5.     परिवादी ने अपने कथन के समर्थन में गोपालधर पुत्र गुरूदीन का षपथपत्र दिनांकित 04.03.15 एवं स्वयं का षपथपत्र दिनांकित 24.07.15 तथा अभिलेखीय साक्ष्य के रूप में विपक्षीगण द्वारा प्रेशित पत्र दिनांकित  22.02.91 की प्रति, एग्रीमेंट की प्रति, यूको बैंक में जमा की गयी धनराषि की प्राप्ति रसीद की 6 प्रतियां, अपर सचिव के.डी.ए. द्वारा अनुसचिव मुख्यमंत्री कार्यालय लोक षिकायत अनुभाग-1 उ0प्र0 षासन लखनऊ को प्रेशित पत्र की प्रति, मुख्तारनामा की प्रति, निर्वाचन कार्ड की प्रति तथा लिखित बहस दाखिल किया है।
विपक्षीगण की ओर से दाखिल किये गये अभिलेखीय साक्ष्यः-
6.     विपक्षीगण ने अपने कथन के समर्थन में सोमकमल  सीताराम, डिप्टी सीक्रेटी का षपथपत्र दिनांकित 21.08.15 दाखिल किया है।
ःःनिष्कर्शःः

7.     फोरम द्वारा उभयपक्षों के विद्वान अधिवक्तागण की बहस सुनी गयी तथा पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों का सम्यक परिषीलन किया गया। 
    उभयपक्षों को सुनने तथा पत्रावली के सम्यक परिषीलन से विदित होता है कि प्रष्नगत भूखण्ड सं0-28 एम.आई.जी. द्वितीय ब्लाक- सी0 सुजातगंज कानपुर नगर रकबा 112.25 वर्ममीटर परिवादी को विपक्षी विभाग द्वारा जारी आवंटन पत्र सं0-1331/डी/सेल दिनांकित 22.02.91 के द्वारा आवंटित किया गया है। परिवादी की ओर से उपरोक्त आवंटन पत्र की छायाप्रति साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की गयी है। परिवादी द्वारा जमा धनराषि  क्रमषः रू0 20,000.00 दिनांकित 21.11.90, रू0 5270.00 दिनांक
..........4
...4...

12.04.91, रू0 31,250.00 दिनांकित 30.09.91, रू0 9753.00 दिनांकित 14.07.94, रू0 9937.00 दिनांकित 11.10.94, रू0 9937.00 दिनांकित 11.07.95 की छायाप्रतियां प्रस्तुत की गयी हैं, जो कि विपक्षीगण को स्वीकार है। विपक्षीगण की ओर से परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये उपरोक्त अभिलेखीय साक्ष्यों का खण्डन नहीं किया गया है। परिवादी की ओर से यह कथन किया गया है कि परिवादी द्वारा उपरोक्त धनराषि के साथ-साथ पंजीकरण षुल्क भी जमा किया जा चुका है। विपक्षीगण के द्वारा उपरोक्त प्रष्नगत भूखण्ड के लिए एक लीज डीड दिनांक 04.11.92 को निश्पादित की गयी है। परिवादी द्वारा विपक्षी विभाग में नियमित रूप से किष्तों का भुगतान किया जा रहा है। किन्तु विपक्षीगण के द्वारा दिनांक 02.02.13 को पत्र सं0-डी/1642/3 दिनांकित 02.07.13 जारी करके पुरानी आवंटन पर आवंटन बहाल होना न बताकर आवंटी की सहमति पर षासनादेष के अनुसार वर्तमान बाजार दर का 75 प्रतिषत ब्याज दर पर भूमिधर लगाकर तथा निर्माण षुल्क जोड़ते हुए पुर्नस्थापना षुल्क के साथ की गयी गणना के अनुसार आगणित मूल्य रू0 24,41,076.00 की अग्रिम के रूप में जमा कर देवे अन्यथा उसका आवंटन निरस्त कर दिया जायेगा। स्पश्ट है कि प्रष्नगत मामले में विवाद इस विशय का है कि परिवादी आवंटन पत्र में उल्लिखित दर के हिसाब से प्रष्नगत भूखण्ड की फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री कराना चाहता है और विपक्षीगण आवंटन पत्र में उल्लिखित दर के हिसाब से प्रष्नगत भूखण्ड की फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री नहीं कर रहे हैं। पत्रावली पर उपलब्ध आवंटन पत्र के अवलोकन से विदित होता है कि प्रष्नगत भूखण्ड की कीमत रू0 2,05,000.00 आवंटन पत्र के अनुसार क्रेता/ परिवादी को उक्त धनराषि 72 किष्तों में 15 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर से अदा करना है। विपक्षीगण की ओर से जवाब दावा प्रस्तुत करके परिवादी की ओर से प्रस्तुत किये गये परिवाद पत्र में उल्लिखित तथ्यों का प्रस्तरवार औपचारिक खण्डन किया गया है, किन्तु जवाब दावा में विपक्षीगण की ओर से यह स्पश्ट नहीं किया गया है कि विपक्षीगण द्वारा परिवादी से प्रष्नगत आवंटित भूखण्ड की फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री कराने के लिए रू0 24,41,076.00  की मांग किस आधार पर की गयी है। स्वयं परिवादी के द्वारा  अपने  परिवाद पत्र में  निर्माण षुल्क में वृद्धि तथा  पुर्नस्थापना 
.............5
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षुल्क का उल्लेख किया गया है। जिसे परिवादी द्वारा जवाबुल जवाब दाखिल करके यह कहा गया है कि उक्त आरोपित अधिभार विपक्षीगण द्वारा मनमाने तरीके से व अवैधानिक तरीके से परिवादी पर लगाया गया है। विपक्षीगण की ओर से अपने कथन के समर्थन में मात्र षपथपत्र प्रस्तुत किया गया है, अन्य कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। परिवादी की ओर से अपने कथन के समर्थन में लिखित बहस भी प्रस्तुत की गयी है। परिवादी द्वारा अपने परिवाद पत्र में तथा जवाबुल जवाब में तथा लिखित बहस में विपक्षीगण के द्वारा की गयी उपरोक्त मांग रू0 24,41,076.00 को अवैधानिक बताया गया है। परिवादी द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि विपक्षीगण पूर्व निर्धारित दर पर भूखण्ड की फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री कराने की अवैधानिक मांग की जाती रही है। आवास एवं उपभोक्ता पुस्तिका लिखित द्वारा रविन्द्र बाना एडवोकेट, उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली में आवास विक्रेता एवं उपभोक्ता का जिक्र करते हुए यह लिखा गया है कि, ’’ साधारण नागरिक या आम आदमी के पास सरकार का या उसके प्राधिकरणों और यहां तक कि बड़े ठेकेदारों का मुकाबला करने की ताकत नहीं होती है। यदि सरकारी पदाधिकारी दमनात्मक ढंग से या विद्वेशपूर्ण ढंग से काम करने का दोशी पाया जाता है, जिसके कारण उत्पीड़न और तकलीफ होती है, तो षक्ति का ऐसा इस्तेमाल वास्तव में षक्ति का दुरूपयोग है और इसके खिलाफ किसी कानून में कोई संरक्षण नहीं है।’’ विधि का यह स्थापित नियम है कि किसी प्लाट के निर्धारण का प्रष्न फोरम के दायरे से बाहर है। किन्तु मा0 राश्ट्रीय आयोग द्वारा विधि निर्णय कानपुर विकास प्राधिकरण बनाम श्रीमती षीला देवी ।प्त् 2004 ैब् 400 में यह विधि व्यवस्था दी गयी है कि बढ़ोत्तरी के मानदंडों की जांच आयोग/ फोरम कर सकता है जो कि पूरी तरह विवरणिका में दी गयी षर्तों पर आधारित है। उभयपक्षों की ओर से किये गये कथन तथा साक्ष्यों से स्पश्ट है कि अभी तक प्रष्नगत प्लाट का आवंटन विपक्षीगण के द्वारा निरस्त नहीं किया गया। विपक्षीगण द्वारा याचित उपरोक्त रू0 24,41,076.00 किस आधार पर परिवादी से मांगा जा रहा है-का उल्लेख नहीं किया गया है। यह भी स्पश्ट होता है कि विपक्षीगण द्वारा आवंटन पत्र में 15 प्रतिषत वार्शिक ब्याज की दर इस षर्त पर लगाया गया है कि यदि परिवादी प्रष्नगत प्लाट की कीमत 72 किष्तों में अदा करे तब वह दर लागू होगी। 
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ऐसी परिस्थितियों में फोरम का यह मत है कि परिवादी का प्रस्तुत परिवाद आंषिक रूप से इस आषय के लिए स्वीकार किये जाने योग्य है कि यदि परिवादी प्रष्नगत प्लाट की संपूर्ण कीमत एक साथ जमा कर देवे तो उसके द्वारा पूर्व में जमा की गयी धनराषि को कुल कीमत में समायोजित करके षेश धनराषि पर 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज लगाकर परिवादी के पक्ष में जारी आवंटन पत्र सं0-1331/डी /सेल दिनांकित 22.02.91 के अनुसार विपक्षीगण प्रष्नगत प्लाट की फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री परिवादी के पक्ष में कराये तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय भी उक्त धनराषि में मुजरा करे। जहां तक परिवादी की ओर से अन्य याचित उपषम का प्रष्न है-उक्त याचित अतिरिक्त उपषम के लिए परिवादी की ओर से कोई सारवान तथ्य अथवा सारवान साक्ष्य प्रस्तुत न किये जाने के कारण उपरोक्त याचित अतिरिक्त उपषम के लिए परिवाद स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है।    
                               :ःःआदेषःःः
8.    परिवादी का प्रस्तुत परिवाद विपक्षीगण के विरूद्ध आंषिक रूप से इस आषय से स्वीकार किया जाता है कि प्रस्तुत निर्णय पारित करने के 30 दिन के अंदर विपक्षीगण, परिवादी के पक्ष में भूखण्ड सं0-28 एम.आई.जी. द्वितीय ब्लाक-सी0 सुजातगंज कानपुर नगर रकबा 112.25 वर्गमीटर की फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री, परिवादी द्वारा पूर्व में जमा की गयी धनराषि को आवंटन पत्र में उल्लिखित प्लाट की संपूर्ण कीमत में समायोजित करे तथा रू0 5000.00 परिवाद व्यय को समायोजित करके षेश देय धनराषि पर 10 प्रतिषत वार्शिक ब्याज लगाकर प्रष्नगत प्लाट की फ्रीहोल्ड रजिस्ट्री आवंटन पत्र के अनुसार करे।

                (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
            सदस्य                                अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
        फोरम कानपुर नगर।                       फोरम कानपुर नगर।

    आज यह निर्णय फोरम के खुले न्याय कक्ष में हस्ताक्षरित व दिनांकित होने के उपरान्त उद्घोशित किया गया।


                (पुरूशोत्तम सिंह)                   (डा0 आर0एन0 सिंह)
            सदस्य                                अध्यक्ष
   जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश             जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोश
        फोरम कानपुर नगर।                       फोरम कानपुर नगर।   

 

 

 

 

 
 
[HON'BLE MR. RN. SINGH]
PRESIDENT
 
[HON'BLE MR. PURUSHOTTAM SINGH]
MEMBER
 
[HON'BLE MRS. SUNITA BALA AWASTHI]
MEMBER

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